श्री गंगा माता चालीसा ( Shri Ganga Mata Chalisa) – Sacred chalisa of Mata Ganga

Shri Ganga Mata Chalisa के पाठ के बहुत से लाभ और फायदे होते हैं। गंगा माता को भारतीय संस्कृति में एक पवित्र और प्रमुख नदी माना जाता है और इसे माँ गंगा के रूप में पूजा जाता है। गंगा माता चालीसा के पाठ से भक्त को अनेक शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

Shri Ganga Mata Chalisa के पाठ के लाभ:

  1. पवित्रता और शुद्धता: गंगा माता चालीसा के पाठ से भक्त को पवित्रता और शुद्धता की अनुभूति होती है। यह चालीसा भक्त को अपने मन, वचन, और कर्मों को पवित्र रखने की प्रेरणा देती है।
  2. दोषों का नाश: श्री गंगा माता चालीसा के पाठ से भक्त के जीवन से सभी दोषों का नाश होता है। इससे भक्त को पापों से मुक्ति मिलती है और उन्हें सच्चे मन से भगवान की भक्ति करने की शक्ति प्राप्त होती है।
  3. संवेदनशीलता और करुणा: गंगा माता चालीसा के पाठ से भक्त को संवेदनशीलता और करुणा की भावना विकसित होती है। यह चालीसा भक्त को दूसरों के दुखों को समझने और मदद करने की भावना को विकसित करती है।
  4. स्वास्थ्य और दीर्घायु: गंगा माता चालीसा के पाठ से भक्त को शारीरिक स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त होती है। इससे भक्त को रोगों से रक्षा मिलती है और उन्हें दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
  5. मनोविश्राम और ध्यान: गंगा माता चालीसा के पाठ से भक्त को मनोविश्राम और ध्यान की अनुभूति होती है। यह चालीसा भक्त को मानसिक चंचलता से मुक्ति मिलती है और उन्हें ध्यान की शक्ति प्राप्त होती है।
  6. भक्ति और श्रद्धा: श्री गंगा माता चालीसा के पाठ से भक्त को भगवान के प्रति भक्ति और श्रद्धा की भावना विकसित होती है। इससे भक्त को भगवान के संग एकाग्रता का अनुभव होता है और उन्हें भगवान के दर्शन का अनुभव होता है।

इस तरह, श्री गंगा माता चालीसा के पाठ से भक्त को अनेक शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह चालीसा भक्त को भगवान के साथ साक्षात्कार का अनुभव होता है.

Shri Ganga Mata Chalisa का वीडियो

श्री गंगा माता चालीसा लिरिक्स हिंदी में (Shri Ganga Mata Chalisa lyrics in Hindi)

॥दोहा॥
जय जय जय जग पावनी,
जयति देवसरि गंग ।
जय शिव जटा निवासिनी,
अनुपम तुंग तरंग ॥

॥चौपाई॥
जय जय जननी हराना अघखानी ।
आनंद करनी गंगा महारानी ॥

जय भगीरथी सुरसरि माता ।
कलिमल मूल डालिनी विख्याता ॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी ।
भीष्म की माता जगा जननी ॥

धवल कमल दल मम तनु सजे ।
लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई ॥ ४ ॥

वहां मकर विमल शुची सोहें ।
अमिया कलश कर लखी मन मोहें ॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण ।
हिय मणि हर, हरानितम दूषण ॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी ।
तरल तरंग तुंग मन भावनी ॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान ।
इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना ॥ ८ ॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी ।
श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि ॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो ।
गंगा सागर तीरथ धरयो ॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन ।
लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन ॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता ।
धरयो मातु पुनि काशी करवत ॥ १२ ॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी ।
तरनी अमिता पितु पड़ पिरही ॥

भागीरथी ताप कियो उपारा ।
दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा ॥

जब जग जननी चल्यो हहराई ।
शम्भु जाता महं रह्यो समाई ॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी ।
रहीं शम्भू के जाता भुलानी ॥ १६ ॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो ।
तब इक बूंद जटा से पायो ॥

ताते मातु भें त्रय धारा ।
मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा ॥

गईं पाताल प्रभावती नामा ।
मन्दाकिनी गई गगन ललामा ॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी ।
कलिमल हरनी अगम जग पावनि ॥ २० ॥

धनि मइया तब महिमा भारी ।
धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी ॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी ।
धनि सुर सरित सकल भयनासिनी ॥

पन करत निर्मल गंगा जल ।
पावत मन इच्छित अनंत फल ॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत ।
तबहीं ध्यान गंगा महं लागत ॥ २४ ॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही ।
तई जगि अश्वमेघ फल पावहि ॥

