“काल भैरव” (Kaal Bhairav) नाम का अनुवाद “समय (काल)” और “भयानक (भैरव)” जो की दिखने में डरावने अर्थात भयानक दिखता है। इनका वाहन काला कुत्ता है, ये आदिदेव शिव के पांचवे अवतार माने जाते है. काल भैरव (Kaal Bhairav) का प्राचीन मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में है, जिसमे भक्तो के द्वारा काल भैरव (Kaal Bhairav) को मदिरा चढ़ाई जाती है, इन्हें नगर का कोतवाल कहा जाता है. ये भारत के साथ-साथ अन्य देश जैसे नेपाल, श्रीलंका और तिब्बत में भी पूजे जाते है.
विषय सूची
काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti)
कालभैरव काल भैरव (Kaal Bhairav) जयंती मार्गशीर्ष महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं. भक्त अक्सर सुरक्षा, अकाल मृत्यु, रोग, आशीर्वाद और विभिन्न बाधाओं से मुक्ति के साथ-साथ भय और नकारात्मक प्रभावों पर काबू पाने के लिए काल भैरव की पूजा करते हैं। काल भैरव को भगवान शिव का स्वरूप मानते हैं. वे रुद्रावतार कहे जाते हैं. वे भगवान शिव के सबसे उग्र रूप हैं.
इस वर्ष कालभैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti) 5 दिसंबर 2023 को है
भारत के विभिन्न हिस्सों में काल भैरव (Kaal Bhairav) को समर्पित मंदिर हैं, जहां इस देवता के सम्मान और आशीर्वाद पाने के लिए अनुष्ठान और प्रार्थनाएं की जाती हैं।
काल भैरव के बारे में (About Kaal Bhairav)
देवो के देव महादेव के रूद्र रूप को काल भैरव कहते है, काल भैरव की पूजा भक्तों द्वारा मुख्यतः तंत्र – मंत्र, साधना को संपन्न करने के लिए किया जाता है, इसलिए इन्हे तंत्र – मंत्र का देवता भी माना जाता है.
काल भैरव (Kaal Bhairav) की उत्त्पति – एक बार त्रिदेव भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनो में श्रेष्ठ कौन है कहकर बहस छिड़ गयी, तीनो अपने आप को एक दूसरे से श्रेष्ठ कहने लगे किन्तु कोई भी निर्णय नहीं निकल पा रहा था, फिर वे तीनो ने ऋषि मुनियो का सहारा लिया, ऋषि मुनियो ने बताया की भगवान शिव ही आप दोनों से श्रेष्ठ है इस बात पर भगवान ब्रम्हा का एक सिर क्रोध की अग्नि में जलने लगा और वे क्रोधवश भगवान शिव का अपमान करने लगे. भगवान ब्रम्हा के इस कृत्य से भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए और क्रोध में आकर रौद्र रूप धारण कर लिया, जिससे उनके रक्त से काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी।
काल भैरव ने ब्रम्हा जी के जलते हुए सिर को धड़ से अलग कर दिया (ब्रम्हा जी के सिर काटने की एक कथा यह भी है की ब्रम्हा जी चार वेदो की रचना करने के बाद पांचवे वेद की रचना करने जा रहे थे तब भगवान् शिव ने उन्हें समझाने का प्रयास किया किन्तु ब्रम्हा जी अपने बात पर अडिग रहे उन्होंने भगवान् शिव की नहीं सुनी तब भगवान् शिव क्रोध वश रौद्र रूप धारण कर लिया जिससे काल भैरव की उत्त्पत्ति हुई फिर काल भैरव ने नाख़ून के प्रहार से ब्रम्हा जी का पांचवा सर काट दिया, जिस कारन से काल भैरव को ब्रम्ह हत्या का पाप लगा) , जिस कारन से इन्हे ब्रम्ह हत्या का पाप लग गया. ब्रम्ह हत्या के पाप से दोष मुक्त होने के लिए वो तीर्थ पर चले गए. सभी तीर्थो का भ्रमण करने के बाद उन्हें भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे जहां वे ब्रम्ह हत्या से दोष मुक्त हो गए. काशी नगर काल भैरव को अत्यधिक प्रिय लगी और वे वही पर रहने लगे, कहा जाता है की काशी में भगवान् शिव के दर्शन के पश्चात काल भैरव के दर्शन किये बैगेर दर्शन पूर्ण नहीं माना जाता है.
