गणेश चतुर्थी : Experience the Magic of Ganesh Chaturthi Like Never Before!

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) त्योहार हिंदू धर्म के एक प्रमुख त्योहारों में से एक है जो भारत और विश्व भर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान गणेश के जन्म की खुशी में मनाया जाता है।

Ganesh Chaturthi चतुर्थी तिथि को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है, जो शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को कहते हैं। इस दिन लोग भगवान गणेश की मूर्ति और विग्रह को स्थापित करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान गणेश को विशेष आहार और मिठाई से प्रसादित किया जाता है।

Ganesh Chaturthi एक विशेष उत्सव है, जो महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और कर्नाटक जैसे राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह उत्सव दस दिनों तक भी चल सकता है या छोटे-मोटे उत्सव के रूप में भी मनाया जा सकता है। इस उत्सव के दौरान स्थानीय पंडालों में गणेश मूर्तियां स्थापित की जाती हैं और लोग उन्हें देखने तथा आराधना करने के लिए इकट्ठे होते हैं।

Ganesh Chaturthi का उत्सव धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोन से भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण है और इसे भगवान गणेश के भक्ति और शक्ति की प्रतीक रूप में माना जाता है।

विषय सूची

गणेश चतुर्थी पूजा विधि (Ganesh Chaturthi Pooja Vidhi)

Ganesh Chaturthi pooja vidhi


Ganesh Chaturthi के लिए आवश्यक पूजन सामग्री:

  • गणेश भगवान की मूर्ति या चित्र
  • पूजनीय गणेश व्रत कथा पुस्तक
  • आरती संग्रह (आरती की थाली, दीपक, धूप, अगरबत्ती, गुड़, नारियल, पंचामृत)
  • फूलों का माला और फूलों की बेला
  • अपनी पसंद के प्रसाद (मोदक, लड्डू, सूजी के हलवे, फल आदि)


Ganesh Chaturthi की पूजा विधि:

  • पूजा का आयोजन: पूजा के लिए साफ़ और शुद्ध स्थान चुनें। गणेश भगवान की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर रखें।
  • गणेश जी का स्नान : गणेश भगवान को दूध और जल से स्नान कराएं। उन्हें सुगंधित जल और गुड़ से स्नान कराने से उन्हें अत्यंत प्रसन्नता मिलती है।
  • पूजा के लिए सामग्री स्थानांतरित करें: पूजनीय वस्त्र और माला गणेश भगवान की मूर्ति पर स्थानांतरित करें।
  • पूजा का संबोधन: पूजा की शुरुआत मंत्रों के साथ करें। गणेश भगवान का ध्यान करें और उन्हें मन में आनंदपूर्वक बुलाएं।
  • अङ्कुर अर्पण: अपने मनस्थल पर गणेश भगवान के अंकुर को अर्पित करें। यह एक संकेत है कि भगवान को आपने उनके आगमन के लिए तैयार किया हैं।
  • व्रत कथा का पाठ करें: गणेश चतुर्थी व्रत कथा को विधिवत पाठ करें। इससे भगवान की कृपा आप पर बनी रहती है और आपके जीवन में समृद्धि आती है।
  • आरती करें: पूजा के अंत में गणेश भगवान को आरती करें। इससे उन्हें आपकी पूजा की प्रसन्नता मिलती है और आपके जीवन में खुशियाँ आती हैं।
  • प्रसाद वितरण: अपनी पसंद के प्रसाद को गणेश भगवान को अर्पित करें और फिर उसे सभी को बांटें।
  • यह थी गणेश चतुर्थी की पूजा विधि हिंदी में। इसे भक्ति भाव से और श्रद्धा से करना चाहिए। गणेश भगवान की पूजा से आपके जीवन में समृद्धि, सुख, शांति, और सफलता की प्राप्ति हो।


शेंदुर लाल चढ़ायो (Shendur Lal Chadhayo lyrics)

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को,
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहर को ।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवर को,
महिमा कहे न जाय लागत हूं पद को ।।
।। जय देव जय देव ।।

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता ।
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता ।।
। जय देव जय देव ।।

