श्री सूर्य देव चालीसा : Shri Surya dev Chalisa Magical Power Revealed!

सूर्य देव उन देवताओ में से है जो प्रतिदिन अपने भक्तजनो को दर्शन देते है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव बड़ी आसानी से प्रसन्न हो जाते है। उन्हें खुश करने के लिए बस प्रातःकाल एक लोटा जल सूर्य देव के मंत्रो के साथ अर्पित करना पड़ता है। कहा जाता है की जिनकी कुंडली में सूर्य देव मजबूत है उन्हें खूब यश और सम्मान प्राप्त होता है। इस पोस्ट में हम Shri Surya Dev Chalisa , उन्हें पड़ने के फायदे की बारे में जानकारी देंगे।

Shri Surya Dev Chalisa पड़ने के लाभ

Shri Surya dev Chalisa हिंदी में पढ़ने से कई लाभ हो सकते हैं। यह चालीसा सूर्य देव को समर्पित है और उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करती है। यहां कुछ मुख्य लाभ दिए जा रहे हैं:

  1. आरोग्य और स्वास्थ्य की कामना: सूर्य देव चालीसा का पाठ करने से आपको शक्ति और स्वास्थ्य की प्राप्ति हो सकती है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से शारीरिक और मानसिक रोगों से बचाव हो सकता है और आपको उच्च ऊर्जा स्तर मिल सकता है।
  2. धन और समृद्धि: सूर्य देव चालीसा का पाठ करने से धन और समृद्धि में वृद्धि हो सकती है। Shri Surya dev Chalisa आपके आर्थिक स्थिति को सुधारने और आपके जीवन में धन की प्रवाह को बढ़ाने में सहायता कर सकती है।
  3. शुभ घटनाओं की प्राप्ति: Shri Surya dev Chalisa का पाठ करने से आपको शुभ घटनाओं की प्राप्ति हो सकती है। यह चालीसा नए संभावनाओं को आपके जीवन में लाने और संकटों को दूर करने में मदद कर सकती है।
  4. मन की शांति: सूर्य देव चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति और स्थिरता मिल सकती है। Shri Surya dev Chalisa आपके मन को शुद्ध करने और चिंताओं से निजात पाने में सहायता कर सकती है।
  5. सूर्य देव की कृपा प्राप्ति: Shri Surya dev Chalisa का पाठ करने से आप सूर्य देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। उनकी कृपा से आपको ज्ञान, बुद्धि, और सद्गुणों की प्राप्ति हो सकती है।

इन सभी लाभों को प्राप्त करने के लिए श्री सूर्य देव चालीसा का नियमित रूप से पाठ करें और श्रद्धा भाव से उसकी प्रार्थना करें। ध्यान दें कि चालीसा को संगीत के साथ गाने से इसके लाभ अधिक हो सकते हैं।

श्री सूर्य देव चालीसा हिंदी में (Shri Surya Dev Chalisa Hindi Me)

॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥


॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर,
सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥

भानु पतंग मरीची भास्कर,
सविता हंस सुनूर विभाकर॥

विवस्वान आदित्य विकर्तन,
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥

अम्बरमणि खग रवि कहलाते,
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 4

सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि,
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥

अरुण सदृश सारथी मनोहर,
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥

मंडल की महिमा अति न्यारी,
तेज रूप केरी बलिहारी॥

उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते,
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥8

मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर,
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥

पूषा रवि आदित्य नाम लै,
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥

द्वादस नाम प्रेम सों गावैं,
मस्तक बारह बार नवावैं॥

चार पदारथ जन सो पावै,
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥12

नमस्कार को चमत्कार यह,
विधि हरिहर को कृपासार यह॥

सेवै भानु तुमहिं मन लाई,
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥

बारह नाम उच्चारन करते,
सहस जनम के पातक टरते॥

उपाख्यान जो करते तवजन,
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥16

धन सुत जुत परिवार बढ़तु है,
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥

अर्क शीश को रक्षा करते,
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत,
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥

भानु नासिका वासकरहुनित,
भास्कर करत सदा मुखको हित॥20

ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे,
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥

कंठ सुवर्ण रेत की शोभा,
तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥

पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर,
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥

युगल हाथ पर रक्षा कारन,
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥24

बसत नाभि आदित्य मनोहर,
कटिमंह, रहत मन मुदभर॥

जंघा गोपति सविता बासा,
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥

विवस्वान पद की रखवारी,
बाहर बसते नित तम हारी॥

सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै,
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥28

अस जोजन अपने मन माहीं,
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥

दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै,
जोजन याको मन मंह जापै॥

अंधकार जग का जो हरता,
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥

ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही,
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥32

मंद सदृश सुत जग में जाके,
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥

धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा,
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों,
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥

परम धन्य सों नर तनधारी,
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥36

अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन,
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥

भानु उदय बैसाख गिनावै,
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥

यम भादों आश्विन हिमरेता,
कातिक होत दिवाकर नेता॥

अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं,
पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥40

॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥

श्री सूर्य देव चालीसा अंग्रेज़ी में (Shri Surya Dev Chalisa Hinglish Me)

॥ Doha॥
kanak bandhan kundal makar, mukta mangal ang,
padmaasan sthit dhyaayee, shankh chakr ke sang॥

॥ Chaupaee ॥
jay shiv jay jayati divaakar,
sahastraanshu saptashv timirahar॥

bhaanu patang mereechee bhaaskar,
shivaanee hans sunoor vibhaakar॥

vivasvaan aadity vikartan,
maartand hariroop virochan॥

ambaramani khag ravi kahalaate,
ved hiranyagarbh kahie ॥4॥

sahastraanshu pradyotan, kahiki,
munigan hot aakarshak modalhi ॥

arun sadrsh saarathee manohar,
hanakat hay saata chadhaee rath par ॥

mandal kee mahima ati nyaaree,
tej roop keree balihaaree ॥

uchchaihshrava sadrsh hay jote,
dekhi purandar lajjit hote ॥8॥

mitr mareechi, bhaanu, arun, bhaaskar,
soory ark khag kalikaar ॥

poosha ravi aadity naam la,
hiranyagarbhaay namah kaahikai ॥

dvaadash naam prem son gaaven,
mastak baar baar navae ॥

chaar padaarath jan so paavai,
duhkh daaridr agh punj naasaavai॥12॥

namaskaar ko chamatkaar yah,
vidhi harihar ko krpaasaar yah॥

sevai bhaanu tumahin man laee,
ashtasiddhi navanidhi tehin paee॥

baarah naamaakaran karate hain,
sahas janm ke paatak tarate॥

upaakhyaan jo karate hain tavajan,
ripu son jamalahate sorahi chhan॥16॥

dhan sut jut parivaar badhata hai,
prabal moh ko phand kattoo hai॥

aark sheeshe ko raksha karana,
ravi lalaat par nity biharate॥

soory utsav par nity viraajat,
karn des par dinakar chhaajat॥

bhaanusaansa vakarahunit,
bhaaskar karat sada mukhako hit॥20॥

baakee rahan parjanik hamaare,
rasana beech teekshn bas priye॥

kanth suvarn retee kee shobha,
tigm tejasah kandhe lobha॥

pooshaan bahu mitr prshnahin par,
tvashta varun rahat sushankar॥

dost ke haath par raksha karan,
bhaanumaan urasarm suudarchan॥24॥

basat naabhi aadity manohar,
katimanh, rahat man mudabhar॥

janga gopeepati savita baasa,
gupt divaakar karat hulasa॥

visvaasan pad kee rakhavaaree,
basate nit tam haaree॥

sahastraanshu sarvaang samhaarai,
raksha kavach vichitr vichaare॥28॥

as jojan apane man maaheen,
bhay jag samudratat karahun tehi naahin॥

dadru kushth tehin kahu na vyaapai,
jojan yaako man manh jaapai॥

andhakaar jag ka jo harta,
nav prakaash se aanand bhaarat॥

grah gan grasi na laabhavat jaahee,
koti baar main pranavaun taahi॥32॥

mand sadrsh sut jag mein jaake,
dharmaraaj sam adbhut baanke॥

dhany-dhany tum dinamani deva,
karat karat suramuni nar seva.

