संतोषी माता की आरती (Santoshi mata ki aarti)

संतोषी माता की आरती (Santoshi mata ki aarti) हर शुक्रवार को करने से घर में सुख, शांति और वैभव आता है, प्रत्येक शुक्रवार के दिन माता संतोषी की पूजा करने से धन और विवाह संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं। संतोषी माता की आरती का पाठ भक्ति और पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसका पाठ नियमित रूप से किया जाता है ताकि लोग उनके आराध्य देवी संतोषी माता से आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

Santoshi mata ki aarti का वीडियो

Santoshi mata ki aarti के लाभ

  1. आध्यात्मिक लाभ: संतोषी माता की आरती(Santoshi mata ki aarti) का गान और चंदन का तीलक लगाना आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। यह आपके मानसिक और आत्मिक शांति को प्राप्त करने में मदद करता है और आपकी भक्ति और धार्मिकता की भावना को बढ़ावा देता है।
  2. आर्थिक लाभ: संतोषी माता की कृपा को प्राप्त करने के लिए उनकी आरती का पाठ किया जाता है। इसके माध्यम से लोग आर्थिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और आर्थिक समस्याओं का समाधान प्राप्त करने की आशा करते हैं।
  3. सामाजिक और पारिवारिक सुख: संतोषी माता की आरती का पाठ करने से व्यक्ति को सामाजिक और पारिवारिक सुख मिल सकते हैं। यह आपके परिवार में एकता और घनिष्टता को बढ़ावा देता है और सामाजिक संबंधों को मजबूत करता है।
  4. मानसिक शांति: संतोषी माता की आरती का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है। यह व्यक्ति को चिंता और उदासी से मुक्ति दिलाता है और उनके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
  5. संतान सुख: कुछ भक्त संतोषी माता की आरती का पाठ करते हैं ताकि उन्हें संतान सुख प्राप्त हो। यह आरती संतान की इच्छा को पूरा करने में मदद कर सकती है।

संतोषी माता की आरती लिरिक्स हिंदी में (Santoshi mata ki aarti in Hindi )

जय सन्तोषी माता, मैया सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की, सुख सम्पत्ति दाता॥
जय सन्तोषी माता॥

सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हों।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार कीन्हों॥
जय सन्तोषी माता॥

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मन्द हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे॥
जय सन्तोषी माता॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरें प्यारे।
धूप दीप मधुमेवा, भोग धरें न्यारे॥
जय सन्तोषी माता॥

गुड़ और चना परमप्रिय, तामे संतोष किये।
सन्तोषी कहलाई, भक्तन वैभव दिये॥
जय सन्तोषी माता॥

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही॥
जय सन्तोषी माता॥

मन्दिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम सेवक, चरनन सिर नाई॥
जय सन्तोषी माता॥

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसै हमारे, इच्छा फल दीजै॥
जय सन्तोषी माता॥

दुखी दरिद्री, रोगी, संकट मुक्त किये।
बहु धन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिये॥
जय सन्तोषी माता॥

ध्यान धरे जन तेरा, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो॥
जय सन्तोषी माता॥

शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे॥
जय सन्तोषी माता॥

शुक्रवार प्रिय मानती, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही॥
जय सन्तोषी माता॥

सन्तोषी माता की आरती, जो कोई जन गावे।
ऋद्धि-सिद्धि, सुख-सम्पत्ति, जी भर के पावे॥
जय सन्तोषी माता॥

जय सन्तोषी माता, मैया सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की, सुख सम्पत्ति दाता॥
जय सन्तोषी माता॥

Santoshi mata ki aarti image english

संतोषी माता की आरती लिरिक्स अंग्रेजी में (Santoshi mata ki aarti in English )

Jai Santoshi Mata, maiyaa santoshii maataa.
Apne sevak jan kii, sukh sampatti daataa॥
Jai Santoshi Mata॥

Sundar chiir sunaharii maan dhaaraṇ kiinhon.
Hiiraa pannaa damake, tan shrṛngaar kiinhon॥
Jai Santoshi Mata॥

