रानी सती मंदिर झुंझुनू (Rani Sati Mandir) भारत की प्रसिद्ध तथा अमीर मंदिरो में से एक है। यह मंदिर राजस्थान के झुंझुनू जिले में शहर के बीच में स्थित है जो शहर क्र प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। यह मंदिर रानी सती को सम्पर्पित है जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है। यह मंदिर 400 वर्ष पुरानी है।
रानी सती १३वी और १७वी शताब्दी के बीच रहती है यह रानी सती का मंदिर नारी शक्ति, सम्मान तथा ममता के लिए समर्पित है। मंदिर के बहार का दृश्य किसी राजमहल से कम प्रतीत नहीं होता है यह बेहद ही सुंदर दिखाई देता है। रानी सती का असली नाम नारायणी देवी था इन्हे दादी जी के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है
विषय सूची
कौन थी रानी सती
रानी सती का असली नाम नारायणी देवी था जिनका जन्म ढोकवा गांव में सेठ गुरसमल जी के यहाँ कार्तिक के शुक्ल नवमी को हुआ था। नारायणी देवी के पिता ने अपनी बेटी को धार्मिक शिक्षा के साथ -साथ शस्त्र शास्त्र शिक्षा तथा घुड़सवारी भी सिखाई थी। रानी सती उत्तम दर्जे के निशानेबाज थी निशानेबाजी योग्यता में कोई दूसरा सानी नहीं था। बचपन से ही रानी सती को धार्मिक पुस्तक पढ़ने और साथ ही अपने परिवार तथा सखियों के साथ समय व्यतीत करना पसंद था। रानी सती देवी ने अपने प्रारंभिक जीवन में ही कई चमत्कार किये थे।
कहा जाता है कि रानी सती के गांव में एक डायन आती थी वह स्त्री पुरुष तथा बच्चो को अपना शिकार बनाती थी जब डायन ने नारायणी देवी के चमत्कारों के बारे में सुना तो उनके ऊपर हमला करना चाहती थी लेकिन जब डायन हमला करने के लिए आयी नारायणी देवी के ऊपर तब वह पीछे हट गयी और जाते-जाते नारायणी देवी की सहेली को उठाकर ले जाने लगी तब नारायणी देवी ने उस डायन को देखा जिससे वह अंधी होकर नीचे जमीं पर गिर गयी डायन नारायणी देवी की चमत्कारिक शक्ति को पहचान चुकी थी।
वह अपनी आखों की रौशनी के लिए नारायणी देवी से भीख मांगने लगी नारायणी देवी ने उस डायन की माफ़ कर दिया और उसकी आँखों की रोशनी वापस आ गयी नारायणी देवी को डायन वचन देती है की आज के बाद वह किसी भी बच्चे को अपना शिकार नहीं बनाएगी ऐसा कहकर चली गयी।
रानी सती के बारे में बताया जाता है की ये महाभारत काल के अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की पत्नी उतरा थी जो की अपने पति अभिमन्यु की युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हो जाने के कारण बहुत दुखी थी वह अपने पति अभिमन्यु के साथ सती होना चाहती थी लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें गर्भवती होने के कारण रोक दिया और कहा यह तुम्हारे गर्भ में पल रहे बच्चे के खिलाफ है जिसे सुनकर उतरा ने अपना निर्णय बदल लिया तब श्रीकृष्ण ने उतरा को वरदान दिया की कलयुग में आपका सती धर्म पूरा होगा।
रानी सती मंदिर का इतिहास (History of Rani Sati Mandir)
रानी सती का इतिहास 400 वर्ष पुराना है। रानी सती 13वी और 17वी शताब्दी के बीच में रहती थी इनका विवाह हिसार निवासी जलाराम जालान के पुत्र तन्दन दास के साथ हुआ था तन्दन दास के पिता जालीराम हिसार में नवाब के दीवान थे। नारायणी के पिता ने अपनी बेटी को आपार धन के अलावा एक श्यामकर्ण घोड़ी भी दी थी जिसमे विलक्षण शक्तियां थी यह घोड़ी नारायणी देवी को बेहद पसंद थी।
