माँ स्कंदमाता नवरात्रि के पांचवें दिन की देवी हैं। इनका स्वरूप अत्यंत सुंदर और मातृत्व का प्रतीक है। इनके चार हाथ हैं, जिनमें कमंडल, खड्ग, बाण और अभय मुद्रा है।

माँ स्कंदमाता नवरात्रि के पांचवें दिन की देवी हैं। इनका स्वरूप अत्यंत सुंदर और मातृत्व का प्रतीक है। इनके चार हाथ हैं, जिनमें कमंडल, खड्ग, बाण और अभय मुद्रा है।

एक समय में देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ। युद्ध में राक्षसों की जीत हो रही थी। देवताओं ने भगवान शिव से मदद मांगी।

एक समय में देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ। युद्ध में राक्षसों की जीत हो रही थी। देवताओं ने भगवान शिव से मदद मांगी।

भगवान शिव ने अपने पुत्र कार्तिकेय, जिन्हे स्कन्द भी कहा जाता है , को जन्म दिया। कार्तिकेय ने राक्षसों का वध कर दिया और देवताओं को मुक्त कर दिया। माँ पार्वती को इसलिए स्कंदमाता भी कहते है।

भगवान शिव ने अपने पुत्र कार्तिकेय, जिन्हे स्कन्द भी कहा जाता है , को जन्म दिया। कार्तिकेय ने राक्षसों का वध कर दिया और देवताओं को मुक्त कर दिया। माँ पार्वती को इसलिए स्कंदमाता भी कहते है। 

माँ स्कंदमाता का वाहन सिंह है।

माँ स्कंदमाता का वाहन सिंह है।

माँ स्कंदमाता का प्रिय भोग केले, मिष्ठान और पीले रंग के फूल हैं।

माँ स्कंदमाता का प्रिय भोग केले, मिष्ठान और पीले रंग के फूल हैं।

 माँ स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।

 माँ स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।