माँ अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna chalisa)

माँ अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna chalisa) “नित्य आनंद करिणी माता” एक हिन्दू धार्मिक प्रार्थना है जो माँ अन्नपूर्णा की महिमा और आशीर्वाद के लिए पढ़ी जाती है। अन्नपूर्णा माता हिन्दू धर्म में भोजन की देवी के रूप में पूजी जाती है, और उन्हें जीवन के रोजमर्रा के भोजन का प्रतीक माना जाता है। इस चालीसा का पाठ भक्ति और आशीर्वाद मांगने के उद्देश्य से किया जाता है।

Maa Annapurna chalisa के लाभ

  1. आध्यात्मिक सुख: माँ अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna chalisa) का पाठ करने से आध्यात्मिक आत्मा को शांति और सुख मिल सकता है। यह एक व्यक्ति के आत्मा को माँ अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से जोड़ सकता है और उनकी आध्यात्मिक उन्नति में मदद कर सकता है।
  2. भोजन की आशीर्वाद: माँ अन्नपूर्णा का नाम भोजन की देवी के रूप में है, इसलिए इस चालीसा का पाठ करने से भोजन के साथ आशीर्वाद मिल सकता है। यह भोजन की कमी से होने वाली समस्याओं को दूर कर सकता है।
  3. आत्मविश्वास और मानसिक शांति: ध्यान और प्राथना के माध्यम से, माँ अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति का मानसिक स्थिति में सुधार हो सकता है, और उन्हें आत्मविश्वास और शांति की भावना हो सकती है।
  4. कर्मिक सुधार: चालीसा का पाठ करने से कर्मिक सुधार हो सकता है, और व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सफलता की दिशा में मदद मिल सकती है।

Maa Annapurna chalisa का वीडियो

माँ अन्नपूर्णा चालीसा लिरिक्स हिंदी में (Maa Annapurna chalisa lyrics in Hindi)

॥ दोहा ॥
विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।

॥ चौपाई ॥
नित्य आनंद करिणी माता,
वर अरु अभय भाव प्रख्याता ॥

जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी,
अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ॥

श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि,
संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ॥

काशी पुराधीश्वरी माता,
माहेश्वरी सकल जग त्राता ॥

वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी,
विश्व विहारिणि जय ! कल्याणी ॥

पतिदेवता सुतीत शिरोमणि,
पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ॥

पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा,
योग अग्नि तब बदन जरावा ॥

देह तजत शिव चरण सनेहू,
राखेहु जात हिमगिरि गेहू ॥

प्रकटी गिरिजा नाम धरायो,
अति आनंद भवन मँह छायो ॥

नारद ने तब तोहिं भरमायहु,
ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ॥ 10 ॥

ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये,
देवराज आदिक कहि गाये ॥

सब देवन को सुजस बखानी,
मति पलटन की मन मँह ठानी ॥

अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या,
कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या ॥

निज कौ तब नारद घबराये,
तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ॥

करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ,
संत बचन तुम सत्य परेखेहु ॥

गगनगिरा सुनि टरी न टारे,
ब्रहां तब तुव पास पधारे ॥

कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा,
देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ॥

तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी,
कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ॥

अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों,
है सौगंध नहीं छल तोसों ॥

करत वेद विद ब्रहमा जानहु,
वचन मोर यह सांचा मानहु ॥ 20 ॥

तजि संकोच कहहु निज इच्छा,
देहौं मैं मनमानी भिक्षा ॥

सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी,
मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ॥

बोली तुम का कहहु विधाता,
तुम तो जगके स्रष्टाधाता ॥

मम कामना गुप्त नहिं तोंसों,
कहवावा चाहहु का मोंसों ॥

दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा,
शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ॥

सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये,
कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ॥

तब गिरिजा शंकर तव भयऊ,
फल कामना संशयो गयऊ ॥

चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा,
तब आनन महँ करत निवासा ॥

माला पुस्तक अंकुश सोहै,
कर मँह अपर पाश मन मोहै ॥

अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे,
अज अनवघ अनंत पूर्णे ॥ 30 ॥

कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ,
भव विभूति आनंद भरी माँ ॥

कमल विलोचन विलसित भाले,
देवि कालिके चण्डि कराले ॥

तुम कैलास मांहि है गिरिजा,
विलसी आनंद साथ सिंधुजा ॥

स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी,
मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ॥

विलसी सब मँह सर्व सरुपा,
सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ॥

जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा,
फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ॥

प्रात समय जो जन मन लायो,
पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अघिकायो ॥

स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत,
परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ॥

राज विमुख को राज दिवावै,
जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ॥

पाठ महा मुद मंगल दाता,
भक्त मनोवांछित निधि पाता ॥ 40 ॥

॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा सुभग,
पढ़ि नावैंगे माथ ।
तिनके कारज सिद्ध सब,
साखी काशी नाथ ॥

माँ अन्नपूर्णा चालीसा लिरिक्स अंग्रेजी में (Maa Annapurna chalisa lyrics in English)

maa annurpurna chalisa image English

॥ Doha ॥
Vishweshvar Padpadam Ki Raj Nij Shish Lagay ।
Annapurne, Tav Suyash Baranaun Kavi Matilay ।

॥ Chaupai ॥
Nity Anand Karini Mata,
Var Aru Abhay Bhav Prakhyata ॥
Jai ! Saundarya Sindhu Jag Janani,
Akhil Pap Har Bhav-bhay-harani ॥

Shwet Badan Par Shwet Basan Puni,
Santan Tuv Pad Sevat Rishimuni ॥
Kashi Puradhishvari Mata,
Maheshwari Sakal Jag Trata ॥

Vrishabharudh Naam Rudrani,
Vishwa Viharini Jai ! Kalyani ॥
Patidevta Sutit Shiromani,
Padavi Prapt Kinh Giri Nandini ॥

Pati Vichhoh Duhkh Sahi Nahin Pava,
Yog Agni Tab Badan Jarava ॥
Deh Tajat Shiv Charan Sanehu,
Rakhehu Jat Himagiri Gehu ॥

Prakati Girija Nam Dharyo,
Ati Anand Bhavan Manh Chhayo ॥
Narad Ne Tab Tohin Bharamayahu,
Byah Karan Hit Path Padhayahu ॥ 10 ॥

Brahma Varun Kuber Ganaye,
Devraj Adik Kahi Gaye ॥
Sab Devan Ko Sujas Bakhani,
Mati Paltan Ki Man Manh Thani ॥

Achal Rahin Tum Pran Par Dhanya,
Kihani Siddh Himachal Kanya ॥
Nij Kau Tab Narad Ghabraye,
Tab Pran Pooran Mantra Padhaye ॥

Karan Hetu Tap Tohin Updesheu,
Sant Bachan Tum Satya Parekhehu ॥
Gagnagira Suni Tari Na Tare,
Brahan Tab Tuv Pas Padhare ॥

Kaheu Putri Var Mangu Anoopa,
Dehun Aj Tuv Mati Anurupa ॥
Tum Tap Kinh Alaukik Bhari,
Kasht Uthayahu Ati Sukumari ॥

Ab Sandeh Chhandi Kachhu Moson,
Hai Saugandh Nahin Chhal Toson ॥
Karat Ved Vid Brahma Janahu,
Vachan Mor Yah Sancha Manahu ॥ 20 ॥

Taji Sankoch Kahahu Nij Ichchha,
Dehaun Main Manmani Bhiksha ॥
Suni Brahma Ki Madhuri Bani,
Mukh Son Kachhu Musukay Bhavani ॥

Boli Tum Ka Kahahu Vidhata,
Tum to Jagke Srashtadhata ॥
Mam Kamna Gupt Nahin Tonson,
Kahavava Chahahu Ka Monson ॥

