शिव जी की आरती (Shiv ji ki aarti) “ॐ जय शिव ओंकारा” भगवान शिव की महिमा की प्रशंसा करने के लिए गाई जाती है और भगवान की पूजा के समय पढ़ी जाती है। भगवान शिव की आरती को भक्ति और पूजा के समय गाने से व्यक्ति उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं, और उनके महिमा का गान करते हैं। इसके अलावा, इस आरती का पाठ भक्तों के मानसिक और आत्मिक शांति को भी बढ़ावा देता है।
विषय सूची
Shiv ji ki aarti का वीडियो
Shiv ji ki aarti के लाभ
- आध्यात्मिक लाभ: शिव जी की आरती का पाठ करने से आध्यात्मिक प्रगति के लिए लाभकारी है। यह व्यक्ति को अपने आत्मा के साथ गहरा जुड़ने में मदद कर सकता है और उनकी आधयात्म को बढ़ावा देता है।
- मानसिक शांति: शिव जी की आरती का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है। यह चिंता और उदासी को दूर कर सकता है और व्यक्ति को मानसिक स्थिरता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
- आर्थिक लाभ: शिव जी की आरती का पाठ करने से आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। यह व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं के समाधान में मदद कर सकता है और वित्तीय स्थिति को सुधार सकता है।
- सामाजिक और पारिवारिक सुख: शिव जी की आरती का पाठ करने से व्यक्ति को सामाजिक और पारिवारिक सुख मिल सकते हैं। यह आपके परिवार में एकता को बढ़ाता है और सामाजिक संबंधों को मजबूत करता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: शिव जी की आरती का पाठ करने से शारीरिक स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंच सकता है। यह शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे शारीरिक बीमारियों का बचाव हो सकता है।
शिव जी की आरती लिरिक्स हिंदी में (Shiv ji ki aarti lyrics in Hindi )
ॐ जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
शिव जी की आरती लिरिक्स अंग्रेजी में (Shiv ji ki aarti lyrics in English )
Om jai shiv omkara, om jai shiv omkara .
Brahmaa, vishṇu, sadaashiv, arddhaangii dhaaraa ॥
Om jai shiv omkara
Ekaanan chaturaanan panchaanan raaje .
Hamsaasan garuudaasan vṛshavaahan saaje ॥
Om jai shiv omkara
Do bhuj chaar chaturbhuj dasabhuj ati sohe .
Triguṇ ruup nirakhate tribhuvan jan mohe ॥
Om jai shiv omkara
Akshamaalaa vanamaalaa muṇḍamaalaa dhaarii .
Tripuraarii kamsaarii kar maalaa dhaarii ॥
Om jai shiv omkara
Shvetaanbar piitaanbar baaghambar amge .
Sanakaadik garuṇaadik bhuutaadik sange ॥
Om jai shiv omkara
Kar ke madhy kamanḍalu chakr trishuuladhaarii .
Sukhakaarii dukhahaarii jagapaalan kaarii ॥
Om jai shiv omkara
Brahmaa vishṇu sadaashiv jaanat avivekaa .
Praṇavaakshar men shobhit ye tiinon ekaa ॥
Om jai shiv omkara
Lakshmii v saavitrii paarvatii sangaa .
Paarvatii arddhaangii, shivalaharii gangaa ॥
Om jai shiv omkara
Parvat sohain paarvatii, shankar kailaasaa .
Bhaang dhatuur kaa bhojan, bhasmii men vaasaa ॥
Om jai shiv omkara
Jaṭaa men gang bahat hai, gal muṇḍan maalaa .
Shesh naag lipaṭaavat, odhat mṛgachhaalaa ॥
Om jai shiv omkara
Kaashii men viraaje vishvanaath, nandii brahmachaarii .
Nit uṭh darshan paavat, mahimaa ati bhaarii ॥
Om jai shiv omkara
Triguṇasvaamii jii kii aarati jo koi nar gaave .
Kahat shivaanand svaamii sukh sampati paave ॥
Om jai shiv omkara
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Shiv ji ki aarti lyrics pdf
Shiv ji ki aarti से सम्बंधित प्रश्न
शिव जी की आरती क्या है?
शिव जी की आरती(Shiv ji ki aarti) एक प्राथना है जिसमें भगवान शिव की महिमा की प्रशंसा की जाती है। यह आरती भगवान की पूजा के समय गाई जाती है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।
शिव जी की आरती कब और कैसे की जाती है?
शिव जी की आरती (Shiv ji ki aarti) का पाठ शिव पूजा के समय किया जाता है, जैसे कि रोज़, महाशिवरात्रि, प्रदोष काल (संध्या काल), और अन्य शिव पूजा के अवसरों पर। पाठ के दौरान, भक्त भगवान शिव की मूर्ति के सामने जल, दूप, धूप, और प्रसाद के साथ आरती गाते हैं और पूजा करते हैं।
शिव जी की आरती के क्या महत्व हैं?
शिव जी की आरती (Shiv ji ki aarti) का पाठ भगवान शिव की पूजा करने वाले भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से, वे भगवान की महिमा का गान करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह आरती भक्तों के आत्मिक और मानसिक शांति को प्राप्त करने में मदद करती है और उनके जीवन में धार्मिकता की भावना को बढ़ावा देती है।
शिव जी की आरती के क्या प्रकार हैं?
शिव जी की आरती (Shiv ji ki aarti) के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे कि “शिव आरती” (जो ऊपर दी गई है) और “महाकाल आरती”। इन आरतियों के बोल और प्रक्रिया थोड़ी भिन्न हो सकती है, लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की पूजा और स्तुति करना है।
शिव जी की आरती के क्या फायदे हैं?
शिव जी की आरती (Shiv ji ki aarti) का पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक, मानसिक, और आर्थिक लाभ हो सकता है। यह उनके आत्मा के साथ संबंध बढ़ावा देता है, मानसिक शांति प्रदान करता है, और भगवान की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
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इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले।
संजय इज़ारदार का रुझान बचपन से ही अध्यात्म की ओर रहा है। वे poojaaarti.com में मंदिरो और त्योहारों के पोस्ट में हमारा सहयोग करते है और हमसे शुरुआत से ही जुड़े हुए है।