श्री हनुमान अष्टोत्तर-शतनाम नामावली (Shri Hanuman Ashtottara-Shatnam Namavali)

श्री हनुमान अष्टोत्तर-शतनाम नामावली (Shri Hanuman Ashtottara-Shatnam Namavali) भगवान श्री हनुमान के 108 नाम मंत्र है, हनुमान जी को उनके भक्त अनेको नाम से याद करते है, लेख में भगवान श्री हनुमान के 108 नाम मंत्र संस्कृत, अंग्रेजी और हिंदी में अर्थ सहित बताया गया है। यह मंत्र मुख्यतः मंगलवार के दिन, बूढ़े मंगलवार, हनुमान जन्मोत्सव और शनिवार पूजा के दिन पाठ किया जाता है।

श्री हनुमान अष्टोत्तर मंत्र (Shri Hanuman Ashtottara Mantra)

आञ्जनेय
1
ॐ आञ्जनेयाय नमः।
Om Anjaneyaya Namah।
देवी अञ्जना के पुत्र
महावीर
2
ॐ महावीराय नमः।
Om Mahaviraya Namah।
अति बलशाली एवं पराक्रमी
हनूमत
3
ॐ हनूमते नमः।
Om Hanumate Namah।
फूले हुये गालों वाले
मारुतात्मज
4
ॐ मारुतात्मजाय नमः।
Om Marutatmajaya Namah।
जो पवन देव को अति प्रिय हैं।
तत्वज्ञानप्रद
5
ॐ तत्वज्ञानप्रदाय नमः।
Om Tatvajnanapradaya Namah।
तत्वज्ञान प्रदान करने वाले
सीतादेविमुद्राप्रदायक
6
ॐ सीतादेविमुद्राप्रदायकाय नमः।
Om Sitadevimudrapradayakaya Namah।
सीता माता को श्री राम जी की मुद्रिका प्रदान करने वाले
अशोकवनकाच्छेत्रे
7
ॐ अशोकवनकाच्छेत्रे नमः।
Om Ashokavanakachchhetre Namah।
अशोक वन को नष्ट करने वाले
सर्वमायाविभंजन
8
ॐ सर्वमायाविभंजनाय नमः।
Om Sarvamayavibhanjanaya Namah।
माया एवं भ्रम को नष्ट करने वाले
सर्वबन्धविमोक्त्रे
9
ॐ सर्वबन्धविमोक्त्रे नमः।
Om Sarvabandhavimoktre Namah।
समस्त प्रकार के बन्धनों से मुक्त करने वाले
रक्षोविध्वंसकारक
10
ॐ रक्षोविध्वंसकारकाय नमः।
Om Rakshovidhwansakarakaya Namah।
राक्षसों का संहार करने वाले
परविद्या परिहार
11
ॐ परविद्या परिहाराय नमः।
Om Paravidya Pariharaya Namah।
शत्रुओं के ज्ञान को हरने वाले
परशौर्य विनाशन
12
ॐ परशौर्य विनाशनाय नमः।
Om Parashaurya Vinashanaya Namah।
शत्रुओं के बल एवं शक्ति को हरने वाले
परमन्त्र निराकर्त्रे
13
ॐ परमन्त्र निराकर्त्रे नमः।
Om Paramantra Nirakartre Namah।
केवल श्री राम मन्त्र का जाप करने वाले
परयन्त्र प्रभेदक
14
ॐ परयन्त्र प्रभेदकाय नमः।
Om Parayantra Prabhedakaya Namah।
शत्रुओं की योजना को विफल करने वाले
सर्वग्रह विनाशी
15
ॐ सर्वग्रह विनाशिने नमः।
Om Sarvagraha Vinashine Namah।
समस्त ग्रहों के अशुभ प्रभाव को नष्ट करने वाले
भीमसेन सहायकृथे
16
ॐ भीमसेन सहायकृथे नमः।
Om Bhimasena Sahayakrithe Namah।
भीम की सहायता करने वाले
सर्वदुखः हरा
17
ॐ सर्वदुखः हराय नमः।
Om Sarvadukha Haraya Namah।
समस्त कष्टों का निवारण करने वाले
सर्वलोकचारिणे
18
ॐ सर्वलोकचारिणे नमः।
Om Sarvalokacharine Namah।
समस्त लोकों में विचरण करने वाले
मनोजवाय
19
ॐ मनोजवाय नमः।
Om Manojavaya Namah।
वायु के समान तीव्र गति वाले
पारिजात द्रुमूलस्थ
20
ॐ पारिजात द्रुमूलस्थाय नमः।
Om Parijata Drumulasthaya Namah।
पारिजात के वृक्ष के नीचे निवास करने वाले
सर्वमन्त्र स्वरूपवते
21
ॐ सर्वमन्त्र स्वरूपवते नमः।
Om Sarvamantra Swarupavate Namah।
समस्त मन्त्रों/स्तोत्रों के ज्ञाता एवं स्वामी
सर्वतन्त्र स्वरूपिणे
22
ॐ सर्वतन्त्र स्वरूपिणे नमः।
Om Sarvatantra Swarupine Namah।
जो समस्त प्रकार के तन्त्रों के अधिपति हैं।
सर्वयन्त्रात्मक
23
ॐ सर्वयन्त्रात्मकाय नमः।
Om Sarvayantratmakaya Namah।
जो समस्त प्रकार के यन्त्रों में विद्यमान हैं।
