बगलामुखी स्तोत्र (Baglamukhi Stotra) एक स्तोत्र है जो देवी बगलामुखी को समर्पित है। यह स्तोत्र देवी बगलामुखी को समर्पित है। इस स्तोत्र में देवी की शक्ति और महिमा का वर्णन किया गया है। बगलामुखी स्तोत्र का पाठ करने से हमें माँ बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह स्तोत्र दसमहाविद्याओं में से एक, देवी बगलामुखी को समर्पित है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश, वाद-विवाद में विजय, बुद्धिबल, विद्या और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
विषय सूची
बगलामुखी स्तोत्र लिरिक्स (Baglamukhi Stotra Lyrics)
विनियोग
अस्य श्री बगलामुखी स्तोत्रस्य नारद ऋषिः त्रिष्टुप छन्दः।
श्री बगलामुखी देवता, बीजं स्वाहा शक्तिः कीलकं मम श्री बगलामुखी प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
!! ध्यान !!
सौवर्णासनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांषुकोल्लासिनीं,
हेमाभांगरुचिं शषंकमुकुटां स्रक चम्पकस्त्रग्युताम्,
हस्तैमुद्गर, पाषबद्धरसनां संविभृतीं भूषणैव्यप्तिांगी
बगलामुखी त्रिजगतां संस्तम्भिनीं चिन्तये ।
ऊँ मध्ये सुधाब्धिमणिमण्डपरत्नवेदीं,
सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णाम्।
पीताम्बराभरणमाल्यविभूषितांगी
देवीं भजामि धृतमुदग्रवैरिजिव्हाम्।।1।।
जिह्वाग्रमादाय करेण देवी,
वामेन शत्रून परिपीडयन्तीम्।
गदाभिघातेन च दक्षिणेन,
पीताम्बराढयां द्विभुजां भजामि।। 2।।
चलत्कनककुण्डलोल्लसित चारु गण्डस्थलां,
लसत्कनकचम्पकद्युतिमदिन्दुबिम्बाननाम्।।
गदाहतविपक्षकांकलितलोलजिह्वाचंलाम्।
स्मरामि बगलामुखीं विमुखवांगमनस्स्तंभिनीम्।। 3।।
पीयूषोदधिमध्यचारुविलसद्रक्तोत्पले मण्डपे,
सत्सिहासनमौलिपातितरिपुं प्रेतासनाध् यासिनीम्।
स्वर्णाभांकरपीडितारिरसनां भ्राम्य˜दां विभ्रमामित्थं
ध्यायति यान्ति तस्य विलयं सद्योऽथ सर्वापदः।। 4।।
देवि त्वच्चरणाम्बुजार्चनकृते यः पीतपुष्पान्जलीन् ।
भक्तया वामकरे निधाय च मनुम्मन्त्री मनोज्ञाक्षरम्।
पीठध्यानपरोऽथ कुम्भकवषाद्वीजं स्मरेत् पार्थिवः।
तस्यामित्रमुखस्य वाचि हृदये जाडयं भवेत् तत्क्षणात्।। 5।।
वादी मूकति रंकति क्षितिपतिवैष्वानरः शीतति।
क्रोधी शाम्यति दुज्र्जनः सुजनति क्षिप्रानुगः खंजति।।
गर्वी खर्वति सर्वविच्च जडति त्वद्यन्त्रणायंत्रितः।
श्रीनित्ये बगलामुखी प्रतिदिनं कल्याणि तुभ्यं नमः।। 6।।
मन्त्रस्तावदलं विपक्षदलनं स्तोत्रं पवित्रं च ते,
यन्त्रं वादिनियन्त्रणं त्रिजगतां जैत्रं च चित्रं च ते।
मातः श्रीबगलेतिनामललितं यस्यास्ति जन्तोर्मुखे,
त्वन्नामग्रहणेन संसदि मुखस्तम्भे भवेद्वादिनाम्।। 7।।
दष्टु स्तम्भ्नमगु विघ्नषमन दारिद्रयविद्रावणम
भूभषमनं चलन्मृगदृषान्चेतः समाकर्षणम्।
सौभाग्यैकनिकेतनं समदृषां कारुण्यपूर्णाऽमृतम्,
