सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa)

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) “जय श्री सकल बुद्धि बलरासी” हिंदू धर्म में ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती की स्तुति में लिखी गई एक भक्तिपूर्ण कविता है। यह चालीसा 40 चौपाइयों और एक दोहे से मिलकर बनी है। सरस्वती चालीसा की रचना 16 वीं शताब्दी में तुलसीदास जी ने की थी।

सरस्वती चालीसा में सरस्वती देवी के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन किया गया है। इसमें सरस्वती देवी की ज्ञान, कला और संगीत की शक्तियों का भी वर्णन किया गया है। सरस्वती चालीसा एक लोकप्रिय भक्ति कविता है, जिसे हिंदू धर्म के अनुयायी नियमित रूप से पढ़ते हैं।

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सरस्वती चालीसा लिरिक्स हिंदी में (Saraswati Chalisa lyrics in Hindi)

॥ दोहा ॥
जनक जननि पद्मरज,
निज मस्तक पर धरि ।
बन्दौं मातु सरस्वती,
बुद्धि बल दे दातारि ॥

पूर्ण जगत में व्याप्त तव,
महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को,
मातु तु ही अब हन्तु ॥

॥ चालीसा ॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी ।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी ॥

जय जय जय वीणाकर धारी ।
करती सदा सुहंस सवारी ॥

रूप चतुर्भुज धारी माता ।
सकल विश्व अन्दर विख्याता ॥4

जग में पाप बुद्धि जब होती ।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति ॥

तब ही मातु का निज अवतारी ।
पाप हीन करती महतारी ॥

वाल्मीकिजी थे हत्यारा ।
तव प्रसाद जानै संसारा ॥

रामचरित जो रचे बनाई ।
आदि कवि की पदवी पाई ॥8

कालिदास जो भये विख्याता ।
तेरी कृपा दृष्टि से माता ॥

तुलसी सूर आदि विद्वाना ।
भये और जो ज्ञानी नाना ॥

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा ।
केव कृपा आपकी अम्बा ॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी ।
दुखित दीन निज दासहि जानी ॥12

पुत्र करहिं अपराध बहूता ।
तेहि न धरई चित माता ॥

राखु लाज जननि अब मेरी ।
विनय करउं भांति बहु तेरी ॥

मैं अनाथ तेरी अवलंबा ।
कृपा करउ जय जय जगदंबा ॥

मधुकैटभ जो अति बलवाना ।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना ॥16

समर हजार पाँच में घोरा ।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा ॥

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला ।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला ॥

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी ।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी ॥

चंड मुण्ड जो थे विख्याता ।
क्षण महु संहारे उन माता ॥20

रक्त बीज से समरथ पापी ।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी ॥

काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा ।
बारबार बिन वउं जगदंबा ॥

जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा ।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा ॥

भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई ।
रामचन्द्र बनवास कराई ॥24

एहिविधि रावण वध तू कीन्हा ।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा ॥

को समरथ तव यश गुन गाना ।
निगम अनादि अनंत बखाना ॥

विष्णु रुद्र जस कहिन मारी ।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी ॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी ।
नाम अपार है दानव भक्षी ॥28

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा ।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा ॥

दुर्ग आदि हरनी तू माता ।
कृपा करहु जब जब सुखदाता ॥

नृप कोपित को मारन चाहे ।
कानन में घेरे मृग नाहे ॥

सागर मध्य पोत के भंजे ।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे ॥32

भूत प्रेत बाधा या दुःख में ।
हो दरिद्र अथवा संकट में ॥

नाम जपे मंगल सब होई ।
संशय इसमें करई न कोई ॥

पुत्रहीन जो आतुर भाई ।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई ॥

करै पाठ नित यह चालीसा ।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा ॥36

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै ।
संकट रहित अवश्य हो जावै ॥

भक्ति मातु की करैं हमेशा ।
निकट न आवै ताहि कलेशा ॥

बंदी पाठ करें सत बारा ।
बंदी पाश दूर हो सारा ॥

रामसागर बाँधि हेतु भवानी ।
कीजै कृपा दास निज जानी ॥40

॥दोहा॥
मातु सूर्य कान्ति तव,
अन्धकार मम रूप ।
डूबन से रक्षा करहु,
परूँ न मैं भव कूप ॥

