Shree Navagraha Chalisa (श्री नवग्रह चालीसा)

श्री नवग्रह चालीसा(Shree Navagraha Chalisa) एक हिंदू भक्ति भजन है जो नौ खगोलीय पिंडों या ग्रहों को समर्पित है, जिन्हें सामूहिक रूप से नवग्रह के रूप में जाना जाता है। इस चालीसा का पाठ इन खगोलीय पिंडों के प्रभाव से आशीर्वाद और सुरक्षा पाने के लिए किया जाता है, जिनका हिंदू ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव माना जाता है।

Shree Navagraha Chalisa के लाभ

  1. ग्रहों की प्रभावों से सुरक्षा: नवग्रह चालीसा का पाठ करने से नकारात्मक ग्रहों के दुष्प्रभावों से सुरक्षा मिल सकती है। यह चालीसा नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को शांत करने और सकारात्मकता को स्थापित करने में सहायता करती है।
  2. ग्रहों के प्रभाव का समाधान: नवग्रह चालीसा का पाठ करने से ग्रहों के प्रभाव का समाधान हो सकता है। यह चालीसा नवग्रहों के प्रभाव को नष्ट करने और उनकी आनंदमय शक्तियों को स्थापित करने में सहायता करती है।
  3. शुभ फलों की प्राप्ति: नवग्रह चालीसा का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। यह चालीसा शुभता, सुख, समृद्धि, और सफलता के लिए नवग्रहों की कृपा को प्राप्त करने में सहायता करती है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: नवग्रह चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह चालीसा भक्त को आध्यात्मिकता, शांति, और संतुलन के मार्ग में प्रवृत्त करती है और आत्मज्ञान और अनुभव की प्राप्ति में मदद करती है।
  5. धार्मिक संपन्नता: नवग्रह चालीसा का पाठ करने से धार्मिक संपन्नता मिल सकती है। यह चालीसा भक्त को धार्मिकता, नैतिकता, और योग्यता में सुधार करने में सहायता करती है और धार्मिक मार्ग पर स्थायी आदर्शों को स्थापित करने में मदद करती है।

इन लाभों को प्राप्त करने के लिए, श्री नवग्रह चालीसा को नियमित रूप से पढ़ना चाहिए और श्रद्धा भाव से इसकी पूजा करनी चाहिए।

Shree Navagraha Chalisa का वीडियो

श्री नवग्रह चालीसा लिरिक्स हिंदी में (Shree Navagraha Chalisa lyrics in Hindi)

॥ दोहा ॥
श्री गणपति गुरुपद कमल,
प्रेम सहित सिरनाय ।
नवग्रह चालीसा कहत,
शारद होत सहाय ॥
जय जय रवि शशि सोम बुध,
जय गुरु भृगु शनि राज।
जयति राहु अरु केतु ग्रह,
करहुं अनुग्रह आज ॥

॥ चौपाई ॥
॥ श्री सूर्य स्तुति ॥
प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा,
करहुं कृपा जनि जानि अनाथा ।
हे आदित्य दिवाकर भानू,
मैं मति मन्द महा अज्ञानू ।
अब निज जन कहं हरहु कलेषा,
दिनकर द्वादश रूप दिनेशा ।
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर,
अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर ।

॥ श्री चन्द्र स्तुति ॥
शशि मयंक रजनीपति स्वामी,
चन्द्र कलानिधि नमो नमामि ।
राकापति हिमांशु राकेशा,
प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा ।
सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर,
शीत रश्मि औषधि निशाकर ।
तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा,
शरण शरण जन हरहुं कलेशा ।

॥ श्री मंगल स्तुति ॥
जय जय जय मंगल सुखदाता,
लोहित भौमादिक विख्याता ।
अंगारक कुज रुज ऋणहारी,
करहुं दया यही विनय हमारी ।
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी,
लोहितांग जय जन अघनाशी ।
अगम अमंगल अब हर लीजै,
सकल मनोरथ पूरण कीजै ।

