ब्रम्हा जी को सृष्टि का रचयिता कहा जाता है इन्हे त्रिदेवों में से एक माना जाता है जिसमे ब्रम्हा ,विष्णु ,महेश शामिल होते है ब्रह्मा जी को जगत पिता के रूप में भी जाना जाता है |

ब्रम्हा जी को सृष्टि का रचयिता कहा जाता है इन्हे त्रिदेवों में से एक माना जाता है जिसमे ब्रम्हा ,विष्णु ,महेश शामिल होते है ब्रह्मा जी को जगत पिता के रूप में भी जाना जाता है |

ब्रम्हा जी के चार मुख थे जो चारो दिशाओं में नजर रखते थे | ब्रम्हा जी पिले रंग के वस्त्र पहने हुए साथ में सर में मुकुट धारण किये हुए दिखाई देते है |

ब्रम्हा जी के चार मुख थे जो चारो दिशाओं में नजर रखते थे | ब्रम्हा जी पिले रंग के वस्त्र पहने हुए साथ में सर में मुकुट धारण किये हुए दिखाई देते है |

ब्रम्हा जी सृष्टि के रचयिता होने बाद भी उनका मंदिर भारत के राजस्थान के पुष्कर शहर में एकमात्र स्थान में स्तिथ है इसका कारण हिन्दू पौराणिक कथा में बताया गया है |

ब्रम्हा जी सृष्टि के रचयिता होने बाद भी उनका मंदिर भारत के राजस्थान के पुष्कर शहर में एकमात्र स्थान में स्तिथ है इसका कारण हिन्दू पौराणिक कथा में बताया गया है |

एक बार जगत के कल्याण के लिए ब्रम्हा जी धरती पर आए उन्होंने पुष्कर को यज्ञ के लिए चुना लेकिन माँ सावित्री समय पर नहीं आ पायी तो उन्होंने गायत्री नामक कन्या से विवाह कर यज्ञ शुरू कर दिया |

एक बार जगत के कल्याण के लिए ब्रम्हा जी धरती पर आए उन्होंने पुष्कर को यज्ञ के लिए चुना लेकिन माँ सावित्री समय पर नहीं आ पायी तो उन्होंने गायत्री नामक कन्या से विवाह कर यज्ञ शुरू कर दिया |

यह सब देखकर सावित्री माँ क्रोध में आकर ब्रम्हा जी को श्राप दे दिया की  देवता होने के बाद भी आपका न मंदिर बनेगा और न ही पूजा किया जायेगा इसलिए इनका मंदिर एक ही स्थान पर स्तिथ है |

यह सब देखकर सावित्री माँ क्रोध में आकर ब्रम्हा जी को श्राप दे दिया की  देवता होने के बाद भी आपका न मंदिर बनेगा और न ही पूजा किया जायेगा इसलिए इनका मंदिर एक ही स्थान पर स्तिथ है |

इस वेबस्टोरी  में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.in किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है

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