आरती कुंजबिहारी की (Aarti kunj bihari ki lyrics)

“आरती कुंजबिहारी की” (Aarti kunj bihari ki lyrics) एक प्रसिद्ध हिंदी भक्तिगीत है जो भगवान कृष्ण की महिमा को स्तुति देने के लिए गाया जाता है।

इस आरती को गाने से भक्त भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को व्यक्त करते हैं, और इसके अलावा कई अन्य लाभ भी हो सकते हैं :

आरती गाने के लाभ:

  1. भगवान कृष्ण के समर्पण: यह आरती भगवान कृष्ण के प्रति आपकी भक्ति और समर्पण को व्यक्त करने में मदद करती है।
  2. आंतरिक शांति: आरती के गान से आपकी आत्मा में शांति की भावना बढ़ती है और आपको आंतरिक सुख की प्राप्ति होती है।
  3. भक्ति और स्नेह: यह आरती भगवान कृष्ण के प्रति आपकी भक्ति और स्नेह को व्यक्त करने का एक माध्यम होता है।
  4. आत्मिक समृद्धि: इस आरती को गाने से आपके आत्मिक विकास और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
  5. भक्ति में स्थिरता: आरती के गान से आपकी भक्ति में स्थिरता आती है और आपको भगवान के प्रति आदर्श और विश्वास की भावना होती है।
  6. कर्मयोग और वैराग्य: इस आरती के गान से आपको कर्मयोग और वैराग्य की भावना प्राप्त होती है, जो आपके जीवन को सार्थक और उद्देश्यपूर्ण बनाते हैं।
  7. आध्यात्मिक संवाद: आरती के द्वारा भगवान कृष्ण के साथ आपका आध्यात्मिक संवाद बढ़ता है और आप उनके प्रति अपने आदरभाव को व्यक्त करते हैं।
  8. शुद्धि और शुद्धिकरण: आरती के गान से मानसिक और आत्मिक शुद्धि होती है, जो आपकी आत्मा को शुद्धि की ओर ले जाती है।

आरती के गाने का लाभ उसकी भक्ति और समर्पण के साथ होता है, इसलिए यह गाने का प्रयास करें कि आप उसे सच्ची भावना और समर्पण के साथ करें।

Anuradha paudwal aarti kunj bihari ki lyrics (अनुराधा पौडवाल आरती कुंज बिहारी की गीत)

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

Anuradha paudwal aarti kunj bihari ki lyrics pdf in hindi (अनुराधा पौडवाल आरती कुंज बिहारी की गीत पीडीएफ हिंदी में)

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Updated on May 11, 2024

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