श्री शीतलनाथ चालीसा (Shri Sheetalnath Chalisa)

श्री शीतलनाथ चालीसा (Shri Sheetalnath Chalisa) जैन धर्म के 10वें तीर्थंकर थे। यह श्री शीतलनाथ जी की स्तुति का एक भक्तिगीत है। श्री शीतलनाथ चालीसा 40 श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में 4 पंक्तियाँ हैं। श्री शीतलनाथ चालीसा के शुरुआत में भगवान श्री शीतलनाथ जी की गुणगान के साथ होती है।श्री शीतलनाथ चालीसा का पाठ जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा किया जाता है।

श्री शीतलनाथ चालीसा के लाभ (Shri Sheetalnath Chalisa Benefits)

  • भक्ति और श्रद्धा का विकास: 
    श्री शीतलनाथ चालीसा (Shri Sheetalnath Chalisa) का पाठ करने से भक्तों के मन में भगवान श्री शीतलनाथ के प्रति भक्ति और श्रद्धा के भव का विकास होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: 
    श्री शीतलनाथ चालीसा (Shri Sheetalnath Chalisa) का पाठ करने से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति में वृद्धि होती है।
  • मन की शांति: 
    श्री शीतलनाथ चालीसा (Shri Sheetalnath Chalisa) का पाठ करने से मन को शांति प्राप्त होती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार: 
    श्री शीतलनाथ चालीसा (Shri Sheetalnath Chalisa) का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।और मन को शांति मिलती है।
  • समस्याओं से छुटकारा: 
    श्री शीतलनाथ चालीसा (Shri Sheetalnath Chalisa) का पाठ करने से भक्तों को समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

श्री शीतलनाथ चालीसा का वीडियो (Shri Sheetalnath Chalisa Video)

श्री शीतलनाथ चालीसा का लिरिक्स हिंदी में (Shri Sheetalnath Chalisa Lyrics In Hindi)

शीतल हैं शीतल वचन, चन्दन से अधिकाय।
कल्प वृक्ष सम प्रभु चरण, हैं सबको सुखकाय॥

जय श्री शीतलनाथ गुणाकर, महिमा मंडित करुणासागर।
भाद्दिलपुर के दृढरथ राय, भूप प्रजावत्सल कहलाये॥

रमणी रत्न सुनन्दा रानी, गर्भ आये श्री जिनवर ज्ञानी।
द्वादशी माघ बदी को जन्मे, हर्ष लहर उठी त्रिभुवन में॥

उत्सव करते देव अनेक, मेरु पर करते अभिषेक।
नाम दिया शिशु जिन को शीतल, भीष्म ज्वाल अध् होती शीतल॥

एक लक्ष पुर्वायु प्रभु की, नब्बे धनुष अवगाहना वपु की।
वर्ण स्वर्ण सम उज्जवलपीत, दया धर्मं था उनका मीत॥

निरासक्त थे विषय भोगो में, रत रहते थे आत्म योग में।
एक दिन गए भ्रमण को वन में, करे प्रकृति दर्शन उपवन में॥

लगे ओसकण मोती जैसे, लुप्त हुए सब सूर्योदय से।
देख ह्रदय में हुआ वैराग्य, आत्म राग में छोड़ा राग॥

तप करने का निश्चय करते, ब्रह्मर्षि अनुमोदन करते।
विराजे शुक्र प्रभा शिविका में, गए सहेतुक वन में जिनवर॥

संध्या समय ली दीक्षा अश्रुण, चार ज्ञान धारी हुए तत्क्षण।
दो दिन का व्रत करके इष्ट, प्रथामाहार हुआ नगर अरिष्ट॥

दिया आहार पुनर्वसु नृप ने, पंचाश्चार्य किये देवों ने।
किया तीन वर्ष तप घोर, शीतलता फैली चहु और॥

कृष्ण चतुर्दशी पौषविख्यता, केवलज्ञानी हुए जगात्ग्यता।
रचना हुई तब समोशरण की, दिव्यदेशना खिरी प्रभु की॥

