दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam)

दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam) एक लोकप्रिय संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान दत्तात्रेय की प्रशंसा में लिखा गया है। भगवान दत्तात्रेय हिंदू धर्म में एक लोकप्रिय देवता हैं। उन्हें हिंदू त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिव का अवतार माना जाता है।

दत्तात्रेय स्तोत्रम में 18 श्लोक हैं और यह माना जाता है कि यह ऋषि नारद द्वारा लिखा गया था। दत्तात्रेय स्तोत्रम एक बहुत ही सुंदर और प्रभावशाली स्तोत्र है जो भगवान दत्तात्रेय के गुणों और उनके विभिन्न नामों और रूपों का वर्णन करता है। स्तोत्र में इस स्तोत्र को जपने के कई लाभों का भी वर्णन किया गया है, जैसे कि जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति, सभी बाधाओं का निवारण और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति।

विषय सूची

दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam)


जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहार हेतवे ।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १॥

जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च ।
दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ २॥

कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च ।
वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ३॥

र्हस्वदीर्घकृशस्थूल-नामगोत्र-विवर्जित ।
पञ्चभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ४॥

यज्ञभोक्ते च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च ।
यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ५॥

आदौ ब्रह्मा मध्य विष्णुरन्ते देवः सदाशिवः ।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ६॥

भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिणे ।
जितेन्द्रियजितज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ७॥

दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपध्राय च ।
सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ८॥

जम्बुद्वीपमहाक्षेत्रमातापुरनिवासिने ।
जयमानसतां देव दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ९॥

भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे ।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १०॥

ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले ।
प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ११॥

अवधूतसदानन्दपरब्रह्मस्वरूपिणे ।
विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १२॥

सत्यंरूपसदाचारसत्यधर्मपरायण ।
सत्याश्रयपरोक्षाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १३॥

शूलहस्तगदापाणे वनमालासुकन्धर ।
यज्ञसूत्रधरब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १४॥

क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च ।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १५॥

दत्त विद्याढ्यलक्ष्मीश दत्त स्वात्मस्वरूपिणे ।
गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १६॥

शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम् ।
सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १७॥

इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम् ।
दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम् ॥ १८॥

दत्तात्रेय स्तोत्रम् का अर्थ हिंदी में (Meaning of Dattatreya Stotram in Hindi)


वह ब्रह्मांड का निर्माता और इसके विनाश का कारण है।
हे दत्तात्रेय, आपको नमस्कार है, जिन्होंने हमें भौतिक अस्तित्व के बंधन से मुक्त कर दिया है। 1॥

यह बुढ़ापे और जन्म को नष्ट कर शरीर को शुद्ध करता है।
हे दत्तात्रेय, जिनका स्वरूप दिव्य प्राणियों के प्रति दयालु है, आपको नमस्कार है। 2॥

हे कपूर के समान चमकने वाले शरीर, तुम परम सत्य का अवतार हो।
हे दत्तात्रेय, आपने वेदों और शास्त्रों को समझ लिया है। आपको नमस्कार है। 3॥

छोटा, लंबा, पतला, मोटा, नाम और उपनाम से रहित।
हे दत्तात्रेय, जो अकेले ही पाँच तत्वों को प्रकाशित करते हैं, आपको नमस्कार है। 4॥

आप ही यज्ञ के भोक्ता हैं और आप ही यज्ञ का रूप धारण करने वाले हैं।
हे दत्तात्रेय, आपको नमस्कार है, जो त्याग को प्रिय हैं और जो सभी प्रकार से परिपूर्ण हैं। 5॥

आरंभ में ब्रह्मा हैं, मध्य में विष्णु हैं और अंत में भगवान सदाशिव हैं।
हे दत्तात्रेय, जो भौतिक प्रकृति के तीन गुणों के अवतार हैं, आपको नमस्कार है। 6॥

हे सुख-गृह, सुख-दाता, योगी-योग्य धारक!
हे दत्तात्रेय, जिन्होंने इंद्रियों को जीत लिया है और ज्ञान को जीत लिया है, आपको नमस्कार है। 7॥

