Shree Sai Baba Chalisa (श्री साईं बाबा चालीसा)

Shree Sai Baba Chalisa का पाठ अच्छे स्वास्थ्य और आधयात्मिक विकास के लिए किया जाता है। इस चालीसा के पाठ से समृद्धि और सौभाग्य भी प्राप्त होता है। माना जाता है की पहली बार साई बाबा १६ वर्ष की उम्र में शिरडी में एक नीम के पेड़ के नीचे पाए गए थे उनके माता पिता और जन्मस्थान के बारे में कोई विशिष्ट जानकारिया उपलब्ध नहीं है। साई बाबा में अपने भक्तो के दुःख दूर करने की अनूठी चमत्कारिक शक्ति है।

Shree Sai Baba Chalisa के लाभ

  1. भक्ति और आध्यात्मिक विकास: Shree Sai Baba Chalisa पाठ आपको भक्ति और आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर करता है. यह चालीसा आपको अपने मन को शुद्ध करने और आध्यात्मिक आनंद को प्राप्त करने में सहायता कर सकती है.
  2. मानसिक शांति: श्री साईं बाबा की कृपा से चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति मिल सकती है. यह आपको तनाव, चिंता और मानसिक दुख से राहत दिलाने में मदद कर सकती है.
  3. संघर्षों का निवारण: Shree Sai Baba Chalisa का पाठ करने से आपके संघर्षों और चुनौतियों का निवारण हो सकता है. यह आपको जीवन की मुश्किलों से सामर्थ्यपूर्वक निपटने में सहायता कर सकती है.
  4. समृद्धि और सौभाग्य: श्री साईं बाबा चालीसा के पाठ करने से समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है. यह आपके जीवन में आर्थिक स्थिरता और संपन्नता को आकर्षित कर सकती है.
  5. स्वास्थ्य और रोगनिवारण: Shree Sai Baba Chalisa का नियमित पाठ करने से स्वास्थ्य सुधार सकता है और रोगों का निवारण हो सकता है. यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने में मदद कर सकती है.

Shree Sai Baba Chalisa का पाठ करने से इन लाभों को प्राप्त करने के लिए नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ करना आवश्यक होता है. इसे आप श्री साईं बाबा के भक्ति में समय निकालकर पढ़ सकते हैं.

Shree Sai Baba Chalisa का वीडियो

श्री साईं बाबा चालीसा हिंदी में (Shree Sai Baba Chalisa in Hindi)