एक अन्य कथा यह भी है की – पौराणिक कथा अनुसार अंधकासुर नामक एक राक्षस जो की अत्यंत शक्तिशाली था, वह अपने घमंड और अहंकार में चूर होकर सभी लोको को जीत लिया था, फिर उसने अपने घमंड में भगवान् शिव से युद्ध करने कैलाश चला गया, जिससे भगवान् शिव अत्यधिक क्रोधित हो गए और अपने रौद्र रूप में आने के कारन उनके रक्त से काल भैरव की उत्त्पति हुई, फिर काल भैरव (Kaal Bhairav) ने अंधकासुर का वध कर दिया।
काल भैरव के अन्य नाम | बटुकनाथ, भैरवीवल्लभ, दंडधारि, दण्डपाणी , स्वस्वा , भैरवनाथ आदि। |
सवारी | काला कुत्ता |
अस्त्र | तलवार, डंडा, त्रिशूल, डमरू, चंवर, खप्पर और ब्रह्मा का पांचवा सिर |
जीवनसंगिनी | भैरवी |
दिन | रविवार और मंगलवार |
काल भैरव मंत्र (Kaal Bhairav Mantra)
काल भैरव मूल मंत्र (Kaal Bhairav Mool Mantra)
ॐ श्री भैरवनाथाय नमः
काल भैरव बीज मंत्र (Kaal Bhairav Beej Mantra)
“ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं” ||
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रों ह्रीं ह्रों क्षं क्षेत्रपालाय कालभैरवाय नमः ll
काल भैरव गायत्री मंत्र (Kaal Bhairav Gayatri Mantra)
ॐ कालाकालाय विद्महे,
कालातीताय धीमहि,
तन्नो काल भैरव प्रचोदयात् ||
काल भैरव महामंत्र (Kaal Bhairav Maha Mantra)
ॐ कालभैरवाय नम:।।
ॐ भयहरणं च भैरव:।।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय. कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा।।
कालभैरव आरती (Kaal Bhairav Aarti)
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
॥ जय भैरव देवा…॥तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
कालभैरव आरती पीडीएफ (Kaal Bhairav Aarti Pdf)
कालभैरव गीत (Kaal Bhairav Lyrics)
ॐ जय भैरव देवा
प्रभु जय भैरव देवा
सुर नर मुनि सब करते
सुर नर मुनि सब करते
प्रभु तुम्हरी सेवा
ॐ जय भैरव देवा
ॐ जय भैरव देवा
प्रभु जय भैरव देवा
सुर नर मुनि सब करते
सुर नर मुनि सब करते
प्रभु तुम्हरी सेवा
ॐ जय भैरव देवा
तुम्ही पाप उद्धारक
दुःख सिन्धु तारक
प्रभु दुःख सिन्धु तारक
भक्तों से सुख कारक
भक्तों से सुख कारक
भीषण वपु धारक
ॐ जय भैरव देवा
वाहन श्वान विराजत
कर त्रिशूल धारी
देवा कर त्रिशूल धारी
महिमा अमित तुम्हारी
महिमा अमित तुम्हारी
जय जय भयहारी
ॐ जय भैरव देवा
तुम बिन शिव की सेवा
सफल नहीं होवे
सेवा सफल नहीं होवे
चतुरवर्तिका दीपक
चतुरवर्तिका दीपक
दर्शन दुःख खोवे
ॐ जय भैरव देवा
तेल चटक दधि मिश्रित
मासवली तेरी
प्रभु मासवली तेरी
कृपा कीजिये भैरव
कृपा कीजिये भैरव
करो नहीं देरी
ॐ जय भैरव देवा
पाँव घुँघरू बाजत
डमरू दम्कावत
प्रभु डमरू दम्कावत
बटुकनाथ बन बालक
बटुकनाथ बन बालक
जल मन हर्षावत
ॐ जय भैरव देवा
श्री भैरव की आरती
जो कोई नर गावे
प्रभु जो कोई नर गावे
सो नर जग में निश्चित
सो नर जग में निश्चित
मन वांछित फल पावे
ॐ जय भैरव देवा