भावभगत से कोई शरणागत आवे,
संतति संपत्ति सबहि भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे,
गोसावीनन्दन निशिदिन गुण गावे ।।
।। जय देव जय देव ।।

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता ।
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता ।।
।। जय देव जय देव ।।

घालीन लोटांगण वंदिन चरन,
डोळ्यांनी पाहीं रुप तुझे ।
प्रेम आलिंगिन आनंदे पूजीं,
भावे ओवालीन म्हणे नामा ।।

त्वमेव माता पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वम मम देव देव ।।

कयें वच मनसेन्द्रियैवा,
बुद्धयात्मना व प्रकृतिस्वभावा ।
करोमि यद्यत सकलं परस्मै,
नारायणायेति समर्पयामि ।।

अच्युत केशवम रामनरायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरी ।
श्रीधरम माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्रम भजे ।।

हरे राम हरे राम,
राम राम हरे हरे ।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा,
कृष्णा कृष्णा हरे हरे ।।

भगवन गणेश की पूजा करने के लाभ (Bhagwan ganesh ki pooja karne ke laabh)

  1. संकट से मुक्ति: गणेश भगवान को “विघ्नहर्ता” और “संकटहर्ता” कहा जाता है। उनकी पूजा से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है।
  2. सफलता की प्राप्ति: गणेश भगवान को विधिवान और विद्वान बनाने के कारण, उनकी पूजा से बुद्धि और समझ बढ़ती है और सफलता की प्राप्ति होती है।
  3. विद्या का सुख: विद्यार्थियों के लिए गणेश भगवान की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है। उनकी पूजा से विद्या में सफलता मिलती है और विद्यार्थियों को ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  4. कार्यों में सफलता: गणेश भगवान को सभी कार्यों के देवता माना जाता है। उनकी पूजा से कार्यों में सफलता मिलती है और अविघ्न रूप से कार्य सम्पन्न होते हैं।
  5. धन और समृद्धि: गणेश भगवान की पूजा से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनके आशीर्वाद से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और व्यवसाय में लाभ मिलता है।
  6. परिवार की सुरक्षा: गणेश भगवान की पूजा से परिवार की सुरक्षा होती है। उनके आशीर्वाद से परिवार के सभी सदस्यों की सुरक्षा बनी रहती है।
  7. धार्मिक साधना का मार्गदर्शन: गणेश भगवान को धार्मिक साधना का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा से मानसिक शांति मिलती है और धार्मिक उत्थान होता है।

भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक रूप से अनेक लाभ मिलते हैं। उनकी पूजा करने से सभी कार्य सफल होते हैं और जीवन में समृद्धि का आगमन होता है। इसलिए, गणेश भगवान की पूजा को नियमित रूप से करना बहुत शुभ होता है।

गणेश चतुर्थी में लगने वाले मेले (Ganesh Chaturthi me lagne wale mele)

Ganesh Chaturthi के मेले भारत भर में विभिन्न स्थानों पर लगते हैं। इन मेलों का आयोजन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के अवसर पर किया जाता है। ये मेले आम तौर पर शहरों और गांवों के मंदिरों में, चौकों पर, और प्राचीन गणेश मंदिरों के निकट होते हैं। इन मेलों में भगवान गणेश की मूर्तियों की सजावट होती है, विभिन्न प्रकार के प्रसाद और वस्त्र विक्रय होते हैं और आम तौर पर मनोरंजन कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

गणेश चतुर्थी के मेले भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं। इन मेलों का आयोजन भारत के विभिन्न शहरों में विशेष रूप से कराया जाता है। जैसे कि, महाराष्ट्र में “लालबागचा राजा” मेला, गुजरात में “गणेश उत्सव” या “गणपति मेला”, और कर्नाटक में “गणेश चतुर्थी उत्सव”।

इन मेलों में लोग आकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें विभिन्न प्रसाद भोग चढ़ाते हैं और भक्ति भाव से भजन की आरती गाते हैं। मेलों में भारतीय संस्कृति और परंपरा के रंग दिखाई देते हैं और लोग मिल-झुलकर इस धार्मिक उत्सव का आनंद लेते हैं।

