श्री विष्णु चालीसा: Discover Shri Vishnu Chalisa Miracles

हरि और नारायण के नाम से जग प्रसिद्ध इस देवता को सनातन धर्म के सबसे प्रमुख भगवानो में से एक माना जाता है। पुराणों के अनुसार विष्णु भगवान् को त्रिमूर्ति का एक रूप माना जाता है, अन्य दो रूप शिव जी और ब्रम्हा जी को माना जाता है। श्री विष्णु भगवान इस जगत के पालनहार कहे जाते है। मूलतः विष्णु भगवन की पत्नी लक्ष्मी मानी जाती है, जो धन और सुख समृद्धि के देवी है। इस पोस्ट में हम Shri Vishnu Chalisa करने के लाभ और विधियों के बारे में जानेंगे।

विषय सूची

श्री विष्णु चालीसा के लाभ (Benefits of Shri Vishnu Chalisa)

  1. भगवान विष्णु के अनुग्रह से भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है।
  2. विष्णु चालीसा के पाठ से मन की शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  3. इस चालीसा का पाठ करने से विष्णु भक्ति में अग्नि प्रज्ज्वलित होती है और मनुष्य का अंतरंग परिवर्तन होता है।
  4. विष्णु चालीसा के पाठ से संकटों, दुःखों और बाधाओं का नाश होता है।
  5. यह चालीसा जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का साधन बनती है।
  6. विष्णु चालीसा पाठ से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वांछित फल प्राप्त होता है।
  7. यह चालीसा मनोवांछित सम्पत्ति और धन की प्राप्ति में सहायक होती है।
  8. विष्णु चालीसा के पाठ से विद्या, ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
  9. इस चालीसा का पाठ करने से अद्भुत शक्ति और प्राकृतिक रक्षा प्राप्त होती है।
  10. विष्णु चालीसा के पाठ से व्यक्ति को मुक्ति और दिव्यता की प्राप्ति होती है।

ध्यान दें: ऊपर दिए गए लाभ Shri Vishnu Chalisa के पाठ के आधार पर हैं और ये आमतौर पर मान्यताओं और आस्था पर आधारित हैं। इन लाभों को प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से विष्णु चालीसा का पाठ करना चाहिए।

श्री विष्णु चालीसा (Shri Vishnu Chalisa)

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दोहा: –

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

चालीसा: –

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥

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shri Vishnu chalisa  ki Photo
Vishnu Bhagwan ki Photo

Shri Vishnu Chalisa in hinglish

Doha:-

vishnu sunie vinaayak sevak kee chitaale
keerat kuchh varnan vivaran deejai gyaanaay bataayen ॥

Chaaleesa:-

namo vishnu bhagavaan kharaaree, kasht nashaavan akhil bihaaree।
prabal jagat mein shakti vivaah, tribhuvan phal rahee ujiyaaree॥

sundar roop manohar soorat, saral svabhaav mohanee moorat।
tan par pitaambar ati sohat, basantee mangal man mohat॥

shankh chakr kar gada viraaje, dekhat daity asur dal bhaaje।
saty dharm mad lobh na chhaaje, kaam krodh mad lobh na chhaaje ॥

sant bhakt sajjan manoranjan, danuj asuran dal ganjan।
sukh upajaay abhilaasha sab bhanjan, doshaay karat jan sajjan ॥

paap kat bhav sindhu utpreran, kasht nakar bhakt ubaaran।
karat anek roop prabhu dhaaran, keval tum bhakti ke kaaran॥

dharani dhenu banahin tumheen pukaara, tab tum roop raam kee dhaara।
bhaar utpaat asur maara dal, raavan aadik ko sanhaara॥

aapane vaaraah roop banaaya, hiranyaaksh ko maar daala।
dhar matsy tan sindhu nirmit, chaudah ratnan ko nikalaaya॥

amilakh asuran dvandv ektoa, roop mohanee aapane dikhaaya।
devan ko amrt paan dhaancha, asuran ko chhavi se bahalaaya॥

koorm roop dhar sindhu manjhaya, mandraachal giri turat uthaay।
shankar ka tum phandaastilaya, bhasmaasur ko roop mein dikhaaya gaya ॥

vedan ko jab asur dubaaya, kar prabandh unhen dubaaya।
mohit banee khalahi naachaaya, usee kar se bhasm ॥

asur jalandhar ati baladaee, shankar se un keenh yuddh।
har paar shiv sakal banaaya, kin satee se chhal khal jaee॥

sumiran keen shatru shivaraanee, ​​bataee sab vipat kahaanee।
tab tum bane munishvar gyaanee, vrnda kee sab surati bhorani॥

dekhat teen danuj shaitaanee, vrnda aay shatru lapataanee।
ho sparsh dharm haanikaarak mani, hana asur ur shiv shaitaanee ॥

holo dhruv prahlaad ubaare, hiranaakush aadik khal maare।
ganika aur ajaamil taare, bahut bhakt bhav sindhu utpanne ॥

harahu sakal santaap hamaare, krpa karahu hari sirajan haare।
dekhahun main nij darashaphe, deen bandhu bhaktan hitakaare॥

tera sevak darshan chaahata hai, karahu daya apanee madhusoodan।
jaanoon nahin yogy jab vandan, hoy yagy stuti manohar॥

sheeladaya santosh moksh, vidit nahin vratabodh moksh।
karahun tera kis vidhi poojan, kumati vilok hot duhkh bheeshan॥

karahun pranaam kaun vidhi sumiran, kaun sa saathee main karahu daan।
sur muni karat sada sevakaee, harshit rahat param gati paee॥

deen dukhin par sada sahaee, nij jan jan lev apanaee।
paap dosh santaap nashao, bhav bandhan se mukt karao ॥

sut sampati de sukh upajao, nij charanan ka daas banao।
nigam sada ye vinay sunaavai, padhai sunai so jan sukh paavai॥

iti shree vishnu chaaleesa ॥

Shri Vishnu Chalisa के सामान्य प्रश्न

विष्णु चालीसा क्या है?

