श्री कामाख्या देवी चालीसा(Shri Kamakhya Devi Chalisa) भक्तों को अनेक लाभ प्रदान करती है। यह चालीसा माँ कामाख्या की पूजा-अर्चना करने से भक्त को आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार मिलता है यह चालीसा भक्त के व्यापार सम्बन्धी कष्टों के निवारण के लिए भी सहायक होता है।
विषय सूची
Shri Kamakhya Devi Chalisa के लाभ
- आध्यात्मिक समृद्धि: माँ कामाख्या की चालीसा का पाठ करने से भक्त की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसका मानसिक शांति प्राप्त होती है। इससे भक्त का मन शुद्ध होता है और उसे ध्यान लगाने में सहायता मिलती है।
- समृद्धि और धन: माँ कामाख्या की कृपा से भक्त को समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। व्यापार और वित्तीय समस्याओं से पीड़ित लोग इस चालीसा का पाठ करके अपने व्यवसाय में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
- संतान सुख: जो भी बालक वंचित हैं और संतान सुख की प्राप्ति नहीं कर पा रहे हैं, वे माँ कामाख्या की चालीसा का नियमित रूप से पाठ करके इस समस्या का निवारण कर सकते हैं।
- संतान की रक्षा: यह चालीसा भक्त के संतान की सुरक्षा करती है और उन्हें बुराईयों से बचाने में मदद करती है।
- संकटों का निवारण: जीवन में आने वाले संकटों और दुर्भाग्य से मुक्ति प्रदान करने के लिए माँ कामाख्या की चालीसा का पाठ किया जा सकता है।
- शत्रु नाश: यह चालीसा शत्रुओं और दुश्मनों के नाश को करती है और भक्त को सुरक्षित रखती है।
- आर्थिक समृद्धि: माँ कामाख्या की चालीसा का पाठ करने से भक्त को आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
यदि आप माँ कामाख्या की चालीसा का नियमित रूप से पाठ करते हैं और विश्वास के साथ उसका आदर्श साधना में ध्यान रखते हैं, तो आपको उपर्युक्त लाभ प्राप्त हो सकते हैं। हालांकि, भक्तों को ध्यान देने की आवश्यकता है कि किसी भी धार्मिक साधना या पूजा-अर्चना को करने से पहले उन्हें कुछ अध्ययन और शुद्ध भावना के साथ करना चाहिए।
Shri kamakhya devi chalisa का वीडियो
श्री कामाख्या देवी चालीसा लिरिक्स हिंदी में (Shri kamakhya devi chalisa lyrics in Hindi)
॥ दोहा ॥
सुमिरन कामाख्या करुँ,
सकल सिद्धि की खान I
होइ प्रसन्न सत करहु माँ,
जो मैं कहौं बखान II (१)
II चोपाई II
जै जै कामाख्या महारानी I
दात्री सब सुख सिद्धि भवानी II (1)
कामरुप हैं वास तुम्हारो I
जहँ ते मन नहिं टरत हैं टारो II (2)
ऊँचे गिरि पर करहुँ निवासा I
पुरवहु सदा भगत मन आसा II (3)
ऋद्धि सिद्धि तुरतै मिलि जाई I
जो जन ध्यान धरै मनलाई II (4)
जो देवी का दर्शन चाहे I
हदय बीच याही अवगाहे Ii (5)
प्रेम सहित पंडित बुलवावे I
शुभ मुहूर्त निश्चित विचारवे II (6)
अपने गुरु से आज्ञा लेकर I
यात्रा विधान करे निश्चय धर II (7)
पूजन गौरि-गणेश करावे I
नान्दी मुख भी श्राद्ध जिमावे II (8)
शुक्र को बाँयें व पाछे कर I
गुरु अरु शुक्र उचित रहने पर II (9)
जब सब ग्रह होवें अनुकूला I
गुरु पितु मातु आदि सब हूला II (10)
नौ ब्राह्मण बुलवाय जिमावे I
आशीर्वाद जब उनसे पावे Ii (11)
