नीलकंठ स्तोत्र (Neelkanth Stotra)


नीलकंठ स्तोत्र (Neelkanth Stotra) भगवान शिव को समर्पित एक स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान शिव के नीले गले की महिमा और उनके गुणों की स्तुति करता है। यह प्रसिद्ध स्त्रोतों में से एक है और इसे हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

नीलकंठ स्तोत्र लिरिक्स (Neelkanth Stotra Lyrics)

विनियोग
ॐ अस्य श्री भगवान नीलकंठ सदा-शिव-स्तोत्र मंत्रस्य श्री ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्ठुप छन्दः,
श्री नीलकंठ सदाशिवो देवता, ब्रह्म बीजं, पार्वती शक्तिः,
मम समस्त पाप क्षयार्थंक्षे म-स्थै-आर्यु-आरोग्य-अभिवृद्धयर्थं मोक्षादि-चतुर्वर्ग-साधनार्थं
च श्री नीलकंठ-सदाशिव-प्रसाद-सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।


ऋष्यादि-न्यास
श्री ब्रह्मा ऋषये नमः शिरसि। अनुष्टुप छन्दसेनमः मुखे।
श्री नीलकंठ सदाशिव देवतायै नमः हृदि। ब्रह्म बीजाय नमः लिंगे।
पार्वती शक्त्यैनमः नाभौ। मम समस्त पाप क्षयार्थंक्षेम-स्थै-आर्यु-आरोग्य-अभिवृद्धयर्थं
मोक्षादि-चतुर्वर्ग-साधनार्थंच श्री नीलकंठ-सदाशिव-प्रसाद-सिद्धयर्थे जविनियोगाय नमः सर्वांगे।


स्तोत्रम्
ॐ नमो नीलकंठाय, श्वेत-शरीराय, सर्पा लंकार भूषिताय, भुजंग परिकराय, नागयज्ञो पवीताय
अनेक मृत्यु विनाशाय नमः। युग युगांत काल प्रलय-प्रचंडाय, प्र ज्वाल-मुखाय नमः।
दंष्ट्राकराल घोर रूपाय हूं हूं फट् स्वाहा। ज्वालामुखाय,
मंत्र करालाय, प्रचंडार्क सहस्त्रांशु चंडाय नमः। कर्पूर मोद परिमलांगाय नमः।

ॐ इंद्र नील महानील वज्र वैलक्ष्य मणि माणिक्य मुकुट
भूषणाय हन हन हन दहन दहनाय ह्रीं स्फुर स्फुर
प्रस्फुर प्रस्फुर घोर घोर तनुरूप चट चट प्रचट प्रचट
कह कह वम वम बंध बंध घातय घातय हूं फट् जरा
मरण भय हूं हूं फट्‍ स्वाहा। आत्म मंत्र संरक्षणाय नम:।

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रीं स्फुर अघोर रूपाय रथ रथ तंत्र तंत्र चट् चट्
कह कह मद मद दहन दाहनाय ह्रीं स्फुर स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर
घोर घोर तनुरूप चट चट प्रचट प्रचट कह कह वम वम
बंध बंध घातय घातय हूं फट् जरा मरण भय हूं हूं फट् स्वाहा।

अनंताघोर ज्वर मरण भय क्षय कुष्ठ व्याधि विनाशाय,
शाकिनी डाकिनी ब्रह्मराक्षस दैत्य दानव बंधनाय,
अपस्मार भूत बैताल डाकिनी शाकिनी सर्व ग्रह विनाशाय,
मंत्र कोटि प्रकटाय पर विद्योच्छेदनाय, हूं हूं फट् स्वाहा।
आत्म मंत्र सरंक्षणाय नमः।

ॐ ह्रां ह्रीं हौं नमो भूत डामरी ज्वालवश भूतानां द्वादश भू तानांत्रयो
दश षोडश प्रेतानां पंच दश डाकिनी शाकिनीनां हन हन।
दहन दारनाथ! एकाहिक द्वयाहिक त्र्याहिक चातुर्थिक पंचाहिक
व्याघ्य पादांत वातादि वात सरिक कफ पित्तक काश श्वास
श्लेष्मादिकं दह दह छिन्धि छिन्धि श्रीमहादेव निर्मित स्तंभन
मोहन वश्याकर्षणोच्चाटन कीलना द्वेषण
इति षट् कर्माणि वृत्य हूं हूं फट् स्वाहा।

