श्री झुलेलाल जी की आरती ( Shri Jhulelal ji ki aarti) “ॐ जय दूलह देवा” एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। यह भगवान की पूजा और आराधना का एक तरीका है। यह मन को शांत और शांतिपूर्ण बनाता है। यह भगवान की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है। झूलेलाल जी की आरती करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है और उनका आशीष प्राप्त होता है। यह प्रार्थना सिंधी समाज के सभी अयोजनो में गाया जाता है।
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श्री झुलेलाल जी की आरती लिरिक्स हिंदी में ( Shri Jhulelal ji ki aarti lyrics in Hindi)
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी,सिदुक रखी सेवा ॥
तुहिंजे दर दे केई, सजण अचनि सवाली ।
दान वठन सभु दिलि, सां कोन दिठुभ खाली ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
अंधड़नि खे दिनव, अखडियूँ – दुखियनि खे दारुं ।
पाए मन जूं मुरादूं, सेवक कनि थारू ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
फल फूलमेवा सब्जिऊ, पोखनि मंझि पचिन ।
तुहिजे महिर मयासा अन्न, बि आपर अपार थियनी ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
ज्योति जगे थी जगु में, लाल तुहिंजी लाली ।
अमरलाल अचु मूं वटी, हे विश्व संदा वाली ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
जगु जा जीव सभेई, पाणिअ बिन प्यास ।
जेठानंद आनंद कर, पूरन करियो आशा ॥
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा ॥
श्री झुलेलाल जी की आरती लिरिक्स अंग्रेजी में ( Shri Jhulelal ji ki aarti lyrics in English)
Om jai Doolah deva, saain jay duulah devaa .
Puja kani thaa premi,siduk rakhi sevaa ॥
Tuhinje dar de kei, sajaṇ achani savaali .
Daan vaṭhan sabhu dili, saan kon diṭhubh khaali ॥
॥ Om jai Doolah deva…॥
Amdhadani khe dinav, akhaḍiyuun – dukhiyani khe daarun .
Paae man juun muraaduun, sevak kani thaaruu ॥
॥ Om jai Doolah deva…॥
Phal phuulamevaa sabjiuu, pokhani manjhi pachin .
Tuhije mahir mayaasaa ann, bi aapar apaar thiyani ॥
॥ Om jai Doolah deva…॥
Jyoti jage thi jagu men, laal tuhinji laali .
Amaralaal achu muun vaṭi, he vishv sandaa vaali ॥
॥ Om jai Doolah deva…॥
Jagu jaa jiv sabhei, paaṇia bin pyaas .
Jeṭhaanand aanand kar, puuran kariyo aashaa ॥
Om jai Doolah deva, saain jay duulah devaa .
Pujaa kani thaa premi, siduk rakhi sevaa ॥
आरती करने का तरीका
आरती करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:
- सबसे पहले, एक पवित्र स्थान पर एक चौकी या आसन बिछाएं।
- उस पर भगवान झूलेलाल की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- आरती की थाली में कुछ फूल, धूप, दीप, और अगरबत्ती रखें।
- आरती की थाली को भगवान झूलेलाल के सामने रखें।
- आरती की कथा को ध्यान से सुनें।
- आरती की पंक्तियों को ध्यान से गाते हुए आरती की थाली को भगवान झूलेलाल के सामने घुमाएं।
- आरती के अंत में, आरती की थाली को भगवान झूलेलाल के सामने रखकर प्रणाम करें।
आरती करने के लाभ
आरती करने के कई लाभ हैं। यह मन को शांत और शांतिपूर्ण बनाता है। यह भक्तों को भगवान झूलेलाल की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है। यह जीवन में आने वाली बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने में भी मदद करता है।
आरती करने का समय
आरती करने का सबसे अच्छा समय सुबह और शाम होता है। हालांकि, इसे किसी भी समय किया जा सकता है।
आरती करने के लिए आवश्यक सामग्री
आरती करने के लिए निम्नलिखित सामग्री आवश्यक है:
- आरती की थाली
- फूल
- धूप
- दीप
- अगरबत्ती
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Shri Jhulelal ji ki aarti lyrics pdf
Shri Jhulelal ji ki aarti से सम्बंधित सामान्य प्रश्न उत्तर
आरती में किन शब्दों का प्रयोग किया गया है?