Daksh Yagya Mahan Marati Bara,
Shambhunath Puni Hohin Hamara ॥
So Ab Milahin Mohin Manabhaye,
Kahi Tathastu Vidhi Dham Sidhaye ॥

Tab Girija Shankar Tav Bhayu,
Phal Kamna Sanshayo Gayu ॥
Chandrakoti Ravi Koti Prakasha,
Tab Anan Mahan Karat Nivasa ॥

Mala Pustak Ankush Sohai,
Kar Manh Apar Pash Man Mohai ॥
Annpurne ! Sadapurne,
Aj Anavagh Anant Purne ॥ 30 ॥

Kripa Sagari Kshemankari Man,
Bhav Vibhooti Anand Bhari Man ॥
Kamal Vilochan Vilasit Bhale,
Devi Kalike Chandi Karale ॥

Tum Kailas Manhi Hai Girija,
Vilasi Anand Sath Sindhuja ॥
Svarg Mahalakshmi Kahalayi,
Marty Lok Lakshmi Padapayi ॥

Vilasi Sab Manh Sarv Sarupa,
Sevat Tohin Amar Pur Bhoopa ॥
Jo Padhihahin Yah Tav Chalisa,
Phal Painhahi Shubh Sakhi Isa ॥

Prat Samay Jo Jan Man Layo,
Padhihahin Bhakti Suruchi Aghikayo ॥
Stri Kalatr Pati Mitr Putr Yut,
Paramaishravary Labh Lahi Adbhut ॥

Raj Vimukh Ko Raj Divavai,
Jas Tero Jan Sujas Badhavai ॥
Path Maha Mud Mangal Data,
Bhakt Manovanchhit Nidhi Pata ॥ 40 ॥

॥ Doha ॥
Jo Yah Chalisa Subhag,
Padhi Navainge Math ।
Tinke Karaj Siddh Sab,
Sakhi Kashi Nath ॥

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Maa Annapurna chalisa lyrics pdf

Maa Annapurna chalisa से सम्बंधित सामान्य प्रश्न

माँ अन्नपूर्णा कौन हैं?

माँ अन्नपूर्णा हिन्दू धर्म में एक माता का रूप हैं, जो अन्न (खाद्य पदार्थ) की देवी मानी जाती हैं। वह जीवन के समृद्धि की देवी के रूप में पूजी जाती हैं।

माँ अन्नपूर्णा चालीसा(Maa Annapurna chalisa) क्या है?

माँ अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna chalisa) एक प्रार्थना है जो माँ अन्नपूर्णा की महिमा का बखान करती है और उनकी पूजा करने के लिए पढ़ी जाती है। यह चालीसा उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए की जाती है।

माँ अन्नपूर्णा चालीसा(Maa Annapurna chalisa) का पाठ कैसे किया जाता है?

माँ अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna chalisa) को विशेष ध्यान और श्रद्धा के साथ पढ़ा जाता है। आमतौर पर इसे सुबह या संध्या को पढ़ा जाता है। आप इस चालीसा को माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति के सामने या अपने पूजा स्थल पर पढ़ सकते हैं।

माँ अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna chalisa) क्या महत्व है?

माँ अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna chalisa) का पाठ करने से मान्यता है कि माँ अन्नपूर्णा आपके जीवन में धन, संपत्ति, और पूर्णता की बरसात करती हैं। इसका पाठ करने से लोग को अन्न की कमी नहीं होती है और जीवन में सुख-शांति मिलती है।

माँ अन्नपूर्णा की पूजा कब की जाती है?

माँ अन्नपूर्णा की पूजा आमतौर पर नवरात्रि के दौरान की जाती है, जो कि दुर्गा पूजा के रूप में मनाई जाती है। इसके अलावा, विशेष अवसरों पर भी माँ अन्नपूर्णा की पूजा की जा सकती है।

माँ अन्नपूर्णा की आराधना से क्या फायदे होते हैं?

माँ अन्नपूर्णा की आराधना से व्यक्ति को अन्न की कमी नहीं होती है, और वह धन, संपत्ति, और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।

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