कपीश्वर
24
ॐ कपीश्वराय नमः।
Om Kapishwaraya Namah।
वानरों के अधिपति
महाकाय
25
ॐ महाकायाय नमः।
Om Mahakayaya Namah।
अत्यन्त विशाल देह वाले
सर्वरोगहरा
26
ॐ सर्वरोगहराय नमः।
Om Sarvarogaharaya Namah।
समस्त रोगों से मुक्त करने वाले
प्रभवे
27
ॐ प्रभवे नमः।
Om Prabhave Namah।
सम्पूर्ण सृष्टि में पूजे जाने वाले / जो देवों में अति लोकप्रिय हैं।
बल सिद्धिकर
28
ॐ बल सिद्धिकराय नमः।
Om Bala Siddhikaraya Namah।
बल प्रदान करने वाले
सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायक
29
ॐ सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायकाय नमः।
Om Sarvavidya Sampattipradayakaya Namah।
नाना प्रकार की विद्या एवं सम्पत्ति प्रदान करने वाले
कपिसेनानायक
30
ॐ कपिसेनानायकाय नमः।
Om Kapisenanayakaya Namah।
वानर सेना के प्रमुख
भविष्यथ्चतुराननाय
31
ॐ भविष्यथ्चतुराननाय नमः।
Om Bhavishyathchaturananaya Namah।
भविष की घटनाओं को जानने वाले, भविष्यज्ञाता
कुमार ब्रह्मचारी
32
ॐ कुमार ब्रह्मचारिणे नमः।
Om Kumara Brahmacharine Namah।
जो युवा एवं ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने वाले हैं।
रत्नकुण्डल दीप्तिमते
33
ॐ रत्नकुण्डल दीप्तिमते नमः।
Om Ratnakundala Diptimate Namah।
रत्न जड़ित स्वर्ण कुण्डल धारण करने वाले
चञ्चलद्वाल सन्नद्धलम्बमान शिखोज्वला
34
ॐ चञ्चलद्वाल सन्नद्धलम्बमान शिखोज्वलाय नमः।
Om Chanchaladwala Sannaddhalambamana Shikhojwala Namah।
जिनकी लम्बी पूँछ उनके सिर से भी ऊँची है।
गन्धर्व विद्यातत्वज्ञ
35
ॐ गन्धर्व विद्यातत्वज्ञाय नमः।
Om Gandharva Vidyatatvajnaya Namah।
जो गन्धर्व विद्या (संगीत) में पारंगत हैं।
महाबल पराक्रम
36
ॐ महाबल पराक्रमाय नमः।
Om Mahabala Parakramaya Namah।
जिनमें अद्वितीय बल एवं साहस है।
काराग्रह विमोक्त्रे
37
ॐ काराग्रह विमोक्त्रे नमः।
Om Karagraha Vimoktre Namah।
काराग्रह से मुक्त करने वाले
शृन्खला बन्धमोचक
38
ॐ शृन्खला बन्धमोचकाय नमः।
Om Shrinkhala Bandhamochakaya Namah।
बेड़ियों अथवा कष्ट से मुक्त करने वाले
सागरोत्तारक
39
ॐ सागरोत्तारकाय नमः।
Om Sagarottarakaya Namah।
समुद्र को लाँघने वाले
प्राज्ञाय
40
ॐ प्राज्ञाय नमः।
Om Prajnaya Namah।
जो विद्वान हैं।
रामदूत
41
ॐ रामदूताय नमः।
Om Ramadutaya Namah।
भगवान श्री राम के दूत
प्रतापवते
42
ॐ प्रतापवते नमः।
Om Pratapavate Namah।
जो वीर एवं पराक्रमी हैं।
वानर
43
ॐ वानराय नमः।
Om Vanaraya Namah।
जो वानर रूप में स्थित हैं।
केसरीसुत
44
ॐ केसरीसुताय नमः।
Om Kesarisutaya Namah।
जो वानर राज केसरी के पुत्र हैं।
सीताशोक निवारक
45
ॐ सीताशोक निवारकाय नमः।
Om Sitashoka Nivarakaya Namah।
माता सीता के कष्ट का निवारण करने वाले
अन्जनागर्भसम्भूता
46
ॐ अन्जनागर्भ सम्भूताय नमः।
Om Anjanagarbha Sambhutaya Namah।
माता अञ्जनी के गर्भ से जन्म लेने वाले
बालार्कसद्रशानन
47
ॐ बालार्कसद्रशाननाय नमः।
Om Balarkasadrashananaya Namah।
जिनकी आभा उदीयमान सूर्य के समान है।
विभीषण प्रियकर
48
ॐ विभीषण प्रियकराय नमः।
Om Vibhishana Priyakaraya Namah।
जो विभीषण के प्रिय हैं।
दशग्रीव कुलान्तक
49
ॐ दशग्रीव कुलान्तकाय नमः।
Om Dashagriva Kulantakaya Namah।
रावण के कुल का अन्त करने वाले
लक्ष्मणप्राणदात्रे
50
ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः।
Om Lakshmanapranadatre Namah।
लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा करने वाले
वज्रकाय
51
ॐ वज्रकायाय नमः।
Om Vajrakayaya Namah।
जिनका शरीर वज्र के समान कठोर एवं शक्तिशाली है।
महाद्युत
52
ॐ महाद्युथये नमः।
Om Mahadyuthaye Namah।
जिनमें से दिव्य तेज प्रकाशित होता है।
चिरञ्जीविने
53
ॐ चिरञ्जीविने नमः।
Om Chiranjivine Namah।
प्रत्येक युग में अजर-अमर रहने वाले
रामभक्त
54
ॐ रामभक्ताय नमः।
Om Ramabhaktaya Namah।
जो भगवान श्री राम के परम भक्त हैं।
दैत्यकार्य विघातक
55
ॐ दैत्यकार्य विघातकाय नमः।
Om Daityakarya Vighatakaya Namah।
दैत्यों के समस्त कार्य निष्फल करने वाले
अक्षहन्त्रे
56
ॐ अक्षहन्त्रे नमः।
Om Akshahantre Namah।
रावण के पुत्र अक्षय का अन्त करने वाले
काञ्चनाभ
57
ॐ काञ्चनाभाय नमः।
Om Kanchanabhaya Namah।
जिनकी काया कञ्चन (स्वर्ण) के समान आभा वाली है।
पञ्चवक्त्र
58
ॐ पञ्चवक्त्राय नमः।
Om Panchavaktraya Namah।
जिनके पाँच मुख हैं, पञ्चमुखी हनुमान
महातपसी
59
ॐ महातपसे नमः।
Om Mahatapase Namah।
जो कठिन तपस्या करने वाले हैं।
लन्किनी भञ्जन
60
ॐ लन्किनी भञ्जनाय नमः।
Om Lankini Bhanjanaya Namah।
लन्किनी नामक राक्षसी का उद्धार करने वाले
श्रीमते
61
ॐ श्रीमते नमः।
Om Shrimate Namah।
जो सम्पूर्ण सृष्टि में आदरणीय एवं पूजनीय हैं।
सिंहिकाप्राण भञ्जन
62
ॐ सिंहिकाप्राण भञ्जनाय नमः।
Om Simhikaprana Bhanjanaya Namah।
सिंहिका राक्षसी का अन्त करने वाले
गन्धमादन शैलस्थ
63
ॐ गन्धमादन शैलस्थाय नमः।
Om Gandhamadana Shailasthaya Namah।
गन्धमादन पर्वत पर निवास करने वाले
लङ्कापुर विदायक
64
ॐ लङ्कापुर विदायकाय नमः।
Om Lankapura Vidayakaya Namah।
लङ्का दहन करने वाले
सुग्रीव सचिव
65
ॐ सुग्रीव सचिवाय नमः।
Om Sugriva Sachivaya Namah।
जो सुग्रीव के मन्त्री हैं।
धीर
66
ॐ धीराय नमः।
Om Dhiraya Namah।
जो अत्यन्त वीर एवं साहसी हैं।
शूर
67
ॐ शूराय नमः।
Om Shuraya Namah।
जो निर्भीक एवं निडर हैं।
दैत्यकुलान्तक
68
ॐ दैत्यकुलान्तकाय नमः।
Om Daityakulantakaya Namah।
दैत्यों का अन्त करने वाले
सुरार्चित
69
ॐ सुरार्चिताय नमः।
Om Surarchitaya Namah।
देवताओं द्वारा पूजे जाने वाले
महातेजस
70
ॐ महातेजसे नमः।
Om Mahatejase Namah।
जिनमें असीमित तेज है।
रामचूडामणिप्रदायक
71
ॐ रामचूडामणिप्रदायकाय नमः।
Om Ramachudamanipradayakaya Namah।
भगवान श्री राम को सीता माता की चूड़मणि प्रदान करने वाले
कामरूपिणे
72
ॐ कामरूपिणे नमः।
Om Kamarupine Namah।
इच्छानुसार कोई भी रूप धारण करने वाले
पिङ्गलाक्ष
73
ॐ पिङ्गलाक्षाय नमः।
Om Pingalakshaya Namah।
लाल एवं भूरे नेत्रों वाले
वार्धिमैनाक पूजित
74
ॐ वार्धिमैनाक पूजिताय नमः।
Om Vardhimainaka Pujitaya Namah।
समुद्र एवं मैनाक पर्वत द्वारा पूजे जाने वाले
कबळीकृत मार्ताण्डमण्डलाय
75
ॐ कबळीकृत मार्ताण्डमण्डलाय नमः।
Om Kabalikrita Martandamandalaya Namah।
सूर्य को निगलने वाले
विजितेन्द्रिय
76
ॐ विजितेन्द्रियाय नमः।
Om Vijitendriyaya Namah।
समस्त इन्द्रियों को वश में करने वाले
रामसुग्रीव सन्धात्रे
77
ॐ रामसुग्रीव सन्धात्रे नमः।
Om Ramasugriva Sandhatre Namah।
भगवान श्री राम एवं सुग्रीव में मित्रता करवाने वाले
महिरावणमर्दन
78
ॐ महिरावणमर्दनाय नमः।
Om Mahiravanamardanaya Namah।
महिरावण का संहार करने वाले
स्फटिकाभा
79
ॐ स्फटिकाभाय नमः।
Om Sphatikabhaya Namah।
स्फटिक मणि के समान आभा वाले
वागधीश
80
ॐ वागधीशाय नमः।