bhakti bhaavayut poorn niyam son,
door hattaso bhavake bhram son॥

param dhany son nar tanadhaaree,
hain prasann jehi par tam haaree॥36॥

arun maagh mahan soory phaalgun,
madhu vedaang naam ravi udayan॥

bhaanu uday baisaakhee,
jyeshth indravai aashaadh ravi ga॥

yam bhaado aashvin himareta,
kaatik hot divaakar neta॥

aghan bhinn vishnu hain pooshahin,
purush naam ravihain malamaashin॥40॥

॥Doha॥
bhaanu chaaleesa prem yut, gaavahin je nar nity,
sukh upaay lahi bibidh, honahin sada krtakrty॥

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Shri Surya dev Chalisa के सामान्य प्रश्न

सूर्य देव चालीसा क्या है?

Shri Surya dev Chalisa हिंदू धर्म में भगवान सूर्य (सूर्य देव) को समर्पित एक भक्ति भजन या प्रार्थना है। इसमें चालीस छंद (चालीसा) शामिल हैं जो भगवान सूर्य की स्तुति करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।

भगवान सूर्य कौन हैं?

भगवान सूर्य हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं, जिन्हें सूर्य देव के रूप में पूजा जाता है। उन्हें पृथ्वी पर प्रकाश, ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है। भगवान सूर्य ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान का भी प्रतीक हैं।

सूर्य देव चालीसा का पाठ करने का उद्देश्य क्या है?

माना जाता है कि Shri Surya dev Chalisa का पाठ करने से भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी सुरक्षा, मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि यह बाधाओं को दूर करने, स्पष्टता प्रदान करने और किसी के आध्यात्मिक विकास को बढ़ाने में मदद करता है।

सूर्य देव चालीसा का पाठ कब किया जाता है?

Shri Surya dev Chalisa का पाठ अक्सर सुबह के समय किया जाता है, विशेषकर सूर्योदय के समय। कुछ लोग इसे अपनी दैनिक भक्ति प्रथाओं के एक भाग के रूप में संध्या (सुबह और शाम) के दौरान भी पढ़ते हैं।

क्या कोई सूर्य देव चालीसा का पाठ कर सकता है?

हां, Shri Surya dev Chalisa का पाठ कोई भी कर सकता है। यह लिंग, आयु या जाति द्वारा प्रतिबंधित नहीं है। भक्त भगवान सूर्य से जुड़ने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए इसका पाठ करते हैं।

सूर्य देव चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?

भक्तों का मानना है कि Shri Surya dev Chalisa का पाठ करने से बेहतर स्वास्थ्य, मानसिक स्पष्टता, आध्यात्मिक विकास और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा सहित विभिन्न लाभ मिल सकते हैं। यह किसी के आत्मविश्वास और जीवन शक्ति को बढ़ाने वाला भी माना जाता है।

क्या सूर्य देव चालीसा का पाठ करने का कोई विशेष तरीका है?

सूर्य देव चालीसा का पाठ करने का कोई सख्त नियम नहीं है। हालाँकि, इसे भक्ति, ध्यान और शुद्ध हृदय से पढ़ने की सलाह दी जाती है। कुछ भक्त Shri Surya dev Chalisa का पाठ करते समय दीपक या धूप जलाना पसंद करते हैं।

क्या मैं बिना किसी विशेष उद्देश्य के सूर्य देव चालीसा का पाठ कर सकता हूँ?

जी हां, आप बिना किसी खास मकसद के Shri Surya dev Chalisa का पाठ कर सकते हैं। कई लोग भगवान सूर्य का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए अपने दैनिक आध्यात्मिक अभ्यास के एक भाग के रूप में इसका पाठ करते हैं।

मुझे सूर्य देव चालीसा का पाठ कहां मिल सकता है?

आप हिंदू प्रार्थनाओं और भक्ति साहित्य पर विभिन्न पुस्तकों में सूर्य देव चालीसा का पाठ पा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, यह हिंदू आध्यात्मिकता को समर्पित वेबसाइटों, मंचों और ऐप्स पर ऑनलाइन उपलब्ध है।

याद रखें कि आपकी भक्ति की ईमानदारी और आपके इरादों की पवित्रता सूर्य देव चालीसा के पाठ सहित किसी भी भक्ति अभ्यास की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण कारक हैं।

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Updated on May 11, 2024