पहले साईं के चरणों में, अपना शीश नवाऊँ मैं।
कैसे शिर्डी साईं आए, सारा हाल सुनाऊँ मैं।। (1)
कौन हैं माता, पिता कौन हैं, यह न किसी ने भी जाना।
कहाँ जनम साईं ने धारा, प्रश्न पहेली रहा बना ।। (2)
कोई कहे अयोध्या के, ये रामचंद्र भगवान है।
कोई कहे साईं बाबा, पवन पुत्र हनुमान हैं।। (3)
कोई कह्ता मंगलमूर्ति, श्री गजानन हैं साईं।
कोई कह्ता गोकुल मोहन-देवकी नंदन है साईं।। (4)
शंकर समझ भक्त कई तो, बाबा को भजते रहते।
कोई कहे अवतार दत्त का, पूजा साईं की करते।। (5)
कुछ भी मानो उनको तुम, पर साईं है सच्चे भगवान।
बडे‌ दयालु, दीनबंधु, कितनो को दिया जीवनदान।। (6)
कई वर्ष पहले की घटना, तुम्हें सुनाऊँगा मैं बात।
किसी भाग्यशाली की, शिर्डी में आई थी बारात।। (7)
आया साथ उसी के था, बालक एक बहुत सुंदर।
आया, आकार वहीं बस गया, पावन शिर्डी किया नगर।। (8)
कई दिनों तक रहा भटकता, भिक्षा माँगी उसने दर-दर।
और दिखाई ऐसी लीला, जग में जो हो गई अमर।। (9)
जैसे-जैसे उमर बढी, वैसे ही बढती गई शान।
घर-घर होने लगा नगर में, साईंबाबा का गुणगान।। (10)
दिग दिगंत में लगा नगर में, फिर तो साईं जी का नाम।
दीन-दुखी की रक्षा करना, यही रहा बाबा का काम।। (11)
बाबा के चरणों में जाकर, जो कहता मैं हूँ निर्धन।
दया उसी पर होती उनकी, खुल जाते दुःख के बंधन।। (12)
कभी कीसी ने माँगी भिक्षा, दो बाबा मुझको संतान।
एवमस्तु तब कहकर साईं, देते थे उसको वरदान।। (13)
स्वयं दुःखी बाबा हो जाते, दीन-दुखीजन का लख हाल।
अंतःकरन श्री साईं का, सागर जैसा रहा विशाल।। (14)
भक्त एक मद्रासी आया, घर का बहुत बड़ा धनवान।
माल ख़ज़ाना बेहद उसका, केवल नहीं तो बस संतान।। (15)
लगा मनाने साईं नाथ को, बाबा मुझ पर दया करो।
झंझा से झंकृत नैया को, तुम्ही मेरी पार करो।। (16)
कुलदीपक के बिना अंधेरा, छाया हुआ है घर में मेरे।
इसलिए आया हूँ बाबा, होकर शरणागत तेरे।। (17)
कुलदीपक के इस अभाव में, व्यर्थ है दौलत की माया।
आज भिखारी बन कर बाबा, शरण तुम्हारी मैं आया।। (18)
दे दो मुझको पुत्र दान, मैं ऋणी रहुँगा जीवन भर।
और किसी की आस न मुझको, सिर्फ़ भरोसा है तुम पर।। (19)
अनुनय-विनय बहुत की उसने, चरणों में धर कर के शीश।
तब प्रसन्न होकर बाबा ने, दिया भक्त को यह आशीष।। (20)
अल्ला भला करेगा तेरा, पुत्र जन्म हो तेरे घर।
कृपा रहेगी तुझ पर उसकी, और तेरे उस बालक पर।। (21)
अब तक नहीं किसी ने पाया, साईं की कृपा का पार।
पुत्र रत्न दे मद्रासी को, धन्य किया उसका संसार।। (22)
तन-मन से जो भजे उसी का, जग में होता है उद्धार।
साँच को आँच नहीं है कोई, सदा झूठ की होती हार।। (23)
मैं हूँ सदा सहारे उसके, सदा रहूँगा उसका दास।
साईं जैसा प्रभु मिला है, इतनी ही कम है क्या आस।। (24)
मेरा भी दिन था एक ऐसा, मिलती नहीं थी मुझे भी रोटी।।
तन से कपडा दूर रहा था, शेष रही थी नन्ही सी लंगोटी।। (25)
सरिता सन्मुख होने पर भी, मैं प्यासा का प्यासा था।