मृत्योर्मारणमाविरस्तु पुरतो मातस्त्वदीयं वपुः।। 8।।
मातर्भन्जय मे विपक्षवदनं जिव्हां च संकीलय,
ब्राह्मीं मुद्रय नाषयाषुधिषणामुग्रांगतिं स्तम्भय।
शत्रूंश्रूचर्णय देवि तीक्ष्णगदया गौरागिं पीताम्बरे,
विघ्नौघं बगले हर प्रणमतां कारूण्यपूर्णेक्षणे।। 9।।
मातभैरवि भद्रकालि विजये वाराहि विष्वाश्रये।
श्रीविद्ये समये महेषि बगले कामेषि रामे रमे।।
मातंगि त्रिपुरे परात्परतरे स्वर्गापवगप्रदे।
दासोऽहं शरणागतः करुणया विष्वेष्वरि त्राहिमाम्।। 10।।
सरम्भे चैरसंघे प्रहरणसमये बन्धने वारिमध् ये,
विद्यावादे विवादे प्रकुपितनृपतौ दिव्यकाले निषायाम्।
वष्ये वा स्तम्भने वा रिपुबधसमये निर्जने वा वने वा,
गच्छस्तिष्ठंस्त्रिकालं यदि पठति षिवं प्राप्नुयादाषुधीरः।। 11।।
त्वं विद्या परमा त्रिलोकजननी विघ्नौघसिंच्छेदिनी
योषाकर्षणकारिणी त्रिजगतामानन्द सम्वध्र्नी ।
दुष्टोच्चाटनकारिणीजनमनस्संमोहसंदायिनी,
जिव्हाकीलनभैरवि! विजयते ब्रह्मादिमन्त्रो यथा।। 12।।
विद्याः लक्ष्मीः सर्वसौभाग्यमायुः
पुत्रैः पौत्रैः सर्व साम्राज्यसिद्धिः।
मानं भोगो वष्यमारोग्य सौख्यं,
प्राप्तं तत्तद्भूतलेऽस्मिन्नरेण।। 13।।
यत्कृतं जपसन्नाहं गदितं परमेष्वरि।
दुष्टानां निग्रहार्थाय तद्गृहाण नमोऽस्तुते।। 14।।
ब्रह्मास्त्रमिति विख्यातं त्रिषु लोकेषु विश्रुतम्।
गुरुभक्ताय दातव्यं न दे्यं यस्य कस्यचित्।। 15।।
पीतांबरा च द्वि-भुजां, त्रि-नेत्रां गात्र कोमलाम्।
षिला-मुद्गर हस्तां च स्मरेत् तां बगलामुखीम्।। 16।।
नित्यं स्तोत्रमिदं पवित्रमहि यो देव्याः
पठत्यादराद्- धृत्वा यन्त्रमिदं तथैव समरे बाहौ करे वा गले।
राजानोऽप्यरयो मदान्धकरिणः सर्पाः
मृगेन्द्रादिका- स्तेवैयान्ति विमोहिता रिपुगणाः लक्ष्मीः स्थिरासिद्धयः।। 17।।
बगलामुखी स्तोत्र लिरिक्स अंग्रेजी में (Baglamukhi Stotra Lyrics In English)
Viniyog
Asy Shri Bagalamukhi Stotrasy Narad Ṛshiah Trishtup Chhandah.
Shri Bagalamukhi Devata, Bijam Svaha Shaktiah Kilakam Mam Shri Bagalamukhi Prityarthe Jape Viniyogah.
!! Dhyan !!
Sowvarnasanasamsthitan Trinayanan Pitanshukollasinin,
Hemabhangaruchin Shashankamukutan Srak Champakastragyutam,
Hastaimudgar, Pashabaddharasanan Samvibhrtin Bhushanaivyaptiamgi
Bagalamukhi Trjagatan Samstambhinin Chintaye .
Un Madhye Sudhabdhimanimaṇdaparatnavedin,
Sinhasanoparigatan Paripitavarnam.
Pitambarabharanamalyavibhushitangi
Devin Bhajami Dhrtamudagravairijivham..1..
Jihvagramaday Kareṇ Devi,
Vamen Shatrun Paripidayantim.
Gadabhighaten Ch Dakshinen,
Pitambaradhayan Dvibhujan Bhajami.. 2..
Chalatkanakakuṇdalollasit Charu Gaṇdasthalan,
Lasatkanakachampakadyutimadindubimbananam..
Gadahatavipakshakankalitalolajihvachamlam.