आतम हित का मार्ग बताया, शंकित चित्त समाधान कराया।
तीन प्रकार आत्मा जानो, बहिरातम अन्तरातम मानो॥

निश्चय करके निज आतम का, चिंतन कर लो परमातम का।
मोह महामद से मोहित जो, परमातम को नहीं माने वो॥

वे ही भव भव में भटकाते, वे ही बहिरातम कहलाते।
पर पदार्थ से ममता तज के, परमातम में श्रद्धा कर के॥

जो नित आतम ध्यान लगाते, वे अंतर आतम कहलाते।
गुण अनंत के धारी हे जो, कर्मो के परिहारी है जो॥

लोक शिखर के वासी है वे, परमातम अविनाशी है वे।
जिनवाणी पर श्रद्धा धर के, पार उतारते भविजन भव से॥

श्री जिन के इक्यासी गणधर, एक लक्ष थे पूज्य मुनिवर।
अंत समय में गए सम्म्मेदाचल, योग धार कर हो गए निश्चल॥

अश्विन शुक्ल अष्टमी आई, मुक्तिमहल पहुचे जिनराई।
लक्षण प्रभु का कल्पवृक्ष था, त्याग सकल सुख वरा मोक्ष था॥

शीतल चरण शरण में आओ, कूट विद्युतवर शीश झुकाओ।
शीतल जिन शीतल करें, सबके भव आतप।
अरुणा के मन में बसे, हरे सकल संताप॥

श्री शीतलनाथ चालीसा का लिरिक्स अंग्रेजी में (Shri Sheetalnath Chalisa Lyrics In English)

Sheetal Hain Sheetal Vachan, Chandan Se Adhikaay ।
Kalp Vriksh Sam Prabhu Charan, Hain Sabko Sukhkaay ॥

Jai Shri Sheetalnath Gunaakar, Mahima Mandit Karunasagar ।
Bhaddilapur Ke Drdharath Ray, Bhoop Prajavatsal Kahalaye ॥

Ramani Ratn Sunanda Rani, Garbh Aaye Shri Jinvar Gyani ।
Dwadashi Maagh Badi Ko Janme, Harsh Lahar Uthi Tribhuvan Mein ॥

Utsav Karte Dev Anek, Meru Par Karte Abhishek ।
Naam Diya Shishu Jin Ko Sheetal, Bheeshm Jwaal Adh Hoti Sheetal ॥

Ek Laksh Purvaayu Prabhu Ki, Nabbe Dhanush Awagahana Vapu Ki ।
Varn Swarn Sam Ujjawalpeet, Daya Dharman Tha Unka Meet ॥

Nirasakt the Vishay Bhogo Mein, Rat Rahate the Aatm Yog Mein ।
Ek Din Gae Bhraman Ko Van Mein, Kare Prakrti Darshan Upavan Mein ॥

Lage Oskan Moti Jaise, Lupt Hue Sab Suryoday Se ।
Dekh Hriday Mein Hua Vairagy, Aatm Raag Mein Chhoda Raag ॥

Tap Karne Ka Nishchay Karte, Brahmarshi Anumodan Karte ।
Viraaje Shukr Prabha Shivika Mein, Gaye Sahetuk Van Mein Jinavar ॥

Sandhya Samay Li Deeksha Ashrun, Chaar Gyaan Dhaari Hue Tatkshan ।
Do Din Ka Vrat Karke Isht, Prathamahar Hua Nagar Arisht ॥

Diya Aahar Punarvasu Nrp Ne, Panchashchary Kiye Devon Ne ।
Kiya Teen Varsh Tap Ghor, Sheetalta Phaili Chahu Aur ॥

Krishn Chaturdashi Paushavikhyata, Kevalagyani Huye Jagatgyata ।
Rachana Hui Tab Samosharan Ki, Divyadeshana Khiri Prabhu Ki ॥

Aatam Hit Ka Maarg Bataya, Shankit Chitt Samadhan Karaya ।
Teen Prakar Aatma Jaano, Bahiratam Antaratam Maano ॥

