विंध्याचल स्तोत्र (Vindhyachal Stotra) एक संस्कृत स्तोत्र है जिसे “विंध्यावासिनी स्तोत्र” भी कहा जाता है यह एक संस्कृत स्तोत्र है जो हिंदू देवी विंध्यवासिनी की स्तुति करता है। और विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में स्थित विंध्यवासिनी मंदिर में प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है।विंध्याचल स्तोत्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है यह स्तोत्र देवी विंध्यावासिनी को समर्पित है। इस स्तोत्र का पाठ करने से हमें देवी विंध्यावासिनी की कृपा प्राप्त होती है।
विषय सूची
विंध्यांचल स्तोत्र लिरिक्स (Vindhyachal Stotra Lyrics)
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी,
प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी ।
बनेरणे प्रकाशिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
त्रिशूल मुण्ड धारिणी,
धरा विघात हारिणी ।
गृहे-गृहे निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
दरिद्र दुःख हारिणी,
सदा विभूति कारिणी ।
वियोग शोक हारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
लसत्सुलोल लोचनं,
लतासनं वरप्रदं ।
कपाल-शूल धारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कराब्जदानदाधरां,
शिवाशिवां प्रदायिनी ।
वरा-वराननां शुभां,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कपीन्द्न जामिनीप्रदां,
त्रिधा स्वरूप धारिणी ।
जले-थले निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
विशिष्ट शिष्ट कारिणी,
विशाल रूप धारिणी ।
महोदरे विलासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
पुंरदरादि सेवितां,
पुरादिवंशखण्डितम् ।
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं,
भजामि विन्ध्यवासिनीं ॥
विंध्यांचल स्तोत्र लिरिक्स अंग्रेजी में (Vindhyachal Stotra In English)
Nishumbh Shumbh Garjani,
Prachanda Mund Khandini ।
Banerane Prakashini,
Bhajami Vindhyavasini ॥
Trishool Mund Dharini,
Dhara Vighat Harini ।
Gruhe-gruhe Nivasini
Bhajami Vindhyavasini ॥
Daridr Duhkh Harini,
Sada Vibhooti Karini ।
Viyog Shok Harini,
Bhajami Vindhyavasini ॥
Lasatsulol Lochanam,
Latsasan Varpardhan ।
Kapal-shool Dharini,
Bhajami Vindhyavasini ॥
Karabjadanadadharan,
Shivashivan Pradayini ।
Vara-varananam Subham,
Bhajami Vindhyavasini ॥
Kapindn Jaminipradan,
Tridha Swarup Dharini ।
Jale-thale Nivasini,
Bhajami Vindhyavasini ॥
Vishisht Shisht Karini,
Vishal Roop Dharini ।
Mahodare Vilasini,
Bhajami Vindhyavasini ॥
Punradaradi Sevitan,
Puradivanshakhanditam ।
Vishuddh Buddhikarinin,
Bhajami Vindhyavasinin ॥
विंध्यांचल स्तोत्र वीडियो (Vindhyachal Stotra Video)
विंध्यांचल स्तोत्र विधि (Vindhyachal Stotra Vidhi)
- विंध्याचल स्तोत्र का पाठ करने के लिए शांत स्थान चुनना चाहिए।
- विंध्याचल स्तोत्र का पाठ हम मंदिर या घर में भी कर सकते है।
- विंध्याचल स्तोत्र का पाठ करते समय हमें अपने मन को शांत रखना चाहिए।
- मन को शांत करके देवी विंध्यवासिनी का ध्यान करना चाहिए।
- ध्यान केंद्रित करने के बाद विंध्यचल स्तोत्र का पाठ कर सकते चाहिए।
विंध्यांचल स्तोत्र लाभ (Vindhyachal Stotra Benefit)
- विंध्याचल स्तोत्र का पाठ करने से आध्यात्मिक विकास होता है।यह स्तोत्र देवी विंध्यवासिनी के प्रति समर्पण और प्रेम विकसित करने में मदद करता है।
- देवी विंध्यवासिनी को एक दयालु और करुणामय देवी के रूप में माना जाता है। विंध्याचल स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को देवी विंध्यवासिनी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- विंध्याचल स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- विंध्याचल स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को बुरी शक्तियों से रक्षा प्राप्त करने में मदद मिलती है।
- विंध्याचल स्तोत्र का पाठ करने से देवी विंध्यवासिनी की कृपा हम पर बनी रहती है जिससे हमारे सभी कार्य सफल हो जाते है।
विंध्यांचल स्तोत्र पीडीएफ (Vindhyachal Stotra PDF)
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विंध्याचल स्तोत्र से जुड़े कुछ प्रश्न (Vindhyachal Stotra FAQ)
विंध्याचल स्तोत्र (Vindhyachal Stotra) किस देवी की स्तुति करता है?
विंध्याचल स्तोत्र (Vindhyachal Stotra) देवी विंध्यवासिनी की स्तुति करता है। विंध्यवासिनी को देवी दुर्गा का एक रूप माना जाता है। वह शक्ति, दया, और करुणा की देवी हैं।
विंध्याचल स्तोत्र (Vindhyachal Stotra) का पाठ करने के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?
विंध्याचल स्तोत्र (Vindhyachal Stotra) का पाठ करने का सबसे अच्छा समय सुबह और शाम होता है। इस समय, मन शांत होता है और ध्यान केंद्रित करना आसान होता है।
विंध्यांचल स्तोत्र (Vindhyachal Stotra) का पाठ करने के बाद क्या करना चाहिए?
विंध्यांचल स्तोत्र (Vindhyachal Stotra) का पाठ करने के बाद, भक्तों को देवी विंध्यवासिनी से प्रार्थन करनी चाहिए। की हम पर अपनी कृपा बनाये रखे। और हमें आशीर्वाद प्रदान करे।
विंध्याचल स्तोत्र (Vindhyachal Stotra) किसे समर्पित है?
विंध्याचल स्तोत्र (Vindhyachal Stotra) देवी विंध्यवासि को समर्पित है।
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