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि,
सुनहु सरस्वती मातु ।
राम सागर अधम को,
आश्रय तू ही देदातु ॥

saraswati mata ki photo

सरस्वती चालीसा लिरिक्स अंग्रेजी में (Saraswati Chalisa lyrics in English)

॥ Doha ॥
Janak Janani Padmaraj, Nij Mastak Par Dhari ।
Bandaun Matu Saraswati, Buddhi Bal De Datari ॥
Poorn Jagat Mein Vyapt Tav, Mahima Amit Anantu ।
Dushjanon Ke Pap Ko, Matu Tu Hi Ab Hantu ॥

॥ Chalisa ॥
Jai Shri Sakal Buddhi Balarasi ।
Jai Sarvagy Amar Avinashi ॥

Jai Jai Jai Vinakar Dhari ।
Karati Sada Suhans Savari ॥ 1 ॥

Roop Chaturbhuj Dhari Mata ।
Sakal Vishv Andar Vikhyata ॥

Jag Mein Pap Buddhi Jab Hoti ।
Tab Hi Dharm Ki Phiki Jyoti ॥ 2 ॥

Tab Hi Matu Ka Nij Avatari ।
Pap Hin Karati Mahatari ॥

Valmikiji the Hatyara ।
Tav Prasad Janai Sansara ॥ 3 ॥

Ramacharit Jo Rache Banai ।
Adi Kavi Ki Padavi Pai ॥

Kalidas Jo Bhaye Vikhyata ।
Teri Krpa Drshti Se Mata ॥ 4 ॥

Tulasi Soor Adi Vidvana ।
Bhaye Aur Jo Gyani Nana ॥

Tinh Na Aur Raheu Avalamba ।
Kev Krpa Apaki Amba ॥ 5 ॥

Karahu Krpa Soi Matu Bhavani ।
Dukhit Deen Nij Dasahi Jani ॥

Putr Karahin Aparadh Bahoota ।
Tehi Na Dhari Chit Mata ॥ 6 ॥

Rakhu Laj Janani Ab Meri ।
Vinay Karun Bhanti Bahu Teri ॥

Main Anath Teri Avalamba ।
Krpa Karu Jai Jai Jagadamba ॥ 7 ॥

Madhukaitabh Jo Ati Balavana ।
Bahuyuddh Vishnu Se Thana ॥

Samar Hajar Panch Mein Ghora ।
Phir Bhi Mukh Unase Nahin Mora ॥ 8 ॥

Matu Sahay Kinh Tehi Kala ।
Buddhi Viparit Bhi Khalahala ॥
Tehi Te Mrtyu Bhi Khal Keri ।
Puravahu Matu Manorath Meri ॥ 9 ॥