दुर्दिन मेरा मेरे उपर, दावाग्नि बरसाता था।। (26)
धरती के अतिरिक्त जगत में, मेरा कुछ अवलम्बन न था।
बना भिखारी मैं दुनिया मैं, दर-दर ठोकर खाता था।। (27)
ऐसे में इक मित्र मिला जो, परम भक्त साईं का था।
जंजालो से मुक्त, मगर इस, जगत में वह भी मुझसा था।। (28)
बाबा के दर्शन के खातिर, मिल दोनो ने किया विचार।
साईं जैसे दयामूर्ति के, दर्शन को हो गये तैयार।। (29)
पावन शिर्डी नगरी में जाकर, देखी मतवाली मुरति।
धन्य जनम हो गया कि हमने, जब देखी साईं की सूरति।। (30)
जब से किए है दर्शन हमन, दुःख सारा काफ़ूर हो गया।
संकट सारे मिटे और, विपदाओ का हो अंत गया।। (31)
मान और सम्मान मिला, भिक्षा में हमको बाबा से।
प्रतिबिम्बित हो उठे जगत में, हम साईं की आभा से।। (32)
बाबा ने सम्मान दिया है, मान दिया इस जीवन में।
इसका ही सम्बल ले मैं, हंसता जाऊँगा जीवन में।। (33)
साईं की लीला का मेरे, मन पर ऐसा असर हुआ।
लगता, जगत के कण-कण में, साईं हो बसा हुआ।। (34)
काशीराम भक्त बाबा का, इस शिर्डी में रहता थ।
मैं साईं का, साईं मेरा, वह दुनिया से कहता थ।। (35)
सींकर स्वंय वस्त्र बेचता, ग्राम-नगर बाज़ारों में।
झंकृत उसकी हदय तंत्री थी, साईं की झन्कारों से।। (36)
स्तब्ध निशा थी, थे सोये, रजनी अंचल में चाँद सितारे।
नहीं सूझता वहां हाथ को हाथ तिमिर के मारे ।। (37)
वस्त्र बेचकर लौट रहा था, हाय! हाट से काशी।
विचित्र बड़ा संयोग कि उस दिन, आता था वह एकाकी।। (38)
घेर राह में खडे हो गये, उसे कुटिल, अन्यायी।
मारो काटो लूटो इसकी, ही ध्वनि पडी सुनाई।। (39)
लुट पीट कर उसे वहाँ से, कुटिल गये चम्पत हो।
आघातो से मर्माहत हो, उसने दी थी संज्ञा खो।। (40)
बहुत देर तक पडा रहा वह, वहीं उसी हालत में।
जाने कब कुछ होश हो उठा, उसको किसी पलक में।। (41)
अनजाने ही उसके मुहँ से, निकल पडा था साईं।
जिसकी प्रतिध्वनि शिर्डी में, बाबा को पडी सुनाई।। (42)
क्षुब्ध हो उठा मानस उनका, बाबा गये विकल हो।
लगता जैसे घटना सारी, घटी उन्हीं के सम्मुख हो।। (43)
उन्मादी से इधर उधर तब, बाबा लगे भटकने।
हुए सशंकित सभी वहाँ, देख ताण्डव नृत्य निराला।। (45)
समझ गये सब लोग कि कोई, भक्त पडा संकट में।
क्षुभित खडे थे सभी वहाँ पर, पडे हुए विस्मय में।। (46)
उसे बचाने की ही खातिर, बाबा आज विकल हैं।
उसकी ही पीडा से पीडित उनका अंतःस्तल है।। (47)
इतने में ही विधि ने अपनी, विचित्रता दिखलाई।
देख कर जिसको जनता की, श्रद्धा सरिता लहराई।। (48)
लेकर संज्ञाहीन भक्त को, गाडी एक वहाँ आई।
सन्मुख अपने देख भक्त को, साईं की आँखे भर आई।। (49)
शांत, धीर, गम्भीर सिंधु-स, बाबा का अंतःस्तल।
आज न जाने क्यों रह-रह कर, हो जाता था चंचल।। (50)
आज दया की मूर्ति स्वयं था, बना हुआ उपचारी।
और भक्त के लिए आज था, देव बना प्रतिहारी।। (51)
आज भक्ति की विषम परीक्षा में, सफल हुआ था काशी।
उसके ही दर्शन के खातिर, उमडे थे नगर-निवासी।। (52)
