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Maiya Karu Ambe Teri Aarti Lyrics (मैया करू अम्बे तेरी आरती लिरिक्स)भजन का गायन और सुनने के कई लाभ होते हैं :
- आध्यात्मिक अनुभव: यह भजन माँ दुर्गा की पूजा और आदर्शों को प्रकट करता है, जिससे आध्यात्मिक अनुभव बढ़ सकता है। इसके माध्यम से भक्त उनके संगीत और माता के प्रति भक्ति की भावना को अभिव्यक्त कर सकते हैं।
- आशीर्वाद प्राप्ति: माँ दुर्गा की पूजा और उनके भजन के द्वारा भक्तों को माता के आशीर्वाद प्राप्त हो सकते हैं।
- भक्ति और समर्पण: यह भजन भक्ति और समर्पण की भावना को प्रोत्साहित करता है, जिससे भक्त अपने आराध्य माता के प्रति अपनी समर्पण भावना को प्रकट कर सकते हैं।
- आत्म-शांति: भजन गाने और सुनने से आत्मा को शांति मिल सकती है। इसका सुनना और गाना मानसिक चिंता और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।
- सामाजिक समृद्धि: यह भजन समाज में एकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है, क्योंकि लोग इसे साथ में गाते हैं और इसका आनंद लेते हैं।
- संगीतिक मनोरंजन: इस भजन का संगीत और गायन भक्तों को संगीतिक मनोरंजन प्रदान करता है और उन्हें आनंदित कर सकता है।
यह भजन माँ दुर्गा की पूजा के दौरान गाया जाने वाला विशेष गाना है, और माता की महिमा और प्रेम को व्यक्त करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।
Maiya Karu Ambe Teri Aarti Lyrics (मैया करू अम्बे तेरी आरती लिरिक्स)
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मैंया करूं दुर्गे तोरी आरती हो मां ।
अरे सब पर रहियो सहाय मैया मोरी ।।…1
अरे कंचन थाल सजा के रे, दिया कपूर जलाएं ।
पांच फूल की बतियां रे, मैया तोरे दरबार ।।…2
अरे एक हाथ खप्पर लियो रे, दूजे में त्रिशुल ।
तीजे हाथ खाड़ा लिये रे, चौथे में धरे फूल ।।…3
चम्पा-चमेली और केवड़ा रे, रघुवंश गुलाब |
मोंगरन कली छिटकन लगी रे, मैया तोरे दरबार ।।… 4
दाहिने हाथ हिंगला लियो रे, डेरे में लंगूर ।
मैया तोरी विनती करत हो रे, माफ करियो कसूर ।।… 5
चम्पा के फूलत चमेली फूली रे, फूले गेंदा और गुलाब ।
आधी रात के खिल रही रे, मैया तोरे दरबार ।।… 6
शुंभ निशुंभ दोई दानव रे, जोधा बलवान ।
तीन भुवन उन जीतो रे, माने न हार ॥ करूं ।।…7
खुली जोत जगतारन रे, सब सुनी है पुकार ।
सकल मनोरथ पूर्ण भयो रे, दुख हुए सब दूर ।।…8
ओ मोरी आदि भवानी रे, रख लइयो मोरी लाज ।
सब मिलकर जस गावें रे, आये तोरे दरबार ।।…9
सुमर-सुमर जस गावें रे, रहे चरण अपार ।
चरण छोड़ कहां जावे रे, आये शरण तुम्हार ।।…10
Maiya Karu Ambe Teri Aarti Pooja Vidhi (“मैया करूँ अम्बे तेरी” पूजा विधि)
सामग्री:
- माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र
- अखंड दीपक (घी या तेल से)
- दूप बत्ती
- अगरबत्ती
- फूल
- गंध (चंदन या कुंकुम)
- पंचामृत (दूध, दही, घी, मधु, शहद का मिश्रण)
- फल
- प्रसाद (मिठाई या फल)
- पूजा की थाली
पूजा विधि:
- पूजा की शुरुआत करने से पहले, स्थान या विशेष कक्ष में माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
- माँ की मूर्ति के सामने बैठकर ध्यान करें और उनकी आराधना करने का संकल्प लें।
- अखंड दीपक जलाएं और उसे माँ के सामने रखें।
- दूप बत्ती और अगरबत्ती जलाकर रखें ताकि माँ को आरोग्य, शांति और सुख मिले।
- माँ की मूर्ति के सामने फूल, गंध, और पंचामृत की थाली रखें।
- माँ की प्रति अपनी भक्ति और समर्पण की भावना से फल और प्रसाद चढ़ाएं।
- फिर, “मैया करूँ अम्बे तेरी” भजन का आरंभ करें और उसे गाएं।
- आरती के बाद, माँ की मूर्ति के सामने मन्त्र पाठ करें और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
- अंत में, उनके चरणों में बसकर उनके समर्पण और भक्ति की भावना से पूजा को समाप्त करें।
इस तरह से, आप माता की पूजा विधि का पालन कर सकते हैं और उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं। यह एक सामान्य पूजा विधि है अन्य स्थलों पर यह अलग – अलग हो सकते है.