नारायणी देवी से विवाह के पश्चात तन्दन दास उस घोड़े पर सवार होकर अपने ससुराल जाया करते थे,तब उस शामकर्ण घोड़े पर नवाब के बेटे की नजर पड़ी उसे वस् घोड़ी पसंद आ गयी घर आकर वह अपने पिता से वह घोड़ी को प्राप्त करने की इच्छा जाहिर करता है नवाब दीवान के पास जाकर श्यामकर्ण घोड़ी की मांग करता है दीवान घोड़ी को देने से मना कर देता है क्योंकि वह घोड़ी को नारायणी देवी के पिता दान स्वरुप दिए थे।
घोड़ी देने से इंकार कर देने के कारण नवाब का बेटा घोड़ी छिन के लेन का योजना बनता है वह आधी रात को तन्दन दस के हवेली में जाता है अनजाने में तन्दन दास से लड़ाई के दौरान नवाब का बेटा तन्दन के हाथों से मारा जाता है अब तन्दन दास के लिए हिसार में रहना संभव नहीं था वे उसी रात तन्दन दास अपने परिवार के साथ झुंझुनू के रवाना हो गए।
इधर बेटे के मौत से बौखलाए नवाब ने घने जंगल के बीच पहाड़ की तलहटी में धोके से तन्दन दास की हत्या करवा दी और नारायणी देवी की पालकी को चारो तरफ से घेर लिया तब नारायणी देवी क्रोधित होकर पालकी से निकल कर अपने श्यामकर्ण घोड़े पर सवार होके हिसार की पूरी सेना को मार गिराया। अपने पति के हत्यारो को मार गिराने के बाद उसी पहाड़ी के तलहटी पर सती होने का फैसला करती है
वह अपनी साथी राणा जी को सूर्य अस्त होने से पूर्व चिता के लकड़ी की व्यवस्था के लिए कहती है ऐसा कहने पर राणा नारायणी देवी को झुंझुनू जाने के लिए कहते है नारायणी देवी राणा जी की बातों को नकारते हुए चिता पर बैठ जाती है
अब चिता की अग्नि तेज गति से चलने लगती है आसपास के लोगो को जब नारायणी देवी के सती होने की बात पता चलती है तो वे चिता के पास चावल पुष्प घी लेकर पहुंचते है। कुछ समय केपश्चात नारायणी देवी चिता से प्रगट होती है और चिता स्थल पर आए लोगो से कहती है की तीन दिन बाद चिता केठन्डे हो जाने के बाद मेरी भस्म को लाल चुनरी में बांध कर घोड़ी श्यामकर्ण घोड़ी के ऊपर रख देना और राणा जी आप भी घोड़ी के ऊपर सवार हो जाना घोड़ी जिस स्थान पर रुकेगी वह मेरा स्थान होगा मैं अपने पति के साथ उस स्थान पर निवास करुँगी और सदियों तक अपने भक्तों को आशीर्वाद दूंगी।
इसके पश्चात घोड़ी झुंझुनू के उत्तर दिशा की ओर खेजड़ी पेड़ के नीचे रुकता है उस स्थान पर उस भस्म की स्थापना करके एक चबुतरा का निर्माण किया जाता है और देवी नारायणी की रानी सती देवी के रूप में पूजा होने लगती है वर्तमान में रानी सती का विशाल मंदिर इसी स्थान पर बना हुआ है।
रानी सती मंदिर वीडियो (Rani Sati Mandir Video)
रानी सती मंदिर का वास्तुकला (Architecture of Rani Sati Mandir)
रानी सती का मंदिर (Rani Sati Mandir) किसी आलीशान महल से कम प्रतीत नहीं होता है यह भारत की प्रसिद्ध तथा अमिर मंदिरो में से एक है पुरे मंदिर की दिवार संगमरमर पत्थर से बनाए गए है जो देखने बहुत ही सुन्दर दिखयी देते है दीवारों पर सुंदर सुंदर पेंटिंग की गयी है मंदिर प्रांगण में बिजली से चलने वाले फवारे लगे हुए है मंदिर के गर्भगृह में रानी सती देवी विराजमान है।