आरती में गुजराती भाषा के शब्दों का प्रयोग किया गया है। कुछ प्रमुख शब्दों में शामिल हैं:
जय – जीत * दूलह – दूल्हा * साईं – भगवान * प्रेमी – भक्त * सेवा – पूजा * दरबार – मंदिर * अंधड़ – तूफान * अखडियूँ – अखंड * दुखियां – दुखी * दारूं – सहारा * फल – फल * फूलमेवा – फल और सब्जियां * पोखनि – खेत * महिर – दयालु * मयासा – मनचाहा * अन्न – भोजन
आरती का क्या अर्थ है?
श्री झुलेलाल जी की आरती ( Shri Jhulelal ji ki aarti) का अर्थ है “आराधना” या “पूजा”। यह आरती भगवान झूलेलाल की पूजा और आराधना करती है। यह उनकी महिमा का गुणगान करती है और उनकी कृपा प्राप्त करने की कामना करती है।
आरती का महत्व क्या है?
श्री झुलेलाल जी की आरती ( Shri Jhulelal ji ki aarti)एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। यह भगवान की पूजा और आराधना का एक तरीका है। यह मन को शांत और शांतिपूर्ण बनाता है। यह भगवान की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
श्री झुलेलाल जी की आरती ( Shri Jhulelal ji ki aarti) कैसे करें?
श्री झुलेलाल जी की आरती ( Shri Jhulelal ji ki aarti) करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:
सबसे पहले, एक पवित्र स्थान पर एक चौकी या आसन बिछाएं।
उस पर भगवान झूलेलाल की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
आरती की थाली में कुछ फूल, धूप, दीप, और अगरबत्ती रखें।
आरती की थाली को भगवान झूलेलाल के सामने रखें।
आरती की कथा को ध्यान से सुनें।
आरती की पंक्तियों को ध्यान से गाते हुए आरती की थाली को भगवान झूलेलाल के सामने घुमाएं।
आरती के अंत में, आरती की थाली को भगवान झूलेलाल के सामने रखकर प्रणाम करें।
श्री झुलेलाल जी की आरती करने के लाभ क्या हैं?
श्री झुलेलाल जी की आरती ( Shri Jhulelal ji ki aarti)करने के कई लाभ हैं। यह मन को शांत और शांतिपूर्ण बनाता है। यह भक्तों को भगवान झूलेलाल की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है। यह जीवन में आने वाली बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने में भी मदद करता है।
श्री झुलेलाल जी की आरती करने का सबसे अच्छा समय क्या है?
श्री झुलेलाल जी की आरती ( Shri Jhulelal ji ki aarti)करने का सबसे अच्छा समय सुबह और शाम होता है। हालांकि, इसे किसी भी समय किया जा सकता है।
आरती करने के लिए कौन सी सामग्री आवश्यक है?
आरती करने के लिए निम्नलिखित सामग्री आवश्यक है:
आरती की थाली
फूल
धूप
दीप
अगरबत्ती
श्री झुलेलाल जी की आरती करने के लिए कौन सी विधि सबसे अच्छी है?
श्री झुलेलाल जी की आरती करने के लिए कोई एक विशेष विधि सबसे अच्छी नहीं है। भक्त अपनी सुविधानुसार किसी भी विधि का पालन कर सकते हैं।
यह आरती किसके लिए है?
यह श्री झुलेलाल जी की आरती ( Shri Jhulelal ji ki aarti) भगवान झूलेलाल के लिए है। वे एक लोक देवता हैं जो गुजरात और राजस्थान में पूजे जाते हैं।
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इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले।
संजय इज़ारदार का रुझान बचपन से ही अध्यात्म की ओर रहा है। वे poojaaarti.com में मंदिरो और त्योहारों के पोस्ट में हमारा सहयोग करते है और हमसे शुरुआत से ही जुड़े हुए है।