Chand Mund Jo the Vikhyata ।
Kshan Mahu Sanhare Un Mata ॥

Rakt Bij Se Samarath Papi ।
Suramuni Haday Dhara Sab Kanpi ॥ 10 ॥

Kateu Sir Jimi Kadali Khamba ।
Barabar Bin Vaun Jagadamba ॥

Jagaprasiddh Jo Shumbhanishumbha ।
Kshan Mein Bandhe Tahi Too Amba ॥ 11 ॥

Bharatamatu Buddhi Phereoo Jai ।
Ramachandr Banavas Karai ॥

Ehividhi Ravan Vadh Too Kinha ।
Sur Naramuni Sabako Sukh Dinha ॥ 12 ॥

Ko Samarath Tav Yash Gun Gana ।
Nigam Anadi Anant Bakhana ॥

Vishnu Rudr Jas Kahin Mari ।
Jinaki Ho Tum Rakshakari ॥ 13 ॥

Rakt Dantika Aur Shatakshi ।
Nam Apar Hai Danav Bhakshi ॥

Durgam Kaj Dhara Par Kinha ।
Durga Nam Sakal Jag Linha ॥ 14 ॥

Durg Adi Harani Too Mata ।
Krpa Karahu Jab Jab Sukhadata ॥

Nrp Kopit Ko Maran Chahe ।
Kanan Mein Ghere Mrg Nahe ॥ 15 ॥

Sagar Madhy Pot Ke Bhanje ।
Ati Toophan Nahin Kooo Sange ॥

Bhoot Pret Badha Ya Duhkh Mein ।
Ho Daridr Athava Sankat Mein ॥ 16 ॥

Nam Jape Mangal Sab Hoi ।
Sanshay Isamen Kari Na Koi ॥

Putrahin Jo Atur Bhai ।
Sabai Chhandi Poojen Ehi Bhai ॥ 17 ॥

Karai Path Nit Yah Chalisa ।
Hoy Putr Sundar Gun Isha ॥

Dhoopadik Naivedya Chadhavai ।
Sankat Rahit Avashy Ho Javai ॥ 18 ॥

Bhakti Matu Ki Karain Hamesha ।
Nikat Na Avai Tahi Kalesha ॥

Bandi Path Karen Sat Bara ।
Bandi Pash Door Ho Sara ॥ 19 ॥

Ramasagar Bandhi Hetu Bhavani ।
Kijai Krpa Das Nij Jani ।

॥ Doha ॥
Matu Soory Kanti Tav, Andhakar Mam Roop ।
Dooban Se Raksha Karahu Paroon Na Main Bhav Koop ॥
Balabuddhi Vidya Dehu Mohi, Sunahu Sarasvati Matu ।
Ram Sagar Adham Ko Ashray Too Hi Dedatu ॥

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) के लाभ

  • सरस्वती देवी की कृपा प्राप्त होती है। सरस्वती देवी ज्ञान, कला और संगीत की देवी हैं। जब सरस्वती देवी प्रसन्न होती हैं, तो वे अपने भक्तों को ज्ञान, कला और संगीत की शक्ति प्रदान करती हैं।
  • मन की शांति मिलती है। सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) एक भक्तिपूर्ण कविता है। यह कविता हमें सांसारिक चिंताओं से मुक्त करने और ईश्वर में विश्वास रखने में मदद करती है।
  • मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जब हम सरस्वती देवी की सच्चे मन से स्तुति करते हैं, तो वे हमारी सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं।
  • पापों से मुक्ति मिलती है। सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) हमें सच्चाई, करुणा और दया के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है।

सरस्वती चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, यह माना जाता है कि बुधवार और शुक्रवार के दिन सरस्वती देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, इसलिए इन दिनों सरस्वती चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

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सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) से सम्बंधित प्रश्न

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) कब और किसने लिखी?

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) की रचना 16 वीं शताब्दी में तुलसीदास जी ने की थी। तुलसीदास जी एक महान हिंदी कवि और संत थे। उन्होंने रामचरितमानस और हनुमान चालीसा जैसी कई प्रसिद्ध रचनाएं लिखीं।

सरस्वती चालीसा में कितनी चौपाइयां हैं?

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) में 40 चौपाइयां और एक दोहा है।

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) के पहले दोहे का क्या अर्थ है?

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) के पहले दोहे का अर्थ है कि हम गुरु के चरणरज को अपने मस्तक पर धारण करते हैं और भगवान विष्णु की पत्नी, ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती की स्तुति करते हैं।

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) में सरस्वती देवी के कौन-कौन से गुणों का वर्णन किया गया है?

उ सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) में सरस्वती देवी के ज्ञान, कला और संगीत के गुणों का वर्णन किया गया है। सरस्वती देवी को सफेद कमल, वीणा और पुस्तक का प्रतीक माना जाता है।

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) का पाठ कब करना चाहिए?

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) का पाठ किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, यह माना जाता है कि बुधवार और शुक्रवार के दिन सरस्वती देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, इसलिए इन दिनों सरस्वती चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

सरस्वती चालीसा का पाठ करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए?

xसरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) का पाठ करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
साफ-सुथरे कपड़े पहनें और एकांत स्थान पर बैठें।
सरस्वती देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
आसन पर जल का छिड़काव करें और धूप-दीप जलाएं।
सरस्वती चालीसा का पाठ करें।
पाठ के अंत में सरस्वती देवी की आरती करें।

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