श्री राम चालीसा एक प्रसिद्ध हिन्दी भक्ति ग्रंथ है जिसमें भगवान श्री राम की महिमा, गुणों और भक्ति को व्यक्त किया गया है। यह चालीसा श्री रामभक्तों द्वारा नियमित रूप से पाठ की जाती है और इसके कई मान्यताएं हैं।
विषय सूची
श्री रामचालीसा के पाठ से लाभ (Benfit of Shree Ram Chalisa) –
यहां कुछ मुख्य लाभों की चर्चा की जा रही है:
- मन की शांति और स्थिरता: श्री रामचालीसा का पाठ मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है। इसके द्वारा भक्त अपने मन को संयमित करके चिंताओं और अशांति से मुक्त हो सकते हैं।
- शुभ कार्यों की सिद्धि: श्री रामचालीसा के पाठ से भक्त को शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। यह चालीसा कठिनाइयों को दूर करके उपयोगकर्ता को आगे बढ़ने में सहायता करती है।
- रोग निवारण: श्री रामचालीसा का पाठ शारीरिक और मानसिक रोगों को नष्ट करने में मददगार साबित होता है। भक्त ईश्वर की कृपा से स्वस्थ्य और ताजगी प्राप्त कर सकते हैं।
- भक्ति और आध्यात्मिकता की विकास: श्री रामचालीसा के पाठ से भक्त की आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसके माध्यम से भक्त भगवान राम के प्रति अनुराग और विश्वास को मजबूत कर सकते हैं।
- कर्मबद्धता के निवारण: श्री रामचालीसा का नियमित पाठ करने से कर्मबद्धता और पापों का नाश होता है। यह भक्त को पुनर्जन्म से मुक्त करता है और उसे अच्छे कर्मों की ओर प्रेरित करता है।
यह थे कुछ प्रमुख लाभ जो श्री रामचालीसा के पाठ से प्राप्त हो सकते हैं। हालांकि, धार्मिक लाभों के साथ-साथ श्री रामचालीसा का पाठ मानसिक शक्ति, सद्भावना, स्वास्थ्य और आत्मविश्वास को भी बढ़ावा देता है। यह चालीसा एक उच्चारणीय और मानसिक अभ्यास के रूप में भी उपयोगी है, जो चित्त को शांत, स्थिर और प्रसन्न बनाता है।
श्री राम चालीसा हिंदी में (shree ram chalisa in hindi)
॥ दोहा ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं
बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं
॥ चौपाई ॥
श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।
ता सम भक्त और नहिं होई ॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।
ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं ॥
जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।
सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना ।
जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना ॥
तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं ।
दीनन के हो सदा सहाई ॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी ।
तुम भक्तन की लज्जा राखी ॥
गुण गावत शारद मन माहीं ।
सुरपति ताको पार न पाहीं ॥ 10 ॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई ।
ता सम धन्य और नहिं होई ॥
राम नाम है अपरम्पारा ।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा ॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों ।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों ॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।
महि को भार शीश पर धारा ॥
फूल समान रहत सो भारा ।
पावत कोउ न तुम्हरो पारा ॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।
तासों कबहुँ न रण में हारो ॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा ।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ॥
लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।
सदा करत सन्तन रखवारी ॥
ताते रण जीते नहिं कोई ।
युद्ध जुरे यमहूँ किन होई ॥
महा लक्ष्मी धर अवतारा ।
सब विधि करत पाप को छारा ॥ 20 ॥
सीता राम पुनीता गायो ।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ॥
घट सों प्रकट भई सो आई ।
जाको देखत चन्द्र लजाई ॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत ।
नवो निद्धि चरणन में लोटत ॥
सिद्धि अठारह मंगल कारी ।
सो तुम पर जावै बलिहारी ॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई ।
सो सीतापति तुमहिं बनाई ॥
इच्छा ते कोटिन संसारा ।
रचत न लागत पल की बारा ॥
जो तुम्हरे चरनन चित लावै ।
ताको मुक्ति अवसि हो जावै ॥
सुनहु राम तुम तात हमारे ।
तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे ॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे ।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ॥
जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥ 30 ॥
रामा आत्मा पोषण हारे ।
जय जय जय दशरथ के प्यारे ॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ॥
सत्य सत्य जय सत्य- ब्रत स्वामी ।
सत्य सनातन अन्तर्यामी ॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।
सो निश्चय चारों फल पावै ॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं ।
तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं ॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।
नमो नमो जय जापति भूपा ॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा ।
नाम तुम्हार हरत संतापा ॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया ॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन ।
तुमहीं हो हमरे तन मन धन ॥
याको पाठ करे जो कोई ।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥ 40 ॥
आवागमन मिटै तिहि केरा ।
सत्य वचन माने शिव मेरा ॥
और आस मन में जो ल्यावै ।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥
साग पत्र सो भोग लगावै ।
सो नर सकल सिद्धता पावै ॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥
श्री हरि दास कहै अरु गावै ।
सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय ।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय ॥
राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय ।
जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय ॥
The benefits of reciting the Shree Ram Chalisa can be summarized as follows:
- Peace and stability of mind: The recitation of Shree Ram Chalisa brings peace and stability to the mind. It helps the devotee control their mind, relieving them from worries and unrest.
