श्री बगलामुखी चलीसा (Shree Baglamukhi Chalisa)

श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa)”जय जय जय श्री बगला माता” एक प्रमुख हिन्दू पौराणिक पद्धति है जिसका उद्देश्य मां बगलामुखी की महिमा का गुणगान करना और उनकी आराधना करना है। मां बगलामुखी का पूरा नाम मां बगलामुखी पिताम्बरा देवी है, और वे तन्त्रिक देवी के रूप में पूजी जाती हैं। मां बगलामुखी का रूप आम तौर पर क्रोध की देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं और वे अपने भक्तों की संग्रहणी शक्ति के रूप में जानी जाती हैं।

श्री बगलामुखी चालीसा के लाभ (Shree Baglamukhi Chalisa Benefits)

  1. आत्मश्रद्धा और मानसिक शांति:
    श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa) पाठ करने से आत्मश्रद्धा में सुधार होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  2. शत्रुओं और दुश्मनों के खिलाफ सुरक्षा:
    मां बगलामुखी की कृपा से शत्रुओं और दुश्मनों के खिलाफ सुरक्षा प्राप्त होती है और भक्तों को संकटों से मुक्ति मिलती है।
  3. विद्या और बुद्धि में सुधार:
    श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa) का पाठ करने से विद्या और बुद्धि में सुधार होता है, और छात्रों को सफलता प्राप्त होती है
  4. कष्टों का निवारण:
    श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa) का पाठ करने से कष्ट और दुखों का निवारण होता है और भक्तों का जीवन सुखमय बन सकता है।
  5. ग्रहों के दोष की शांति:
    मां बगलामुखी की कृपा से ग्रहों के दोष में शांति प्राप्त होती है और उनका जीवन स्थिर और सुखमय हो जाता है।
  6. संकटों का निवारण:
    मां बगलामुखी की कृपा से भक्तों के विभिन्न प्रकार के संकटों का निवारण होता है, जैसे कि स्वास्थ्य संकट, वित्तीय संकट, और परिवारिक संकट।

श्री बगलामुखी चालीसा का वीडियो (Shree Banglamukhi Chalisa Ka Video)

श्री बगलामुखी चालीसा लिरिक्स हिंदी में (Shree Baglamukhi Chalisa Lyrics In hindi)

॥ दोहा ॥
सिर नवाइ बगलामुखी,
लिखूं चालीसा आज ॥

कृपा करहु मोपर सदा,
पूरन हो मम काज ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय श्री बगला माता ।
आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥

बगला सम तब आनन माता ।
एहि ते भयउ नाम विख्याता ॥

शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी ।
असतुति करहिं देव नर-नारी ॥

पीतवसन तन पर तव राजै ।
हाथहिं मुद्गर गदा विराजै ॥ 4 ॥

तीन नयन गल चम्पक माला ।
अमित तेज प्रकटत है भाला ॥

रत्न-जटित सिंहासन सोहै ।
शोभा निरखि सकल जन मोहै ॥

आसन पीतवर्ण महारानी ।
भक्तन की तुम हो वरदानी ॥

पीताभूषण पीतहिं चन्दन ।
सुर नर नाग करत सब वन्दन ॥ 8 ॥

एहि विधि ध्यान हृदय में राखै ।
वेद पुराण संत अस भाखै ॥

अब पूजा विधि करौं प्रकाशा ।
जाके किये होत दुख-नाशा ॥

प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै ।
पीतवसन देवी पहिरावै ॥

कुंकुम अक्षत मोदक बेसन ।
अबिर गुलाल सुपारी चन्दन ॥ 12 ॥

माल्य हरिद्रा अरु फल पाना ।
सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना ॥

धूप दीप कर्पूर की बाती ।
प्रेम-सहित तब करै आरती ॥

अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे ।
पुरवहु मातु मनोरथ मोरे ॥

मातु भगति तब सब सुख खानी ।
करहुं कृपा मोपर जनजानी ॥ 16 ॥

त्रिविध ताप सब दुख नशावहु ।
तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु ॥

बार-बार मैं बिनवहुं तोहीं ।
अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं ॥

पूजनांत में हवन करावै ।
सा नर मनवांछित फल पावै ॥

सर्षप होम करै जो कोई ।
ताके वश सचराचर होई ॥ 20 ॥

तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै ।
भक्ति प्रेम से हवन करावै ॥

