मंगल की सेवा सुन मेरी देवा (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva)

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva) एक प्रसिद्ध भजन है जो देवी काली की स्तुति में गाया जाता है। यह भजन हिंदी में है और इसे अक्सर नवरात्रि के दौरान गाया जाता है।

माँ दुर्गा की पूजा करने से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक रूप से अनेक लाभ मिलते हैं। उनकी पूजा करने से सभी कार्य सफल होते हैं और जीवन में समृद्धि का आगमन होता है। इसलिए, मातारानी की पूजा को नियमित रूप से करना बहुत शुभ होता है।

विषय सूची

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva) वीडियो

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva) के लाभ :

  1. आध्यात्मिक संबंध: यह भजन भगवान की सेवा के माध्यम से आपके आध्यात्मिक संबंध को मजबूती देने में मदद कर सकता है।
  2. शांति और आत्मा की प्रेरणा: इस भजन का सुनना और गाना आपके मन को शांति और आत्मा की प्रेरणा प्रदान कर सकता है।
  3. भक्ति और समर्पण: यह भजन भगवान के प्रति आपकी भक्ति और समर्पण की भावना को बढ़ावा देता है।
  4. संगीतिक मनोरंजन: इस भजन का संगीत और गायन आपको संगीतिक मनोरंजन प्रदान कर सकता है और आपको आनंदित कर सकता है।
  5. जीवन में सकारात्मकता: भजन में उक्त सेवा का वर्णन करके, आपको अपने जीवन में सकारात्मकता की भावना प्राप्त हो सकती है।
  6. दैनिक जीवन में सहायता: इस भजन का अच्छे भावनाओं के साथ सुनने और गाने से आपके दैनिक जीवन में सहायता मिल सकती है, क्योंकि यह आपको आदर्शों की दिशा में प्रेरित करता है।

इस भजन गीत से भगवान की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva) हिंदी में

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड तेरे द्वार खडे ।
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले ज्वाला तेरी भेट धरे ॥

सुन जगदम्बे न कर विलम्बे,
संतन के भडांर भरे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ॥

बुद्धि विधाता तू जग माता,
मेरा कारज सिद्व करे ।
चरण कमल का लिया आसरा,
शरण तुम्हारी आन पडे ॥

जब-जब भीड पडी भक्तन पर,
तब-तब आप सहाय करे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली,
जय काली कल्याण करे ॥

गुरु के वार सकल जग मोहयो,
तरुणी रूप अनूप धरे ।
माता होकर पुत्र खिलावे,
कही भार्या भोग करे ॥

शुक्र सुखदाई सदा सहाई,
संत खडे जयकार करे ।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जै काली कल्याण करे ॥

ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये,
भेट देन तेरे द्वार खडे ।
अटल सिहांसन बैठी मेरी माता,
सिर सोने का छत्र फिरे ॥

वार शनिचर कुमकुम बरणो,
जब लुंकड़ पर हुकुम करे ।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशाली,
जै काली कल्याण करे ॥

खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये,
रक्त बीज को भस्म करे ।
शुम्भ-निशुम्भ को क्षण में मारे,
महिषासुर को पकड दले ॥

आदित वारी आदि भवानी,
जन अपने को कष्ट हरे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जै काली कल्याण करे ॥

कुपित होकर दानव मारे,
चण्ड-मुण्ड सब चूर करे ।
जब तुम देखी दया रूप हो,
पल में सकंट दूर करे ॥

सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता,
जन की अर्ज कबूल करे ।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जै काली कल्याण करे ॥

सात बार की महिमा बणनी,
सब गुण कौन बखान करे ।
सिंह पीठ पर चढी भवानी,
अटल भवन में राज्य करे ॥

दर्शन पावे मंगल गावे,
सिद्ध साधक तेरी भेट धरे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जै काली कल्याण करे ॥

ब्रह्मा वेद पढे तेरे द्वारे,
शिव शंकर हरी ध्यान धरे ।
इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती,
चंवर कुबेर डुलाय रहे ॥

जय जननी जय मातु भवानी,
अटल भवन में राज्य करे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड तेरे द्वार खडे ।
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले ज्वाला तेरी भेट धरे ॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड तेरे द्वार खडे ।
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले ज्वाला तेरी भेट धरे ॥