ध्यान दें कि मेले की तारीखें और आयोजन स्थान वर्ष के हिसाब से बदल सकते हैं, इसलिए गणेश चतुर्थी के मौके पर स्थानीय सूचना और समाचार के माध्यम से आप अपने नजदीकी मेले के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Ganesh Chaturthi song

गणेश उत्सव मे सर्वमान्य श्री गणेश आरती का अपना अलग ही महत्व है।


जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

—– Additional —–
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

Ganesh Chaturthi Aarti pdf यहाँ से डाउनलोड करे।

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भगवान गणेश के जन्म की कहानी (Bhagwaan ganesh ke janam ki kahani)

एक बार की बात है, देवताओं में सर्वश्रेष्ठ भगवान शिव की पत्नी माता पार्वती जिन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है। 1 दिन माता पार्वती स्नान करने जा रही थी लेकिन कैलाश पर्वत पर कोई भी नहीं था ऐसे में माता ने अपने मेल से एक पुत्र का जन्म दिया जिसका नाम उन्होंने गणेश रखा माता पार्वती ने गणेश को अपनी पहरेदारी के लिए नियुक्त कर दिया और पुत्र गणेश को कहा कि पुत्र मैं स्नान करने जा रही हूं किसी को भी अंदर मत आने देना।

कुछ समय पश्चात भगवान शिव आते है। और अंदर जाने लगते हैं तभी माता पार्वती द्वारा जनमीत पुत्र गणेश भगवान शिव को अंदर जाने से रोकता है लेकिन महादेव नहीं रुकते। ऐसे में पुत्र गणेश भगवान शिव को अंदर नहीं जाने देता तब भगवान शिव को क्रोध आ जाता है और उन्होंने अपने त्रिशूल से पुत्र गणेश का सिर काटकर वध कर दिया और अंदर चले गए। 

जब माता पार्वती ने देखा कि भगवान शिव अंदर कैसे आ गए, तो उन्होंने पूछा कि आपको किसी ने रोका नहीं। तो भगवान शिव ने कहा कि एक हटी बालक मुझे रोकने की कोशिश कर रहा था और मैंने क्रोध में उसका वध कर दिया। इसके पश्चात माता पार्वती बहुत क्रोधित हो जाती है और कहती है कि वह मेरा पुत्र गणेश था। जिसको मैंने अपने शरीर से जन्म दिया था। 

यह सुनकर भगवान शिव को बौद्ध होता है कि उन्होंने अपने क्रोध में पार्वती पुत्र का वध कर दिया। इसके पश्चात भगवान शिव पुत्र गणेश को जीवित करने के लिए उसके सिर पर हाथी का सिर लगाते हैं और पुत्र गणेश को जीवन दान देते हैं। और गणेश को दैवीय शक्तियां भी देते है।

गणेश के पास एक हाथी का सिर था, जो ज्ञान, बुद्धि और असाधारण स्मृति का प्रतीक था। उनका शरीर एक युवा लड़के का था, जिसके पेट में पेट था, जो दुनिया के दुखों और परेशानियों को अवशोषित करने की उनकी क्षमता का प्रतिनिधित्व करता था।

गणेश एक अविश्वसनीय रूप से दयालु, सौम्य और बुद्धिमान देवता के रूप में बड़े हुए। उनकी दिव्य उपस्थिति उन सभी के लिए सुकून और खुशी लेकर आई जो उनकी पूजा करते थे। वे शुभता के अवतार और विघ्नहर्ता बन गए। भक्त किसी भी नए उद्यम या महत्वपूर्ण उपक्रम को शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लेते हैं।

गणेश जी ने बिना रुके लिखी थी महाभारत, महर्षि वेद व्यास के सामने रखी थी शर्त

गणेश जी को प्रथम देव माना गया है. शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश जी का ध्यान किया जाता है. माना जाता है कि किसी भी शुभ कार्य करने से पूर्व गणेश जी की वंदना और स्तुति से कार्य में आने वाले विघ्न समाप्त हो जाते हैं. इसीलिए भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।