॥ श्री बुध स्तुति ॥
जय शशि नन्दन बुध महाराजा,
करहु सकल जन कहं शुभ काजा ।
दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना,
कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा ।
हे तारासुत रोहिणी नन्दन,
चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन ।
पूजहिं आस दास कहुं स्वामी,
प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी ।

॥ श्री बृहस्पति स्तुति ॥
जयति जयति जय श्री गुरुदेवा,
करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा ।
देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी,
इन्द्र पुरोहित विद्यादानी ।
वाचस्पति बागीश उदारा,
जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा ।
विद्या सिन्धु अंगिरा नामा,
करहुं सकल विधि पूरण कामा ।

॥ श्री शुक्र स्तुति ॥
शुक्र देव पद तल जल जाता,
दास निरन्तन ध्यान लगाता ।
हे उशना भार्गव भृगु नन्दन,
दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन ।
भृगुकुल भूषण दूषण हारी,
हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी ।
तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा,
नर शरीर के तुमही राजा ।

॥ श्री शनि स्तुति ॥
जय श्री शनिदेव रवि नन्दन,
जय कृष्णो सौरी जगवन्दन ।
पिंगल मन्द रौद्र यम नामा,
वप्र आदि कोणस्थ ललामा ।
वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा,
क्षण महं करत रंक क्षण राजा ।
ललत स्वर्ण पद करत निहाला,
हरहुं विपत्ति छाया के लाला ।

॥ श्री राहु स्तुति ॥
जय जय राहु गगन प्रविसइया,
तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया ।
रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा,
शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा ।
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा,
अर्धकाय जग राखहु लाजा ।
यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु,
सदा शान्ति और सुख उपजावहु ।

॥ श्री केतु स्तुति ॥
जय श्री केतु कठिन दुखहारी,
करहु सुजन हित मंगलकारी ।
ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला,
घोर रौद्रतन अघमन काला ।
शिखी तारिका ग्रह बलवान,
महा प्रताप न तेज ठिकाना ।
वाहन मीन महा शुभकारी,
दीजै शान्ति दया उर धारी ।

॥ नवग्रह शांति फल ॥
तीरथराज प्रयाग सुपासा,
बसै राम के सुन्दर दासा ।
ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी,
दुर्वासाश्रम जन दुख हारी ।
नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु,
जन तन कष्ट उतारण सेतू ।
जो नित पाठ करै चित लावै,
सब सुख भोगि परम पद पावै ॥

॥ दोहा ॥
धन्य नवग्रह देव प्रभु,
महिमा अगम अपार ।
चित नव मंगल मोद गृह,
जगत जनन सुखद्वार ॥

यह चालीसा नवोग्रह,
विरचित सुन्दरदास ।
पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख,
सर्वानन्द हुलास ॥

॥ इति श्री नवग्रह चालीसा ॥

श्री नवग्रह चालीसा लिरिक्स अंग्रेजी में (Shree Navagraha Chalisa lyrics in English)

Shree Navagraha Chalisa image

!! doha !!
shree ganapati gurupad kamal,
prem siranaay.
navagrah chaaleesa kahat,
sharad hot sahaayata.
jay jay ravi shashi som budh,
jay guru bhrgushani raaj.
jayati raahu aru ketu grah,
karahun anugrah aaj.

!! Chopai !!
. shree soory stuti .
prathamahi ravi kahan naavaun maatha,
karahun krpa jani jani anaatha.
he aadity divaakar bhaanu,
main mati mand maha agyaanu.
ab nij jan kahan harahu kalesha,
dinakar dvaadash roop dinesha.
namo bhaaskar soory naukaraanee,
ark mitr agh mogh kshamaakar.