Om Vagadhishaya Namah।
जो वाणी के स्वामी हैं।
नवव्याकृतपण्डित
81
ॐ नवव्याकृतपण्डिताय नमः।
Om Navavyakritapanditaya Namah।
जो कुशल विद्वान हैं।
चतुर्बाहवे
82
ॐ चतुर्बाहवे नमः।
Om Chaturbahave Namah।
चार भुजाओं वाले, चतुर्भुजधारी
दीनबन्धुरा
83
ॐ दीनबन्धुराय नमः।
Om Dinabandhuraya Namah।
जो दीन-हीनों के मित्र हैं।
महात्मा
84
ॐ मायात्मने नमः।
Om Mayatmane Namah।
जो समस्त आत्माओं में श्रेष्ठ हैं।
भक्तवत्सल
85
ॐ भक्तवत्सलाय नमः।
Om Bhaktavatsalaya Namah।
भक्तों पर करुणा करने वाले
सञ्जीवन नगाहर्त्रे
86
ॐ संजीवननगायार्था नमः।
Om Sanjivananagayartha Namah।
सञ्जीवनी पर्वत लाने वाले
सुचये
87
ॐ सुचये नमः।
Om Suchaye Namah।
जो परम पवित्र हैं।
वाग्मिने
88
ॐ वाग्मिने नमः।
Om Vagmine Namah।
जो एक कुशल वक्ता हैं।
दृढव्रता
89
ॐ दृढव्रताय नमः।
Om Dridhavrataya Namah।
अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ रहने वाले
कालनेमि प्रमथन
90
ॐ कालनेमि प्रमथनाय नमः।
Om Kalanemi Pramathanaya Namah।
कालनेमि दैत्य का अन्त करने वाले
हरिमर्कट मर्कटा
91
ॐ हरिमर्कट मर्कटाय नमः।
Om Harimarkata Markataya Namah।
वानरों के स्वामी
दान्त
92
ॐ दान्ताय नमः।
Om Dantaya Namah।
दान देने वाले
शान्त
93
ॐ शान्ताय नमः।
Om Shantaya Namah।
शान्त प्रकृति वाले
प्रसन्नात्मने
94
ॐ प्रसन्नात्मने नमः।
Om Prasannatmane Namah।
प्रसन्नचित्त रहने वाले
शतकण्ठमदापहृत्
95
ॐ शतकण्ठमदापहृते नमः।
Om Shatakanthamadapahrite Namah।
शतकण्ठ के अभिमान को नष्ट करने वाले
योगी
96
ॐ योगिने नमः।
Om Yogine Namah।
जो योगी हैं।
रामकथा लोलाय
97
ॐ रामकथा लोलाय नमः।
Om Ramakatha Lolaya Namah।
रामकथा सुनने को उत्सुक रहने वाले
सीतान्वेषण पण्डित
98
ॐ सीतान्वेषण पण्डिताय नमः।
Om Sitanveshana Panditaya Namah।
माता सीता को ज्ञानपूर्वक खोजने वाले
वज्रद्रनुष्ट
99
ॐ वज्रद्रनुष्टाय नमः।
Om Vajradranushtaya Namah।
वज्र के समान कठोर
वज्रनखा
100
ॐ वज्रनखाय नमः।
Om Vajranakhaya Namah।
वज्र के समान सुदृढ़ नख (नाखून) वाले
रुद्रवीर्य समुद्भवा
101
ॐ रुद्र वीर्य समुद्भवाय नमः।
Om Rudra Virya Samudbhavaya Namah।
शिव से उत्पन्न होने वाले / जो शिव के अवतार हैं।
इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारक
102
ॐ इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारकाय नमः।
Om Indrajitprahitamoghabrahmastra Vinivarakaya Namah।
इन्द्रजीत के ब्रह्मास्त्र का निवारण करने वाले
पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने
103
ॐ पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने नमः।
Om Partha Dhwajagrasamvasine Namah।
जो अर्जुन के रथ की ध्वजा में निवास करते हैं।
शरपञ्जर भेदक
104
ॐ शरपञ्जर भेदकाय नमः।
Om Sharapanjara Bhedakaya Namah।
शत्रुओं के काराग्रह को भेदने वाले
दशबाहवे
105
ॐ दशबाहवे नमः।
Om Dashabahave Namah।
दस भुजाओं वाले, दसभुजाधारी
लोकपूज्य
106
ॐ लोकपूज्याय नमः।
Om Lokapujyaya Namah।
समस्त लोकों में पूजे जाने वाले
जाम्बवत्प्रीतिवर्धन
107
ॐ जाम्बवत्प्रीतिवर्धनाय नमः।
Om Jambavatpritivardhanaya Namah।
जाम्बवन्त जी से प्रीति एवं घनिष्ठता बढ़ाने वाले
सीताराम पादसेवा
108
ॐ सीतासमेत श्रीरामपाद सेवदुरन्धराय नमः।
Om Sitasameta Shriramapada sevadurandharaya Namah।
श्री सीताराम जी के चरण कमलों की सेवा करने वाले