Smarami Bagalamukhin Vimukhavangamanastambhinim.. 3..
Piyushodadhimadhyachaaruvilasadraktotpale Maṇdape,
Satsihasanamowlipatitaripun Pretasanadh Yaasinim.
SvarnabhankarapidItarirasanan Bhramya˜Dan Vibhramamittham
Dhyayati Yanti Tasy Vilayam Sadyosth Sarvapadah.. 4..
Devi Tvachcharanaambujaarchanakrte Yah Piitapushpaanjaliin .
Bhaktayaa Vaamakare Nidhaay ch Manummantrii Manojnaaksharam.
Piithadhyaanaparosth Kumbhakavashaadviijam Smaret Paarthivah.
Tasyaamitramukhasy Vaachi hrdaye Jaadayam Bhavet Tatkshanaat.. 5..
Vaadii Muukati Rankati Kshitipativaishvaanarah Shiitati.
Krodhii Shaamyati Dujrjanah Sujanati Kshipraanugah Khanjati..
Garvii Kharvati Sarvavichch Jadati Tvadyantranaayantritah.
Shriinitye Bagalaamukhii Pratidinam KalyaanI Tubhyam Namah.. 6..
Mantrastaavadalam Vipakshadalanam Stotram Pavitram ch te,
Yantram VaadiniyantraṆAm Trijagataan Jaitram ch chitram ch te.
Maatah Shriibagaletinaamalalitam Yasyaasti Jantormukhe,
TvannaamagrahaṆen Samsadi Mukhastambhe Bhavedvaadinaam.. 7..
Dashtu Stambhnamagu Vighnashaman Daaridrayavidraavanam
Bhuubhashamanam Chalanmrgadrshaanchetah Samaakarshanam.
Sowbhaagyaikaniketanam Samadrshaan Kaarunyapuurnaasmrtam,
mrtyormaaranamaavirastu Purato Maatastvadiiyam Vapuah.. 8..
Maatarbhanjay Me Vipakshavadanam Jivhaan ch Sankiilay,
Braahmiin Mudray Naashayaashudhishanaamugraangatin Stambhaya.
Shatruunshruucharnay Devi Tiikshnagadayaa Gowraagin Piitaambare,
Vighnowgham Bagale Har Pranamataan Kaaruunyapuurnekshane.. 9..
Maatabhairavi Bhadrakaali Vijaye Vaaraahi Vishvaashraye.
Shriividye Samaye Maheshi Bagale Kaameshi Raame Rame..
Maatangi Tripure Paraatparatare Svargaapavagaprade.
DaasoऽHam Sharanaagatah Karunayaa Vishveshvari Traahimaam.. 10..
Sarambhe Chairasanghe Praharanasamaye Bandhane Vaarimadh Ye,
Vidyaavaade Vivaade PrakupitanṚPatow Divyakaale Nishaayaam.
Vashye Vaa Stambhane Vaa Ripubadhasamaye Nirjane Vaa Vane Vaa,
Gachchhastishthamstrikaalam Yadi Pathati Shivam Praapnuyaadaashudhiirah.. 11..
Tvam Vidyaa Paramaa Trilokajananii Vighnowghasinchchhedinii
YoshaakarshanakaarinIi Trijagataamaanand Samvadhrnii .
Dushtochchaatanakaarinlijanamanassammohasandaayinii,
Jivhaakiilanabhairavi! Vijayate Brahmaadimantro Yathaa.. 12..
Vidyaaah Lakshmiiah Sarvasowbhaagyamaayuah
Putraiah Powtraiah Sarv Saamraajyasiddhiah.
Maanam Bhogo Vashyamaarogy Sowkhyam,
Praaptam Tattadbhuutalessminnarena.. 13..
Yatkrtam Japasannaaham Gaditam Parameshvari.
Dushtaanaan Nigrahaarthaay Tadgrhaaṇ Namosstute.. 14..
Brahmaastramiti Vikhyaatam Trishu Lokeshu Vishrutam.
Gurubhaktaay Daatavyam N Deyam Yasy Kasyachit.. 15..
Piitaanbaraa Ch Dvi-Bhujaan, Tri-Netraan Gaatr Komalaam.
Shilaa-Mudgar Hastaan Ch Smaret Taan Bagalaamukhiim.. 16..
