क्षमा याचना मंत्र (Kshama Yachna Mantra)

क्षमा याचना मंत्र (Kshama Yachna Mantra) एक ऐसा मंत्र है जो भगवान से क्षमा मांगने के लिए उपयोग किया जाता है। क्षमा याचना मंत्र का उच्चारण आमतौर पर पूजा के अंत में किया जाता है। क्षमा याचना मंत्र का उद्देश्य हमारे पापों, गलतियों और अनजाने में की गई गलतियों के लिए भगवान से क्षमा मांगना है। यह हमें अपने अहंकार को दूर करने, अपने मन को शुद्ध करने और भगवान के साथ एकता का अनुभव करने में मदद करता है। इसे किसी भी समय भी किया जा सकता है जब हम खुद को क्षमा याचना करने की आवश्यकता महसूस करते हैं।

क्षमा याचना मंत्र (Kshama Yachna Mantra)

“आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्। पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरी।”

“मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि। यत्पूजितं मया देव। परिपूर्ण तदस्तु मे॥

क्षमा याचना मंत्र अर्थ (Kshama Yachna Mantra )

हे प्रभु मै आपको बुलाना जनता हूँ।और न ही विदा करना। और न ही मै पूजा करना जनता हूँ। कृपया करके मुझे क्षमा करे। न ही मुझे मंत्र याद है और न ही क्रिया न ही भक्ति करना जनता हूँ। यथासंभव पूजा कर रहा हूँ। आप मेरे भूलो को क्षमा कर इस पूजा को पूर्णता प्रदान करे।

क्षमा याचना मंत्र (Kshama Yachna Mantra)

अन्य क्षमा याचना मंत्र (Other Kshama Yachna Mantra)

शनि क्षमा याचना मंत्र

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।

दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।

गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।

आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।

शिव क्षमा याचना मंत्र

मृत्युञ्जय महारुद्र त्राहि मां शरणागतम्
जन्म मृत्युजरारोगैः पीड़ितं कर्म बन्धनैः ।।१।।

मन्त्रेणाक्षर हीनेन पुष्पेण विफलेन च
पूजितोसि महादेव तत्सर्वं क्षम्यतां मम ।।२।।

करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवननयंजं वा मानसं वापराधम् ।।३।।

विहितमविहितं वा सर्वमेततक्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्री महादेवशम्भो ।।४।।

।। ॐ मृत्युञ्जयाय तत्सत् नमम ॐ ।।

दुर्गा क्षमा याचना मंत्र

न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथा: ।
न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥ 1 ॥

विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 2 ॥

पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहव: सन्ति सरला:
परं तेषां मध्ये विरलतरलोSहं तव सुत: ।
मदीयोSयं त्याग: समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 3 ॥

जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 4 ॥

परित्यक्ता देवा विविधविधिसेवाकुलतया
मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।
इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥ 5 ॥

श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकै: ।
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
जन: को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥ 6 ॥

चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपति: ।
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥ 7 ॥

न मोक्षस्याकाड़्क्षा भवविभववाण्छापि च न मे
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुन: ।
अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपत: ॥ 8 ॥

नाराधितासि विधिना विविधोपचारै:
किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभि: ।
श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे
धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥ 9 ॥

आपत्सु मग्न: स्मरणं त्वदीयं
करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथा:
क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥ 10 ॥

जगदम्ब विचित्रमत्र किं
परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि ।
अपराधपरम्परावृतं
न हि माता समुपेक्षते सुतम् ॥ 11 ॥

मत्सम: पातकी नास्ति
पापघ्नी त्वत्समा न हि ।
एवं ज्ञात्वा महादेवि
यथा योग्यं तथा कुरु ॥ 12 ॥

इति श्रीमच्छंकराचार्यकृतं देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्।

पृथ्वी क्षमा याचना मंत्र

ॐ समुद्र वसने देवी पर्वतस्तन मंडिते | 

विष्णुपत्नीं नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व में || 

क्षमा याचना मंत्र के लाभ (Kshama Yachna Mantra Benefit)

आत्म-स्वीकृति और आत्म-सम्मान में वृद्धि:
क्षमा याचना मंत्र हमें यह स्वीकार करने में मदद करता है कि हम सभी मनुष्य हैं और हम सभी गलतियाँ करते हैं। यह हमें अपने आप को और दूसरों को माफ करने में मदद करता है, जिससे आत्म-स्वीकृति और आत्म-सम्मान में वृद्धि होती है।

मानसिक शांति और स्पष्टता:
क्षमा याचना मंत्र हमें अपनी गलतियों से मुक्त होने में मदद करता है। यह हमें मानसिक शांति और स्पष्टता प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे हमें बेहतर निर्णय लेने और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव करने में मदद मिलती है।

रिश्तों में सुधार:
क्षमा याचना मंत्र हमें दूसरों से क्षमा मांगने और उन्हें माफ करने में मदद करता है। यह रिश्ते में विश्वास, सम्मान और सद्भाव को बढ़ावा देता है।

आध्यात्मिक विकास:
क्षमा एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक गुण है। क्षमायाचना मंत्र हमें दूसरों और स्वयं के साथ अधिक दयालु और क्षमा करने वाले होने में मदद करता है। यह आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाता है।

क्षमा याचना मंत्र विधि (Kshama Yachna Mantra Vidhi)

  1. एकांत में बैठें।
  2. अपनी आंखें बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
  3. मंत्र का जाप करना शुरू करें।
  4. मंत्र के अर्थ पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. अपनी गलतियों के लिए ईमानदारी से माफी मांगें।
  6. मंत्र का जाप तब तक करें जब तक आप शांति और स्पष्टता का अनुभव न करें।

क्षमायाचना मंत्र का जाप करने के लिए कोई विशेष समय या स्थान आवश्यक नहीं है। आप इसे सुबह, शाम या किसी भी समय जब आपके पास कुछ शांत क्षण हों, कह सकते हैं।


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क्षमा याचना मंत्र पीडीएफ (Kshama Yachna Mantra PDF)

क्षमा याचना मंत्र से सम्बंधित प्रश्न (Kshama Yachna Mantra FAQ)

क्षमा याचना मंत्र (Kshama Yachna Mantra) का जाप कब करना चाहिए?

क्षमायाचना मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है जब आप अपनी गलतियों के लिए माफी मांगना चाहते हैं। आप इसे सुबह, शाम या किसी भी अन्य समय जब आपके पास कुछ शांत क्षण हों,कर सकते हैं।

क्षमा याचना मंत्र (Kshama Yachna Mantra) का जाप करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए?

क्षमायाचना मंत्र का जाप करते समय, निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
मानदारी से माफी मांगें।
अपनी गलतियों को स्वीकार करें।
अपने आप को और दूसरों को माफ करने के लिए प्रतिबद्ध हों।

क्षमा याचना मंत्र (Kshama Yachna Mantra) का अर्थ क्या है?

क्षमायाचना मंत्र का अर्थ है “मैं क्षमा मांगता हूं।” यह एक हिंदू मंत्र है जो पूजा के बाद या किसी भी अन्य समय में कहा जा सकता है जब कोई व्यक्ति अपनी गलतियों के लिए माफी मांगना चाहता है।

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Updated on May 10, 2024