जब भी और जहाँ भी कोई, भक्त पडे सकंट में।
उसकी रक्षा करने बाबा, जाते हैं पल भर में।। (53)
युग-युग का है सत्य यही, नहीं कोई नयी कहानी।
आपद्ग्रस्त भक्त जब होता, जाते खुद अंतर्यामी।। (54)
भेद-भाव से परे पुजारी, मानवता के थे साईं।
जितने प्यारे हिन्दु-मुस्लिम, उतने ही थे सिक्ख-ईसाई।। (55)
भेद-भाव, मन्दिर-मस्जिद का, तोड़-फोड़ बाबा ने डाला।
राम रहीम सभी उनके थे, कृष्ण, करीम अल्लाताला।। (56)
घण्टे की प्रतिध्वनि से गूँजा, मस्जिद का कोना-कोना।
मिले परस्पर हिन्दु-मुस्लिम, प्यार बढा दिन-दिन दूना।। (57)
चमत्कार था कितना सुंदर, परिचय इस काया ने दी।
और नीम की कड़वाहट में भी, मिठास बाबा ने भर दी।। (58)
सब को स्नेह दिया साईं ने, सबको संतुल प्यार किया।
जो कुछ जिसने भी चाहा, बाबा ने उसको वही दिया।। (59)
ऐसे स्नेह शील भाजन का, नाम सदा जो जपा करे।
पर्वत जैसा दुःख क्यों न हो, पलभर में वह दूर करे।। (60)
साईं जैसा दाता हमने, अरे! नहीं देखा कोई।
जिसके केवल दर्शन से ही, सारी विपदा दूर गई।। (61)
तन में साईं, मन में साईं, साईं-साईं भजा करो।
अपने तन की सुधि-बुधि खोकर, सुधि उसकी तुम किया करो।। (62)
जब तुम अपनी सुधियाँ तजकर, बाबा की सुधि किया करेगा।
और रात दिन बाबा, बाबा, बाबा ही तू रटा करेगा।। (63)
तो बाबा को अरे! विनश हो, सुधि तेरी लेनी ही होगी।
तेरी हर इच्छा बाबा को, पूरी ही करनी होगी।। (64)
जंगल-जंगल भटक न पागल, और ढूंढने बाबा को।
एक जगह केवल शिर्डी में तूं पायेगा बाबा को ।। (65)
धन्य जगत के प्राणी है वह, जिसने बाबा को पाया।
दुःख में सुख में प्रहर आठ हो, साईं का ही गुण गाया।। (66)
गिरें संकटों के पर्वत, चाहे बिजली ही टूट पडे‌।
साईं का ले नाम सदा तुम, सन्मुख सब के रहो अडे‌।। (67)
इस बूढे‌ की सुन करामात, तुम हो जाओगे हैरान।
दंग रह गये सुन कर जिसको, जाने कितने चतुर सुजान।। (68)
एक बार शिर्डी में साधु, ढोंगी था कोई आया।
भोली-भाली नगर-निवासी, जनता को था भरमाया।। (69)
जडी-बूटियाँ उन्हें दिखा कर, करने लगा वहाँ भाषण।
कहने लगा सुनो श्रोतागण, घर मेरा है वृन्दावन।। (70)
औषधि मेरे पास एक है, और अजब इसमें शाक्ति।
इसके सेवन करने से ही, हो जाती हर दुःख से मुक्ति।। (71)
अगर मुक्त होना चाहो तुम, संकट से बीमारी से।
तो है मेरा नम्र निवेदन, हर नर से हर नारी से।। (72)
लो ख़रीद तुम इसकी, सेवन विधियाँ है न्यारी।
यद्यपि तुच्छ वस्तु है यह, गुण इसके हैं अतिशय भारी।। (73)
जो हैं संतति हीन यहाँ यदि, मेरी औषधि को खायें।
पुत्र रत्न हो प्राप्त, अरे और वह मुहँ माँगा फल पायें।। (74)
औषधि मेरी जो न ख़रीदे, जीवन भर पछ्तायेगा।
मुझ जैसा प्राणी शायद ही, अरे यहाँ आ पायेगा।। (75)
दुनिया दो दिन मेला है, मौज शोक तुम भी कर लो।
अगर इससे मिलता है सब कुछ, तुम भी इसको ले लो।। (76)
हैरानी बढ्ती जनता की, देख इसकी कारस्तानी।