सबहिं प्रकार शकुन शुभ होई I
यात्रा तबहिं करें सुख होई II (12)
जो चह सिद्धि करन कछु भाई I
मंत्र लेइ देवी कहँ जाई II (13)
आदर पूर्वक गुरु बुलावे I
मन्त्र लेन हित दिन ठहरावे II (14)
शुभ मुहूर्त में दीक्षा लेवे I
प्रसन्न होई दक्षिणा देवै II (15)
ॐ नमः का करे उच्चारण I
मातृका न्यास धरे सिर धारण II (16)
षडङ्ग न्यास करे सो भाई I
माँ कामाक्षा धर उर लाई II (17)
देवी मन्त्र करे मन सुमिरन I
सन्मुख मुद्रा करे प्रदर्शन II (18)
जिससे होई प्रसन्न भवानी I
मन चाहत वर देवे आनी II (19)
जबहिं भगत दीक्षित होइ जाई I
दान देय ऋत्विज कहँ जाई II (20)
विप्रबंधु भोजन करवावे I
विप्र नारि कन्या जिमवावे II (21)
दीन अनाथ दरिद्र बुलावे I
धन का घमंड नहीं दिखावे II (22)
एहि विधि समझ कृतारथ होवे I
गुरु मन्त्र नित जप कर सोवे II (23)
देवी चरण का बने पुजारी I
एहि ते धरम न हैं कोई भारी II (24)
सकल ऋद्धि, सिद्धि मिल जावे I
जो देवी का ध्यान लगावे II (25)
तू ही दुर्गा तू ही काली I
माँग में सोहे मातु के लाली II (26)
वाक् सरस्वती विद्या गौरी I
मातु के सोहैं सिर पर मौरी II (27)
क्षुधा, दुरत्यया, निद्रा तृष्णा I
तन का रंग है मातु का कृष्णा II (28)
कामधेनु सुभगा और सुन्दरी I
मातु की अँगुलिया में है मुंदरी II (29)
कालरात्रि वेदगर्भा धीश्वरि I
कंठमाल माता ने ले धरि II (30)
तृषा सती एक वीरा अक्षरा I
देह तजी जानु रही नश्वरा II (31)
स्वरा महा श्री चण्डी I
मातु न जाना जो रहे पाखण्डी II (32)
महामारी भारती आर्या I
शिवजी की ओ रहीं भार्या II (33)
पद्मा, कमला, लक्ष्मी, शिवा I
तेज मातु तन जैसे दिवा II (34)
उमा, जयी, ब्राह्मी भाषा I
पुर हिं भगतन की अभिलाषा II (35)
रजस्वला जब रुप दिखावे I
देवता सकल पर्वतहिं जावें II (36)
रुप गौरि धरि करहिं निवासा I
जब लग होइ न तेज प्रकाशा II (37)
एहि ते सिद्ध पीठ कहलाई I
जउन चहै जन सो होई जाईII (38)
जो जन यह चालीसा गावे I
सब सुख भोग देवि पद पावे II (39)
होहिं प्रसन्न महेश भवानी I
कृपा करहु निज जन असवानी II (40)
॥ दोहा ॥
कह गोपाल सुमिर मन,
कामाख्या सुख खानि I
जग हित माँ प्रगटत भई,
सके न कोऊ खानि II
II इति श्री कामाख्या माता चालीसा सम्पूर्ण II
श्री कामाख्या देवी चालीसा लिरिक्स अंग्रेजी में (Shri kamakhya devi chalisa lyrics in English)
॥ Dohaa ॥
sumiran kaamaakhyaa karun,
sakal siddhi kii khaan i
hoi prasann sat karahu maan,
jo main kahown bakhaan ii (१)
ii Chopaaii ii
jai jai kaamaakhyaa mahaaraanii i
daatrii sab sukh siddhi bhavaanii ii (1)
kaamarup hain vaas tumhaaro i
jahan te man nahin ṭarata hain ṭaaro ii (2)
uunche giri par karahun nivaasaa i
puravahu sadaa bhagat man aasaa ii (3)
ṛddhi siddhi turatai mili jaaii i
jo jan dhyaan dharai manalaaii ii (4)
jo devii kaa darshan chaahe i
haday biich yaahii avagaahe ii (5)
prem sahit panḍit bulavaave i
shubh muhuurt nishchit vichaarave ii (6)
apane guru se aajñaa lekar i
yaatraa vidhaan kare nishchay dhar ii (7)
puujan gowri-gaṇesh karaave i
