शैलपुत्री

पहले दिन को शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैलपुत्री मां दुर्गा की पहली अवतार है और वह पर्वतराज हिमवत की पुत्री के रूप में प्रसिद्ध हैं।

पहले दिन को शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैलपुत्री मां दुर्गा की पहली अवतार है और वह पर्वतराज हिमवत की पुत्री के रूप में प्रसिद्ध हैं।

ब्रह्मचारिणी

दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। वे तपस्या और संयम में पूर्ण रूप से व्यस्त रहती हैं।

दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। वे तपस्या और संयम में पूर्ण रूप से व्यस्त रहती हैं।

चंद्रघंटा

तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इनका रूप महाकाली होता है और उनका नाम उनके चंद्रमा के आकार के गले से मिलता है।

तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इनका रूप महाकाली होता है और उनका नाम उनके चंद्रमा के आकार के गले से मिलता है।

कूष्मांडा

चौथे दिन को कूष्मांडा की पूजा की जाती है। इनका रूप बहुत उग्र होता है और उन्हें अत्यंत उग्र और भयंकर रूप में दिखाया जाता है।

चौथे दिन को कूष्मांडा की पूजा की जाती है। इनका रूप बहुत उग्र होता है और उन्हें अत्यंत उग्र और भयंकर रूप में दिखाया जाता है।

स्कंदमाता

पांचवें दिन को स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इनका रूप स्कंद के माता के रूप में होता है, और उन्हें सुत पालने वाली मां माना जाता है।

पांचवें दिन को स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इनका रूप स्कंद के माता के रूप में होता है, और उन्हें सुत पालने वाली मां माना जाता है।

कात्यायनी

छठे दिन को कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनका रूप कात्यायनी होता है और वे कट्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में प्रसिद्ध हैं।

छठे दिन को कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनका रूप कात्यायनी होता है और वे कट्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में प्रसिद्ध हैं।

कालरात्रि

सातवें दिन को कालरात्रि की पूजा की जाती है। इनको महाकाली से रूप में भी पूजा जाता है।

सातवें दिन को कालरात्रि की पूजा की जाती है। इनको महाकाली से रूप में भी पूजा जाता है। 

महागौरी

आठवें दिन को महागौरी की पूजा की जाती है। इनको शांति और पूर्णता की देवी समझा जाता है।

आठवें दिन को महागौरी की पूजा की जाती है। इनको शांति और पूर्णता की देवी समझा जाता है।

सिद्धिदात्री

नौवें और अंतिम दिन को सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इनका रूप आदि शक्ति होता है और उन्हें सिद्धियों की देवी माना जाता है।

नौवें और अंतिम दिन को सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इनका रूप आदि शक्ति होता है और उन्हें सिद्धियों की देवी माना जाता है।