शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics)

विष्णु स्तुति “शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics)” विष्णु भगवान को समर्पित एक मुख्य मंत्र है, जिसमे मंत्र के माध्यम से श्री हरी विष्णु के गुणों का व्याख्यान किया गया है। विष्णु भगवान को पूरे सृष्टि का पालनहार माना जाता है, इस मंत्र के पाठ करने से व्यक्ति को चरम आनंद की अनुभूति होती है और मन को शांति मिलती है।

शान्ताकारं भुजंगशयनं मंत्र विधि (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics)

  • पूजा की शुरुआत में भक्त को श्री हरी विष्णु का ध्यान करना चाहिए।
  •  शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics) मंत्र का जाप एक शांत और पवित्र स्थान पर करना चाहिए। यह मंदिर, घर या किसी अन्य स्थान पर हो सकता है।
  • मंत्र जाप करते समय एक आरामदायक मुद्रा में बैठना चाहिए।
  • शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics) जाप करते समय इस मंत्र पर ध्यान करना चाहिए। तथा साथ में भगवान विष्णु का ध्यान करना आवश्यक है।
  • शान्ताकारं भुजंगशयनं जाप करते समय मंत्र को स्पष्ट रूप से और धीरे-धीरे उच्चारित करना चाहिए। आप मंत्र की माला का उपयोग कर सकते हैं या बिना माला के जाप कर सकते हैं।
  • मंत्र जाप की संख्या 108, 1008 या किसी अन्य संख्या हो सकती है। आप अपनी सुविधा के अनुसार जाप की संख्या निर्धारित कर सकते हैं।
  • भक्त विष्णु भगवान की मूर्ति को शुद्ध जल से स्नान कराएं और उन्हें गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, और अर्पित करें।

शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics)

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

शान्ताकारं भुजंगशयनं अंग्रेजी में (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics)

Shaanta Aakaaram Bhujaga Shayanam Padma Naabham Sura Iisham
Vishva Aadhaaram Gagana Sadrsham Megha Varnna Shubha Anggam|
Lakssmii Kaantam Kamala Nayanam Yogibhir Dhyaana Gamyam
Vande Vissnnum Bhava Bhaya Haram Sarva Loka Eka Naatham ||

शान्ताकारं भुजंगशयनं का अर्थ (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics)

शान्ताकारं – शांति का अवतार, एक शांत और गंभीर उपस्थिति का अनुभव करते हुए,

भुजगशयनं – शेषनाग की शय्या पर विश्राम करते हुए,

पद्मनाभं – नाभि में कमल का स्वामी,

सुरेशं – सभी देवताओं के दिव्य शासक,

विश्वाधारं – संपूर्ण ब्रह्माण्ड का मूल आधार, जिससे विश्व की उत्पत्ति होती है,

गगनसदृशं – आकाश के विस्तार की तरह सर्वत्र फैला हुआ,

मेघवर्ण – जिसका रंग नीले बादलों के रंग को प्रतिबिंबित करता है,

शुभाङ्गम् – दीप्तिमान और अत्यंत सुंदर, दिल को लुभाने वाली निर्दोष विशेषताओं से सुशोभित,

लक्ष्मीकान्तं – लक्ष्मी के पति,

कमलनयनं – जिनकी आँखें कमल की पंखुड़ियों की मनमोहक सुंदरता के समान हैं,

योगिभिर्ध्यानगम्यम् – योगियों द्वारा ध्यान के माध्यम से प्राप्त किया जा सकने वाला, उनके धार्मिक चिंतन का केंद्र बिंदु,

वन्दे विष्णुं – मैं भगवान श्री विष्णु को नम्रतापूर्वक प्रणाम करता हूं,

भवभयहरं – सांसारिक अस्तित्व और नश्वरता के भय का नाश करने वाला,

सर्वलोकैकनाथम् – सभी लोकों और प्राणियों का संप्रभु शासक।

शान्ताकारं भुजंगशयनं मंत्र से होने वाले लाभ (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics)

शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics) का जाप और उनकी पूजा साधना करने के अनेक लाभ हो सकते हैं, इस आर्टिकल के माध्यम से कुछ लाभों का उल्लेख किया गया है:

  1. आत्मा का शुद्धि:
    • शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics) का जाप और पूजा से आत्मा को शुद्धि मिल सकती है और व्यक्ति आत्मा के साथ संबंधित आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकता है।
  2. भक्ति में वृद्धि:
    • शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics) का जाप करने से भक्ति में वृद्धि हो सकती है, जिससे भक्त भगवान विष्णु के प्रति और उनके लीलाओं के प्रति अधिक प्रेम भाव पैदा कर सकता है। भक्त को चरम आनंद की अनुभूति होती है और मन को शांति मिलती है।
  3. कल्याण और शांति:
    • इस मंत्र का जाप से व्यक्ति को कल्याण (शुभ भविष्य) और शांति मिल सकती है। इससे उसका जीवन सुखमय और सामर्थ्यपूर्ण हो सकता है।
  4. कर्मों की सफलता:
    • इस मंत्र का जाप करने से कर्मों में सफलता मिल सकती है और व्यक्ति को साधना में सहायता हो सकती है।
  5. भय से मुक्ति:
    • इस मंत्र का जाप से भगवान विष्णु भक्तों के भयों को हरने वाले हैं। इसलिए, उनके मंत्रों का जाप भक्तों को भय से मुक्ति प्रदान कर सकता है।
  6. धार्मिक साधना में सहारा:
    • मंत्र के जाप करने से व्यक्ति अपनी धार्मिक साधना में सहारा पा सकता है और आचार्यों द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चल सकता है।

यह भी देखे


शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics) FAQ

शांताकारं भुजगशयनं के बारे में प्रमुख प्रश्नों का उत्तर (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics FAQ) :

शांताकारं भुजगशयनं क्या है?

शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics) का अर्थ शांति का अवतार, एक शांत और गंभीर उपस्थिति का अनुभव करते हुए शेषनाग की शय्या पर विश्राम करते हुए है। यह श्री हरि विष्णु को समर्पित एक मुख्य मंत्र है, जिसमे मंत्र के माध्यम से श्री हरी विष्णु के गुणों का व्याख्यान किया गया है।


शांताकारं भुजगशयनं का महत्त्व क्या है?

इस रूप में भगवान विष्णु की अद्वितीयता, उसकी महानता, और उसका शांतिपूर्ण स्वरूप दिखाया जाता है। यह उसकी ओर से सभी सत्यों का संरक्षण करने वाला संकेत होता है।

शांताकारं भुजगशयनं का मंत्र क्या है?

शांताकारं भुजगशयनं मंत्र: शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्॥ लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

शांताकारं भुजगशयनं की पूजा कैसे की जाती है?

इस रूप की पूजा में भगवान विष्णु की मूर्ति या छवि के सामने ध्यान किया जाता है। ध्यान, प्रार्थना, अर्चना, मंत्र जाप, और पूजा किए जाते हैं।

शांताकारं भुजगशयनं की महिमा क्या है?

यह भगवान विष्णु की अद्वितीयता, शक्ति, और उसकी संसार को धारण करने वाली क्षमता को प्रकट करता है। यह समस्त जगत को संरक्षित करने वाले ईश्वर का प्रतीक है।

शांताकारं भुजगशयनं के फायदे क्या हैं?

इसकी पूजा और ध्यान से मानसिक और आध्यात्मिक शांति, सुख, और ध्यान की स्थिति प्राप्त होती है। यह शरीर, मन, और आत्मा को शुद्धि देने में मदद करता है। इस मंत्र के पाठ करने से व्यक्ति को चरम आनंद की अनुभूति होती है और मन को शांति मिलती है।

कृपया ध्यान दें कि यह जानकारी धार्मिक आस्था और संस्कृति से संबंधित है और इसे सावधानीपूर्वक समझा जाना चाहिए।

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