श्री राम जन्मभूमि मंदिर (Shree Ram Janmbhumi Mandir) उत्तरप्रदेश के अयोध्या जिले बनाया जा रहा एक वृहद हिन्दू मंदिर है। भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भूमिपूजन व अनुष्ठान 5 अगस्त 2020 को किया गया था और उसके बाद मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ, जो आने वाले पौष शुक्ल द्वादशी, विक्रम संवत 2080, को दिनांक 22 जनवरी 2024, दिन सोमवार के शुभ दिन को हमारे आराध्य श्री राम के बाल रूप को बन रहे मंदिर के भूतल के गर्भगृह में विराजित करके प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। इस मंदिर का पर्यवेक्षण श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा किया जा रहा है।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर के बारे में (About Shree Ram Janmbhumi Mandir)
- श्री राम जन्मभूमि मंदिर (Shree Ram Janmbhumi Mandir) उत्तरप्रदेश के अयोध्या जिले में स्थित है।
- मंदिर का कुल क्षेत्रफल -2.7 एकड़ है, जिसमे कुल निर्माण क्षेत्र 57400 वर्ग फ़ीट है।
- मंदिर की कुल लम्बाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फ़ीट, चौड़ाई (उत्तर-दक्षिण) 250 फ़ीट और ऊंचाई 161 फ़ीट है।
- यह 3 मंजिला मंदिर में प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फ़ीट है।
- मंदिर में 392 खम्भे और 12 द्वार है।
- मंदिर का प्रथम तल के गर्भगृह में श्रीराम दरबार है और भूतल के गर्भगृह में श्री राम के बालरूप (श्री रामलला)।
- मंदिर को परम्परागत नागर शैली से निर्मित किया गया है।
- मंदिर में पांच मंडप है – रंग मंडप, नृत्य मंडप, प्रार्थना मंडप, सभा मंडप और कीर्तन मंडप।
- मंदिर के पास में ही पौराणिक काल का सीताकूप।
- श्री राम जन्मभूमि मंदिर (Shree Ram Janmbhumi Mandir) में प्रस्तावित अन्य मंदिर है – माता शबरी, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि अगस्त्य, अहिल्या और निषादराज।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर हेतु गीत (Shree Ram Janmbhumi Mandir)
श्री राम जन्मभूमि इतिहास (History of Shree Ram Janmbhumi Mandir)
भगवान श्री राम के बारे में कुछ शब्दो में बता पाना काफी मुश्किल है किन्तु इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको श्री राम और श्री राम जन्मभूमि के इतिहास के बारे में प्रकाश डालने की कोशिस करते है, पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथो के अनुसार श्री राम का जन्म रघुवंशी कुल में 5114 ईशा पूर्व में हुआ था, यह महाराज दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। प्रभु श्री राम भगवान विष्णु के 7 वे अवतार थे, जिन्होंने राक्षस राजा रावण का वध किया था, प्रभु श्री राम ने अपने जीवनकाल में सभी कार्य मर्यादा में रहकर पूर्ण किये थे, जिसकी वजह से इन्हे मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है।
जब प्रभु श्री राम के जलसमाधि लेने के पश्चात इनके पुत्र लव ने शासन किया, सूर्यवंशी अगले 44 पीढ़ियों तक सुरक्षित रही, फिर द्वापरयुग में इस पीढ़ी के बृहदथ अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के हाथों महाभारत युद्ध में मारे गए, इनके मृत्यु के पश्चात यह नगरी वीरान सी हो गयी किन्तु इनका अस्तित्व 14 वी शताब्दी तक बरकार रहा।
1526 मुग़ल साम्राज्य की स्थापना बाबर ने की, बाबर के आदेश पर 1528 में उनके एक सेनापति ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण कराया।
कुछ समय बाद 1853 में इस जमीन को लेकर हिंदू और मुस्लिमों के बीच पहली बार विवाद पैदा हुआ।
1859 में, ब्रिटिश प्रशासन ने विवाद पर विचार करते हुए, स्थल के आंतरिक क्षेत्र को मुस्लिम प्रार्थनाओं (नमाज़) के लिए और बाहरी क्षेत्र को हिंदू पूजा किये जाने का आदेश दिया।
1949 में, मस्जिद के अंदर हिन्दू संगठनों द्वारा भगवान श्री राम की एक मूर्ति रखी गई थी, जिससे हिन्दुओ और मुस्लिमों का विवाद बढ़ता चलता गया और तत्कालीन सरकार को इस बीच विवाद में हस्तक्षेप करना पड़ा।
1986 में, एक और विवाद तब हुआ जब एक जिला न्यायाधीश ने यह आदेश दिया कि विवादित स्थल हिंदू पूजा के लिए खुला रहेगा, इस फैसले से मुस्लिम समुदाय ने कड़ा विरोध प्रदर्शन किया और इन्होने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किए।
1989 में, विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल से सटे भूमि पर राम मंदिर के निर्माण के लिए एक अभियान शुरू किया।
6 दिसंबर, 1992 के दिन एक नया मोड़ आया जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप देश भर में दंगे हुए और इस दंगे में लगभग दो हजार लोगो के मारे जाने की खबर सामने आयी।
इस घटना के बाद सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश एम.एस. की अध्यक्षता में लिब्रहान आयोग का गठन किया गया। लिब्रहान का गठन 16 दिसंबर 1992 को किया गया था और उन्हें मामले की जांच का काम सौंपा गया था। लिब्रहान आयोग को अपनी 700 पन्नों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को सौंपने में 2009 तक 17 साल लग गए।
सुप्रीम कोर्ट ने 1993 में केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण की चुनौती को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि स्वामित्व अधिकार स्थापित होने के बाद भूमि सही मालिकों को वापस कर दी जाएगी।
2010 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने विवादित भूमि को रामजन्मभूमि घोषित कर दिया। कोर्ट ने विवादित जमीन पर हिंदू समूहों के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि रामलला की मूर्ति वहीं रहनी चाहिए. इसने यह भी निर्धारित किया कि सीता रसोई और राम चबूतरा जैसे कुछ क्षेत्र अखाड़े के थे। इसके अतिरिक्त, अदालत ने विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा मुस्लिम समूहों को आवंटित कर दिया। हालाँकि, हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों ने इस फैसले को खारिज कर दिया और सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
09 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर के फैसला सुनाने के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया, जिसमे अयोध्या की 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण को दे दी और मंदिर निर्माण के लिए 3 माह के भीतर ट्रस्ट का गठन कर राम मंदिर निर्माण का कार्य प्रारम्भ किये जाने कहा।
5 अगस्त 2020 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उक्त स्थल पर भूमिपूजन व अनुष्ठान किया गया और उसके बाद मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ, जो आने वाले पौष शुक्ल द्वादशी, विक्रम संवत 2080, को दिनांक 22 जनवरी 2024, दिन सोमवार के शुभ दिन को हमारे आराध्य श्री राम के बाल रूप को बन रहे मंदिर के भूतल के गर्भगृह में विराजित करके प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी।
नोट :- इस आर्टिकल के माध्यम से दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. poojaaarti.in इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.
श्री राम जन्मभूमि मंदिर आयोध्या नगरी के तस्वीर (Shree Ram Janmbhumi Mandir)
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