श्री हनुमान अष्टोत्तर मंत्र के लाभ (Benefit of Shri Hanuman Ashtottara Mantra)

  1. सुरक्षा की प्राप्ति: श्री हनुमान अष्टोत्तर मंत्र (Shri Hanuman Ashtottara mantra) का जाप करने से व्यक्ति को दुर्भाग्य, बुरी शक्तियों, और नकारात्मक प्रभावों से बचाने की सुरक्षा मिलती है।
  2. शक्ति और साहस: इन मंत्रों के पाठ से व्यक्ति को भगवान हनुमान की तरह अद्भुत शक्ति और साहस की प्राप्ति में मदद कर सकता है, जिससे वह जीवन के सभी पहलुओं में सफल हो सकता है।
  3. गतिविद्या और उद्योग: इन मंत्रों के पाठ करने से विद्यार्थियों को शिक्षा में सफलता और उद्योग में सफलता प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
  4. दुखों का निवारण: इन मंत्रों के पाठ से व्यक्ति को जीवन के दुःखों और चुनौतियों से राहत प्रदान कर सकता है और उन्हें आनंदमय और सुखी जीवन की दिशा में मदद कर सकता है।
  5. आत्मविकास और ध्यान: इन मंत्रों के पाठ से व्यक्ति का मानसिक और आध्यात्मिक विकास हो सकता है। यह मन, शरीर, और आत्मा की सामंजस्य और सुखद विकास में मदद कर सकता है।

यह जरूरी है कि इन मंत्रों के पाठशांत मन से और गहरी भक्ति के साथ किया जाए ताकि इसके लाभ पूरे रूप से प्राप्त हो सकें। यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि मंत्रों के प्रयोग के प्रभाव हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकते हैं, और इसलिए आपके आत्मविश्वास और भक्ति के साथ इसे प्रयोग करना चाहिए।

श्री हनुमान अष्टोत्तर मंत्र (Shri Hanuman Ashtottara Mantra) Pdf


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श्री हनुमान अष्टोत्तर मंत्र वीडियो (Shri Hanuman Ashtottara Mantra Video)

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