Nityam Stotramidam Pavitramahi Yo Devyaaah
PaṬthatyaadaraad- Dhrtvaa Yantramidam Tathaiv Samare Baahow Kare Vaa Gale.
Raajaanospyarayo Madaandhakarinah Sarpaaah
mrgendraadikaa- Stevaiyaanti Vimohitaa Ripuganaaah Lakshmiiah Sthiraasiddhayah.. 17..
बगलामुखी स्तोत्र वीडियो (Baglamukhi Stotra Video)
बगलामुखी स्तोत्र विधि (Baglamukhi Stotra Vidhi)
सामग्री
- पीला कपड़ा
- आसन
- देवी बगलामुखी की प्रतिमा या तस्वीर
- धूप, दीप, नैवेद्य,मिठाई आदि
- माला
विधि
- बगलामुखी स्तोत्र (Baglamukhi Stotra) का पाठ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू करना चाहिए।
- इस स्त्रोत का पाठ लगातार 43 दिन तक करना चाहिए।
- स्तोत्र का पाठ करते समय पीले वस्त्र धारण करके आसन पर बैठना चाहिए।
- स्तोत्र का पाठ करते समय देवी बगलामुखी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर करना चाहिए।
- स्तोत्र का पाठ करते समय धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करना चाहिए।
- स्तोत्र का पाठ करते समय माला लेकर धीरे-धीरे और ध्यानपूर्वक जाप करना चाहिए।
बगलामुखी स्तोत्र लाभ (Baglamukhi Stotra Benefits)
- शत्रुओं का नाश:
बगलामुखी स्तोत्र का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है। इनकी कृपा से शत्रुओं की वाणी स्तंभित हो जाती है और वे कोई भी हानि नहीं पहुंचा सकते है। - वाद-विवाद में विजय:
बगलामुखी स्तोत्र का पाठ करने से वाद-विवाद में विजय मिलती है। इनकी कृपा से साधक का वाणी प्रभावशाली हो जाता है और वह किसी भी वाद-विवाद में विजय प्राप्त कर सकता है। - वाकसिद्धि प्राप्ति:
बगलामुखी स्तोत्र का पाठ करने से वाकसिद्धि प्राप्त होती है। इनकी कृपा से साधक का वाणी प्रभावशाली हो जाता है और वह किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण कर सकता है। - बुद्धिबल में वृद्धि :
बगलामुखी स्तोत्र का पाठ करने से बुद्धिबल बढ़ता है।इनकी कृपा से साधक की बुद्धि तेज होती है और वह किसी भी कार्य को आसानी से कर सकता है। - धन-धान्य की प्राप्ति:
बगलामुखी स्तोत्र का पाठ करने से विद्या और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
बगलामुखी स्तोत्र पीडीएफ (Baglamukhi Stotra PDF)
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बगलामुखी स्तोत्र से जुड़े कुछ प्रश्न (Baglamukhi Stotra FAQ)
बगलामुखी स्तोत्र किस देवी को समर्पित है?
बगलामुखी स्तोत्र (Baglamukhi Stotra) दसमहाविद्याओं में से एक, देवी बगलामुखी को समर्पित है।
बगलामुखी स्तोत्र का पाठ करने का सबसे अच्छा समय क्या है?
बगलामुखी स्तोत्र (Baglamukhi Stotra) का पाठ करने का सबसे अच्छा समय शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू कर लगातार 43 दिन तक है।
बगलामुखी स्तोत्र का पाठ करने के बाद क्या करना चाहिए?
बगलामुखी स्तोत्र (Baglamukhi Stotra) का पाठ करने के बाद देवी बगलामुखी की कृपा से प्राप्त लाभों के लिए उनका धन्यवाद करना चाहिए।
बगलामुखी स्तोत्र का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
बगलामुखी स्तोत्र (Baglamukhi Stotra) का पाठ करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
शत्रुओं का नाश होता है।
वाद-विवाद में विजय मिलती है।
वाकसिद्धि प्राप्त होती है।
बुद्धिबल बढ़ता है।
विद्या और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
बगलामुखी स्तोत्र का पाठ करने का क्या उद्देश्य है?
बगलामुखी स्तोत्र (Baglamukhi Stotra) का पाठ करने का उद्देश्य देवी बगलामुखी की कृपा प्राप्त करना है। इनकी कृपा से शत्रुओं का नाश होता है, बुद्धिबल बढ़ता है और विद्या और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
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