हे दिगंबर, आप दिव्य हैं और दिव्य रूप धारण करते हैं।
हे दत्तात्रेय, सदैव उदीयमान परम सत्य, आपको नमस्कार है। 8॥

हे जम्बूद्वीप के महान क्षेत्र मातापुर के निवासी,
हे भगवान दत्तात्रेय, मैं आपको सादर प्रणाम करता हूं। 9॥

हाथ में सोने का बर्तन लेकर गांव में घर-घर भिक्षा मांगता था।
हे दत्तात्रेय, मैं आपको सादर प्रणाम करता हूं। 10॥

निरपेक्ष ज्ञान की मुहर कपड़ों पर, आकाश पर और जमीन पर लगाई जाती है।
हे दत्तात्रेय, आपको नमस्कार है, जिनकी समझ ज्ञान से सघन है। 11॥

हे अवधूत, शाश्वत आनंद, परम ब्रह्म, परम सत्ता का स्वरूप।
हे दत्तात्रेय, जिनका स्वरूप शरीर रहित है, आपको नमस्कार है। 12॥

वह सत्य, स्वरूप, सदाचार, आचरण और सच्चाई के प्रति समर्पित है।
हे दत्तात्रेय, जो परोक्ष रूप से सत्य के आश्रय हैं, आपको नमस्कार है। 13॥

उनके हाथ में त्रिशूल और गदा है और वे वन पुष्पों की माला पहनते हैं।
हे ब्राह्मण, यज्ञ के धागे के वाहक, हे दत्तात्रेय, मैं आपको सादर प्रणाम करता हूं। 14॥

हे अक्षरों के स्वरूप, आप दिव्य एवं दिव्य हैं।
हे दत्तात्रेय, मैं आपको सादर प्रणाम करता हूं। 15॥

हे ज्ञान और धन के स्वामी, हे समस्त ऐश्वर्य के स्वामी, मुझे अपना स्वरूप प्रदान करें।
हे दत्तात्रेय, आपको नमस्कार है, जिनका स्वरूप भौतिक प्रकृति के गुणों से परे है। 16॥

यह स्तोत्र शत्रुओं का नाश करता है तथा विद्या और बुद्धि प्रदान करता है
हे दत्तात्रेय, मैं आपको सादर प्रणाम करता हूं। 17॥

यह एक महान और दिव्य भजन है जो सीधे उपहार देने का कारण बनता है।
इसका वर्णन दत्तात्रेय की कृपा से नारद मुनि ने किया था। 18॥

दत्तात्रेय स्तोत्रम् के लाभ (Benefit of Dattatreya Strotam)

दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam) एक भक्ति भजन या प्रार्थना है जो हिंदू धर्म में त्रिमूर्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले समग्र देवता भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है। माना जाता है कि दत्तात्रेय स्तोत्र का जाप या पाठ करने से भक्तों को कई लाभ होते हैं:

१. आध्यात्मिक संबंध:

दत्तात्रेय स्तोत्र का जाप करने से भगवान दत्तात्रेय के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित होता है, जिन्हें गुरु और दिव्य ज्ञान का स्रोत माना जाता है।

२. बुद्धि और ज्ञान:

भक्तों का मानना है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से ज्ञान, ज्ञान और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि प्राप्त हो सकती है। इसका जप अक्सर आध्यात्मिक विकास और समझ चाहने वाले लोगों द्वारा किया जाता है।

३. सुरक्षा:

भगवान दत्तात्रेय को रक्षक और संरक्षक के रूप में भी पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्तोत्र का पाठ करने से उनके सुरक्षात्मक आशीर्वाद मिलते हैं, जिससे भक्तों की नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं से रक्षा होती है।

४. मन का विषहरण:

दत्तात्रेय स्तोत्र को मन को शुद्ध करने और नकारात्मक विचारों को खत्म करने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मानसिक तनाव को कम करने और मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देने में मदद करता है।