वात-ज्वर मरण-भय छिन्न छिन्न नेह नेह भूतज्वर
प्रेतज्वर पिशाचज्वर रात्रिज्वर शीतज्वर तापज्वर
बालज्वर कुमारज्वर अमितज्वर दहनज्वर ब्रह्मज्वर
विष्णुज्वर रूद्रज्वर मारीज्वर प्रवेशज्वर कामादि विषमज्वर
मारी ज्वर प्रचण्ड घराय प्रमथेश्वर! शीघ्रं हूं हूं फट् स्वाहा।
।।ॐ नमो नीलकंठाय, दक्षज्वर ध्वंसनाय श्री नीलकंठाय नमः।।


।।इतिश्री नीलकंठ स्तोत्रम संपूर्ण:।।

नीलकंठ स्तोत्र लिरिक्स अंग्रेजी में (Neelkanth Stotra Lyrics In English)

viniyog
om asy shrii bhagavaan niilakanṭh sadaa-shiv-stotr mantrasy shrii brahmaa ṛshiah, anushṭhup chhandah,
shrii niilakanṭh sadaashivo devataa, brahm biijam, paarvatii shaktiah,
mam samast paap kshayaarthankshe m-sthai-aaryu-aarogy-abhivṛddhayartham mokshaadi-chaturvarg-saadhanaartham
ch shrii niilakanṭh-sadaashiv-prasaad-siddhayarthe jape viniyogah.

ṛshyaadi-nyaas
shrii brahmaa ṛshaye namah shirasi. anushṭup chhandasenamah mukhe.
shrii niilakanṭh sadaashiv devataayai namah hṛdi. brahm biijaay namah linge.
paarvatii shaktyainamah naabhow. mam samast paap kshayaarthankshem-sthai-aaryu-aarogy-abhivṛddhayartham
mokshaadi-chaturvarg-saadhanaarthanch shrii niilakanṭh-sadaashiv-prasaad-siddhayarthe javiniyogaay namah sarvaange.

stotram
om namo niilakanṭhaay, shvet-shariiraay, sarpaa lankaar bhuushitaay, bhujang parikaraay, naagayajño paviitaay
anek mṛtyu vinaashaay namah. yug yugaant kaal pralay-prachanḍaay, pr jvaal-mukhaay namah.
damshṭraakaraal ghor ruupaay huun huun phaṭ svaahaa. jvaalaamukhaay,
mantr karaalaay, prachanḍaark sahastraanshu chanḍaay namah. karpuur mod parimalaangaay namah.

om indr niil mahaaniil vajr vailakshy maṇi maaṇiky mukuṭ
bhuushaṇaay han han han dahan dahanaay hriin sphur sphur
prasphur prasphur ghor ghor tanuruup chaṭ chaṭ prachaṭ prachaṭ
kah kah vam vam bandh bandh ghaatay ghaatay huun phaṭ jaraa
maraṇ bhay huun huun phaṭ‍ svaahaa. aatm mantr samrakshaṇaay nam:.

om hraan hriin hriin sphur aghor ruupaay rath rath tantr tantr chaṭ chaṭ
kah kah mad mad dahan daahanaay hriin sphur sphur prasphur prasphur
ghor ghor tanuruup chaṭ chaṭ prachaṭ prachaṭ kah kah vam vam
bandh bandh ghaatay ghaatay huun phaṭ jaraa maraṇ bhay huun huun phaṭ svaahaa.

anantaaghor jvar maraṇ bhay kshay kushṭh vyaadhi vinaashaay,
shaakinii ḍaakinii brahmaraakshas daity daanav bandhanaay,
apasmaar bhuut baitaal ḍaakinii shaakinii sarv grah vinaashaay,
mantr koṭi prakaṭaay par vidyochchhedanaay, huun huun phaṭ svaahaa.
aatm mantr sarankshaṇaay namah.

om hraan hriin hown namo bhuut ḍaamarii jvaalavash bhuutaanaan dvaadash bhuu taanaantrayo
dash shoḍash pretaanaan panch dash ḍaakinii shaakiniinaan han hana.
dahan daaranaath! ekaahik dvayaahik tryaahik chaaturthik panchaahik
vyaaghy paadaant vaataadi vaat sarik kaph pittak kaash shvaas
shleshmaadikam dah dah chhindhi chhindhi shriimahaadev nirmit stambhan
mohan vashyaakarshaṇochchaaṭan kiilanaa dveshaṇ
iti shaṭ karmaaṇi vṛty huun huun phaṭ svaahaa.

vaat-jvar maraṇ-bhay chhinn chhinn neh neh bhuutajvar
pretajvar pishaachajvar raatrijvar shiitajvar taapajvar
baalajvar kumaarajvar amitajvar dahanajvar brahmajvar
vishṇujvar ruudrajvar maariijvar praveshajvar kaamaadi vishamajvar
maarii jvar prachaṇḍ gharaay pramatheshvar! shiighram huun huun phaṭ svaahaa.
..om namo niilakanṭhaay, dakshajvar dhvamsanaay shrii niilakanṭhaay namah..

