श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa)

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa), “जय यदुनंदन जय जगवंदन” हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण की स्तुति में लिखी गई एक भक्तिपूर्ण कविता है। यह चालीसा 40 चौपाइयों और एक दोहे से मिलकर बनी है। श्री कृष्ण चालीसा की रचना 17 वीं शताब्दी में संत हितकारीदास जी ने की थी।

श्री कृष्ण चालीसा में भगवान कृष्ण के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन किया गया है। इसमें भगवान कृष्ण की लीलाओं और उनके भक्तों के प्रति दयालुता का भी वर्णन किया गया है। श्री कृष्ण चालीसा एक लोकप्रिय भक्ति कविता है, जिसे हिंदू धर्म के अनुयायी नियमित रूप से पढ़ते हैं।

विषय सूची

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) का वीडियो

श्री कृष्ण चालीसा लिरिक्स हिंदी में (Shri Krishna Chalisa lyrics in Hindi)

Advertisement

॥ दोहा॥
बंशी शोभित कर मधुर,
नील जलद तन श्याम ।
अरुण अधर जनु बिम्बफल,
नयन कमल अभिराम ॥

पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख,
पीताम्बर शुभ साज ।
जय मनमोहन मदन छवि,
कृष्णचन्द्र महाराज ॥

॥ चौपाई ॥
जय यदुनंदन जय जगवंदन ।
जय वसुदेव देवकी नन्दन ॥

जय यशुदा सुत नन्द दुलारे ।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ॥

जय नटनागर, नाग नथइया |
कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया ॥

पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो ।
आओ दीनन कष्ट निवारो ॥4॥

वंशी मधुर अधर धरि टेरौ ।
होवे पूर्ण विनय यह मेरौ ॥

आओ हरि पुनि माखन चाखो ।
आज लाज भारत की राखो ॥

गोल कपोल, चिबुक अरुणारे ।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे ॥

राजित राजिव नयन विशाला ।
मोर मुकुट वैजन्तीमाला ॥8॥

कुंडल श्रवण, पीत पट आछे ।
कटि किंकिणी काछनी काछे ॥

नील जलज सुन्दर तनु सोहे ।
छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे ॥

मस्तक तिलक, अलक घुँघराले ।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले ॥

करि पय पान, पूतनहि तार्यो ।
अका बका कागासुर मार्यो ॥12॥

मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला ।
भै शीतल लखतहिं नंदलाला ॥

सुरपति जब ब्रज चढ़्यो रिसाई ।
मूसर धार वारि वर्षाई ॥

लगत लगत व्रज चहन बहायो ।
गोवर्धन नख धारि बचायो ॥

लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई ।
मुख मंह चौदह भुवन दिखाई ॥16॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो ।
कोटि कमल जब फूल मंगायो ॥

नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें ।
चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें ॥

करि गोपिन संग रास विलासा ।
सबकी पूरण करी अभिलाषा ॥

केतिक महा असुर संहार्यो ।
कंसहि केस पकड़ि दै मार्यो ॥20॥

मातपिता की बन्दि छुड़ाई ।
उग्रसेन कहँ राज दिलाई ॥

महि से मृतक छहों सुत लायो ।
मातु देवकी शोक मिटायो ॥

भौमासुर मुर दैत्य संहारी ।
लाये षट दश सहसकुमारी ॥

दै भीमहिं तृण चीर सहारा ।
जरासिंधु राक्षस कहँ मारा ॥24॥

असुर बकासुर आदिक मार्यो ।
भक्तन के तब कष्ट निवार्यो ॥

दीन सुदामा के दुःख टार्यो ।
तंदुल तीन मूंठ मुख डार्य ॥

Shri Krishna bhagwan ki photo

श्री कृष्ण चालीसा लिरिक्स अंग्रेजी में (Shri Krishna Chalisa lyrics in English)

॥ Doha ॥
Banshi Shobhit Kar Madhur,
Neel Jalad Tan Shyam ।
Arun Adhar Janu Bimbaphal,
Nayan Kamal Abhiram ॥

Poorn Indra, Aravind Mukh,
Peetambar Shubh Saaj ।
Jay Manmohan Madan Chhavi,
Krishnachandr Maharaj ॥