Geru laal chhaṭaa chhavi, badan kamal sohe.
Mand hamsat karuṇaamayii, tribhuvan man mohe॥
Jai Santoshi Mata॥

Svarṇ sinhaasan baiṭhii, chamvar ḍhuren pyaare.
Dhuup diip madhumevaa, bhog dharen nyaare॥
Jai Santoshi Mata॥

Gud owr chanaa paramapriy, taame santosh kiye.
Santoshii kahalaaii, bhaktan vaibhav diye॥
Jai Santoshi Mata॥

Shukravaar priy maanat, aaj divas sohii.
Bhakt maṇḍalii chhaaii, kathaa sunat mohii॥
Jai Santoshi Mata॥

Mandir jagamag jyoti, mangal dhvani chhaaii.
Vinay karen ham sevak, charanan sir naaii॥
Jai Santoshi Mata॥

Bhakti bhaavamay puujaa, amgiikṛt kiijai.
Jo man basai hamaare, ichchhaa phal diijai॥
Jai Santoshi Mata॥

Dukhii daridrii, rogii, sankaṭ mukt kiye.
Bahu dhan-dhaany bhare ghar, sukh sowbhaagy diye॥
Jai Santoshi Mata॥

Dhyaan dhare jan teraa, manavaanchhit phal paayo.
Puujaa kathaa shravaṇ kar, ghar aanand aayo॥
Jai Santoshi Mata॥

Sharaṇ gahe kii lajjaa, raakhiyo jagadambe.
Sankaṭ tuu hii nivaare, dayaamayii ambe॥
Jai Santoshi Mata॥

Shukravaar priy maanatii, aaj divas sohii.
Bhakt maṇḍalii chhaaii, kathaa sunat mohii॥
Jai Santoshi Mata॥

Santoshii maataa kii aaratii, jo koii jan gaave.
Riddhi-siddhi, sukh-sampatti, jii bhar ke paave॥
Jai Santoshi Mata॥

Jai Santoshi Mata, maiyaa santoshii maataa.
Apne sevak jan kii, sukh sampatti daataa॥
Jai Santoshi Mata॥

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Santoshi mata ki aarti lyrics pdf

Santoshi mata ki aarti से सम्बंधित प्रश्न

संतोषी माता कौन हैं?

संतोषी माता भारतीय हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवी हैं, जिन्हें संतोष की देवी के रूप में पूजा जाता है। वे भगवान गणेश की पुत्री हैं और विशेष रूप से संतोष की देवी के रूप में प्रसिद्ध हैं।

संतोषी माता की आरती(Santoshi mata ki aarti) क्या है?

संतोषी माता की आरती (Santoshi mata ki aarti) एक प्रार्थना है जिसमें उनकी महिमा की प्रशंसा की जाती है। यह आरती संतोषी माता की पूजा के समय गाई जाती है और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।

संतोषी माता की पूजा कब और कैसे की जाती है?

संतोषी माता की पूजा गुड़ , चना और सिन्दूर के साथ की जाती है, और उसके बाद आरती गाई जाती है। इसके बाद प्रसाद बाँटा जाता है । संतोषी माता की पूजा का विशेष दिन शुक्रवार को होता है, लेकिन कुछ लोग उनकी पूजा रोज़ करते हैं।

संतोषी माता की कथा क्या है?

संतोषी माता की कथा में उनके भक्त अनुसुया के व्रत की कहानी होती है, जिसमें वह तीन दिन भगवान गणेश, लक्ष्मी, और संतोषी माता को अपने घर में बुलाती हैं और उनके आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस कथा का पाठ भक्तों को संतोष और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है.

संतोषी माता की आरती(Santoshi mata ki aarti) के लाभ क्या हैं?

संतोषी माता की आरती (Santoshi mata ki aarti) का पाठ भक्तों को आध्यात्मिक और आर्थिक सुख, सामाजिक सुख, पारिवारिक सुख, और मानसिक शांति की प्राप्ति में मदद कर सकता है। यह भक्तों के जीवन में संतोष और समृद्धि की भावना को बढ़ावा देता है।

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