1977 -1978 में तालागांव में खुदाई से दो प्रतिमाए निकली थी जिन्हे लोग देवरानी जेठानी कहते है और उन्ही प्रतिमाओं को आधार मानकर देवरानी जेठानी मंदिर (Devrani Jethani mandir) का निर्माण हुआ था , और १० साल बाद जब पुनः वहा की खुदाई होने पर रूद्र महादेव की प्रतिमा प्राप्त हुई। लेकिन कहा जाता है समय के प्रभाव से कोई नहीं बच सकता और ये दोनों मंदिर भी आज खँडहर में तब्दील हो चुके है।
जेठानी मंदिर पूरी तरह से ध्वस्त हो चूका है पर देवरानी मंदिर की स्थिति अभी भी थोड़ी सी ठीक है। यहाँ आकर आप और भी काफी सरे देवी देवताओ की मूर्तियों से आशीर्वाद ले सकते है। यह मंदिर मनियारी नदी और शिवनाथ नदी के संगम पर बसा हुआ है। यहाँ एक प्राचीन राधाकृष्ण शिव-पार्वती एवं श्रीराम जी का मंदिर भी है आप जिसका दर्शन प्राप्त कर सकते है।
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देवरानी मंदिर
मंदिर में चढ़ने के लिए कुछ सीढिया है और द्वार पर बहुत शिल्पकृतिया अंकित है। इस मंदिर में छत नहीं है अतः अलुमिनियम शीट से इसे ढका गया है। यहाँ पर काफी सरे देवी देवताओ , पशुओ की शिल्पकृतिया है तो अगर शिल्प कला के प्रेमी है तो यह जगह आपके लिए एक यादगार पल का अनुभव कराएगा। यहाँ का शांत वातावरण आपको ३ से ४ घंटे यहाँ रुकने को विवश कर देगा।
जेठानी मंदिर
यह मंदिर अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चूका है , लेकिन आप यहाँ आकर इनकी शिल्पकृतियों का अभी भी आनंद उठा सकते है। अनुमान लगाया जाता है की यहाँ पर भी देवरानी मंदिर की तरह काफी सारी मुर्तिया थी, जो की अब खँडहर में तब्दील हो चुकी है। यहाँ मंदिर अपने समय में काफी भव्य हुआ करती थी, लेकिन समय के मार के आगे ये टिक नहीं पायी।
रूद्र महादेव की प्रतिमा
यहाँ प्रतिमा ९ फ़ीट ऊँचा और ४ फ़ीट चौड़ा है और कहा जाता है की यह १५०० वर्षो पुराना है। शिल्प कला के इस शानदार प्रतिमा को आप देखते ही रह जाएंगे , यह ५ टन से भी ज्यादा वजनी है इसे देखने के लिए दुनियाभर से लोग यहाँ आते है।
इस प्रतिमा का प्रत्येक हिस्सा पशु, पक्षी, सर्प व कीड़ो के रूप में बना हुआ है। मूर्ति के सर पर पगड़ी के अकार में दो सर्प लिपटे हुए है और नाक पर छिपकली नुमा प्राणी लिपटा हुआ है। मुछे २ मछलियों से बानी है और कानो पर २ पंछी विराजमान है। सर के पीछे दोनों हिस्सों में सांप का फन निकला हुआ है, और बाकि हिस्सों पर ७ मानव रूपी मुख की आकृति बानी हुई है।
इस मूर्ति को किसने बनाया और बनाने के पीछे क्या उद्देस्य है यह अभी तक अज्ञात है।
देवरानी जेठानी मंदिर(Devrani Jethani mandir) का वीडियो
देवरानी जेठानी मंदिर(Devrani Jethani mandir) कैसे पहुंचे?
यहाँ तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको बिलासपुर शहर पहुंचना होगा, फिर वह से टैक्सी या बस करके इस मंदिर तक पंहुचा जा सकता है। इस मंदिर की दूरी बिलासपुर रेलवे स्टेशन से ३० km है।
निकटतम हवाई मार्ग : बिलासपुर हवाई अड्डा
निकटतम रेलवे स्टेशन : बिलासपुर जंक्शन
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देवरानी जेठानी मंदिर(Devrani Jethani mandir) के समीप अन्य प्रचलित स्थान
रतनपुर: अगर आप बिलासपुर आते है, तो रतनपुर देखना मत भूलिए। इस स्थान का अपना अलग ही महत्व है। इसे छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक राजधानी भी कहा जाता है। रतनपुर बिलासपुर से २५ km की दूरी पर अंबिकापुर के रस्ते में पड़ता है। रतनपुर का प्राचीनतम नाम रत्नापुरा है।
अचानकमार अभयारण्य: यह अभ्यारण्य मुंगेली जिले में पड़ता है, अगर आप प्रकृति प्रेमी है और जिव जंतु देखने की इच्छा रखते है तो यह जगह आप आराम से ३-४ घंटे दे सकते है। यहाँ बंगाल टाइगर, चीता , चील और कई प्रकार के जंगली जीव मिलते है। इस अभ्यारण्य में आपको कॉफ़ी हाउस , रेस्टोरेंट भी मिल जाएंगे। यह अमरकंटक के समीप है जो की सोन नदी का उद्गम है।
देवरानी जेठानी मंदिर के प्रांगढ़ में आपको और भी काफी सरे मंदिरो के दर्शन होंगे , जिनमे से राधाकृष्ण और श्रीराम मंदिर प्रमुख है।
राधाकृष्णा एवं शिव-पार्वती मंदिर की प्रतिमा
श्रीराम मंदिर
Devrani Jethani mandir के बारे में सामान्य प्रश्न
देवरानी जेठानी मंदिर कहा स्थित है?
यह मंदिर तालागांव में स्थित है जो की बिलासपुर जिले के अंतर्गत आता है।
बिलासपुर स्टेशन से यह कितनी दुरी पर है ?
यह बिलासपुर स्टेशन से ३० km दूर है।
इस मंदिर का निर्माण किसने कराया था ?
कहा जाता है की इसे सुरभपुरी शासकों की २ रानियों ने बनवाया था।
ये दोनों मंदिर किसको समर्पित है?
इतिहासकारो के अनुसार ये दोनों मंदिर शिव जी को समर्पित है।
इस मंदिर का निर्माण कब हुआ था?
इस मंदिर की प्रतिमाओं का खनन १९७७-१९७८ में हुआ था।
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संजय इज़ारदार का रुझान बचपन से ही अध्यात्म की ओर रहा है। वे poojaaarti.com में मंदिरो और त्योहारों के पोस्ट में हमारा सहयोग करते है और हमसे शुरुआत से ही जुड़े हुए है।