“ओम जय शिव ओमकारा”(Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics) भगवान शिव को समर्पित एक लोकप्रिय हिंदू आरती है जिसमें आमतौर पर दीपक से और अन्य प्रसाद चढ़ाते समय देवता की स्तुति में भजन गाना होता है। यह आरती मुख्य रूप से भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समूह में गाया जाता है। भक्तों का मानना है कि भक्तिपूर्वक इस आरती को करने से आंतरिक शांति, नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा और आध्यात्मिक विकास हो सकता है। यह भगवान शिव से जुड़ने और उनकी दिव्य कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है।
विषय सूची
Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics (“ॐ जय शिव ओंकारा” के लाभ):
- आध्यात्मिक उन्नति: “ॐ जय शिव ओंकारा” की आरती का उच्चारण करने से आपकी आध्यात्मिक उन्नति होती है और आपकी आत्मा को शांति मिलती है।
- शिव की कृपा: इस आरती के शब्दों का उच्चारण करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और आपके जीवन में उनकी आशीर्वाद बना रहता है।
- मानसिक शांति: इस आरती का उच्चारण करने से मानसिक शांति मिलती है और आपकी मानसिक तनाव कम होता है।
- शुभ आरंभ: इस आरती को सुनकर आपका दिन शुभ आरंभ होता है और आपके कार्यों में सफलता मिलती है।
- आत्मिक संयम: इस आरती का उच्चारण करने से आपके आत्मिक संयम में सुधार होता है और आप अपने इंद्रियों को नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं।
- भयमुक्ति: इस आरती का उच्चारण करने से आपका भय कम होता है और आपका मानसिक स्थिति स्थिर होता है।
“ॐ जय शिव ओंकारा” का उच्चारण करने से आपके जीवन में आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक लाभ हो सकता है।
ॐ जय शिव ओंकारा लिरिक्स हिंदी में (Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics in Hindi)
ॐ जय शिव ओंकारा,
प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा,
प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे
स्वामी पञ्चानन राजे
हंसानन गरूड़ासन
हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे
ॐ जय शिव ओंकारा
दो भुज चार चतुर्भुज,
दसभुज ते सोहे
स्वामी दसभुज ते सोहे
तीनों रूप निरखता
तीनों रूप निरखता
त्रिभुवन मन मोहे
ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी
स्वामी मुण्डमाला धारी
चन्दन मृगमद चंदा
चन्दन मृगमद चंदा
भोले शुभ कारी
ॐ जय शिव ओंकारा
श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे
स्वामी बाघाम्बर अंगे
ब्रह्मादिक संतादिक
ब्रह्मादिक संतादिक
भूतादिक संगे
ॐ जय शिव ओंकारा
कर मध्ये च’कमण्ड चक्र त्रिशूलधरता
स्वामी चक्र त्रिशूलधरता
जग कर्ता जग हरता
जग कर्ता जग हरता
जगपालन करता
ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव जानत अविवेका
स्वामी जानत अविवेका
प्रनाबाच्क्षर के मध्ये
प्रनाबाच्क्षर के मध्ये
ये तीनों एका
ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ जन गावे
स्वामी जो कोइ जन गावे
कहत शिवानन्द स्वामी
कहत शिवानन्द स्वामी
मनवान्छित फल पावे
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा अंग्रेजी में (Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics in English)
om jay shiv omkara,
prabhu har shiv omkara
brahma, vishnu, sadaashiv
brahma, vishnu, sadaashiv, ardhaang dhaara
om jay shiv omkara
om jay shiv omkara,