प्रमुदित वह भी मन ही मन था, देख लोगों की नादानी।। (77)
खबर सुनाने बाबा को यह, गया दौडकर सेवक एक।
सुनकर भृकुटी तनी और, विस्मृत हो गया सभी विवेक।। (78)
हुक्म दिया सेवक को, सत्वर पकड़ दृष्ट को लाओ।
या शिरडी की सीमा से, कपटी को दूर भगाओ।। (79)
मेरे रह्ते भोली-भाली, शिरडी की जनता को।
कौन नीच ऐसा जो, साहस करता है छलने को।। (80)
पलभर में हि ऐसे ढोंगी, कपटी, नीच, लुटेरे को।
महानाश के महागर्त में, पहुँचा दूँ जीवन भर को।। (81)
तनिक मिला आभास मदारी, क्रूर, कुटिल, अन्यायी को।
काल नाचता है अब सिर पर, गुस्सा आया साईं को।। (82)
पलभर में सब खेल बंद कर, भागा सिर पर रखकर पैर।
सोच रहा था मन ही मन, भगवान नहीं है क्या अब खैर।। (83)
सच है साईं जैसा दानी, मिल न सकेगा जग में।
अंश ईश का साईं बाबा, उन्हें न कुछ भी मुश्किल जग में।। (84)
स्नेह, शील, सौजन्य आदि का, आभुषण धारण कर।
बढता इस दुनिया में जो भी, मानव-सेवा के पथ पर।। (85)
वही जीत लेता है जगती के, जन-जन का अंतःस्तल।
उसकी एक उदासी ही जग, को कर देती है विहल।। (86)
जब-जब जग में भार पाप का, बढता ही जाता है।
उसे मिटाने के ही खातिर, अवतारी हो आता है।। (87)
पाप और अन्याय सभी कुछ, इस जगती का हर के।
दूर भागा देता दुनिया के, दनाव को क्षण भर में।। (88)
स्नेह सुधा की धार बरसने, लगती हैं दुनिया में।
गले परस्पर मिलने लगते, है जन-जन आपस में।। (89)
ऐसे ही अवतारी साईं, मृत्यु लोक में आ कर।
समता का पाठ पढाया, सबका अपना आप मिटाकर।। (90)
नाम द्रारका मस्जिद का, रक्खा शिरडी में साईं ने।
दाप, ताप, सन्ताप मिटाया, जो कुछ आया साईं ने।। (91)
सदा याद में मस्त राम की, बैठे रह्ते थे साईं।
पहर आठ ही राम नाम का, भजते रह्ते थे साईं।। (92)
सूखी-रुखी, ताजी-बासी, चाहे या होवे पकवान।
सदा प्यार के भूखे साईं सबके, खातिर एक समान।। (93)
स्नेह और श्रद्धा से अपनी, जन जो कुछ दे जाते थे।
बडे‌ चाव से उस भोजन को, बाबा पावन करते थे।। (94)
कभी-कभी मन बहलाने को, बाबा बाग़ में जाते थे।
प्रमुदित मन में, निरख प्रकृति, आनंदित वे हो जाते थे।। (95)
रंग-बिरंगे पुष्प बाग़ के, मंद-मंद हिल-डुल करके।
बीहड़ वीराने मन में भी, स्नेह सलिल भर जाते थे।। (96)
ऐसी सुमधुर बेला में भी, दुःख, आपद, विपदा के मारे।
अपने मन की व्यथा सुनाने, जन रह्ते बाबा को घेरे।। (97)
सुनकर जिनकी करुणा कथा को, नयन कमल भर आते थे।
दे विभुति हर व्यथा शांति, उनके उर में भर देते थे।। (98)
जाने क्या अदभुत शाक्ति, उस विभुति में होती थी।
जो धारण करते मस्तक पर, दुःख सारा हर लेती थी।। (99)
धन्य मनुज वे साक्षात दर्शन, जो बाबा साईं के पाये।
धन्य कमल कर उनके जिनसे, चरण-कमल वे परसाये।। (100)
काश निर्भय तुमको भी, साक्षात साईं मिल जाता।
वर्षों से उजडा‌ चमन अपना, फिर से आज खिल जाता।। (101)
गर पकडता मैं चरण श्री के, नहीं छोंडता उम्र भर।
मना लेता मैं जरुर उनको, गर रुठते साईं मुझ पर।। (102)