५. बाधाओं को दूर करना:

कई भक्त जीवन की चुनौतियों और बाधाओं पर काबू पाने में मदद पाने के लिए भगवान दत्तात्रेय की ओर रुख करते हैं। ऐसा माना जाता है कि स्तोत्र का जाप बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने में सहायक होता है।

६. शांति और सुकून:

स्तोत्र का नियमित पाठ करने से आंतरिक शांति और सुकून मिलता है। यह व्यक्तियों को जीवन के संघर्षों के बीच सांत्वना खोजने में मदद करता है।

७. आध्यात्मिक प्रगति:

आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले भक्तों का मानना है कि दत्तात्रेय स्तोत्रम का जाप आत्म-प्राप्ति और आध्यात्मिक ज्ञान की दिशा में उनकी प्रगति को तेज कर सकता है।

८. परिवार के लिए आशीर्वाद:

कुछ लोग अपने परिवार की भलाई, खुशी और सद्भाव के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए भी स्तोत्र का पाठ करते हैं।

९. कर्म शुद्धि:

दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam) का पाठ पिछले कर्मों को शुद्ध करने में मदद कर सकता है और अधिक सकारात्मक और शुभ भविष्य की ओर ले जा सकता है।

१०. भक्ति संबंध:

विशिष्ट लाभों से परे, इस स्तोत्र का जाप भगवान दत्तात्रेय के प्रति किसी के भक्ति संबंध को गहरा कर सकता है और प्रेम और भक्ति व्यक्त करने के साधन के रूप में काम कर सकता है।

  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक पाठ को पढ़ने के कथित लाभ व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं, और ऐसी प्रथाओं की शक्ति अक्सर भक्त के विश्वास और ईमानदारी में निहित होती है। कई व्यक्तियों को अपनी भक्ति प्रथाओं के माध्यम से आराम, प्रेरणा और कल्याण की भावना मिलती है, जिसमें दत्तात्रेय स्तोत्रम जैसे स्तोत्रों का जाप भी शामिल है।
  • दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam) एक बहुत ही लोकप्रिय स्तोत्र है जिसे दुनिया भर में भगवान दत्तात्रेय के भक्तों द्वारा जप किया जाता है। माना जाता है कि स्तोत्र का नियमित जाप करने वाले भक्तों पर भगवान दत्तात्रेय की कृपा होती है।
  • यदि आप भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो मैं आपको नियमित रूप से दत्तात्रेय स्तोत्रम का जाप करने की सलाह देता हूँ। आप स्तोत्र को किसी भी तरह से जप सकते हैं, लेकिन आम तौर पर यह अनुशंसा की जाती है कि आप इसे हर दिन कम से कम 108 बार जपें।
  • दत्तात्रेय हिंदू धर्म में एक पूजनीय व्यक्ति हैं, जिन्हें अक्सर त्रिमूर्ति का देवता या अवतार (अवतार) माना जाता है, जिसमें ब्रह्मा (निर्माता), विष्णु (संरक्षक), और शिव (विनाशक) शामिल हैं। दत्तात्रेय इन तीन देवताओं का एक मिश्रित रूप हैं और उन्हें “त्रिमूर्ति अवतार” या “आदि गुरु” (मूल गुरु) के रूप में जाना जाता है।

दत्तात्रेय स्तोत्रम् वीडियो (Dattatreya Strotam Video)

१. स्वरूप:

दत्तात्रेय को अक्सर तीन सिर और छह भुजाओं वाले एक ऋषि या योगी के रूप में चित्रित किया गया है। प्रत्येक सिर त्रिमूर्ति देवताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करता है, और उसकी छह भुजाओं में विभिन्न प्रतीकात्मक वस्तुएं हैं।

२. गुरु और शिक्षक :