prabhu har shiv omkara
brahma, vishnu, sadaashiv
brahma, vishnu, sadaashiv, ardhaang dhaara
om jay shiv omkara
ekaanan chaturaanan panchaanan raaje
svaamee panchaanan raaje
hansaanaan garudaasan
hansaanaan garudaasan
vrshabh soot
om jay shiv omkara
do bhujaen chaar chaturbhuj,
dasabhuj se sohe
sohe ko svaamee dashabhuj
teenon roop astitvaheen hain
teenon roop astitvaheen hain
tribhuvan man mohe
om jay shiv omkara
akshamaala vanamaala mundamaala dhaaree dhaaran karatee hain
svaamee mundamaala dhaaree
chandan mrgamad chanda
chandan mrgamad chanda
bhole shubh karee
om jay shiv omkara
shvetaambar, peetaambar, baaghambar ange
svaamee baaghambar ange
brahmaadika sondika
brahmaadika sondika
bhoot kampanee
om jay shiv omkara
kar mein chakaamaanda chakr trishooladhaarta
svaamee chakr trishooladharta
vishv rachayita jagat haare
vishv rachayita jagat haare
vishv raksha kar rahe hain
om jay shiv omkara
brahma, vishnu, sadaashiv agyaan ko jaanate hain
svaamee avivek jaanate hain
pranabachasara mein ke
pranabachasara mein ke
teenon ek saath aate hain
om jay shiv omkara
trigunasvaamee jee kee aaratee jo koee jan gaanve
svaamee jo koee jan gaaven
shivaanand svaamee kahate hain
shivaanand svaamee kahate hain
vaanchhit parinaam praapt karen
om jay shiv omkara
om jay shiv omkara, prabhu har shiv omkara
brahma, vishnu, sadaashiv
brahma, vishnu, sadaashiv, ardhaang dhaara
om jay shiv omkara
om jay shiv omkara, prabhu har shiv omkara
brahma, vishnu, sadaashiv
brahma, vishnu, sadaashiv, ardhaang dhaara
om jay shiv omkara
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“ॐ जय शिव ओंकारा” आरती पूजन विधी (Om Jai Shiv Omkara Aarti Pooja Vidhi) :
पूजन सामग्री:
- भगवान शिव की मूर्ति या चित्र
- दीपक (घी या तेल से)
- दूप बत्ती और अगरबत्ती
- पूजन की थाली
- पुष्प (फूल)
- पूजन के लिए जगह (आसन)
- प्रसाद (मिठाई या फल)
- गंध, कुंकुम, चावल, सूप, हल्दी, काजल, किंवा अन्य पूजा सामग्री
पूजन विधी:
- सबसे पहले, एक शुद्ध और शांतिपूर्ण स्थान का चयन करें, जहां पूजा की जाएगी।
- पूजन स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- पूजन की थाली पर दीपक, दूप बत्ती, अगरबत्ती, पुष्प, अन्य पूजा सामग्री रखें।
- पूजन के लिए आसन पर बैठें। मन को शांत करें और ध्यान केंद्रित करें।
- “ॐ जय शिव ओंकारा” की आरती का पाठ करें।
- आरती के पाठ के दौरान, दीपक को घूमते हुए दिखाएं ताकि उसकी प्रकाशमान सारी दिशाओं में प्रकाश फैले।
- आरती पढ़ते समय, पुष्पों को भगवान की मूर्ति की ओर दें और प्रसाद भी उनकी ओर रखें।
- आरती पूजन के बाद, अन्य पूजा सामग्री को भी भगवान की मूर्ति की ओर दें।
- ध्यान केंद्रित रहकर, अपनी इच्छा, मांगें या प्रार्थना करें।
- पूजा समाप्त करने के बाद, प्रसाद का भोग भगवान की मूर्ति के सामने रखें।
- फिर प्रसाद को स्वीकार करें और उसे सभी के बीच में बांटें।
इस प्रकार से “ॐ जय शिव ओंकारा” की आरती का पूजन किया जा सकता है। पूजा करते समय शुद्धता, शांति, और आदर के साथ करने का प्रयास करें ताकि आपका पूजन स्वीकृत हो और आपको आनंद, शांति और आशीर्वाद मिले।
भगवान शंकर को महादेव क्यों कहा जाता है?