माँ अंबे (Maiya Karu Ambe Teri Aarti Lyrics) FAQ :
माँ अंबे कौन हैं?
माँ अंबे, एक प्रमुख हिन्दू देवी हैं, जिन्हें शक्ति और साहस की प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। वे दुर्गा, काली, पार्वती आदि रूपों में प्रकट होती हैं और भक्तों की संरक्षण करने के लिए उपस्थित होती हैं।
माँ अंबे के कितने रूप होते हैं?
माँ अंबे के विभिन्न रूप होते हैं, जिन्हें भक्त उनकी विभिन्न भावनाओं और विशेषताओं के साथ पूजते हैं। उनके कुछ प्रमुख रूप हैं: दुर्गा, काली, जगदम्बा, चिंतामणि, आदिशक्ति, वैष्णवी आदि।
माँ अंबे का क्या महत्व है?
माँ अंबे को शक्ति, साहस, और उत्कृष्टता की प्रतीक माना जाता है। उन्हें दुर्गा अथवा दुर्गेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है, जिन्हें असुरों और बुराइयों के प्रति संरक्षण करने के लिए जाना जाता है।
माँ अंबे के कौन-कौन से वाहन होते हैं?
माँ अंबे के वाहन विभिन्न रूपों में भिन्न-भिन्न होते हैं, जैसे कि शेर, सिंह, नंदी (शिव की वाहनी), सिंही, मूषक, सिंहराजा आदि।
माँ अंबे के विशेष पर्व और उत्सव क्या होते हैं?
माँ अंबे के विभिन्न पर्व और उत्सव भारत और अन्य हिन्दू धर्मिक समुदायों में मनाए जाते हैं, जैसे कि नवरात्रि और दुर्गा पूजा। नवरात्रि के दौरान, माँ अंबे की नौ दिनों तक पूजा की जाती है और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है।
माँ अंबे के पूजन मंत्र क्या हैं?
माँ अंबे के पूजन में कई मंत्र प्रयोग किए जाते हैं, जैसे कि “ॐ जयंती मंगल काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।”
माँ अंबे के किस प्रकार से प्रसन्न किया जा सकता है?
माँ अंबे को आपकी आदर और समर्पण भावना से प्रसन्न किया जा सकता है। आपके मन और क्रियाएं उनकी पूजा और सेवा की दिशा में होनी चाहिए।
माँ अंबे की पूजा कैसे की जाती है?
माँ अंबे की पूजा में उनकी मूर्ति की स्थापना की जाती है, उनकी पूजा, आरती, भजन आदि की जाती है। परंपरानुसार, भक्त उनके नौ रूपों की पूजा करते हैं और उनकी आराधना करते हैं।
ये थे कुछ प्रमुख प्रश्न और उनके उत्तर माँ अंबे के बारे में। कृपया ध्यान दें कि यह आपकी जानकारी के लिए हैं और आपके आध्यात्मिक अनुभव और परंपराओं के अनुसार इनका विस्तार किया जा सकता है।
Maiya Karu Ambe Teri Aarti Lyrics Pdf (मैया करू अम्बे तेरी आरती लिरिक्स पीडीएफ)
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इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले।
Updated on May 11, 2024
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