महा पतित जिन कहू न तारे ।
तिन तारे इक नाम तिहारे ॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं ।
निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं ॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै ।
विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे ॥ २८ ॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना ।
धर्मं मूल गंगाजल पाना ॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत ।
गृह गृह सम्पति सुमति विराजत ॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत ।
दुर्जनहूं सज्जन पद पावत ॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै ।
रोगी रोग मुक्त हवे जावै ॥ ३२ ॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं ।
भूखा नंगा कभुहुह न रहहि ॥

निकसत ही मुख गंगा माई ।
श्रवण दाबी यम चलहिं पराई ॥

महं अघिन अधमन कहं तारे ।
भए नरका के बंद किवारें ॥

जो नर जपी गंग शत नामा ।
सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा ॥ ३६ ॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं ।
आवागमन रहित ह्वै जावहीं ॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि ।
धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी ॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा ।
सुन्दरदास गंगा कर दासा ॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा ।
मिली भक्ति अविरल वागीसा ॥ ४० ॥

॥ दोहा ॥
नित नए सुख सम्पति लहैं, धरें गंगा का ध्यान ।
अंत समाई सुर पुर बसल, सदर बैठी विमान ॥

संवत भुत नभ्दिशी, राम जन्म दिन चैत्र ।
पूरण चालीसा किया, हरी भक्तन हित नेत्र ॥

श्री गंगा माता चालीसा अंग्रेजी में (Shri Ganga Mata Chalisa in English )

Shri Ganga Mata Chalisa image

॥ Doha ॥
Jai Jai Jai Jag Pavni, Jayati Devsari Gang ।
Jai Shiv Jata Nivasini, Anupam Tung Tarang ॥
॥ Chaupai ॥
Jai Jai Janani Harana Aghakhani ।
Anand Karani Ganga Maharani ॥