“महादेव” शब्द का अर्थ हिन्दी में “महान देवता” होता है। इस शब्द का उपयोग भगवान शिव के रूप को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। भगवान शिव को “महादेव” कहने से उनकी महत्वपूर्णता, शक्तियाँ, और अद्वितीयता को प्रकट किया जाता है।
यहां कुछ कारण दिए जा रहे हैं जिनके कारण भगवान शिव को “महादेव” कहा जाता है:
- भगवान शिव की महानता: भगवान शिव का महानता और दिव्यता में कोई सन्देह नहीं है। उन्हें सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के महान देवता के रूप में माना जाता है, जिनका महत्व अत्यधिक है।
- अद्वितीयता और विशेषता: भगवान शिव के रूप, गुण, और विशेषताएँ अन्य देवताओं से अलग होती हैं। उनका त्रिनेत्र, नीलकंठ (नीले गले वाले), और आदिकाें में नाम समाहित करते हैं।
- तापस्या और तपोबल: भगवान शिव ने अपनी तपस्या और तपोबल से महाकाल की प्राप्ति की थी और उन्हें महादेव के रूप में पहचाना गया। उनकी तपस्या और तपोबल के कारण ही उन्हें इस नाम से संबोधित किया जाता है।
- परम योगी और ध्यानी: भगवान शिव को एक परम योगी और ध्यानी माना जाता है, जिनका ध्यान और साधना करके व्यक्तियों को आध्यात्मिक उन्नति और मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
“महादेव” शब्द भगवान शिव के महत्व, विशेषताएँ, और दिव्यता को संक्षिप्त रूप में प्रकट करता है।
Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics Pdf
Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics से जुड़े सामान्य प्रश्न
“ओम जय शिव ओमकारा” क्या है?
“ओम जय शिव ओमकारा” हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक, भगवान शिव को समर्पित एक व्यापक रूप से ज्ञात भक्ति आरती है। यह भगवान शिव की स्तुति और आशीर्वाद पाने के लिए गाया जाता है।
“ओम जय शिव ओंकारा” का क्या महत्व है?
यह आरती भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए की जाती है, जिन्हें बुराई का विनाशक और ध्यान और तपस्या का स्वामी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह सुरक्षा, आंतरिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए भगवान शिव के आशीर्वाद का आह्वान करता है।
“ओम जय शिव ओमकारा” आमतौर पर कब किया जाता है?
“ओम जय शिव ओमकारा” भगवान शिव की दैनिक पूजा के दौरान किया जाता है, खासकर शिव मंदिरों में। इसे विशेष अवसरों, भगवान शिव को समर्पित त्योहारों (जैसे महाशिवरात्रि) और सोमवार के दौरान भी गाया जाता है, जो भगवान शिव के लिए शुभ माने जाते हैं।
क्या “ओम जय शिव ओमकारा” कोई भी कर सकता है ?
कोई भी, उम्र या लिंग की परवाह किए बिना, भक्ति की अभिव्यक्ति और भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए इस आरती को कर सकता है।
क्या इस आरती से जुड़े कोई विशिष्ट अनुष्ठान या प्रसाद हैं?
“ओम जय शिव ओमकारा” से जुड़े अनुष्ठानों और प्रसादों में दीपक जलाना, भगवान शिव की छवि या मूर्ति के सामने इसे लहराना, घंटियाँ बजाना, गाना या आरती पढ़ना और फूल, धूप और प्रसाद (पवित्र भोजन) चढ़ाना शामिल है।
क्या “ओम जय शिव ओंकारा” करने के लिए दिन का कोई विशेष समय है?
यह आरती दिन के विभिन्न समय में की जा सकती है, लेकिन यह अक्सर सुबह या शाम की पूजा के दौरान की जाती है। इसे भोर और शाम के गोधूलि समय (संध्या) के दौरान विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
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इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले।
संजय इज़ारदार का रुझान बचपन से ही अध्यात्म की ओर रहा है। वे poojaaarti.com में मंदिरो और त्योहारों के पोस्ट में हमारा सहयोग करते है और हमसे शुरुआत से ही जुड़े हुए है।