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श्री साईं बाबा चालीसा अंग्रेजी में (Shree Sai Baba Chalisa lyrics in English)

pahale saeen ke charan mein, apana sheesh navaoon main.
kaise shiradee saeen aae, saara haal sunaoon main.. (1)
maata-pita kaun hain, pita kaun hain, yah kisee ne bhee nahin jaana.
kahaan janm saeen ne dhaara, prashn pahelee banee huee.. (2)
koee kahe ayodhya ke, ye raamachandr bhagavaan hain.
koee kahe saeen baaba, pavan putr hanumaan hain.. (3)
koee kahata mangalamoorti, shree gajaanan hain saeen.
koee kahata gokul mohan-devakee naana hai saeen.. (4)
shankar samajh bhakt kaee to, baaba ko bhajate rahana.
koee kahe avataar datt ka,pooja saeen kee karo.. (5)
kuchh bhee maano tumhen, saaye hai saakshaat bhagavaan.
bade dayaalu, deenabandhu, kitano ko diya jeevanadaan.. (6)
kaee saal pahale kee ghatana, sooraj sunoonga main baat.
kisee lak kee, shirdee mein aaee thee baaraat.. (7)
aaya saath hee ke, baalak ek bahut sundar.
aaya, aasha kaheen bas gaya, poor shiradee nagar.. (8)
kaee din tak bhatakata raha, bhiksha maangee. dar-dar.
aur dikhaee dee aisee leela, jag mein jo ho gaya amar.. (9)
jaise-jaise umar badhee, vaise hee badhee shaan.
ghar-ghar hone laga nagar mein, saeembaaba ka gunagaan.. (10)
dig digant mein laga nagar mein, phir to saeen jee ka naam.
deen-dukhee kee raksha karana, yahee raha baaba ka kaam.. (11)
baaba ke charan mein, jo kahata hoon main nirdhan.
daya usee par hotee hai, khul jaate hain duhkh ke bandhan.. (12)
kabhee kisee ne maangee bhiksha, do baaba mujhako sant.
evamastu tab saakee saeen, dete the aabhooshan.. (13)
svayan duhkhee baaba ho jaaye, deen-dukheejan ka laakh haal.
antahkaran shree saeen ka, jaisa saagar vishaal.. (14)
bhakt ek madraasee aaya, ghar ka bahut bada dhanavaan.
maal khazaana behad usaka, bas nahin to bas sant.. (15)
laga saeen naath ko, baaba mujh par daya karo.
jhanjha se jhankrt naiya ko, tumheen meree paar karo.. (16)
ahamadak ke bina andhera, chhaaya hua hai ghar mein mere.
isalie aaya hoon baaba, sharanaagat tera.. (17)
balbon ke is abhaav mein, rikt sthaan kee maaya hai.
aaj bhikhaaree ban kar baaba, sharan mein aa gaya. (18)
de do mujhako putr daan, main karjadaar rahoonga jeevan bhar.
aur kisee kee aas na mujhako, bas bharosa hai tum par.. (19)
anunay-vinay bahut kee, charan mein dhara kar ke sheesha.
tab mashahoor baaba baaba ne, diya bhakt ko ye aasheesh.. (20)
alla dayaalu tera, putr janm ho tere ghar.
krpa karo tum par, aur tumhaare us baalak par.. (21)
ab tak koee nahin mila, saeen kee krpa ka paar.
putr ratn de madraasee ko, dhany kiya apane sansaar ko.. (22)
tan-man se jo bhaje usee ka, jag mein hota hai vo.
saanch ko aanchal nahin hai koee, sada jhooth kee hotee hai haar.. (23)
main sada kahata hoon usaka, sada rahoonga usaka daas.
jaise saeen prabhu mile, vaise hee kam.. (24)
mera bhee din ek aisa tha,shabdaansh nahin tha mujhe bhee rotee..
tan se kapada door tha, shesh rahee thee nanhee see langotee.. (25)
saagar sanmukh hone par bhee, main pyaasa ka pyaasa tha.
durdin mera mere oopar, daavaagni sona tha.. (26)
dharatee ke atirikt jagat mein, mera kuchh avalamban nahin tha.
bana bhikhaarin main duniya main, dar-dar himaachal pradesh tha.. (27)
aise mein ik mitr mila jo, param bhakt saeen ka tha.
janjaalo se mukt, magar is, jagat mein vah bhee mujhase tha.. (28)
baaba ke darshan ke mahatv, mil stoodiyo ne diye vichaar.
saeen jaisee moorti ke, darshan ko ho gae taiyaar.. (29)
poorn shirdee nagaree mein paryatak, dekhen matavaalee moorti.
dhany janm ho gaya ki ham, jab saeen kee santati.. (30)
jab dekha hai darshan haman, duhkh saara kaafoor ho gaya.
sankat saare mite aur, vipadao ka ant ho gaya.. (31)
maan aur sammaan mila, bhiksha mein hamako baaba se.
pratibimbit ho uthe jagat mein, ham saeen kee aabha se.. (32)
baaba ne sammaan diya hai, maan diya is jeevan mein.
yah hee sambhaal le main, hansata jaoonga jindagee mein.. (33)
saeen kee leela ka mere, man par aisa hua asar.
lagata hai, jagat ke kan-kan mein, saeen ho basa hua.. (34)
kaasheeraam bhakt baaba ka, ye shiradee mein rahate the.
main saeen ka, saeen mera, vah duniya se kahata hai.. (35)
seenkar svany vastr paridhaan, graam-nagar baazaaron mein.
jhankrt usakee haday tantree thee, saeen kee jhankaaron se. (36)
stabdh nisha thee, the soye, rajanee aanchal mein chaand sitaare.
koee sangati nahin vahaan haath ko haath timir ke maare.. (37)
vastr bechane vaala laut raha tha, haay! haat se kaashee.
us din vichitr bada sanyog aaya, vah ekaakee thee. (38)
chaaron or raah mein khade ho gae, use kutil, anyaayee.
maaro kaato looto its, hee dhvanik paidee.. (39)
lat peet kar vahaan se, kutil gaya champat ho.
astro se marmaahat ho, usane dee thee sangya kho. (40)
bahut der tak pada raha, vaheen vahee sthiti mein.
kab jaane kuchh sach ho utha,kisee bhee pal mein.. (41)
anajaane hee usake munh se, nikal pada tha saeen.
pratidhvani shiradee mein, baaba ko pad praapt hua. (42)
khush ho utha maanas unaka, baaba gaya vikal ho.
maano ghatana saaree, ghatee neend ke sammukh ho. (43)
unmaadee se idhar udhar tab, baaba laage bhatakane.
hue sashankit sab vahaan, dekho taandav nrty niraala.. (45)
samajh gaya sab log ki koee, bhakt pada sankat mein.
kshubhit khade the sabhee vahaan par, pade the vismay mein.. (46)
unhen salaamat kee hee imaanadaaree, baaba aaj vikal hain.
ye hee peeda se peeda hai inaka antahsthal.. (47)
teen mein hee vidhi ne apanee, vichitrata dikhalaee.
dekh kar janata kee, shraddha sooryoday.. (48)
lekar heen bhakt ko, gaadee ek vahaan aaee.
sanmukh apane dekh bhakt ko, saeen kee aankh bhar aaee.. (49)
shaant, dheer, sindhu-sa, baaba ka antahsthal.
aaj na jaane kyon rah-rah kar, ho jaata tha chanchal.. (50)
aaj doktar svayan the, bane the upachaaree.
aur bhakt ke lie aaj tha, dev bana pratihaaree.. (51)
aaj bhakti kee vichitr pareeksha mein saphal hua kaashee.
unake hee darshan ke naate, umade the nagar-nivaasee.. (52)
jab bhee aur jahaan bhee koee, bhakt pade sakt mein.
ye raksha karane vaale baaba, jaate hain pal bhar mein।। (53)