भगवान गणेश जी ने ही महाभारत काव्य अपने हाथों से लिखा था. पौराणिक कथा के अनुसार विद्या के साथ साथ भगवान गणेश को लेखन कार्य का भी अधिपति माना गया है. गणेश जी को सभी देवी देवताओं में सबसे अधिक धैर्यवान माना गया है. उनका चित्त स्थिर और शांत बताया गया है. कैसी भी परिस्थिति हो वे अपना धैर्य नहीं खोते हैं. शांत भाव से अपने कार्य को करते रहते हैं. इसी कारण उनकी लेखन की शक्ति भी अद्वितीय मानी गई है।

महर्षि वेद व्यास भगवान गणेश के इसी खूबी के चलते अति प्रभावित थे. जब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना करने का मन बनाया तो उन्हें महाभारत जैसे महाकाव्य के लिए एक ऐसे लेखक की तलाश थी जो उनके कथन और विचारों को बिना बाधित किए लेखन कार्य करता रहे. क्योंकि बाधा आने पर विचारों की सतत प्रक्रिया प्रभावित हो सकती थी।

महर्षि वेद व्यास ने सभी देवी देवताओं की क्षमताओं का अध्ययन किया लेकिन वे संतुष्ट नहीं हुई तब उन्हें भगवान गणेश जी का ध्यान आया. महर्षि वेद व्यास ने गणेशजी से संपर्क किया और महाकाव्य लिखने का आग्रह किया. भगवान गणेश जी ने वेद व्यास जी के आग्रह को स्वीकार कर लिया लेकिन एक शर्त उनके सम्मुख रख दी. शर्त के अनुसार काव्य का आरंभ करने के बाद एक भी क्षण कथा कहते हुए रूकना नहीं है. क्योंकि ऐसा होेने पर गणेश ने कहा कि वे वहीं लेखन कार्य को रोक देंगे।

गणेश जी की बात को महर्षि वेद व्यास ने स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्होनें भी एक शर्त गणेशजी के सामने रख दी. महर्षि वेद व्यास जी ने कहा कि बिना अर्थ समझे वे कुछ नहीं लिखेंगे. इसका अर्थ ये था कि गणेश जी को प्रत्येक वचन को समझने के बाद ही लिखना होेगा. गणेश जी ने महर्षि वेद व्यास की इस शर्त को स्वीकार कर लिया. इसके बाद महाभारत महाकाव्य की रचना आरंभ हुई. कहा जाता है कि महाभारत के लेखन कार्य पूर्ण होने में तीन वर्ष का समय लगा. इन तीन वर्षों में गणेश जी ने एक बार भी महर्षि वेद व्यास जी को एक पल के लिए भी नहीं रोका, वहीं महर्षि ने भी अपनी शर्त पूरी की. इस तरह से महाभारत पूर्ण हुआ।

भगवान श्री गणेश जी के प्रसिद्ध मंदिर

सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई, महाराष्ट्र: सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई का एक बहुत ही प्रसिद्ध गणेश मंदिर है और यह गणेश चतुर्थी के उत्सव में विशेष रूप से प्रसिद्ध होता है। यह मंदिर प्रतिवर्ष लाखों भक्तों द्वारा दर्शन किया जाता है।

यह मंदिर मुंबई के प्रसिद्ध नक्काशी पर है और भगवान गणेश की विभिन्न स्वर्ण-सिद्धि मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1801 में किया गया था।

इसके अलावा, भारत में अनेक और भी बड़े गणेश मंदिर हैं जैसे कि श्री सिद्धिविनायक मंदिर (अहमदाबाद, गुजरात), कृष्ण देवी मंदिर (कुरुक्षेत्र, हरियाणा), गणेश तेम्पल (उज्जैन, मध्य प्रदेश), और कानिपाकम गणेश तेम्पल (बंगलुरु, कर्नाटक) आदि।

गणेश भगवान के इन बड़े मंदिरों में भक्तों की भक्ति और श्रद्धा से पूजा अर्चना होती है और लाखों लोग वार्षिक उत्सव के दौरान इन मंदिरों की यात्रा करते हैं।

गणेश भगवान के बारे में सवाल और उनके जवाब (Ganesh Bhagwan ke bare me sawal aur unke jawab) :

गणेश जी को क्यों मुख हाथ से प्रसन्न किया जाता है?