दुख दरिद्र व्यापै नहिं सोई ।
निश्चय सुख-सम्पत्ति सब होई ॥

फूल अशोक हवन जो करई ।
ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई ॥

फल सेमर का होम करीजै ।
निश्चय वाको रिपु सब छीजै ॥ 24 ॥

गुग्गुल घृत होमै जो कोई ।
तेहि के वश में राजा होई ॥

गुग्गुल तिल संग होम करावै ।
ताको सकल बंध कट जावै ॥

बीलाक्षर का पाठ जो करहीं ।
बीज मंत्र तुम्हरो उच्चरहीं ॥

एक मास निशि जो कर जापा ।
तेहि कर मिटत सकल संतापा ॥ 28 ॥

घर की शुद्ध भूमि जहं होई ।
साध्का जाप करै तहं सोई ॥

सेइ इच्छित फल निश्चय पावै ।
यामै नहिं कदु संशय लावै ॥

अथवा तीर नदी के जाई ।
साधक जाप करै मन लाई ॥

दस सहस्र जप करै जो कोई ।
सक काज तेहि कर सिधि होई ॥ 32 ॥

जाप करै जो लक्षहिं बारा ।
ताकर होय सुयशविस्तारा ॥

जो तव नाम जपै मन लाई ।
अल्पकाल महं रिपुहिं नसाई ॥

सप्तरात्रि जो पापहिं नामा ।
वाको पूरन हो सब कामा ॥

नव दिन जाप करे जो कोई ।
व्याधि रहित ताकर तन होई ॥ 36 ॥

ध्यान करै जो बन्ध्या नारी ।
पावै पुत्रादिक फल चारी ॥

प्रातः सायं अरु मध्याना ।
धरे ध्यान होवैकल्याना ॥

कहं लगि महिमा कहौं तिहारी ।
नाम सदा शुभ मंगलकारी ॥

पाठ करै जो नित्या चालीसा ।
तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा ॥ 40 ॥

॥ दोहा ॥

सन्तशरण को तनय हूं,
कुलपति मिश्र सुनाम ।
हरिद्वार मण्डल बसूं ,
धाम हरिपुर ग्राम ॥

उन्नीस सौ पिचानबे सन् की,
श्रावण शुक्ला मास ।
चालीसा रचना कियौ,
तव चरणन को दास ॥

श्री बगलामुखी चालीसा लिरिक्स अंग्रेजी में (Shree Baglamukhi Chalisa Lyrics In English)