जय भैरव देवा
प्रभु जय भैरव देवा
सुर नर मुनि सब करते
सुर नर मुनि सब करते
प्रभु तुम्हरी सेवा
ॐ जय भैरव देवा
जय भैरव देवा
प्रभु जय भैरव देवा
सुर नर मुनि सब करते
सुर नर मुनि सब करते
प्रभु तुम्हरी सेवा
ॐ जय भैरव देवा
कालभैरव गीत पीडीएफ (Kaal Bhairav Lyrics Pdf)
कालभैरव गीत वीडियो (Kaalbhairav Lyrics Video)
कालभैरव अष्टकम गीत (Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics)
देवराज सेव्यमान् पूर्णाङ्घृ पकजं
व्यलज्ञ सूत्रमिन्दु शेखरं कृपाकरम्।
नारदादि योगिवृन्द वन्दितं दिगम्बरं
काशीपुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 1॥
भानुकोटि भास्वरं भवब्धितारकं परं
नीलकण्ठ मपसितारद्ध दायकं त्रिलोचनम्।
कालकाल मम्बुजाक्ष मस्तशून्य मक्षरं
काशीपुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 2॥
शूलत्ङ्क पाषदण्ड पाणिमादि कारणं
श्यामकाय मादिदेव मक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्र तांडव प्रियं
काशीपुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 3॥
भुक्ति मुक्ति दायकं पूर्णचारु विग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं सर्वलोक विग्रहम्।
निक्वान्न-मनोज्ञ हेम किङकिनि लस्तकतीं
काशीपुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 4॥
धर्मसेतु पालकं त्वधर्ममार्ग नाकाकं
कर्मपाश मोचकं सुशर्म दायकं विभुम्।
स्वर्णवर्ण केशपाश शोभिताङ्ग निर्मलं
काशीपुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 5॥
रत्न पादुका शोभाभिराम पादयुग्मकं
नित्य मदवितीय मिष्ट दैवतं निरञ्जनम्।
मृत्युदर्प नाशनं करालदंष्ट्र भूषणं
काशीपुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 6॥
अट्टहास भिन्न पद्मजाण्डकोश सन्ततिं
दृष्टिपात नष्टपाप जलमुग्र शासनम्।
अष्टसिद्धि दायकं कपालमालिका धरं
काशीपुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 7॥
भूतसङ्घ नायकं विशालकीर्ति दायकं
काशीवासी लोक पुण्यपाप अनुसंधानं विभुम्।
नीतिमार्ग क्रीतं पुराणं जगत्पतिं
काशीपुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 8॥
कालभैरवाष्टकं पत्तन्ति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्ति साधकं विचित्र पुण्य वर्धनम्।
शोकमोह लोभदैन्य कोपताप नाशनं
ते प्रयान्ति कालभैर्वाङ्घृ सन्निधिं ध्रुवम् ॥
कालभैरव अष्टकम गीत पीडीएफ (Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics Pdf)
काल भैरव पूजा के लाभ (Kaal Bhairav Pooja Ke Laabh)
काल भैरव (Kaal Bhairav) पूजा के कई लाभ होते हैं जो निम्नलिखित हैं:
- संकटों से मुक्ति: काल भैरव पूजा करने से जीवन में आने वाले संकटों और अशुभताओं से मुक्ति मिलती है। वह भक्तों को संकटों से निजात दिलाकर उन्हें सुख और शांति की प्राप्ति करवाते हैं।