naandii mukh bhii shraaddh jimaave ii (8)
shukr ko baanyen v paachhe kar i
guru aru shukr uchit rahane par ii (9)
jab sab grah hoven anukuulaa i
guru pitu maatu aadi sab huulaa ii (10)
now braahmaṇ bulavaay jimaave i
aashiirvaad jab unase paave ii (11)
sabahin prakaar shakun shubh hoii i
yaatraa tabahin karen sukh hoii ii (12)
jo chah siddhi karan kachhu bhaaii i
mantr lei devii kahan jaaii ii (13)
aadar puurvak guru bulaave i
mantr len hit din ṭhaharaave ii (14)
shubh muhuurt men diikshaa leve i
prasann hoii dakshiṇaa devai ii (15)
om namah kaa kare uchchaaraṇ i
maatṛkaa nyaas dhare sir dhaaraṇ ii (16)
shaḍaṅg nyaas kare so bhaaii i
maan kaamaakshaa dhar ur laaii ii (17)
devii mantr kare man sumiran i
sanmukh mudraa kare pradarshan ii (18)
jisase hoii prasann bhavaanii i
man chaahat var deve aanii ii (19)
jabahin bhagat diikshit hoi jaaii i
daan dey ṛtvij kahan jaaii ii (20)
viprabandhu bhojan karavaave i
vipr naari kanyaa jimavaave ii (21)
diin anaath daridr bulaave i
dhan kaa ghamanḍ nahiin dikhaave ii (22)
ehi vidhi samajh kṛtaarath hove i
guru mantr nit jap kar sove ii (23)
devii charaṇ kaa bane pujaarii i
ehi te dharam n hain koii bhaarii ii (24)
sakal ṛddhi, siddhi mil jaave i
jo devii kaa dhyaan lagaave ii (25)
tuu hii durgaa tuu hii kaalii i
maang men sohe maatu ke laalii ii (26)
vaak sarasvatii vidyaa gowrii i
maatu ke sohain sir par mowrii ii (27)
kshudhaa, duratyayaa, nidraa tṛshṇaa i
tan kaa rang hai maatu kaa kṛshṇaa ii (28)
kaamadhenu subhagaa owr sundarii i
maatu kii anguliyaa men hai mundarii ii (29)
kaalaraatri vedagarbhaa dhiishvari i
kanṭhamaal maataa ne le dhari ii (30)
tṛshaa satii ek viiraa aksharaa i
deh tajii jaanu rahii nashvaraa ii (31)
svaraa mahaa shrii chaṇḍii i
maatu n jaanaa jo rahe paakhaṇḍii ii (32)
mahaamaarii bhaaratii aaryaa i
shivajii kii o rahiin bhaaryaa ii (33)
padmaa, kamalaa, lakshmii, shivaa i
tej maatu tan jaise divaa ii (34)
umaa, jayii, braahmii bhaashaa i
pur hin bhagatan kii abhilaashaa ii (35)
rajasvalaa jab rup dikhaave i
devataa sakal parvatahin jaaven ii (36)
rup gowri dhari karahin nivaasaa i
jab lag hoi n tej prakaashaa ii (37)
ehi te siddh piiṭh kahalaaii i
jaun chahai jan so hoii jaaiiii (38)
jo jan yah chaaliisaa gaave i
sab sukh bhog devi pad paave ii (39)
hohin prasann mahesh bhavaanii i
kṛpaa karahu nij jan asavaanii ii (40)
॥ dohaa ॥
kah gopaal sumir man,
kaamaakhyaa sukh khaani i
jag hit maan pragaṭat bhaii,
sake n kouu khaani ii
ii iti shrii kaamaakhyaa maataa chaaliisaa sampuurṇa ii
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Shri Kamakhya Devi Chalisa से जुड़े सामान्य प्रश्न
श्री कामाख्या देवी चालीसा क्या है?