shree baglamukhi chalisa english

॥ Doha ॥
Sir Navai Baglamukhi,
Likhun Chalisa Aaj ॥

Kripa Karahu Mopar Sada,
Pooran Ho Mam Kaaj ॥

॥ Chaupai ॥
Jai Jai Jai Shri Bagla Mata ।
Adishakti Sab Jag Ki Trata ॥

Bagla Sam Tab Aanan Mata ।
Ehi Te Bhayu Naam Vikhyata ॥

Shashi Lalat Kundal Chhavi Nyari ।
Asauti Karahin Dev Nar-nari ॥

Pitvasan Tan Par Tav Rajai ।
Hathhin Mudgar Gada Virajai ॥ 4 ॥

Tin Nayan Gal Champak Mala ।
Amit Tej Prakatat Hai Bhala ॥

Ratn-jatit Sinhasan Sohai ।
Shobha Nirakhi Sakal Jan Mohai ॥

Asan Pitavarn Maharani ।
Bhaktan Ki Tum Ho Varadani ॥

Pitabhushan Pitahin Chandan ।
Sur Nar Nag Karat Sab Vandan ॥ 8 ॥

Ehi Vidhi Dhyan Hrday Mein Rakhai ।
Ved Puran Sant as Bhakhai ॥

Ab Pooja Vidhi Karan Prakasha ।
Jake Kiye Hot Dukh-nasha ॥

Prathamahin Pit Dhvaja Phaharavai ।
Pitavasan Devi Pahiravai ॥

Kumkum Akshat Modak Besan ।
Abir Gulal Supari Chandan ॥ 12 ॥

Maly Haridra Aru Phal Pana ।
Sabahin Chadhi Dharye Ur Dhyana ॥

Dhoop Dip Karpoor Ki Bati ।
Prem-sahit Tab Karai Arati ॥

Astuti Karai Hath Dou Jore ।
Puravahu Matu Manorath More ॥

Matu Bhagati Tab Sab Sukh Khani ।
Karhun KrIpa Mopar Janjani ॥ 16 ॥

Trividh Taap Sab Dukh Nashavahu ।
Timir Mitkar Gyan Badhavahu ॥

Bar-bar Main Binavahun Tohin ।
Aviral Bhagati Gyan Do Mohin ॥

Poojanant Mein Havan Karavai ।
Sa Nar Manavanchhit Phal Pavai ॥

Sarshap Hom Karai Jo Koi ।
Take Vash Sacharachar Hoi ॥ 20 ॥

Til Tandul Sang Kshir Miravai ।
Bhakti Prem Se Havan Karavai ॥

Dukh Daridr Vyapai Nahin Soi ।
Nishchay Sukh-sampatti Sab Hoi ॥

Phool Ashok Havan Jo Kari ।
Taake Grh Sukh-sampatti Bhari ॥

Phal Semar Ka Hom Karijai ।
Nishchay Vako Ripu Sab Chhijai ॥ 24 ॥

Guggul Ghrt Homai Jo Koi ।
Tehi Ke Vash Mein Raja Hoi ॥

Guggul Til Sang Hom Karavai ।
Tako Sakal Bandh Kat Javai ॥

Bilakshar Ka Path Jo Karahin ।
Bij Mantr Tumharo Uchcharahin ॥

Ek Maas Nishi Jo Kar Jaapa ।
Tehi Kar Mitat Sakal Santapa ॥ 28 ॥

Ghar Ki Shuddh Bhoomi Jahan Hoi ।
Sadhka Jaap Karai Tahan Soi ॥

Sei Ichchhit Phal Nishchay Pavai ।
Yamai Nahin Kadu Sanshay Lavai ॥

Athava Tir Nadi Ke Jai ।
Sadhak Jaap Karai Man Lai ॥

Das Sahasra Jap Karai Jo Koi ।
Sak Kaaj Tehi Kar Sidhi Hoi ॥ 32 ॥

Jaap Karai Jo Lakshahin Baara ।
Takar Hoy Suyashavistara ॥

Jo Tav Naam Japai Man Lai ।
Alpakal Mahan Ripuhin Nasai ॥

Saptaratri Jo Papahin Nama ।
Vako Pooran Ho Sab Kama .

Nav Din Jaap Kare Jo Koi ।
Vyadhi Rahit Takar Tan Hoi ॥ 36 ॥

Dhyan Karai Jo Bandhya Nari ।
Pavai Putradik Phal Chari ॥

Pratah Sayan Aru Madhyana ।
Dhare Dhyan Hovaikalyana ॥

Kahan Lagi Mahima Kahaun Tihari ।
Naam Sada Shubh Mangalkari ॥

Path Karai Jo Nitya Chalisa ।
Tehi Par Kripa Karhin Gaurisha ॥ 40 ॥

॥ Doha ॥
Santasharan Ko Tanay Hoon,
Kulapati Mishr Sunam ।
Haridvar Mandal Basoon ,
Dham Haripur Gram ॥

Unnis Sau Pichanabe San Ki,
Shravan Shukla Maas ।
Chalisa Rachana Kiyau,
Tav Charanan Ko Daas ॥

श्री बगलामुखी चालीसा लिरिक्स पीडीएफ (Shree Baglamukhi Chalisa Lyrics PDF)


कृपया यह चालीसा भी पढ़े


Shree Baglamukhi Chalisa से जुड़े कुछ सामान्य प्रश्न FAQ

श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa) क्या होती है?

श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa) एक हिन्दू भक्ति ग्रंथ है जो माँ बगलामुखी की महिमा का गुणगान करता है। भक्तों द्वारा माँ बगलामुखी की पूजा की जाती है।

श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa) कब और कैसे पढ़ा जाती है?

श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa) को बगलामुखी माता की पूजा के समय पढ़ा जाता है, जैसे कि रोज़ाना या विशेष पूजा के दिन। श्री बगलामुखी चालीसा पूजा स्थल पर बैठकर पढ़ा जाता है।

श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa) के क्या महत्व हैं?

श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa)का पाठ भगवान बगलामुखी माता की कृपा प्राप्त करने और उनकी आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह चालीसा शक्ति और साहस प्रदान करता है।

श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa) के कुछ मुख्य श्लोक क्या हैं?

श्री बगलामुखी चालीसा (Shree Baglamukhi Chalisa) के कुछ प्रमुख श्लोक हैं जो उनकी महिमा को व्यक्त करते हैं. एक प्रमुख श्लोक है: “वक्रतुण्डमहाकायसूर्यकोटिसमप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देवासर्वकार्येषु सर्वदा॥” इसका अर्थ है, “हे देवी, जिनका शरीर वक्रतुण्ड (कुलंगुली) के समान महाकाय है, और जिनकी तेज़ सूर्य के कोटि समान है, कृपा करके मेरे सभी कार्यों में बाधा न डालो।”

आज का हमारा लेख पढ़ने के लिए हम आपकी सराहना करते हैं। कृपया अपने अनुभव हमसे साझा करने के लिए हमारे facebook group पर जुड़े और हमारे facebook page को like करे। अगर आप इस लेख में कुछ सुधार चाहते है, तो कृपया comment के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है।

disclaimer

इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 


Leave a Comment