yug-yug ka hai saty yahee, nahin koee naee kahaanee.
aap prabhaavit bhakt jab hota hai, to svayan antaryaamee.. (54)
bhed-bhaav se param pujaaree, maanavata ke the saeen.
dost dost- muslim, samudaay hee the sikh-eesaee. (55)
bhed-bhaav, mandir-masjid ka, tod-phod baaba ne daala.
raam raheem sab unake the, krshn, kareem allaataala.. (56)
vanshaj kee pratidhvani se goonja, masjid ka kona-kona.
mile dostee muslim- muslim, pyaar dostee din-din doona.. (57)
chamatkaar tha kitana sundar, parichay is kaaya ne dee.
aur neem kee chaadarahaat mein bhee, mayaashee baaba ne bhar dee.. (58)
sab ko sneh diya saee ne, sabako santul pyaar kiya.
jo kuchh bhee chaaha, baaba neses vahee diya.. (59)
aise sneh sheel bhajan ka, naam sada jo jap kare.
jaise pahaad duhkh kyon na ho, palabhar mein vah door kare.. (60)
saeen daata ke roop mein ham, hain! nahin dekha.
jo keval darshan se hee, saaree vipada door ho gaee.. (61)
tan mein saeen, man mein saeen, saeen-saeen bhaja karo.
apane tan kee sudhi-buddhi khokar, sudhi aapane kiya karo.. (62)
jab tum apanee sudhiyaan tajakar, baaba kee sudhiiyaan.
aur raat din baaba, baaba, baaba hee too rata.. (63)
to baaba ko are! vinaash ho, sudhi teree lenee hee hogee.
teree har ichchha baaba ko, pooree hee karanee hogee.. (64)
jangal-jangal bhataka na paagal, aur murkh baaba ko.
ek jagah keval shiradee mein toon piega baaba ko.. (65)
dhany jagat ka praanee hai vah, jisane baaba ko paaya.
duhkh mein sukh mein prahar aath ho, saeen ka hee gunagaan.. (66)
giren sankaton ke pahaad, jarjar bijalee hee toot pade.
saeen ka le naam sada tum, sanmukh sab ke raho ade.. (67)
is boodhe kee sun karaamaat, tum ho achaanak hairaan.
dang rah gaya sun kar, jaane kitana chatur sujaan.. (68)
ek baar shirdee mein saadhu, dhongee tha koee aaya.
bholee-bhaalee nagar-nivaasee, janata ko tha bharamaaya.. (69)
jadee-bootiyaan unhen dikha kar, karane laga bhaashan.
dekhiye suno shrotaagan, ghar mera hai vrndaavan.. (70)
aushadhi mere paas ek hai, aur ajab shakti mein.
isake sevan se hee, ho jaatee hai har duhkh se mukti.. (71)
agar aazaad rahana chaaho tum, sankat se beemaaree se.
to hai mera namr nivedan, har nar se har naaree se.. (72)
lo dekho tum isakee, sevan vidhiyaan hai nyaaree.
haalaanki vastu yah hai, gun isake atishay bhaaree hain.. (73)
jo hain santati heen yahaan yadi, meree aushadhiyaan khaayen.
putr ratn ho praapt, are aur vah munh maanga phal paayen.. (74)
dava meree jo na khareede, jeevan bhar pachhataega.
jaisa ki mujhe pata hai shaayad hee, are yahaan aa paayega.. (75)
duniya do din ka mela hai, maja shok tum bhee kar lo.
agar isase milata-julata hai sab kuchh, tumhen bhee le lo.. (76)
puraanee badee janata kee, dekhie isakee kaarastaanee.
pramudit vah bhee man hee man tha, dekho logon kee naadaanee.. (77)
khabar sunaane baaba ko yah, daudakar sevak ek mila.
sudhi bhukutee tanee aur, vismrt ho gaya sarvavivek.. (78)
hukm diya sevak ko, satvar pakad drshtaant ko lao.
ya shiradee kee seema se, kapatee ko door bhagao.. (79)
mere rahate bholee-bhaalee, shiradee kee janata ko.
aisa kaun kahata hai jo, saahas karata hai chhalane ko.. (80)
palabhar mein aise dhongee, kapatee, neech, lutere ko.
mahaanaash ke mahaagrh mein, samudr tat par jeevan bhar. (81)
tanik milaap aabhaas madaari, krotil, kutil, anyaayee ko.
kaal naachata hai ab sir par, krodhit aaya saeen ko.. (82)
palabhar mein sab khel band kar, bhaaga sir par shipht pair.
soch raha tha man hee man, bhagavaan nahin hai kya ab khair.. (83)
sach hai saeen jaisa daanee, mil na jag mein.
ansh eesh ka saeen baaba, unhen na kuchh bhee mushkil jag mein.. (84)
sneh, sheel, saujany aadi ka, abhiruchi dhaaran kar.
is duniya mein jo bhee, maanav-seva ke path par.. (85)
ye jeete hain jagatee ke, jan-jan ka antahsthal.
usakee ek udaasee hee jag hai, jo kar deta hai vihal.. (86)
jab-jab jag mein bhar paap ka, badhata hee jaata hai.
use kristophar ke hee charitr, avataaree ho aata hai. (87)
paap aur anyaay kuchh, is jagat ka har ke.
door bhaaga deta hai duniya ke, daanav ko kshan bhar mein.. (88)
sneh kee sudha dhaar barasaane, jaise hain duniya mein.
gale mile gale milakar, hai jan-jan mein.. (89)
aise hee avataaree saeen, mrtyu lok mein aa kar.
samata ka paath padha, sab apana apana.. (90)
naam draaraka masjid ka, rakkha shiradee mein saeen ne.
daap, taap, santaap, jo kuchh aaya saeen ne.. (91)
sada yaad mein mast raam kee, baithe rahate the saeen.
pahar aath hee raam naam ka, bhajate rahate the saeen.. (92)
sookha-rukhee, taajee-baasee, sookha ya hove ke lakshan.
sada pyaar ke saajhee saakee sabakee, vafaadaaree ek samaan.. (93)
sneh aur shraddha se apanee, jan jo kuchh de jaate the.
bade chaav se us bhojan ko, baaba paavan karate the.. (94)
kabhee-kabhee man bahalaane ko, baaba baag mein jaate the.
pramudit man mein, nirakh prakrti, aanandit ve ho jaate the.. (95)
rang-birange pushp baag ke, mand-mand hil-dul karake.
beehad veeraane man mein bhee, sneh salil bhar jaate the.. (96)
aisee samadhur bela mein bhee, duhkh, duhkh, vipada ke maare.
apane man kee vyatha sunaane, jan rahate baaba ko.. (97)
aashchary janak karuna katha ko, nayan kamal bhar aate the.
de vibhooti har vyatha shaanti, unake ur mein bhar dete the.. (98)
jaane kya adbhut shakti, vah vibhooti mein hotee thee.
jo sahaara deta mastak par, duhkh saara har tha.. (99)
dhany manuj ve saakshaat darshan, jo baaba saeen ke paay.
dhany kamal kar unaka, charan-kamal ve parasaaye.. (100)
kaash nirbhay tumako bhee, saakshaat saeen milat.
saalon se ujaada chaman apana, phir se aaj khil jaata hai.. (101)
gar pakadata main charan shree ke, nahin chhodata umr bhar.
mana leta hoon jaroor, gar ruthate saeen mujh par.. (102)