. shree chandr stuti .
shashi makkee rajanee svaamee,
chandr kalaanidhi namo namaami.
raakaapati himaanshu raakesha,
pranavat jan tan harahun kalesha.
som indu vidhu shaanti sudhaakar,
sheet rashmee aushadhi nishaachar.
tumheen shobhit sundar bhaal mahesa,
sharan sharan jan harahun kalesha.

. shree mangal stuti .
jay jay jay mangal sukhadaata,
lohit bhaumadik saahity .
angaarak kuj ruj rnaahaaree,
karahun daya yahee vinay hamaaree.
he mahisut chhitisut sukharaashee,
lohitaang jay jan aghanaashee.
agam mangal ab har leejai,
sakal manorath pooran keejai.

. shree budh stuti .
jay shashi nandan budh mahaaraaja,
karahu sakal jan kahan shubh kaaja.
deejai buddhi bal sumati sujaana,
kathin kasht hari kari kalyaan.
he taaraasut rohinee nandan,
chandrasuvan duhkh dvandv nikkandan.
poojahin aas daas kahu svaamee,
pranat pal prabhu namo namaami.

. shree brhaspati stuti .
jayati jayati jay shree gurudeva,
indakshan sada tumhaaree prabhu seva.
devaachaary tum dev guru gyaanee,
indr purohit vidyaadaanee.
vaachaspati baageez libaral,
jeev brhaspati naam .
vidya sindhu angira naama,
karahun sakal vidhi pooran kaam.

. shree shukr stuti .
shukr dev tal jal,
daas nirantan dhyaan sthaan.
he ushana bhaagavat bhrgu nandan,
daity purohit dusht nikandan.
bhrgukul bhooshan dooshan haaree,
harahun nesht grah karahun sukhaari.
tuhi dvijabar joshee sirataaja,
nar shareer ke tumheen raaja.

. shree shani stuti .
jay shree shanidev ravi nandan,
jay krshno sauri jagavandan.
pingal mand raudr yam nama,
vapr aadi konasth laama.
vajr drshti pippal tan saaja,
kshan mahan karat rank kshan raaja.
laalat svarn pad karat nihaala,
harahun vipatti chhaaya ke laala.

. shree raahu stuti .
jay jay raahu gagan pravisiya,
tumheen chandr aadity graasiya.
ravi shashi ari svarbhaanu dhaara,
sikhee aadi bahu naam lipi.
sahinkey tum nishaachar raaja,
ardhakaay jag raakhahu laaja.
yadi grah samay paay hin aavahu,
sada shaanti aur sukh upajaavahu.

. shree ketu stuti .
jay shree ketu kathin duhkhahaaree,
karahu sujan hit mangalakaaree.
dhvajayut rund roop vikaarala,
ghor raudrataan aghaman kaala.
shikhee taarika grah balavaan,
maha prataap na tej vakta.
vaahan meen maha shubhakaaree,
deejai shaanti daya ur dhaaree.

. navagrah shaanti phal .
teeratharaaj prayaag supaasa,
basai raam ke sundar daasa.
kakarara graamahin poore-tivaaree,
durvaasaashram jan duhkh haaree.
navagrah shaanti paathyo sukhaay,
jan tan utprerana setu .
jo nit paath karai chit laavai,
sab sukh bhogee param pad paavai.

!! doha !!
dhany navagrah dev prabhu,
mahima agam apaar.
chit nav mangal mod grh,
jagat janan sukhadvaar.

yah chaaleesa navograh,
virachit sundaradaas.
padhat prem sut badhat sukh,
sarvaanand hulaas .

. iti shree navagrah chalisa .

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Shree Navagraha Chalisa lyrics pdf

Shree Navagraha Chalisa से जुड़े सामान्य प्रश्न

नवग्रह चालीसा क्या है?

नवग्रह चालीसा(Shree Navagraha Chalisa) हिंदू धर्म में नौ ग्रह देवताओं को समर्पित एक भक्ति भजन या प्रार्थना है। उनका आशीर्वाद पाने और किसी के जीवन पर इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए इसका पाठ किया जाता है।

नौ नवग्रह कौन हैं?