गणेश जी को मुख हाथ से प्रसन्न किया जाता है क्योंकि उन्होंने माता पार्वती की आज्ञा के विरुद्ध उसके द्वारवास को रोकने की कोशिश की थी और भगवान शिव ने उनके सिर को काट दिया था। गणेश जी ने उस समय अपने सिर को फिर से लगा लिया था, इससे उनका मुख हाथ से प्रसन्न हो गया।

गणेश जी के चार हाथ क्या प्रतीक हैं?

गणेश जी के चार हाथ बुद्धि, अहंकार, मन, और अहंकार की प्रतिष्ठा को दर्शाते हैं। उनके चार हाथ इन चार गुणों को संतुष्ट करते हैं और भक्तों को ध्यान के साथ कार्य करने का संदेश देते हैं।

गणेश जी को मोदक क्यों प्रसाद में चढ़ाते हैं?

मोदक गणेश जी के प्रिय प्रसाद में से एक है। मोदक गणेश जी के विशेष भोग के रूप में प्रसिद्ध हैं, और उन्हें समर्पित किया जाता है क्योंकि उन्हें बहुत पसंद होते हैं। भगवान गणेश को मोदक खिलाने से उनकी कृपा मिलती है और भक्त के सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

गणेश जी का वाहन क्या है?

गणेश जी का वाहन मूषक (माउस) है। मूषक गणेश जी के सदृश अवगुणों को दर्शाता है, और उन्हें बुद्धि और संवेग (विगत की स्मृति) के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करता है।

Ganesh Chaturthi क्यों मनाई जाती है?

Ganesh Chaturthi भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान भक्त गणेश जी की पूजा, अर्चना, और व्रत करते हैं और उन्हें समर्पित कार्यक्रम आयोजित करते हैं। यह त्योहार भक्तों के बीच भक्ति, श्रद्धा, और आनंद का संदेश देता है।

गणेश जी का परिवार कैसा है?

गणेश जी के परिवार में उनके माता-पिता, माता पार्वती (शक्ति) और भगवान शिव (महादेव) होते हैं। उनके भाई और बहन हैं कार्तिकेय (स्कंद) और विघ्नराजा (विघ्नहर्ता) भी।

गणेश जी के विभिन्न नाम क्या हैं?

गणेश जी के विभिन्न नाम वेद और पुराणों में दिए गए हैं। कुछ प्रमुख नाम हैं – विघ्नहर्ता (विघ्न का नाश करने वाला), विनायक (विशेष अधिकारी), गणपति (गणों के प्रमुख), एकदंत (एक दंत वाला), लम्बोदर (लंबे पेट वाला) आदि।

गणेश जी की पूजा का महत्व क्या है?

गणेश जी की पूजा का महत्व भक्तों के जीवन में खुशियाँ और समृद्धि को लाने में है। गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजने से कठिनाइयाँ दूर होती हैं और सफलता की प्राप्ति होती है।

Ganesh Chaturthi कैसे मनाई जाती है?

Ganesh Chaturthi भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसे भारत भर में धूमधाम से मनाया जाता है। लोग गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं, विशेष भजन-कीर्तन करते हैं, और विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं। त्योहार के दौरान मेले, रस्मों, और कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

गणेश जी का मंत्र क्या है?

गणेश जी के विभिन्न मंत्र हैं, जो उनकी पूजा में उच्चारित किए जाते हैं। कुछ प्रमुख मंत्र हैं – “ॐ गं गणपतये नमः” और “ॐ श्री गणेशाय नमः”। ये मंत्र भक्तों को गणेश जी की कृपा और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

यह थे कुछ प्रमुख सवाल और उनके जवाब भगवान गणेश से संबंधित। गणेश जी एक प्रिय देवता हैं जिन्हें भक्ति और श्रद्धा से पूजा जाता है। उन्हें प्रसन्न करने से व्यक्ति को बुद्धि, समृद्धि, और सफलता मिलती है।

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इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 

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Updated on May 11, 2024