जय गणेश जय मेरें देवा-भजन (Jai Ganesh Jai Mere Deva-Bhajan)

जय गणेश जय मेरें देवा-भजन (Jai Ganesh Jai Mere Deva-Bhajan) भगवान श्री गणेश को समर्पित भक्ति भजन है। इस भक्ति भजन को स्वर दिया है श्री हंसराज रघुवंशी जी ने। श्री हंसराज रघुवंशी जी के मधुर स्वर में भक्तगण झूमते हुए इस भक्ति भजन का आनंद लें और भगवान श्री गणेश की जय जयकार करें। है। यह भजन गणेश चतुर्थी, गणेश मंदिरो एवं अन्य धार्मिक उत्सव में सुना जाता है।

भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक रूप से अनेक लाभ मिलते हैं। उनकी पूजा करने से सभी कार्य सफल होते हैं और जीवन में समृद्धि का आगमन होता है। इसलिए, गणेश भगवान की पूजा को नियमित रूप से करना बहुत शुभ होता है।

जय गणेश जय मेरें देवा-भजन (Jai Ganesh Jai Mere Deva-Bhajan) हिंदी में

वक्रतुण्ड महाकाय,
सूर्यकोटि समप्रभ,
निर्विघ्नं कुरु मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

जय गणेश जय मेरे देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा,
माता जाकी पार्वती है,
माता जाकी पार्वती है,
पिता महादेवा रे देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा ॥

एकदंत दयावन्त,
चार भुजाधारी देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा,
शुभ कारज में,
पहले करूँ मैं पूजा तेरी ॥

माथे सिन्दूर सोहे,
मूसे की सवारी रे देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा ॥

पान चढ़े फूल चढ़े,
और चढ़े मेवा रे देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा ॥

लड्डुअन का भोग लगे,
सन्त करें सेवा रे देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा ॥

अंधन को आंख दे तू,
कोढ़िन को काया रे देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा ॥

बांझन को पुत्र देवे,
निर्धन को माया रे देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा ॥

जय गणेश जय मेरें देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा,
माता जाकी पार्वती है,
माता जाकी पार्वती है,
पिता महादेवा रे देवा,
जय गणेश जय मेरें देवा ॥

जय गणेश जय मेरें देवा-भजन (Jai Ganesh Jai Mere Deva-Bhajan) अंग्रेजी में

Vakratunda Mahakaya,
Suryakoti Samprabha,
Nirvighnam Kuru Me deva,
Sarbakaryesu Sarbada ॥

Jai Ganesh Jai Mere Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva,
Maata Jaki Parvati Hai,
Maata Jaki Parvati Hai,
Pita Mahadeva Re Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva ॥

Ekadant Dayavant,
Char Bhujadhari Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva,
Shubh Karaj Mein,
Pahale Karun Main Pooja teri ॥

Paan Chadhe Phool Chadhe,
Aur Chadhe Mewa Re Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva ॥

Mathe Sindur Sohe,
Muse Ki Savari Re Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva ॥

Laddon Ka Bhog Lage,
Santa Kare Sewa Re Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva ॥

Bajhan Ko Putra Deve,
Nirdhan Ko Maya Re Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva ॥

Jai Ganesh Jai Mere Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva,
Maata Jaki Parvati Hai,
Maata Jaki Parvati Hai,
Pita Mahadeva Re Deva,
Jai Ganesh Jai Mere Deva ॥

जय गणेश जय मेरें देवा-भजन (Jai Ganesh Jai Mere Deva-Bhajan) Pdf


यह भक्ति भजन गीत भी देखे


जय गणेश जय मेरें देवा-भजन (Jai Ganesh Jai Mere Deva-Bhajan) Video

श्री गणेश जी के भजन से सम्बंधित सामान्य प्रश्न

श्री गणेश जी के भजन क्या होती है?

जय गणेश जय मेरें देवा-भजन एक प्रार्थना है जिसमें भगवान गणेश की महिमा की प्रशंसा की जाती है। यह आरती गणेश चतुर्थी और अन्य गणेश जयंती जैसे अवसरों पर पूजा के दौरान पढ़ी जाती है और भक्तों के द्वारा गणेश जी की पूजा के समय भी किया जा सकता है।

श्री गणेश जी के भजन कब और कैसे की जाती है?

श्री गणेश जी के भजन का पाठ गणेश चतुर्थी और अन्य गणेश जयंती जैसे महत्वपूर्ण पर्वों पर किया जाता है, और भक्तों के द्वारा गणेश जी की पूजा के समय भी किया जा सकता है। पाठ के दौरान, भक्त गणेश जी की मूर्ति के सामने जल, दूध, धूप, और प्रसाद के साथ आरती गाते हैं और पूजा करते हैं।

श्री गणेश जी के भजन का महत्व क्या है?

श्री गणेश जी के भजन का पाठ भगवान गणेश की पूजा करने वाले भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से, वे गणेश जी की महिमा का गान करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह आरती भक्तों के आध्यात्मिक और मानसिक शांति को प्राप्त करने में मदद करती है और उनके जीवन में धार्मिकता की भावना को बढ़ावा देती है।

श्री गणेश जी के भजन के क्या प्रकार होते हैं?

श्री गणेश जी के भजन के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे “जय गणेश देवा” आरती और “सुखकर्ता दुःखहर्ता” आरती। इन आरतियों के बोल और प्रक्रिया थोड़ी भिन्न हो सकती है, लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य गणेश जी की पूजा और स्तुति करना है।

श्री गणेश जी के भजन के क्या फायदे होते हैं?

श्री गणेश जी के भजन का पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक, मानसिक और आर्थिक लाभ हो सकते हैं। यह उनके आत्मा के साथ संबंध बढ़ावा देता है।

आज का हमारा लेख पढ़ने के लिए हम आपकी सराहना करते हैं। कृपया अपने अनुभव हमसे साझा करने के लिए हमारे facebook group पर जुड़े और हमारे facebook page को like करे। अगर आप इस लेख में कुछ सुधार चाहते है, तो कृपया comment के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है।

इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले।

Leave a Comment

Exit mobile version

Updated on November 3, 2024