दत्तात्रेय को परम आध्यात्मिक गुरु और गुरु माना जाता है। उन्हें साधकों और भक्तों को ज्ञान, ज्ञान और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए सम्मानित किया जाता है। उनकी शिक्षाएँ आत्म-बोध और सभी अस्तित्व की एकता के महत्व पर जोर देती हैं।

३. अवधूत:

दत्तात्रेय को अक्सर “अवधूत” के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कोई ऐसा व्यक्ति जो सांसारिक मोह-माया को पार कर चुका है और दिव्य प्राप्ति की स्थिति में रहता है। उन्हें वैराग्य और त्याग की प्रतिमूर्ति के रूप में देखा जाता है।

४. प्रतिमा विज्ञान:

दत्तात्रेय की प्रतिमा भिन्न हो सकती है, लेकिन इसमें आमतौर पर एक गाय, एक कुत्ता और एक त्रिशूल शामिल है। ये प्रतीक उनके जीवन और शिक्षाओं के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। गाय मातृ पोषण और निस्वार्थता का प्रतिनिधित्व करती है, कुत्ता वफादारी और विनम्रता का प्रतीक है, और त्रिशूल भगवान शिव से उसके संबंध का प्रतीक है।

५. जन्म पौराणिक कथा:

दत्तात्रेय का जन्म पौराणिक कथाओं से घिरा हुआ है। एक लोकप्रिय कहानी के अनुसार, उनका जन्म ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूया से हुआ था। त्रिमूर्ति देवता, अनसूया के गुण और पवित्रता से प्रभावित होकर, तीन अलग-अलग शिशुओं की आड़ में उनके पास आए और उनसे उन्हें खिलाने का अनुरोध किया। उन्होंने बड़ी भक्ति के साथ ऐसा किया और तीनों शिशु एक में विलीन हो गए और दत्तात्रेय बन गए।

६. शिक्षाएँ:

दत्तात्रेय की शिक्षाएँ सभी प्राणियों की एकता, आत्म-प्राप्ति के महत्व और आध्यात्मिक मुक्ति के मार्ग पर जोर देती हैं। उनका ज्ञान अक्सर रूपक कहानियों और दृष्टांतों के माध्यम से साझा किया जाता है।

७. पूजा :

दत्तात्रेय के भक्त बड़ी श्रद्धा से उनकी पूजा करते हैं। दत्तात्रेय को समर्पित मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों में पाए जा सकते हैं। उनकी पूजा अक्सर आध्यात्मिक ज्ञान, सुरक्षा और मार्गदर्शन प्राप्त करने से जुड़ी होती है।

८. प्रभाव:

दत्तात्रेय का प्रभाव हिंदू धर्म से परे तक फैला हुआ है। वह अन्य भारतीय धर्मों में भी पूजनीय हैं और जैन धर्म और बौद्ध धर्म के कुछ संप्रदायों में उनके अनुयायी हैं।

संक्षेप में, दत्तात्रेय हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं, जो तीन प्रमुख देवताओं के संश्लेषण का प्रतीक हैं, और उन्हें एक गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में सम्मानित किया जाता है जो साधकों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा पर गहन ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उनकी शिक्षाएँ सभी अस्तित्व की एकता को समझने और सांसारिक आसक्तियों से परे जाने के महत्व पर जोर देती हैं।


यह मंत्र का भी जाप करें


दत्तात्रेय स्तोत्रम् पीडीएफ (Dattatreya Strotam Pdf)

दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam) FAQ

दत्तात्रेय स्तोत्र क्या है?

दत्तात्रेय स्तोत्रम (Dattatreya Strotam) भगवान दत्तात्रेय को समर्पित एक भक्ति भजन या प्रार्थना है, जो हिंदू धर्म में त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) का प्रतिनिधित्व करने वाले समग्र देवता हैं।

दत्तात्रेय स्तोत्रम् की रचना किसने की?

पारंपरिक रूप से दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam) के रचयिता का श्रेय ऋषि नारद को दिया जाता है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं के प्रमुख ऋषियों में से एक हैं।

भगवान दत्तात्रेय का क्या महत्व है?