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva) अंग्रेजी में

mangal kii sevaa sun merii devaa
mangal kii sevaa sun merii devaa,
haath joḍ tere dvaar khaḍe .
paan supaarii dhvajaa naariyal,
le jvaalaa terii bheṭ dhare ॥

sun jagadambe n kar vilambe,
santan ke bhaḍaanr bhare .
santan pratipaalii sadaa khushahaalii,
jay kaalii kalyaaṇ kare ॥

buddhi vidhaataa tuu jag maataa,
meraa kaaraj sidv kare .
charaṇ kamal kaa liyaa aasaraa,
sharaṇ tumhaarii aan paḍe ॥

jab-jab bhiiḍ paḍii bhaktan par,
tab-tab aap sahaay kare .
santan pratipaalii sadaa khushaalii,
jay kaalii kalyaaṇ kare ॥

guru ke vaar sakal jag mohayo,
taruṇii ruup anuup dhare .
maataa hokar putr khilaave,
kahii bhaaryaa bhog kare ॥

shukr sukhadaaii sadaa sahaaii,
sant khaḍe jayakaar kare .
santan pratipaalii sadaa khushahaalii,
jai kaalii kalyaaṇ kare ॥

brahmaa vishṇu mahesh phal liye,
bheṭ den tere dvaar khaḍe .
aṭal sihaansan baiṭhii merii maataa,
sir sone kaa chhatr phire ॥

vaar shanichar kumakum baraṇo,
jab lunkad par hukum kare .
santan pratipaalii sadaa khushaalii,
jai kaalii kalyaaṇ kare ॥

khaḍg khappar trishul haath liye,
rakt biij ko bhasm kare .
shumbh-nishumbh ko kshaṇ men maare,
mahishaasur ko pakaḍ dale ॥

aadit vaarii aadi bhavaanii,
jan apane ko kashṭ hare .
santan pratipaalii sadaa khushahaalii,
jai kaalii kalyaaṇ kare ॥

kupit hokar daanav maare,
chaṇḍ-muṇḍ sab chuur kare .
jab tum dekhii dayaa ruup ho,
pal men sakanṭ duur kare ॥

sowmy svabhaav dharayo merii maataa,
jan kii arj kabuul kare .
santan pratipaalii sadaa khushahaalii,
jai kaalii kalyaaṇ kare ॥

saat baar kii mahimaa baṇanii,
sab guṇ kown bakhaan kare .
sinh piiṭh par chaḍhii bhavaanii,
aṭal bhavan men raajy kare ॥

darshan paave mangal gaave,
siddh saadhak terii bheṭ dhare .
santan pratipaalii sadaa khushahaalii,
jai kaalii kalyaaṇ kare ॥

brahmaa ved paḍhe tere dvaare,
shiv shankar harii dhyaan dhare .
indr kṛshṇ terii kare aaratii,
chamvar kuber ḍulaay rahe ॥

jay jananii jay maatu bhavaanii,
aṭal bhavan men raajy kare .
santan pratipaalii sadaa khushahaalii,
jay kaalii kalyaaṇ kare ॥

mangal kii sevaa sun merii devaa,
haath joḍ tere dvaar khaḍe .
paan supaarii dhvajaa naariyal,
le jvaalaa terii bheṭ dhare ॥

mangal kii sevaa sun merii devaa,
haath joḍ tere dvaar khaḍe .
paan supaarii dhvajaa naariyal,
le jvaalaa terii bheṭ dhare ॥

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पूजा विधि

सामग्री:

  1. माँ देवी की मूर्ति या चित्र
  2. दीपक (घी या तेल से)
  3. दूप बत्ती और अगरबत्ती
  4. पूजा की थाली
  5. फूल
  6. प्रसाद (मिठाई या फल)
  7. पूजा के लिए स्थान

पूजा विधि:

  1. सबसे पहले, एक शुद्ध और शांत स्थान चुनें जहां आप पूजा करना चाहते हैं।
  2. स्थान को सफ़ाई करें और एक चौकी या मंडप बिछाएं जिस पर माँ देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित कर सकें।
  3. माँ देवी की मूर्ति या चित्र को सजीव रूप में स्थापित करें।
  4. आरती संग्रहण करें: दीपक, दूप बत्ती, अगरबत्ती, फूल, पूजा की थाली, प्रसाद आदि।
  5. आरती की थाली को पूजा स्थल पर रखें और उसमें दीपक और दूप बत्ती जलाएं।
  6. माँ देवी के समक्ष बैठकर उनकी आराधना करने का संकल्प लें।
  7. “मंगल की सेवा सुन मेरी देवा” भजन का आरंभ करें और उसे गाएं।
  8. आरती के बाद, माँ देवी के चरणों में मन्त्र पाठ करें और उनकी कृपा की प्रार्थना करें।
  9. फूल, गंध, और प्रसाद की थाली को माँ देवी के समक्ष रखें और उन्हें समर्पित करें।
  10. पूजा के बाद, आप आरती का भोग उनके समक्ष चढ़ा सकते हैं और फिर उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करके पूजा को समाप्त कर सकते हैं।

