जय हो जय जय है गौरी नंदन – आरती (Jai Ho Jai Jai He Gauri Nandan)

जय हो जय जय है गौरी नंदन – आरती (Jai Ho Jai Jai He Gauri Nandan) भगवान श्री गणेश को समर्पित है, इस आरती के पाठ से आपको आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के लाभ प्राप्त हो सकते हैं। यह आपकी आत्मा को शांति देने के साथ-साथ आपके जीवन को सफलता, सुख, और समृद्धि की दिशा में मदद कर सकता है। यह एक शक्तिशाली आरती है जो भक्तों को गणेश जी की कृपा प्राप्त करने में मदद करती है। यह आरती भक्तों को बुद्धि और ज्ञान प्रदान करती है। यह आरती भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति दिलाती है।

जय हो जय जय है गौरी नंदन – आरती (Jai Ho Jai Jai He Gauri Nandan) करने के लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: गणेश जी को सभी देवताओं के प्रमुख माना जाता है और उनकी पूजा से आध्यात्मिक उन्नति हो सकती है। आरती के अनुष्ठान से आपकी आध्यात्मिक अनुभवणीयता और अंतरंग शांति बढ़ सकती है।
  2. बुद्धि और विद्या की प्राप्ति: गणेश जी बुद्धि और विद्या के प्रतीक माने जाते हैं। उनकी आरती के प्रयास से आपकी बुद्धि में वृद्धि हो सकती है और आप अध्ययन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
  3. विघ्न निवारण: गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, जिनकी पूजा से आपके जीवन में आने वाली समस्याओं और बाधाओं का निवारण हो सकता है।
  4. सुख-शांति: गणेश जी की पूजा से परिवार में सुख और शांति की भावना बढ़ सकती है।
  5. कार्य सिद्धि: यदि आप कोई महत्वपूर्ण कार्य या परियोजना शुरू करने जा रहे हैं, तो गणेश जी की पूजा और आरती से आपको सिद्धि मिल सकती है।
  6. सामाजिक समृद्धि: गणेश जी की पूजा से सामाजिक संबंधों में मिलान सक्षमता और समृद्धि में वृद्धि हो सकती है।
  7. नेतृत्व और साहस: गणेश जी को नेता और साहसी भी माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से आपके नेतृत्व और साहस में वृद्धि हो सकती है।

जय हो जय जय है गौरी नंदन – आरती (Jai Ho Jai Jai He Gauri Nandan)

जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते

शुभ कार्यो में सबसे पहले
तेरा पूजन करते
विघ्न हटाते काज बनाते
सभी अमंगल हरते
ओ देवा सिद्धि और सिद्धि बाटे
चुनते राहो के काटे
खुशियों के रंग को बिखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते

जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते

ओमकार है रूप तिहारा
अलौकिक है माया
लम्ब कर्ण तेरे उज्जवल नैना
धुम्रवर्ण है काया
ओम्हर है रूप तिहारा
अलौकिक है माया
ओ देवा शम्भू के लाल दुलारे
संतो के नैनन तारे
मस्तक पे चन्द्रमा को वारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते

जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते

गणपति बाप्पा घर में आना
सुख वैभव कर जाना
एक दन्त लम्बोदर स्वामी
सारे कष्ट मिटाना
गणपति बाप्पा घर में आना
सुख वैभव बरसाना
देवा लडूअन का भोग लगाते
मूषक वहानपे आते
भक्तो की बिगड़ी संवारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते

जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते

धन कुबेर चरणों के चाकर
लक्ष्मी संग विराजे
दसो दिशा नवखण्ड में देवा
डंका तेरा बाजे
देवा तुझमे ध्यान लगाये
मन चाहा फल वो पाए
नैया भवंर से उबारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते

जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते

बांझो की गोदे भर देना
निर्धन को धन देना
दिनों को सन्मान दिलाना
निर्बल को बाल देना
ओ देवा सुनलो अरदास हमारी
विनती करते नर नारी
सेवा में तन मन वारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते

जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते

जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते।

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