- रक्षा और सुरक्षा: काल भैरव की कृपा से भक्तों को रक्षा और सुरक्षा मिलती है। वह अपने भक्तों को बुराई से बचाने में सहायता करते हैं और उन्हें सुरक्षित रखते हैं।
- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य: काल भैरव पूजा से भक्तों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार मिलता है। यह पूजा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और व्यक्ति को पॉजिटिव ऊर्जा से भर देती है।
- विघ्नों का नाश: काल भैरव पूजा से जीवन में आने वाली विघ्नों का नाश होता है और कार्यों में सफलता प्राप्ति होती है।
- भक्ति में स्थिरता: काल भैरव पूजा करने से भक्तों की भक्ति में स्थिरता और ध्यान की शक्ति में वृद्धि होती है।
इन सभी लाभों के साथ-साथ, काल भैरव पूजा व्यक्ति को अध्यात्मिक दृष्टि भी प्रदान करती है और उसे अपने जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
यह भी जाने :
काल भैरव (Kaal Bhairav) FAQ :
- काल भैरव (Kaal Bhairav) कौन हैं?
- काल भैरव आदिदेव शिव के पांचवे अवतार माने जाते है। देवो के देव महादेव के रूद्र रूप को काल भैरव कहते है, काल भैरव की पूजा भक्तों द्वारा मुख्यतः तंत्र – मंत्र, साधना को संपन्न करने के लिए किया जाता है, इसलिए काल भैरव (Kaal Bhairav) तंत्र – मंत्र का देवता भी माना जाता है।
- काल भैरव किस प्रकार के देवता के रूप में देखे जाते है?
- इन्हे तंत्र – मंत्र के देवता के रूप में देखा जाता है और उनकी पूजा से समस्याओं का निवारण होने की मान्यता है।
- काल भैरव के मुख्य मंदिर कौन-कौन से हैं?
- काल भैरव के मुख्य मंदिर काल भैरव मंदिर, काशी, कालभैरव मंदिर, उज्जैन, बटुक भैरव मंदिर,नई दिल्ली, बटुक भैरव मंदिर पांडव किला दिल्ली और घोड़ाखाड़ बटुक भैरव मंदिर, नैनीताल आदि।
- काल भैरव की पूजा कैसे की जाती है?
- काल भैरव (Kaal Bhairav) की पूजा को विशेष तरीके से की जाती है। काल भैरव की पूजा में मुख्यतः तिल, उड़द, सिंदूर, नारियल और सरसों का तेल आदि चढ़ाए जाते हैं. इनका प्रिय भोग हलवा , खीर, इमरती, जलेबी, पान, नारियल आदि है और फिर काल भैरव मंत्रों का जाप करना चाहिए और उनकी आरती गीत गानी चाहिए, जिससे काल भैरव प्रसन्न होते है और भक्तो के सारे दुःख हर लेते है.
- क्या काल भैरव की कोई विशेष कथा है?
- हां, काल भैरव के बारे में कई कथाएं हैं। उनमें से एक कथा, जो आप ऊपर के लेख में पड़ सकते है.
- काल भैरव के पत्नी का क्या नाम है?
- काल भैरव के पत्नी का नाम भैरवी (यह माता पार्वती का ही अंश है.)
- काल भैरव की सवारी क्या है?
- काल भैरव की सवारी काला कुत्ता है.
- काल भैरव के अन्य नाम क्या – क्या है ?
- काल भैरव के अन्य नाम बटुकनाथ, भैरवीवल्लभ, दंडधारि, दण्डपाणी , स्वस्वा , भैरवनाथ आदि है।
ये थे कुछ मुख्य प्रश्न जो काल भैरव के बारे में हैं। आपको अगर इसके अतिरिक्त कोई और सवाल हो तो कृपया हमें अवगत कराये।
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