Shri Vishnu Chalisa एक भक्ति भजन या प्रार्थना है जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक भगवान विष्णु को समर्पित है। इसमें चालीस छंद (चालीसा) शामिल हैं जो भगवान विष्णु के आशीर्वाद और दिव्य गुणों की स्तुति और आह्वान करते हैं।

विष्णु चालीसा की रचना किसने की?

विष्णु चालीसा के रचयिता का श्रेय निश्चित रूप से किसी एक व्यक्ति को नहीं दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसकी रचना समय के साथ भक्तों द्वारा भगवान विष्णु के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने के लिए की गई थी।

विष्णु चालीसा का पाठ करने का उद्देश्य क्या है?

ऐसा माना जाता है कि Shri Vishnu Chalisa का पाठ करने से आध्यात्मिक और मानसिक कल्याण होता है। भक्त भगवान विष्णु का आशीर्वाद और सुरक्षा पाने, उनकी दिव्य कृपा पाने और संकट के समय में सांत्वना पाने के लिए इसका पाठ करते हैं।

क्या कोई विष्णु चालीसा का पाठ कर सकता है?

हाँ, कोई भी व्यक्ति Shri Vishnu Chalisa का पाठ कर सकता है, चाहे वह किसी भी उम्र, लिंग या पृष्ठभूमि का हो। यह एक भक्ति अभ्यास है जो उन सभी के लिए खुला है जो भगवान विष्णु से जुड़ना चाहते हैं।

विष्णु चालीसा का पाठ करने का सबसे अच्छा समय कब है?

Shri Vishnu Chalisa का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन कई भक्त इसे अपनी दैनिक पूजा या ध्यान दिनचर्या के दौरान सुबह या शाम को पढ़ना पसंद करते हैं। इसका पाठ भगवान विष्णु से जुड़े विशिष्ट अवसरों या त्योहारों के दौरान भी किया जा सकता है।

क्या Shri Vishnu Chalisa के लिए कोई विशेष दिशानिर्देश हैं?

Shri Vishnu Chalisa का पाठ करने के लिए कोई सख्त नियम नहीं हैं, लेकिन इसे सच्चे दिल और एकाग्र मन से पढ़ने की सलाह दी जाती है। कुछ भक्त भक्ति के प्रतीकात्मक संकेत के रूप में, पाठ करते समय दीपक या धूप जलाना पसंद करते हैं।

विष्णु चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?

भक्तों का मानना है कि भक्तिपूर्वक Shri Vishnu Chalisa का पाठ करने से आशीर्वाद, सुरक्षा और कठिनाइयों से राहत मिल सकती है। इसे आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति का साधन भी माना जाता है।

क्या विष्णु चालीसा का पाठ करने की कोई विशिष्ट धुन है?

Shri Vishnu Chalisa के पाठ से जुड़ी कोई विशेष धुन नहीं है। इसे मधुर तरीके से सुनाया जा सकता है या बस भक्ति के साथ बोला जा सकता है।

क्या विष्णु चालीसा का पाठ संस्कृत के अलावा अन्य भाषाओं में भी किया जा सकता है?

हाँ, Shri Vishnu Chalisa का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है, जिससे दुनिया भर के भक्तों को अपनी मूल भाषाओं में इसका पाठ करने की अनुमति मिली है।

क्या गैर-हिन्दू विष्णु चालीसा का पाठ कर सकते हैं?

जी हां, Shri Vishnu Chalisa का पाठ केवल हिंदुओं तक ही सीमित नहीं है। किसी भी धर्म के लोग जो भगवान विष्णु की शिक्षाओं और गुणों के प्रति आकर्षित हैं, वे इसका पाठ कर सकते हैं।

क्या विष्णु चालीसा ही भगवान विष्णु को समर्पित एकमात्र प्रार्थना है?

नहीं, हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित कई अन्य प्रार्थनाएं, भजन और मंत्र हैं, जैसे विष्णु सहस्रनाम और विभिन्न स्तोत्र।

क्या विशिष्ट मनोकामनाओं के लिए Shri Vishnu Chalisa का पाठ किया जा सकता है?

सच्ची श्रद्धा के साथ Shri Vishnu Chalisa का पाठ करते समय, कुछ लोगों का मानना है कि वे अपनी विशिष्ट इच्छाओं या आवश्यकताओं के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। हालाँकि, ध्यान अक्सर आध्यात्मिक विकास और आंतरिक परिवर्तन की तलाश पर अधिक होता है।

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इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 

Updated on May 11, 2024

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