इनके अलावा इस मंदिर में लक्ष्मीनारायण मंदिर राधाकृष्ण मंदिर तथा हनुमान मंदिर भी है।मंदिर के परिसर में षोडस मंदिर है जो भक्तो को अपनी ओर आकर्षित करती है इस मंदिर में 16 देवियां विराजमान है। बगीचे के बीच में भगवान शंकर की एक मूर्ति है इसके आलावा पार्वती ,गणेश जी और श्रीराम के भी मंदिर है।
रानी सती मंदिर दर्शन का समय (Timing of Rani Sati Mandir)
रानी सती के मंदिर(Rani Sati Mandir) दर्शन के लिए उनके भक्त केवल आपमें राज्य से ही नहीं अपितु पुरे देशभर से आते है माता को आदि शक्ति देवी दुर्गा का रूप माना जाता है देवी दर्शन का समय सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे तथा शाम को 3 बजे से रत 10 बजे तक श्रद्धालु माता के दर्शन कर सकते है।
रानी सती मंदिर का दर्शन शुल्क (Entry fee of Rani Sati Mandir)
रानी सती मंदिर(Rani Sati Mandir) में माता के दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता माता के मंदिर में प्रवेश तथा दर्शन निःशुल्क है।
रानी सती मंदिर आने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit Rani Sati Mandir)
वैसे तो आप रानी सती मंदिर कभी भी आ सकते हो लेकिन बरसात के बाद सर्दियों का मौसम झुंझुनू घूमने तथा यात्रा करने के लिए अनुकूल रहता है इस समय झुंझुनू का भी मौसम घूमने हेतु अनुकूल होता है।
रानी सती मंदिर (Rani Sati Mandir) में रुकने की व्यवस्था
रानी सती मंदिर (Rani Sati Mandir) का आकर बहुत बड़ा है बहार से आने वाले यात्री के लिए के रुकने के लिए यहाँ विश्राम गृह ,अतिथि गृह तथा धर्मशालाएँ उपलब्ध हो जायेंगे जिसका शुल्क 100 से 600 रूपए है। यह कमरे मंदिर परिसर के अंदर ही स्तिथ है जिससे आपको पुरे मंदिर को घूमने तथा रुकने की व्यवस्था में कोई दिक्कत नहीं होगी।
रानी सती मंदिर (Rani Sati Mandir) में खाने की व्यवस्था
रानी सती मंदिर आने वाले श्रद्धालु के लिए खाने की व्यवस्था मंदिर परिसर के अंदर ही है यहाँ आपको एक भोजनालय तथा एक साउथ इंडियन कैंटीन भी उपलब्ध है। यहाँ आने वाले भक्त को दोपहर 11 बजे से 1 बजे तक तथा रात्रि में 8 बजे से 10 बजे तक भोजन प्रसाद ग्रहण कर सकते है।
रानी सती मंदिर झुंझुनू कैसे पहुंचे (How to reach Rani Sati Mandir)
झुंझुनू भारत के राजस्थान राज्य सहित पुरे देश के प्रमुख शहरो से रेलमार्ग तथा सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है झुंझुनू रेलवे स्टेशन से रानी सती मंदिर की दुरी 2 किमी है जिससे भक्त आसानी से आ सकते है रानी सती के दर्शन के लिए यदि आप हवाई मार्ग से आकर रानी सती के दर्शन करना चाहते हो तो झुंझुनू से सबसे निकट हवाई अड्डा जयपुर में स्थित है।
रानी सती आरती हिंदी में (Rani Sati Aarti in Hindi)
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ।
अपने भक्त जनन की,
दूर करन विपत्ती ॥ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत,
मंडितचहुँक कुंभा ।
दुर्जन दलन खडग की,
विद्युतसम प्रतिभा ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
मरकत मणि मंदिर अतिमंजुल,
शोभा लखि न पडे ।
ललित ध्वजा चहुँ ओरे,
कंचन कलश धरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
