तुलसी आरती गीत (Tulsi Aarti Lyrics)

तुलसी माता की पूजा हर घर में सुबह और शाम को जल अर्पित करके और दिया जलाके की जाती है , तुलसी माता की आरती (Tulsi Aarti Lyrics) करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा का पलायन होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। तुलसी माता के दो रूप है पहला पौधे का और दूसरा गण्डकी नदी का। कहा जाता है की तुलसी माँ भगवान् विष्णु को लक्ष्मी से भी अधिक प्रिय है।

तुलसी आरती (Tulsi Aarti Lyrics) का वीडियो

तुलसी आरती (Tulsi Aarti Lyrics) के पाठ के लाभ

Advertisement
  1. आत्मिक शांति:
    तुलसी आरती का पाठ करने से मानसिक शांति मिल सकती है और मन की अशांति दूर हो सकती है।
  2. श्रीकृष्ण भक्ति:
    तुलसी आरती भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में मदद कर सकती है और उनके आदर्शों का पालन करने में सहायक हो सकती है।
  3. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:
    तुलसी की पूजा और आरती करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
  4. नेगेटिव ऊर्जा का निवारण:
    तुलसी आरती का पाठ नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद कर सकता है और सकारात्मकता को बढ़ावा दे सकता है।
  5. घर में शांति:
    तुलसी माता की पूजा और आरती से घर में शांति और सकारात्मकता का माहौल बना रहता है।
  6. प्राकृतिक उपाय:
    तुलसी आरती का पाठ करने से बिमारियों से बचाव और स्वास्थ्य सुरक्षा मिल सकती है, क्योंकि तुलसी में आयुर्वेदिक गुण होते हैं।
  7. आध्यात्मिक विकास:
    तुलसी आरती के पाठ से आध्यात्मिक उन्नति हो सकती है और आत्मा के उद्देश्य की पहचान हो सकती है।

तुलसी आरती का पाठ नियमित रूप से करने से ये लाभ मिल सकते हैं, लेकिन ध्यान दें कि यह धार्मिक प्रथा है और आपके आश्रय और विश्वास पर निर्भर करता है।

तुलसी आरती गीत हिंदी में (Tulsi Aarti Lyrics in Hindi)

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।

मैय्या जय तुलसी माता।।

सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता।।

तुलसी आरती गीत अंग्रेजी में (Tulsi Aarti Lyrics in English)

jay jay tulasee maata, maiya jay tulasee maata.
sab jag kee sukh daata, maata var maata..

maiya jay tulasee maata..

sab yogon se oopar, sab yogon se oopar.
raaj se raksha karake, svabhaav bhav traata.
maiya jay tulasee maata..

battoo betee hai shyaama, soor ballee hai graamasya.
vishnupriy jo nar tumako seve, so nar tar.
maiya jay tulasee maata..

hari ke sheesh viraajat, tribhuvan se ho vandit.
patitajanon kee taarinee, tum ho sachitr.
maiya jay tulasee maata..

janm darshan lekar, divy bhavan mein.
maanav lok tumase, sukh-sampati paata.
maiya jay tulasee maata..

hari ko tum ati priy, shyaam varn sukumaaree.
pyaar ajab hai unaka, behosh kaisa naata.
hamaaree vipad haro tum, krpa karo maata.
maiya jay tulasee maata..

jay jay tulasee maata, maiya jay tulasee maata.
sab jag ke sukh daata, maata var maata.
maiya jay tulasee maata..

तुलसी आरती की पूजा विधि (Tulsi Aarti Lyrics Pooja Vidhi):

Advertisement

सामग्री:

  1. तुलसी की पूजा के लिए तुलसी पौधा या पत्ते
  2. गंध, कुंकुम, हल्दी, अबिर, रोली
  3. दीपक, घी, बत्ती
  4. पुष्प, दूप, धूप, अक्षत (चावल)
  5. पूजा की थाली
  6. पूजा के लिए पानी
  7. फूलों की माला
  8. पूजा की पात्रियाँ
  9. मन्त्र पुस्तिका (जिसमें तुलसी आरती का मन्त्र हो)

पूजा विधि:

  1. पूजा की थाली पर तुलसी के पौधे या पत्ते रखें।
  2. तुलसी के पास बैठकर बैठें या जितने लोग हों उन सबके सामने थाली रखें।
  3. थाली पर तुलसी की पूजा के सामग्री रखें, जैसे कि गंध, कुंकुम, हल्दी, अबिर, रोली, अक्षत आदि।
  4. दीपक को घी से जलाएं और धूप दें।
  5. तुलसी के पास फूलों की माला रखें।
  6. अब मन्त्र पुस्तिका में से तुलसी आरती का मंत्र पढ़ें या गाएं। तुलसी आरती के मंत्र को ध्यान से पढ़ें या सुनें।
  7. मंत्र पढ़ने के बाद, थाली में रखे सभी सामग्री को तुलसी की पूजा में उपयोग करके पूजा को पूरा करें।
  8. पूजा के बाद तुलसी की पौधा को प्रणाम करें और उसके चारणों में पानी दें।
  9. फिर तुलसी की पौधा को पुनः पूजन करें, फूलों की माला डालें, दीपक और धूप दें।
  10. अखिल विधि को करने के बाद, तुलसी के समक्ष प्रणाम करें और अपनी मनोकामनाएँ मांगें।

इस रूप में आप तुलसी की आरती का पूजन कर सकते हैं। ध्यान दें कि यह सिर्फ एक सामान्य विधि है और प्राथमिकता आपके आध्यात्मिक अनुभव और आचार्य की दिशा-निर्देशन पर निर्भर करेगी।

तुलसी आरती (Tulsi Aarti Lyrics) से सम्बंधित सामान्य प्रश्न

तुलसी क्या है?

तुलसी एक पारंपरिक और पूजनीय पौधा है जो हिंदू धर्म में पूजा और आध्यात्मिकता के उद्देश्य से उपयोग होता है। इसका वैज्ञानिक नाम “Ocimum sanctum” है।

तुलसी के कितने प्रकार होते हैं?

तुलसी के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे कि श्रीतुलसी, कालीतुलसी, वन तुलसी, नील तुलसी आदि। यह सभी प्रकार भगवान विष्णु की पूजा में उपयोग होते हैं।

तुलसी की पूजा का क्या महत्व है?

तुलसी की पूजा से मान्यता है कि इसके पास दिव्य शक्तियाँ होती हैं और इसकी पूजा से आत्मा को शुद्धि मिलती है।

तुलसी की पूजा कैसे करें?

तुलसी की पूजा में तुलसी पौधे के साथ आरती, दीपक, पुष्प, धूप आदि की विधियों का पालन किया जाता है।

तुलसी के पौधे को कैसे संभालें?

तुलसी के पौधे को ध्यान देकर संभालना चाहिए, उन्हें नियमित तौर पर पानी देना चाहिए और स्थान पर रखना चाहिए जो सूर्य की किरणों तक पहुँच सके।

तुलसी के पत्तों का सेवन कैसे करें?

तुलसी के पत्ते खाने में और तुलसी की चाय बनाने में उपयोग होते हैं, जिनमें आयुर्वेदिक गुण होते हैं।

तुलसी की पूजा किस दिन करें?

तुलसी की पूजा विशेष रूप से शुक्रवार और शनिवार को की जाती है, लेकिन आप उसे रोज़ भी पूज सकते हैं।

तुलसी के पौधे के किस प्रकार का सेवन बच्चों को नहीं करना चाहिए?

तुलसी के पत्ते खाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है, क्योंकि कुछ प्रकार के तुलसी के पत्ते बच्चों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।


यह भी देखे :


Tulsi Aarti Lyrics Pdf (तुलसी आरती गीत पीडीएफ)

आज का हमारा लेख पढ़ने के लिए हम आपकी सराहना करते हैं। कृपया अपने अनुभव हमसे साझा करने के लिए हमारे facebook group पर जुड़े और हमारे facebook page को like करे। अगर आप इस लेख में कुछ सुधार चाहते है, तो कृपया comment के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है।

disclaimer

इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 

Updated on May 11, 2024

Advertisement

Leave a Comment