श्री कामाख्या देवी चालीसा(Shri Kamakhya Devi Chalisa) एक भक्तिपूर्ण भजन या प्रार्थना है जो हिंदू देवी देवी कामाख्या को समर्पित है। इसका जाप भक्तों द्वारा पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
देवी कामाख्या कौन हैं?
देवी कामाख्या हिंदू देवी देवी का एक शक्तिशाली और पूजा किया जाने वाला रूप है। वह मुख्य रूप से भारत के असम में कामाख्या मंदिर में पूजनीय हैं और प्रजनन क्षमता, स्त्री ऊर्जा और मातृत्व से जुड़ी हैं।
श्री कामाख्या देवी चालीसा का पाठ करने का उद्देश्य क्या है?
भक्त देवी कामाख्या का आशीर्वाद और सुरक्षा पाने के लिए Shri Kamakhya Devi Chalisa का पाठ करते हैं।
श्री कामाख्या देवी चालीसा का पाठ कैसे किया जाता है?
श्री कामाख्या देवी चालीसा(Shri Kamakhya Devi Chalisa) का पाठ आमतौर पर देवी कामाख्या की छवि या मूर्ति के सामने भक्तिपूर्वक किया जाता है। भक्त अपनी पूजा के हिस्से के रूप में दीपक, धूप जला सकते हैं और फूल चढ़ा सकते हैं। इसका जाप 108 बार या 9 के गुणक में करने की प्रथा है।
क्या कोई श्री कामाख्या देवी चालीसा का पाठ कर सकता है?
हाँ, कोई भी Shri Kamakhya Devi Chalisa का पाठ कर सकता है, चाहे उसकी उम्र, लिंग या पृष्ठभूमि कुछ भी हो। यह भक्ति और प्रार्थना का एक रूप है जो सभी के लिए खुला है।
क्या श्री कामाख्या देवी चालीसा से जुड़े कोई विशेष अवसर या त्यौहार हैं?
भक्त अक्सर देवी कामाख्या को समर्पित त्योहारों, जैसे अंबुबाची मेला, के दौरान चालीसा का पाठ करते हैं। कुछ लोग इसका पाठ मंगलवार या शुक्रवार को भी कर सकते हैं, जो देवी की पूजा के लिए शुभ दिन माने जाते हैं।
क्या श्री कामाख्या देवी चालीसा का पाठ करने के लिए दिन का कोई विशेष समय है?
हालाँकि Shri Kamakhya Devi Chalisa का पाठ करने के लिए दिन के समय के संबंध में कोई सख्त नियम नहीं है, कई भक्त अपनी दैनिक पूजा के हिस्से के रूप में सुबह या शाम को ऐसा करना चुनते हैं।
क्या श्री कामाख्या देवी चालीसा का पाठ किसी भी भाषा में किया जा सकता है?
भक्त Shri Kamakhya Devi Chalisa का पाठ किसी भी भाषा में कर सकते हैं जिसमें वे सहज हों, हालाँकि यह आमतौर पर संस्कृत या हिंदी में पढ़ा जाता है।
श्री कामाख्या देवी चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
भक्तों का मानना है कि भक्तिपूर्वक Shri Kamakhya Devi Chalisa का पाठ करने से आशीर्वाद, सुरक्षा और इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि यह आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति में भी मदद करता है।
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