भगवान दत्तात्रेय को एक गुरु, दिव्य ज्ञान के स्रोत और हिंदू धर्म में तीन प्रमुख देवताओं: ब्रह्मा (निर्माता), विष्णु (संरक्षक), और शिव (संहारक) के बीच एकता के प्रतीक के रूप में सम्मानित किया जाता है। वह एकता की अवधारणा का प्रतीक हैं और उन्हें अक्सर त्रिमूर्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन सिर वाले एक ऋषि के रूप में चित्रित किया जाता है।

दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam) का जाप करने से क्या लाभ होते हैं?

दत्तात्रेय स्तोत्र का जाप करने से आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि, ज्ञान और सुरक्षा मिलती है। ऐसा माना जाता है कि यह बाधाओं को दूर करने, मन को शुद्ध करने और आंतरिक शांति को बढ़ावा देने में भी मदद करता है। भक्त आध्यात्मिक विकास और मार्गदर्शन सहित विभिन्न आशीर्वाद चाहते हैं।

दत्तात्रेय स्तोत्र का जाप कैसे करना चाहिए?

भक्त ईमानदारी और भक्ति के साथ दत्तात्रेय स्तोत्रम (Dattatreya Strotam) का जाप कर सकते हैं। इसे अक्सर सुबह या ध्यान के दौरान किसी के दैनिक आध्यात्मिक अभ्यास के हिस्से के रूप में पढ़ा जाता है। कई लोग समर्पित पूजा के रूप में इसका 108 बार जाप करते हैं।

क्या दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ करने का कोई विशेष समय या अवसर है?

समय या अवसर के बारे में कोई सख्त नियम नहीं है, कुछ भक्त गुरुवार को दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ करना चुनते हैं, जिसे गुरु पूजा के लिए शुभ माना जाता है। अन्य लोग इसे अपनी दैनिक प्रार्थना दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।

क्या गैर-हिन्दू भी कर सकते हैं दत्तात्रेय स्तोत्र का जाप?

हाँ, दत्तात्रेय स्तोत्रम (Dattatreya Strotam) का जाप किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के लोग कर सकते हैं जो ज्ञान, मार्गदर्शन और आध्यात्मिक विकास प्राप्त करना चाहते हैं। ऐसी भक्ति प्रथाओं की शक्ति अक्सर धार्मिक सीमाओं को पार कर जाती है।

क्या दत्तात्रेय स्तोत्र के विभिन्न रूप हैं?

हाँ, दत्तात्रेय स्तोत्रम (Dattatreya Strotam) के विभिन्न संस्करण और विविधताएँ हैं।

क्या महिलाएं दत्तात्रेय स्तोत्र का जाप कर सकती हैं?

हां, महिलाएं दत्तात्रेय स्तोत्र का जाप जरूर कर सकती हैं। इस भजन का जाप करने या भगवान दत्तात्रेय से संबंधित भक्ति प्रथाओं में शामिल होने के लिए कोई लिंग प्रतिबंध नहीं है।

108 बार जाप करने का क्या महत्व है?

किसी मंत्र या स्तोत्र का 108 बार जाप करना हिंदू धर्म में एक पारंपरिक प्रथा है। 108 नंबर को पवित्र माना जाता है और इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व माना जाता है। किसी मंत्र या स्तोत्र का 108 बार जाप करना गहरे आध्यात्मिक संबंध और लाभ प्राप्त करने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है।

 सभी देवी देवताओं के भक्ति गीत, भजन, मन्त्र और स्त्रोत के Lyrics Hindi + Lyrics English + Video + PDF के लिए poojaaarti.com पर visit करे।

आज का हमारा लेख पढ़ने के लिए हम आपकी सराहना करते हैं। कृपया अपने अनुभव हमसे साझा करने के लिए हमारे facebook group पर जुड़े और हमारे facebook page को like करे। अगर आप इस लेख में कुछ सुधार चाहते है, तो कृपया comment के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है।

disclaimer

इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 

Leave a Comment