Nishchay Karke Nij Aatam Ka, Chintan Kar Lo Paramatam Ka ।
Moh Mahamad Se Mohit Jo, Paramatam Ko Nahin Maane Vo ॥

Ve Hi Bhav Bhav Mein Bhatkaate, Ve Hi Bahiratam Kahalate ।
Par Padaarth Se Mamta Taj Ke, Paramatam Mein Shraddha Kar Ke ॥

Jo Nit Aatam Dhyan Lagate, Ve Antar Aatam Kahalate ।
Gun Anant Ke Dhari He Jo, Karmo Ke Parihari Hai Jo ॥

Lok Shikhar Ke Vaasi Hai Ve, Paramatam Avinashi Hai Ve ।
Jinavani Par Shraddha Dhar Ke, Paar Utarate Bhavijan Bhav Se ॥

Shri Jin Ke Ikyasi Ganadhar, Ek Laksh the Poojy Munivar ।
Ant Samay Mein Gaye Sammmedachal, Yog Dhaar Kar Ho Gaye Nishchal ॥

Ashwin Shukl Ashtami Aai, Muktimahal Pahuche Jinarai ।
Lakshan Prabhu Ka Kalpavriksh Tha, Tyag Sakal Sukh Vara Moksh Tha ॥

Sheetal Charan Sharan Mein Aao, Koot Vidyutavar Sheesh Jhukao ।
Sheetal Jin Sheetal Karen, Sabke Bhav Aatap ।
Aruna Ke Man Mein Base, Hare Sakal Santaap ॥

श्री शीतलनाथ चालीसा का लिरिक्स (Shri Sheetalnath Chalisa Lyrics PDF)


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श्री शीतलनाथ चालीसा जुड़े कुछ प्रश्न (Shree Sheetalnath Se Jude Kuch prasn)

श्री शीतलनाथ कौन थे?

श्री शीतलनाथ जैन धर्म के 10 वें तीर्थंकर थे। श्री शीतलनाथ का जन्म 16वीं शताब्दी ईसा पूर्व में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के भद्दिलपुर नगर में हुआ था। उनके पिता जी का नाम दृढ़रथ था और माता का नाम सुनंदा था।

श्री शीतलनाथ के जन्म से जुड़ी कथा क्या है?

श्री शीतलनाथ के जन्म से जुड़ी एक कथा यह है कि उनके जन्म के समय भीषण अग्नि प्रलय हो रही थी। लेकिन जैसे ही उन्होंने जन्म लिया, तो अग्नि शान्त हो गई। और यह एक चमत्कार था, जिसने सभी लोगो को आश्चर्यचकित कर दिया।

श्री शीतलनाथ ने कितनी उम्र में दीक्षा ली?

श्री शीतलनाथ ने 24 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेना प्रारंभ कर दिया था । उन्होंने 12 वर्ष तक कठोर तपस्या की और अंत में केवल ज्ञान प्राप्त किया।

श्री शीतलनाथ का उपदेश क्या था?

श्री शीतलनाथ ने अपने उपदेशों में सभी को अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह का पालन करने का उपदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि इन चार गुणों का पालन करके ही मोक्ष प्राप्त किया जाता है।

श्री शीतलनाथ की मृत्यु कैसे हुई?

श्री शीतलनाथ ने 84 वर्ष की आयु में मोक्ष प्राप्त किया। उनकी मृत्यु के बाद, उनकी समाधि भद्दिलपुर में बनाई गई।

शीतल हैं शीतल वचन, चन्दन से अधिकाय।में किसके महिमा को बताया हैं |

इस पद में भगवान शीतलनाथ के वचनों की मधुरता और उनके गुणों की महिमा का वर्णन किया गया है।

कल्प वृक्ष सम प्रभु चरण, हैं सबको सुखकाय। की तुलना किससे की गयी हैं |

इस पद में भगवान शीतलनाथ के चरणों की तुलना कल्पवृक्ष से की गई है। कल्पवृक्ष से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, उसी तरह भगवान शीतलनाथ के चरणों की उपासना करने से सभी मनुष्य सुखी होते हैं।

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Updated on May 11, 2024