हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार एक बार की बात है सभी ब्रजवासी भगवान इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए पूजा की तैयारी कर रहे थे यह सब देखकर कृष्ण ने माँ यशोदा से पूछा |

माँ यशोदा ने कृष्ण को बताया की ये सब भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजा कर रहे है ताकि इन्द्रदेव् प्रसन्न होकर अच्छी वर्षा करे जिससे फसल की पैदावार में वृद्धि होगी |

यह सब बातें सुनकर कृष्ण  ने कहा यह तो उनका कर्त्तव्य है इसमें उनकी पूजा करने की क्या जरुरत है पूजा करनी है तो हमें गोवर्धन पर्वत की करनी चाहिए क्योंकि  हमारे पशुओ को भोजन पर्वत से प्राप्त होता है |

यह सब देखकर भगवान इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा इसका बदला लेने के लिए इन्द्र ने ब्रजवासी के उपर प्रलय के सामान वर्षा कर दी जिसे देखकर समस्त ब्रजवासी इसका दोष भगवान कृष्ण को देने लग गए |

भगवान कृष्ण  इन्द्र का घमंड ख़त्म करने के लिए उसी गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली में उठाकर सभी ब्रजवासी को प्रलय से बचाया तब देवराज को अपनी गलती का अहसास हुआ तभी से गोवर्धन पर्वत की पूजा होने लगी |

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