॥ Chaupai ॥
Jai Yadunandan Jai Jagavandan ।
Jai Vasudev Devaki Nandan ॥

Jai Yashuda Sut Nand Dulare ।
Jai Prabhu Bhaktan Ke Drg Tare ॥

Jai Natnagar, Naag Nathiya ।
Krishn Kanhiya Dhenu Chariya ॥

Puni Nakh Par Prabhu Girivar Dhaaro ।
Aao Deenan Kasht Nivaro ॥ 4 ॥

Vanshi Madhur Adhar Dhari Terau ।
Howe Poorn Vinay Yah Merau ॥

Aao Hari Puni Makhan Chakho ।
Aaj Laaj Bharat Ki Rakho ॥

Gol Kapol, Chibuk Arunare ।
Mridu Muskan Mohini Daare ॥

Rajeet Rajiv Nayan Vishala ।
Mor Mukut Vaijantimala ॥ 8 ॥

Kundal Shravan, Peet Pat Aachhe ।
Kati Kinkini Kaachhani Kachhe ॥

Neel Jalaj Sundar Tanu Sohe ।
Chhabi Lakhi, Sur Nar Muniman Mohe ॥

Mastak Tilak, Alak Ghungharale ।
Aao Krshn Baansuri Wale ॥

Carry Paya Paan, Putnahi Tariyo ।
Kka Baka Kagasura Maryo ॥ 12 ॥

Madhuvan Jalat Agin Jab Jwala ।
Bhai Sheetal Lakhatahin Nandalala ॥

Surapati Jab Braj Chadhyo Risai ।
Moosar Dhaar Vaari Varshai ॥

Lagat Lagat Lagat Vraj Chahan Bahayo ।
Govardhan Nakh Dhari Bachayo ॥

Lakhi Yasuda Man Bhram Adhikai ।
Mukh Manh Chaudah Bhuvan Dikhai ॥ 16 ॥

Dusht Kans Ati Udham Machayo ।
Koti Kamal Jab Phool Mangayo ॥

Naathi Kaliyahin Tab Tum Linhen ।
Charan Chihn Dai Nirbhay Kinhen ॥

Kari Gopin Sang Raas Vilasa ।
Sabki Pooran Kari Abhilasha ॥

Ketik Maha Asura Sanharyo ।
Kanshi Cesh Pakdi De Maryo ॥ 20 ॥

Matpita Ki Bandi Chudai ।
Ugrasen Kahan Raaj Dilai ॥

Mahi Se Mritak Chhahon Sut Laayo ।
Maatu Devaki Shok Mitayo ॥

Bhaumasur Mur Daity Sanhari ।
Laaye Shat Dash Sahasakumari ॥

Dai Bhimahin Trina Chir Sahara ।
Jarasindhu Rakshas Kahan Maara ॥ 24 ॥

Asura Bakasura Adik Maryo ।
Bhaktan Ke Tab Kasht Nivaryo ॥

Deen Sudama Ke Duhkh Taaryo ।
Tandul Teen Moonth Mukh Daary ॥

यह चालीसा भी अवश्य पढ़े



श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) के कुछ प्रमुख लाभ

  • भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। भगवान कृष्ण सभी भक्तों को प्रेम और दया करते हैं। जब हम श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) का पाठ करते हैं, तो भगवान कृष्ण हमारे ऊपर अपनी कृपा बरसाते हैं।
  • मन की शांति मिलती है। श्री कृष्ण चालीसा एक भक्तिपूर्ण कविता है। यह कविता हमें सांसारिक चिंताओं से मुक्त करने और ईश्वर में विश्वास रखने में मदद करती है।
  • मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जब हम श्री कृष्ण की सच्चे मन से स्तुति करते हैं, तो वे हमारी सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं।
  • पापों से मुक्ति मिलती है। श्री कृष्ण चालीसा हमें सच्चाई, करुणा और दया के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है।

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, यह माना जाता है कि सोमवार और शुक्रवार के दिन भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है, इसलिए इन दिनों श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) पाठ करते समय ध्यान रखे

Advertisement
  • साफ-सुथरे कपड़े पहनें और एकांत स्थान पर बैठें।
  • भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
  • आसन पर जल का छिड़काव करें और धूप-दीप जलाएं।
  • श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करें।
  • पाठ के अंत में भगवान कृष्ण की आरती करें।

श्री कृष्ण चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से हमारे जीवन में भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) lyrics pdf

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) से सम्बंधित प्रश्न

श्री कृष्ण चालीसा कब और किसने लिखी?

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) की रचना 17 वीं शताब्दी में संत हितकारीदास जी ने की थी। हितकारीदास जी एक महान हिंदी कवि और संत थे। उन्होंने कई भक्ति कविताएं लिखीं, जिनमें श्री कृष्ण चालीसा भी शामिल है।

श्री कृष्ण चालीसा में कितनी चौपाइयां हैं?

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) में 40 चौपाइयां और एक दोहा है।

श्री कृष्ण चालीसा के पहले दोहे का क्या अर्थ है?

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) के पहले दोहे का अर्थ है कि हम गुरु के चरणरज को अपने मस्तक पर धारण करते हैं और भगवान विष्णु के अवतार, प्रेम और दया के सागर, भगवान कृष्ण की स्तुति करते हैं।

श्री कृष्ण चालीसा में भगवान कृष्ण के कौन-कौन से गुणों का वर्णन किया गया है?

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) में भगवान कृष्ण के प्रेम, दया, बुद्धि, साहस, और शक्ति जैसे गुणों का वर्णन किया गया है।

श्री कृष्ण चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) का पाठ किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, यह माना जाता है कि सोमवार और शुक्रवार के दिन भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है, इसलिए इन दिनों श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

आज का हमारा लेख पढ़ने के लिए हम आपकी सराहना करते हैं। कृपया अपने अनुभव हमसे साझा करने के लिए हमारे facebook group पर जुड़े और हमारे facebook page को like करे। अगर आप इस लेख में कुछ सुधार चाहते है, तो कृपया comment के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है।

disclaimer

इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 

Updated on May 11, 2024

Advertisement