दशरथकृत शनि स्तोत्र (Dashratha Shani Sotra)

दशरथकृत शनि स्तोत्र (Dashratha Shani Sotra) भगवान शनि देव को समर्पित एक पवित्र स्त्रोत है, भगवान शनि देव को एक ऐसा देवता माना जाता है जो अनुशासन, कर्म और किसी के कार्यों के प्रभाव सहित जीवन के सकारात्मक और चुनौतीपूर्ण दोनों पहलुओं को प्रभावित करते हैं।

भक्त अक्सर अपनी जन्मकुंडली या कुंडली में शनि के दुष्प्रभाव से उनका आशीर्वाद और सुरक्षा पाने के लिए शनि स्त्रोत का जाप करते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शनि का प्रभाव बाधाएं और कठिनाइयां ला सकता है।

दशरथकृत शनि स्तोत्र (Dashratha Shani Sotra)

दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः ॥
रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन् ।
सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी ॥

याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं ।
एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम् ॥

प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा ।
पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत ॥

दशरथकृत शनि स्तोत्र:
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥9॥

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥

दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम् ।
अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित् ॥

दशरथकृत शनि स्तोत्र (Dashratha Shani Sotra) अंग्रेजी में

Dashrath Uvach:
Prasanno Yadi Me Saure ! Ekashchastu Varah Parah ॥
Rohini Bhedayitva Tu Na Gantvayam Kadachan ।
Saritha: Sagara Yavadivachandrarakmedini ॥

Yachint Tu Mahasoure! Nanyamichamyam ।
Evamastushaniproktam Varalbdhva Tu Shashwatam ॥

Prapyon Tu Varan Raaja Krtakrtyobhavattada ।
Punarevabravittushto Varan Varam Suvrat! ॥

Dashrathakrt Shani Stotr:
Namah Krshnay Neelay Shitikanth Nibhay Ch ।
Namah Kalagniroopaay Krtantay Ch Vai Namah ॥ 1 ॥

Namo Nirmans Dehay Deerghashmashrujataay Ch ।
Namo Vishalanetraay Shushkodar Bhayakrte ॥ 2 ॥

Namah Pushkalagatraay Sthoolaromneth Vai Namah ।
Namo Deerghay Shushkaay Kaladanshtr Namostu Te ॥ 3 ॥

Namaste Kotarakshaya Durnarixyaya Vai Namah ।
Namo Ghorai Raudraya Bhishnaya Kapaline ॥ 4 ॥

Namaste Sarvabhakshaya Balimukh Namoastu Te ।
Suryaputra Namastu Bhaskarayabhayada Cha ॥ 5 ॥

Adhodeshte: Namasteastu Vyakta Namoastu Te ।
Namo Mandagate Tubhyam Nistrinshai Namoastustate ॥ 6 ॥

Tapasa Dagdha-dehaya Nityam Yogratayya Ch ।
Namo Nityam Aradhartaaya Atrupatya Ch Vai Namah ॥ 7 ॥

Gyanachakshurnamasteऽastu Kashyapatmaj-sunbay ।
Tushto Dadasi Vai Rajyam Rishto Harsi Tatkhyanat ॥ 8 ॥

Devasuramanushyashch Siddh-vidyadharoragah ।
Tvaya Vilokita: Sarve Naashan Yanti Samoolatah ॥ 9 ॥

Prasad Kuru Me Saure ! Varado Bhav Bhaskare ।
Evam Stutastada Saurirgraharajo Mahabalah ॥ 10 ॥

Dashrath Uvach:
Prasanno Yadi Me Saure ! Varan Dehi Mamepsitam ।
Ady Prabhrti-pingaaksh ! Peeda Deya Na Kasyachit ॥

दशरथकृत शनि स्तोत्र (Dashratha Shani Sotra) पीडीएफ

शनि देव की स्त्रोत करने के लाभ

  • शनि देव को प्रसन्न करने में मदद करती है: श्री शनि देव स्त्रोत भगवान शनि को प्रसन्न करने में मदद करती है। शनि देव न्याय और कर्म के देवता हैं। उनकी कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
  • भगवान शनि के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है: श्री शनि देव स्त्रोत भगवान शनि के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है। शनि देव के आशीर्वाद से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त करने में मदद करती है: श्री शनि देव स्त्रोत जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त करने में मदद करती है। शनि देव के आशीर्वाद से जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
  • बुरी शक्तियों से बचाव में मदद करती है: श्री शनि देव स्त्रोत बुरी शक्तियों से बचाव में मदद करती है। शनि देव की कृपा से व्यक्ति बुरी शक्तियों से सुरक्षित रहता है।

शनि देव की स्त्रोत से सम्बंधित प्रश्न

श्री शनि देव की स्त्रोत क्यों और कब की जाती है?

श्री शनि देव की स्त्रोत (Dashratha Shani Sotra) उनके पूजन के समय गाई जाती है, विशेष रूप से शनिवार को। यह उनके भक्तों द्वारा उनके कृपा और आशीर्वाद के लिए किया जाता है।

श्री शनि देव की स्त्रोत के क्या महत्व हैं?

श्री शनि देव की स्त्रोत (Dashratha Shani Sotra) का पाठ उनके भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके माध्यम से वे उनके पूजन से संबंधित भावनाओं को व्यक्त करते हैं और उनके द्वारा मांगे गए आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं।

श्री शनि देव की स्त्रोत के लाभ क्या हैं?

श्री शनि देव की स्त्रोत (Dashratha Shani Sotra) का पाठ करने से भक्त उनके कष्टों को दूर कर सकते हैं और उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति प्राप्त कर सकते हैं। यह आरती शनि देव की कृपा और आशीर्वाद के लिए भक्तों की प्रार्थना का माध्यम होती है।

श्री शनि देव की स्त्रोत का पाठ कैसे किया जाता है?

श्री शनि देव की स्त्रोत का पाठ उनकी मूर्ति के सामने किया जाता है। आरती के बोल भक्तों द्वारा गुणगान के साथ गाए जाते हैं और उनकी पूजा के लिए दीपक जलाया जाता है। यह पूजा विधि विभिन्न स्थलों और परंपराओं के आधार पर थोड़ा भिन्न हो सकता है।

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