नवग्रह स्तोत्र (Navagrah Astotra)

नवग्रह स्तोत्र (Navagrah Astotra) एक भक्ति स्तोत्र है जो नौ खगोलीय पिंडों या ग्रहों को समर्पित है, जिन्हें सामूहिक रूप से नवग्रह के रूप में जाना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ इन खगोलीय पिंडों के प्रभाव से आशीर्वाद और सुरक्षा पाने के लिए किया जाता है, जिनका हिंदू ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव माना जाता है।

नवग्रह स्तोत्र (Navagrah Astotra) के लाभ

  1. ग्रहों की प्रभावों से सुरक्षा: नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने से नकारात्मक ग्रहों के दुष्प्रभावों से सुरक्षा मिल सकती है। यह स्तोत्र नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को शांत करने और सकारात्मकता को स्थापित करने में सहायता करती है।
  2. ग्रहों के प्रभाव का समाधान: नवग्रह  स्तोत्र का पाठ करने से ग्रहों के प्रभाव का समाधान हो सकता है। यह स्तोत्र नवग्रहों के प्रभाव को नष्ट करने और उनकी आनंदमय शक्तियों को स्थापित करने में सहायता करती है।
  3. शुभ फलों की प्राप्ति: नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। यह स्तोत्र शुभता, सुख, समृद्धि, और सफलता के लिए नवग्रहों की कृपा को प्राप्त करने में सहायता करती है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह स्तोत्र भक्त को आध्यात्मिकता, शांति, और संतुलन के मार्ग में प्रवृत्त करती है और आत्मज्ञान और अनुभव की प्राप्ति में मदद करती है।
  5. धार्मिक संपन्नता: नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने से धार्मिक संपन्नता मिल सकती है। यह स्तोत्र भक्त को धार्मिकता, नैतिकता, और योग्यता में सुधार करने में सहायता करती है और धार्मिक मार्ग पर स्थायी आदर्शों को स्थापित करने में मदद करती है।

इन लाभों को प्राप्त करने के लिए, श्री नवग्रह स्तोत्र को नियमित रूप से पढ़ना चाहिए और श्रद्धा भाव से नवग्रह देवताओं की पूजा करनी चाहिए।

नवग्रह स्तोत्र (Navagrah Astotra)

रवि
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम् ।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ….. 1

चंद्र
दधिशङ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम् ।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम् ….. 2

मंगळ
धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ….. 3

बुध
प्रियङ्गुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ….. 4

गुरु
देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं ।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं ….. 5

शुक्र
हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् ।
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ….. 6

शनि
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् ।
छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम् ….. 7

राहू
अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम् ।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ….. 8

केतु
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम् ।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् ….. 9

फलश्रुति
इति व्यासमुखोद्गीतं यः पठेत्सुसमाहितः ।
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्नशान्तिर्भविष्यति ….. 10

नरनारीनृपाणां च भवेद्दुःस्वप्ननाशनम् ।
ऐश्वर्यमतुलं तेषामारोग्यं पुष्टिवर्धनम् ॥

ग्रह
ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्निसमुद्भवाः ।
ताः सर्वाः प्रशमं यान्ति व्यासो ब्रूते न संशयः ॥

संशय
॥ इति श्रीव्यासविरचितं नवग्रहस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

नवग्रह स्तोत्र अंग्रेजी में (Navagrah Astotra In English)

Ravi
Japakusumasankashan Kashyapeyan Mahadyutim ।
Tamorin Sarvapapaghnan Pranatosmi Divakaram ….. 1

Chandr
Dadhishankhatusharabhan Kshirodarnavasambhavam ।
Namami Shashinan Soman Shambhormukutabhushanam ….. 2


Mangal
Dharanigarbhasambhutam Vidyutkantisamprabham ।
Kumaram Shaktihastam Tam Mangalam Pranamayam ….. 3


Budh
Priyangukalikashyam Rupenapratimam Budham ।
Soumam Soumyagunopetam Tam Budham Pranamayam ….. 4


Guru
Devananch Rshinanch Gurunkanchan Sannibhan ।
Buddhibhootan Trilokeshan Tan Namami Brhaspatin ….. 5


Shukr
Himakundamrnalabhan Daityanan Paraman Gurum ।
Sarvashastrapravaktaran Bhargavan Pranamamyaham ….. 6


Shani
Nilanjansamabhasam Raviputram Yamagrajam ।
Chhayamartandasambhutam Tan Namami Shanishcharam ….. 7



Rahu
Ardhakayam Mahaviryam Chandradityavimardanam ।
Simhikagarbhasambhutam Tam Rahum Pranamayam ….. 8


Ketu
Palashpushpasankasam Tarakagrahamastakam ।
Raudram Roudratakam Ghoram Tan Ketum Pranammayyam ….. 9


Phalshruti
Iti Vyasamukhodgitan Yah Pathetsusamahitah ।
Diva Va Yadi Va Ratrou Bighnashantibhrabishyati ….. 10


Naranarinrpanan Ch Bhavedduhsvapnanashanam ।
Aishvaryamatulan Teshamaarogyan Pushtivardhanam ॥

Grah
Grahanakshatrajaah Pidaastaskaraagnisamudbhavaah ।
Taah Sarvah Prashaman Yanti Vyaso Broote Na Sanshayah ॥

Sanshay
॥ Iti Shrivyasavirachitan Navagrahastotran Sampoornam ॥

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