घंटा घनन घडावल बाजे,
शंख मृदुग घूरे ।
किन्नर गायन करते,
वेद ध्वनि उचरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
सप्त मात्रिका करे आरती,
सुरगण ध्यान धरे ।
विविध प्रकार के व्यजंन,
श्रीफल भेट धरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
संकट विकट विदारनि,
नाशनि हो कुमति ।
सेवक जन ह्रदय पटले,
मृदूल करन सुमति ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
अमल कमल दल लोचनी,
मोचनी त्रय तापा ।
त्रिलोक चंद्र मैया तेरी,
शरण गहुँ माता ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
या मैया जी की आरती,
प्रतिदिन जो कोई गाता ।
सदन सिद्ध नव निध फल,
मनवांछित पावे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ।
अपने भक्त जनन की,
दूर करन विपत्ती ॥
रानी सती आरती अंग्रेजी में (Rani Sati Aarti in English)
Om Jai Sri Ranisatiji Mata,
Maiya Jai Rani Sati Mata ।
Apne Bhakt Janan Ki,
Door Karan Vipada ॥Avani Anantar Jyoti Akhandit,
Mandit Chahunk Kumbha ।
Durjan Dalan Khadg ki,
Vidhut Sam Pratibha ॥
Om Jai Sri Ranisatiji Mata,
Maiya Jai Rani Sati Mata ॥
Markat Mani Mandir Ati Manjul,
Shobha Lakhi Na Pare ।
Lalit Dhvaja Chahun Aure,
Kanchan Kalash Dhare ॥
Om Jai Sri Ranisatiji Mata,
Maiya Jai Rani Sati Mata ॥
Ghanta Ghanan Ghadaval Baje,
Shankh Mridang Dhure ।
Kinnar Gayan Karte,
Ved Dhwani Uchare ॥
Om Jai Sri Ranisatiji Mata,
Maiya Jai Rani Sati Mata ॥
Sapta Matrika Kare Aarti,
Surgan Dhyan Dhare ।
Vividh Prakar Ke Vyanjan,
Sriphal Bhentha Dhare ॥
Om Jai Sri Ranisatiji Mata,
Maiya Jai Rani Sati Mata ॥
Sankat Vikat Vidarani,
Nashani Ho Komati ।
Sevak Jan Hriday Patale,
Mridul Karan Sumati ॥
Om Jai Sri Ranisatiji Mata,
Maiya Jai Rani Sati Mata ॥
Amal Kamal Dal Lochani,
Mochani Traya Tapa ।
Sevan Aayo Sharan Aapki,
Laaj Rakho Mata ॥
Om Jai Sri Ranisatiji Mata,
Maiya Jai Rani Sati Mata ॥
Ya Miyaji Ki Aarti pratidin,
Parti Din Jo Koi Gata ।
Sadan Siddhi Nav Nidhiphal,
Mann Vancchit Paave ॥
Om Jai Sri Ranisatiji Mata,
Maiya Jai Rani Sati Mata ।
Apne Bhakt Janan Ki,
Door Karan Vipada ॥
रानी सती आरती वीडियो (Rani Sati Aarti Video)
यह भी देखे
रानी सती मंदिर से सम्बंधित कुछ प्रश्न FAQ
रानी सती का मूल नाम क्या है ?
रानी सती का मूल नाम नारायणी देवी है।
रानी सती मंदिर (Rani Sati Mandir) कहा स्थित है ?
रानी सती मंदिर (Rani Sati Mandir) राजस्थान के झुंझुनू में स्थित है।
पूर्वजन्म में रानी सती कौन थी ?
रानी सती महाभारत के समय अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के पत्नी उतरा थी।
रानी सती मंदिर (Rani Sati Mandir) प्रसिद्ध क्यों है ?
रानी सती मंदिर (Rani Sati Mandir) मंमता,विनम्रता और समर्पण के लिए प्रसिद्ध है।
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रेखा डनसेना इकोनॉमिक्स में स्नातकोत्तर है और poojaaarti.com के मंदिर , त्यौहार और चालीसा के पोस्ट के अध्ययन और लेख में हमारा सहयोग करती है।