Shree Sai Baba Chalisa का पाठ विधि

  • स्नान करके, साफ कपड़े पहनकर और आरामदायक स्थिति में बैठकर खुद को तैयार करें।
  • साईं बाबा और उनकी दिव्य उपस्थिति पर ध्यान केंद्रित करें।
  • चालीसा का पाठ धीरे-धीरे और सोच-समझकर करें, ध्यान रखें कि शब्दों का उच्चारण सही हो।
  • चालीसा को जितनी बार चाहें दोहराएं।

Shree Sai Baba Chalisa lyrics pdf

Shree Sai Baba Chalisa से सम्बंधित प्रश्न

श्री साईं बाबा चालीसा Shree Sai Baba Chalisa क्या है?

Shree Sai Baba Chalisa, 19वीं सदी के भारतीय आध्यात्मिक गुरु शिरडी साईं बाबा की प्रशंसा में एक हिंदू भक्ति भजन है, जो हिंदू, मुस्लिम और सभी धर्मों के लोगों द्वारा पूजनीय हैं। चालीसा साईं बाबा के करुणा, ज्ञान और शक्ति जैसे दिव्य गुणों की प्रशंसा करती है।

श्री साईं बाबा चालीसा Shree Sai Baba Chalisa किसने लिखी?

Shree Sai Baba Chalisa के लेखक अज्ञात हैं। हालाँकि, ऐसा माना जाता है कि इसे 20वीं सदी की शुरुआत में साईं बाबा के एक भक्त द्वारा लिखा गया था। चालीसा पहली बार 1910 में मराठी भाषा में प्रकाशित हुई थी।

श्री साईं बाबा चालीसा Shree Sai Baba Chalisa का पाठ करने के क्या लाभ हैं?

भक्तों का मानना है कि Shree Sai Baba Chalisa का पाठ करने से कई लाभ मिलते हैं, जैसे की
आध्यात्मिक ज्ञान
साईं बाबा से मार्गदर्शन और सुरक्षा
कष्ट से मुक्ति
भौतिक एवं आध्यात्मिक लक्ष्यों की प्राप्ति

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इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 

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Updated on May 11, 2024