नौ नवग्रह हैं:
सूर्य (सूर्य)
चंद्रा (चंद्रमा)
मंगला (मंगल)
बुद्ध (बुध)
गुरु (बृहस्पति)
शुक्र (शुक्र)
शनि (शनि)
राहु (उत्तर नोड)
केतु (दक्षिण नोड)

नवग्रह चालीसा(Shree Navagraha Chalisa) का पाठ करने का उद्देश्य क्या है?

माना जाता है कि नवग्रह चालीसा(Shree Navagraha Chalisa) का पाठ करने से व्यक्तियों को नवग्रहों का आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह अक्सर किसी के ज्योतिषीय चार्ट में ग्रहों की स्थिति के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और सकारात्मकता और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

नवग्रह चालीसा का पाठ कब और कैसे किया जाता है?

नवग्रह चालीसा (Shree Navagraha Chalisa) का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन यह अक्सर सुबह या नौ खगोलीय पिंडों में से प्रत्येक से जुड़े विशिष्ट ग्रह घंटों के दौरान किया जाता है। इसे आम तौर पर व्यक्तिगत रूप से या समूह सेटिंग में भक्ति और फोकस के साथ पढ़ा जाता है।

क्या नवग्रह चालीसा से जुड़े कोई विशिष्ट अनुष्ठान या प्रसाद हैं?

कुछ व्यक्ति नवग्रहों के सम्मान के प्रतीक के रूप में फूल, धूप या मिठाई भी चढ़ा सकते हैं। हालाँकि, मुख्य ध्यान सच्ची प्रार्थना और भक्ति पर है।

क्या कोई नवग्रह चालीसा का पाठ कर सकता है?

हाँ, कोई भी नवग्रह चालीसा(Shree Navagraha Chalisa) का पाठ कर सकता है। यह किसी विशिष्ट जाति, पंथ या लिंग तक सीमित नहीं है। यह नवग्रहों का आशीर्वाद और सुरक्षा चाहने वाले सभी व्यक्तियों के लिए सुलभ है।

नवग्रह चालीसा का पाठ करने के क्या लाभ हैं?

माना जाता है कि नवग्रह चालीसा(Shree Navagraha Chalisa) का पाठ करने के लाभों में ग्रह दोषों (नकारात्मक प्रभाव), बेहतर स्वास्थ्य, रिश्तों में सामंजस्य, प्रयासों में सफलता और समग्र कल्याण शामिल है। हालाँकि, प्रभावकारिता और लाभ भौतिक से अधिक आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक माने जाते हैं।

क्या चालीसा का पाठ करने की कोई निश्चित संख्या है?

नवग्रह चालीसा(Shree Navagraha Chalisa) का पाठ कितनी बार किया जाना चाहिए इसकी कोई निश्चित संख्या नहीं है। कुछ लोग इसका प्रतिदिन पाठ करते हैं, जबकि अन्य प्रत्येक ग्रह से जुड़े विशिष्ट दिनों पर ऐसा कर सकते हैं, जैसे सूर्य के लिए रविवार या मंगला के लिए मंगलवार।

क्या नवग्रह चालीसा का पाठ करने के लिए ज्योतिष में विश्वास आवश्यक है?

नवग्रह चालीसा(Shree Navagraha Chalisa) का पाठ करने के लिए ज्योतिष में विश्वास कोई सख्त आवश्यकता नहीं है। बहुत से लोग ज्योतिष के गहन ज्ञान के बिना इसे भक्तिपूर्ण प्रार्थना के रूप में पढ़ते हैं। हालाँकि, कुछ व्यक्ति नवग्रहों के ज्योतिषीय महत्व में विश्वास के साथ इसका पाठ करना चुन सकते हैं।

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