Jai Bhagirathi Surasari Mata ।
Kalimal Mool Dalini Vikhyata ॥

Jai Jai Jahanu Suta Agh Hanani ।
Bhishm Ki Mata Jaga Janani ॥

Dhaval Kamal Dal Mam Tanu Saje ।
Lakhi Shat Sharad Chandr Chhavi Lajai ॥ 4 ॥

Wahan Makar Vimal Shuchi Sohen ।
Amiya Kalash Kar Lakhi Man Mohen ॥

Jadita Ratna Kanchan Abhushan ।
Hiya Mani Har, Haranitam Dushan ॥

Jag Pavani Tray Tap Nasavani ।
Taral Tarang Tung Man Bhavani ॥

Jo Ganapati Ati Poojy Pradhan ।
Ihoon Te Pratham Ganga Asnana ॥ 8 ॥

Brahma Kamandal Vasini Devi ।
Shri Prabhu Pad Pankaj Sukh Sevi ॥

Sathi Sahastr Sagar Sut Tarayo ।
Ganga Sagar Tirath Dharayo ॥

Agam Tarang Uthyo Man Bhavan ।
Lakhi Tirath Haridvar Suhavan ॥

Tirath Raj Prayag Akshaiveta ।
Dharayo Matu Puni Kashi Karavat ॥ 12 ॥

Dhani Dhani Surasari Svarg Ki Sidhi ।
Tarani Amita Pitu Pad Pirahi ॥

Bhagirathi Tap Kiyo Upara ।
Diyo Brahm Tav Surasari Dhara ॥

Jab Jag Janani Chalyo Haharai ।
Shambhu Jata Mahan Rahyo Samai ॥

Varsha Paryant Ganga Maharani ।
Rahin Shambhoo Ke Jata Bhulani ॥ 16 ॥

Puni Bhagirathi Shambhuhin Dhyayo ।
Tab Ik Boond Jata Se Payo ॥

Tate Matu Bhen Traya Dhara Mrityu Lok,
Nabha, Aru Patara ॥

Gain Patal Prabhavati Nama ।
Mandakini Gai Gagan Lalama ॥

Mrtyu Lok Jahnavi Suhavani ।
Kalimal Harani Agam Jag Pavani ॥ 20 ॥

Dhani Maiya Tab Mahima Bhari ।
Dharman Dhuri Kali Kalush Kuthari ॥

Matu Prabhavati Dhani Mandakini ।
Dhani Sur Sarit Sakal Bhayanasini ॥

Pan Karat Nirmal Ganga Jal ।
Pavat Man Ichchhit Anant Phal ॥

Purav Janm Puny Jab Jagat ।
Tabahin Dhyan Ganga Mahan Lagat ॥ 24 ॥

Jai Pagu Surasari Hetu Uthavahi ।
Tai Jagi Ashvamegh Phal Pavahi ॥

Maha Patit Jin Kahoo Na Tare ।
Tin Tare Ik Naam Tihare ॥

Shat Yojan Hoon Se Jo Dhyavahin ।
Nishachai Vishnu Lok Pad Pavahin ॥

Nam Bhajat Aganit Agh Nashai ।
Vimal Gyan Bal Buddhi Prakashe ॥ 28 ॥

Jimi Dhan Mool Dharman Aru Dana ।
Dharman Mool Gangajal Pana ॥

Tab Gun Gunan Karat Dukh Bhajat ।
Grh Grh Sampati Sumati Virajat ॥

Gangahi Nem Sahit Nit Dhyavat ।
Durjanahoon Sajjan Pad Pavat ॥

Uddihin Vidya Bal Pavai ।
Rogi Rog Mukt Have Javai ॥ 32 ॥

Ganga Ganga Jo Nar Kahahin ।
Bhookha Nanga Kabhuhuh Na Rahahi ॥

Nikasat Hi Mukh Ganga Mai ।
Shravan Dabi Yam Chalahin Parai ॥

Mahan Aghin Adhaman Kahan Tare ।
Bhe Naraka Ke Band Kivaren ॥

Jo Nar Japi Gang Shat Nama ।
Sakal Siddhi Pooran Hvai Kama ॥ 36 ॥

Sab Sukh Bhog Param Pad Pavahin ।
Avagaman Rahit Hvai Javahin ॥

Dhani Maiya Surasari Sukh Daini ।
Dhani Dhani Tirath Raj Triveni ॥

Kakara Gram Rshi Durvasa ।
Sundaradas Ganga Kar Dasa ॥

Jo Yah Padhe Ganga Chalisa ।
Mili Bhakti Aviral Vagisa ॥ 40 ॥

॥ Doha ॥
Nit Nae Sukh Sampati Lahain. Dharen Ganga Ka Dhyan ।
Ant Samai Sur Pur Basal. Sadar Baithi Viman ॥
Sanvat Bhut Nabhdishi. Ram Janm Din Chaitra ।
Pooran Chalisa Kiya. Hari Bhaktan Hit Netra ॥

Shri Ganga Mata Chalisa lyrics pdf

Shri Ganga Mata Chalisa से जुड़े सामान्य प्रश्न

“श्री गंगा माता चालीसा” क्या है?

“Shri Ganga Mata Chalisa” देवी गंगा को समर्पित एक भक्ति प्रार्थना है। यह आमतौर पर पवित्र गंगा नदी का आशीर्वाद और सुरक्षा पाने के लिए भक्तों द्वारा पढ़ा जाता है।

देवी गंगा कौन हैं?

देवी गंगा एक हिंदू देवता हैं जो गंगा नदी का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसे हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। उन्हें अक्सर जल जीव पर सवार देवी के रूप में चित्रित किया जाता है और उनके शुद्धिकरण और जीवन देने वाले गुणों के लिए उनकी पूजा की जाती है।

“श्री गंगा माता चालीसा” का पाठ करने का उद्देश्य क्या है?

इस चालीसा(Shri Ganga Mata Chalisa) का पाठ करने का प्राथमिक उद्देश्य देवी गंगा का आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त करना है। भक्तों का मानना है कि इस प्रार्थना का जाप करके, वे अपने मन और आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

“श्री गंगा माता चालीसा” का पाठ कैसे किया जाता है?

अन्य चालीसा प्रार्थनाओं की तरह, “Shri Ganga Mata Chalisa” का पाठ आमतौर पर भक्तों द्वारा जोर से या चुपचाप किया जाता है। यह देवी गंगा की स्तुति में छंदों या छंदों का एक सेट है, और भक्त अक्सर इसे अपनी दैनिक पूजा के हिस्से के रूप में या विशेष अवसरों के दौरान पढ़ते हैं।

क्या इस चालीसा का पाठ करने का कोई विशेष समय या अवसर है?

भक्त अपनी दैनिक प्रार्थनाओं के दौरान या विशिष्ट अवसरों पर जब देवी गंगा का आशीर्वाद लेना चाहते हैं तो “Shri Ganga Mata Chalisa” का पाठ कर सकते हैं। इसका पाठ किसी भी समय किया जा सकता है जब कोई उनसे आध्यात्मिक रूप से जुड़ना चाहता है।

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