श्री विन्ध्येश्वरी आरती ( Shree Vindhyeshwari Aarti), “सुन मेरी देवी पर्वतवासनी” मां विन्ध्येश्वरी को समर्पित की जाती है, जो मां विन्ध्येश्वरी की पूजा के समय गाया जाता है। यह एक हिन्दू धार्मिक आरती है जो मां विन्ध्येश्वरी की महिमा गुणगान करती है और उनकी कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती है। “विन्ध्येश्वरी आरती” विन्ध्याचल पर्वत क्षेत्र के प्रसिद्ध माता विन्ध्येश्वरी की पूजा में गाई जाने वाली आरती है। यह आरती माता के भक्तों द्वारा प्रतिदिन सुबह और शाम को गयी जाती है।
विषय सूची
श्री विन्ध्येश्वरी आरती के लाभ (Shree Vindhyeshwari Aarti Benefits)
- मानसिक शांति:
श्री विन्ध्येश्वरी आरती (Shree Vindhyeshwari Aarti) का पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह चिंता को कम करने में मदद करती है और चिंता से मुक्ति प्रदान करती है। - भक्ति और श्रद्धा:
श्री विन्ध्येश्वरी आरती (Shree Vindhyeshwari Aarti) के पाठ से भक्त माँ विन्ध्येश्वरी में अधिक श्रद्धा और भक्ति करते हैं। भक्त माता के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करते है। - आशीर्वाद और समृद्धि:
श्री विन्ध्येश्वरी आरती (Shree Vindhyeshwari Aarti) के पाठ करने से माता की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। - आत्मविश्वास:
भक्ति और आराधना के माध्यम से माँ विन्ध्येश्वरी के प्रति आत्मविश्वास बढ़ता है, और जीवन में चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलती है।
श्री विन्ध्येश्वरी आरती का वीडियो (Shree Vindhyeshwari Aarti Video)
श्री विन्ध्येश्वरी आरती लिरिक्स हिंदी में (Shree Vindhyeshwari Aarti Lyrics In Hindi)
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ।
ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
सुवा चोली तेरी अंग विराजे ।
केसर तिलक लगाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
नंगे पग मां अकबर आया ।
सोने का छत्र चडाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया ।
निचे शहर बसाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये ।
कालियुग राज सवाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
धूप दीप नैवैध्य आर्ती ।
मोहन भोग लगाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया ।
मनवंचित फल पाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
श्री विन्ध्येश्वरी आरती लिरिक्स अंग्रेजी में (Shree Vindhyeshwari Aarti Lyrics In English)
Sun Meri Devi Parvat Vasini ।
Koi Tera Paar Na Paya ॥
Paan Supari Dhwaja Nariyal ।
Le Teri Bheint Charaya ॥
॥ Sun Meri Devi Parvat Vasini…॥
Suva Choli Teri Ang Viraje ।
Kesar Tilak Lagaya ॥
॥ Sun Meri Devi Parvat Vasini…॥
Nange Pag Maa Akbar Aaya ।
Sone Ka Chatra Charaya ॥
॥ Sun Meri Devi Parvat Vasini…॥
Oonche Parvat Banyo Devalaya ।
Niche Shahar Basaya ॥
॥ Sun Meri Devi Parvat Vasini…॥
Satyug, Dwapar, Treta Madhye ।
Kaliyug Raaj Savaya ॥
॥ Sun Meri Devi Parvat Vasini…॥
Dhoop Deep Naivaidhya Aarti ।
Mohan Bhog Lagaya ॥
॥ Sun Meri Devi Parvat Vasini…॥
Dhyanu Bhagat Maiya Tere Gun Gaya ।
Mannvanchit Phal Paaya ॥
Sun Meri Devi Parvat Vasini ।
Koi Tera Paar Na Paya ॥
श्री विन्ध्येश्वरी आरती पीडीएफ (Shree Vindhyeshwari Aarti PDF)
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श्री विन्ध्येश्वरी आरती से जुड़े कुछ प्रश्न (Shree Vindhyeshwari Aarti FAQ)
श्री विन्ध्येश्वरी आरती (Shree Vindhyeshwari Aarti) किस देवी की आरती है?
श्री विन्ध्येश्वरी आरती देवी विन्ध्येश्वरी की आरती है। देवी विन्ध्येश्वरी देवी दुर्गा का ही एक स्वरूप हैं। देवी विन्ध्येश्वरी को विन्ध्य पर्वत की देवी माना जाता है।
श्री विन्ध्येश्वरी आरती (Shree Vindhyeshwari Aarti) कैसे करें?
श्री विन्ध्येश्वरी आरती करने के लिए सबसे पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं। मंदिर जाकर देवी विन्ध्येश्वरी के चरणों में नतमस्तक होकर आशीर्वाद लें। अब आरती की थाली में घी या तेल का दीपक जलाएं और आरती गाने लगें। आरती गाते समय देवी विन्ध्येश्वरी का ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद मांगें। आरती समाप्त होने के बाद प्रसाद चढ़ाएं और देवी विन्ध्येश्वरी को नमस्कार करें।
श्री विन्ध्येश्वरी आरती (Shree Vindhyeshwari Aarti) कब करें?
श्री विन्ध्येश्वरी आरती किसी भी समय की जा सकती है। लेकिन सुबह और शाम को आरती का विशेष महत्व होता है।
श्री विन्ध्येश्वरी आरती (Shree Vindhyeshwari Aarti) करने से क्या लाभ होता है?
श्री विन्ध्येश्वरी आरती करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं।
देवी विन्ध्येश्वरी की कृपा से भक्तों को सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है।
देवी विन्ध्येश्वरी की कृपा से भक्तों को धन, धान्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
देवी विन्ध्येश्वरी की कृपा से भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
देवी विन्ध्येश्वरी की कृपा से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले।
जीतू डनसेना स्नातक के अध्ययन से साथ साथ poojaaarti.com के भजन, चालीसा और आरती के पोस्ट में हमारा सहयोग करती है। उन्हें अध्यात्म के बारे में बारे जानना एवं उनके बारे में लेख लिखना बहुत पसंद है।