- Success in auspicious endeavors: Regular recitation of Shree Ram Chalisa leads to success in one’s endeavors. It helps overcome obstacles and provides assistance in moving forward.
- Healing of ailments: The recitation of Shree Ram Chalisa is believed to have the power to heal physical and mental illnesses. The devotee can attain good health and vitality through the grace of the Divine.
- Development of devotion and spirituality: Reciting Shree Ram Chalisa promotes the spiritual growth of the devotee. It strengthens their love and faith towards Lord Rama.
- Dissolution of karmic bondage: Regular recitation of Shree Ram Chalisa helps in eradicating karmic bondage and sins. It frees the devotee from the cycle of birth and death, inspiring them towards performing righteous deeds.
These are some of the main benefits one can derive from reciting the Shree Ram Chalisa. In addition to the spiritual benefits, it also enhances mental strength, compassion, well-being, and self-confidence. The Chalisa can be practiced as a vocal or mental exercise, which calms the mind, brings stability, and instills a sense of contentment.
!! Doha !!
Aadau Ram Tapovanadi Gamanam Hatvaah Mriga Kanchanam
Vaidehi Haranam Jatayu Maranam Sugriva Speech
Bali Nirdalam Samudra Taranam Lankapuri Dahanam
Paschadravanam Kumbhakarnam Hananam etaddhi Ramayanam
!! Chopai !!
Shri Raghubir devotee benevolent.
Please listen to our prayer Lord.
Whoever meditates on this day.
There is no other devotee like her.
Take care Shivji Man Mahi.
Brahma could not cross Indra.
Hail Hail Hail Raghunath Kripala.
Always protect your children.
The messenger is your brave Hanuman.
Jasu Prabhav Tihun Pur go to ॥
Tuv Bhujdand Prachanda Kripala.
Ravana kills Suran Pratipala.
You are the Nath Gosai of an orphan.
You are always the helper of the poor.
Can’t cross Brahmadik then.
Sada Ish Tumharo Yash Gawai ॥
Chariu Veda Bharat is Sakhi.
You kept the shame of the devotee.
Gun Gavat Sharad Man Mahi.
Surapati could not cross you. 10 ॥
Whoever takes your name.
Ta was equally blessed and did not happen.
The name of Ram is unlimited.
Charihu Vedan Jahi Pukara ॥
You have taken the name of Ganapati.
Who are you his first worshiper?
The rest of your name is rote.
Mahi’s heavy stream on her head.
Staying like a flower is so heavy.
No one acknowledges your mercury.
Your name Bharat is yours.
Don’t ever get defeated in battle.
Name Shatruhan Hriday Prakasha.
Enemies do intoxication by doing Sumirat.
Lashan is obedient to you.
Always taking care of the children.
No one wins by fighting.
Where did the war take place?
Maha Lakshmi Dhar Avatara.
By doing all the rituals, the sin is covered. 20 ॥
Sita Ram Punita sing.
Show Bhuvaneshwari effect.
It happened while it was revealed and it came.
Go see the moon, you are ashamed.
So you always turn your feet.
Returned to the new Nidhi Charanan.
Siddhi eighteen auspicious.
So the sacrifice will be on you.
And I am many lords.
So Sitapati was made by you.
Desire to Kotin Sansara.
Creation doesn’t cost a moment’s time.
The one who brings my heart to your feet.
So that there should be freedom.
Sunhu Ram, you are our father.
You only promote Bharat Kul-Pujya.
You are the God of our family.
You are dear to Guru Dev Pran.
Whatever happens, you are the king.
Jai Jai Jai Prabhu, keep your shame. 30 ॥
Rama lost his soul.
Jai Jai Jai Dasaratha’s beloved ॥
Jai Jai Jai Prabhu Jyoti Swarupa.
Nigun Brahma Akhand Anupa ॥
Satya Satya Jai Satya-Brat Swami.
Satya Sanatan Antaryami ॥
The one who sings the true hymn to you.
So you will surely get all the four fruits.
Gauripati took the oath of truth.
You have given all the achievements to the devotees.
Knowledge heart two forms of knowledge.
Namo Namo Jai Japati Bhupa.
Blessed blessed you blessed Pratapa.
Naam tumhar harta santapa ॥
Truth pure devan mouth sang.
Dundubhi conch shell rang.
Satya Satya Tum Satya Sanatan.
You are my body, mind and wealth.
Yako recite whoever.
So that the knowledge becomes manifest, ur hoi ॥ 40 ॥
Traffic can be erased.
Shiva means my true words.
And whatever you bring in your mind.
Tulsi Dal and other flowers should be offered.
Offer vegetables and leaves.
So man gets gross perfection.
Last time went to Raghubarpur.
Where was the birth of Hari Bhakt ॥
Where are Shri Hari Das and other villages?
So get to Vaikunth Dham.
!! Doha !!
The one who recites the name for seven days, brings the mind.
From the grace of Haridas Harikrupa, devotion is attained.
The one who reads Ram Chalisa, Ram Charan gets heart.
Whatever you wish in your mind, it becomes successful.
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