इस प्रकार के तरीके से, आप “मंगल की सेवा सुन मेरी देवा” भजन की पूजा कर सकते हैं और माँ देवी के आशीर्वाद को प्राप्त कर जीवन में शांति और समृद्धि ला सकते है.

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva) गीत से सम्बंधित कुछ सामान्य प्रश्न :

“मंगल की सेवा सुन मेरी देवा” का अर्थ क्या है?

इस भजन (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva) का अर्थ है, “हे देवी, मेरी मंगल की विनती सुनो।” भक्त देवी काली से अपने जीवन में मंगल (सुख, समृद्धि और कल्याण) की कामना करते हैं।

इस भजन में किन-किन देवताओं की स्तुति की गई है?

इस भजन(Mangal Ki Seva Sun Meri Deva) में देवी काली की स्तुति की गई है। भक्त देवी काली को सभी देवताओं की माता और ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति मानते हैं।

इस भजन को कब गाया जाता है?

इस भजन (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva) को अक्सर नवरात्रि के दौरान गाया जाता है। नवरात्रि देवी दुर्गा की पूजा के नौ दिनों का त्योहार है।

इस भजन के कौन से लोकप्रिय संस्करण हैं?

इस भजन(Mangal Ki Seva Sun Meri Deva) के कई लोकप्रिय संस्करण हैं। इनमें से कुछ सबसे लोकप्रिय संस्करणों को लता मंगेशकर, आशा भोसले और पंडित कुमार गंधर्व ने गाया है।

माँ काली कौन हैं?

माँ काली हिन्दू धर्म में देवी के रूप में पूजी जाने वाली हैं, जिन्हें शक्ति और बदलने वाली शक्ति की प्रतीक के रूप में माना जाता है। वे अद्वितीयता, शक्ति और मृत्यु के संकेत के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

माँ काली के कितने रूप होते हैं?

माँ काली के कई रूप होते हैं, जो उनकी विभिन्न भावनाओं और स्वरूपों को प्रकट करते हैं। उनमें काली, दक्षिण काली, बगलामुखी, चिन्मस्ता, कालिका, भैरवी आदि शामिल हैं।

माँ काली के विशेषता क्या हैं?

माँ काली की खासियत उनकी काली और उग्र रूपांतरिता में है। उन्हें शवों के साथ दिखाया जाता है, और उनका दिव्य शक्तिस्वरूप महाकाल और विनाश है।

काली पूजा क्यों की जाती है?

माँ काली की पूजा के माध्यम से भक्त उनकी शक्तियों का आदर करते हैं और उनकी कृपा को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। काली पूजा से भक्तों का अंतःकरण और आत्मा की परिशुद्धि होती है।

काली पूजा कब और कैसे की जाती है?

काली पूजा विशेष अवसरों पर जैसे कि नवरात्रि, काली पूजा में की जाती है। इसके लिए, एक शुद्ध और शांत स्थान का चयन करें और काली माता की मूर्ति को स्थापित करें। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि दीपक, दूप, अगरबत्ती, पुष्प, फल, प्रसाद, चौकी, कपड़ा आदि की तैयारी करें।

काली मंत्र क्या हैं?

माँ काली के पूजन में कई मंत्र प्रयोग किए जाते हैं, जैसे कि “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” और “ॐ कालिकायै नमः”। इन मंत्रों का जाप करके भक्त उनकी कृपा को प्राप्त कर सकते हैं।

काली का क्या महत्व है?

माँ काली का महत्व उनकी उग्र शक्ति, ब्रह्मा, विष्णु, और महेश्वर के साथ संबंधित है। वे सत्त्व, रजस, और तमस गुणों की प्रतीक हैं और उनकी पूजा से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति होती है।

काली का कौन-कौन से अवतार हैं?

माँ काली के कई अवतार हैं, जैसे कि दक्षिण काली, बगलामुखी, चिन्मस्ता, कालिका आदि। प्रत्येक अवतार में उनकी विशेष शक्तियों और भावनाओं का प्रतीक होता है।

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इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 

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Updated on September 22, 2024