..itishrii niilakanṭh stotram sampuurṇ:..

नीलकंठ स्तोत्र वीडियो (Neelkanth Stotra Video)

नीलकंठ स्तोत्र विधि (Neelkanth Stotra Vidhi)

  1. प्रतिदिन स्नान अपनी नित्य क्रिया करके स्वच्छ कपडे पहने।
  2. भगवान शिव को जल व बेलपत्र अर्पित करे।
  3. भगवान शिव की मूर्ति या प्रतिमा के सामने दीपक व कलश की स्थापना करे।
  4. नीलकंठ स्तोत्र (Neelkanth Stotra) का पाठ करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे।
  5. दिन में कम से कम 7 बार स्तोत्र का पाठ करे।

नीलकंठ स्तोत्र लाभ (Neelkanth Stotra Benefit)

  1. “नीलकंठ स्तोत्र” (Neelkanth Stotra) का पाठ करने से भक्ति में वृद्धि हो सकती है। यह स्तोत्र भगवान शिव के अनुग्रह और कृपा को आपके जीवन में लाने का प्रयास कर सकता है।
  2. शिव स्तोत्रों का पाठ करने से मानसिक चंचलता कम हो सकती है और मानसिक शांति का अहसास हो सकता है।
  3. स्तोत्र के माध्यम से व्यक्ति भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव कर सकता है।
  4. शिव स्तोत्रों का पाठ करने से आरोग्य में सुधार हो सकता है और व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की अधिक सुरक्षा मिल सकती है।
  5. शिव स्तोत्रों का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आए कष्टों और संघर्षों का निवारण हो सकता है।
  6. स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक जागरूकता मिल सकती है और वह अपने जीवन को धार्मिकता के साथ जीने का प्रयास कर सकता है।

नीलकंठ स्तोत्र PDF

नीलकंठ स्तोत्र FAQ

नीलकंठ स्तोत्र का पाठ करने की विधि क्या है?

नीलकंठ स्तोत्र (Neelkanth Stotra) का पाठ किसी भी शुभ समय पर किया जा सकता है, लेकिन सुबह और शाम के समय इसे करना अति उत्तम माना जाता है। (Neelkanth Stotra) पाठ करने से पहले स्नान या कम से कम हाथ-पैर धोकर स्वच्छ हो लेना चाहिए। शांत और पवित्र वातावरण में बैठकर, भगवान शिव का स्मरण करते हुए श्रद्धा और भक्तिभाव से धीरे-धीरे और स्पष्ट रूप से स्तोत्र का उच्चारण करें।

नीलकंठ स्तोत्र का पाठ करने के लाभ क्या हैं?

नीलकंठ स्तोत्र (Neelkanth Stotra) का पाठ करने से जीवन में आने वाले विघ्नों को दूर करने का विश्वास किया जाता है। इस स्तोत्र के पाठ से मनोकामनाओं की पूर्ति और प्रयासों में सफलता प्राप्त होती है। नीलकंठ स्तोत्र का पाठ मन को शांत और ध्यान केंद्रित करने में सहायता करता है। यह आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर होने में भी सहायक होता है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

नीलकंठ स्तोत्र को कब करना चाहिए ?

नीलकंठ स्तोत्र (Neelkanth Stotra) को सोमवार या प्रतिदिन भी किया जा सकता है।

नीलकंठ स्तोत्र को कितनी बार किया जा सकता है ?

नीलकंठ स्तोत्र (Neelkanth Stotra) को अपनी दिन में 7 बार स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

नीलकंठ स्तोत्र का पाठ किस दिशा की ओर बैठकर करना चाहिए ?

नीलकंठ स्तोत्र (Neelkanth Stotra) का पाठ पूर्व दिशा की ओर बैठकर करना चाहिए।

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Updated on May 11, 2024