बहुचराजी मंदिर (Bahucharaji mandir Gujarat) : Temple with great stories

गुजरात के मेहसाना जिले(Mehsana district of Gujarat) में बेचराजी नामक शहर में, बहुचराजी मंदिर (Bahucharaji mandir Mehsana) भक्ति और एकता का प्रमाण है। यह प्रतिष्ठित मंदिर देवी बहुचर माता को समर्पित है, जो अपनी शक्ति और परोपकार के लिए जानी जाती हैं। जैसे ही सूरज उगता है और डूब जाता है, Bahucharaji mandir की प्राचीन सफेद वास्तुकला शानदार ढंग से चमकती है, जो देश भर से हजारों भक्तों को आकर्षित करती है। यह मंदिर गुजरात के तीन शक्तिपीठो में से एक माना जाता है, कहा जाता है की यहाँ सती माता का दायाँ हाथ गिरा था।

देवी का मुख्य वाहन मुर्गा है इसिलए इस मंदिर के प्रांगड़ में बहुत सरे मुर्गे घूमते हुए दिखाई देते है। इस पोस्ट में हम बहुचराजी माता से जुड़े किवदंतियो , मंदिर और आस पास की प्रसिद्ध स्थलों के बारे में जानेंगे।

विषय सूची

Bahucharaji mandir का निर्माण (What is the story of Bahucharaji temple?)

मुख्य रूप से Bahucharaji mandir का निर्माण १७८३ ईस्वी के आस पास हुआ है, इस मंदिर की दीवारों पर बहुत सारी नक़्क़ासिया देखने को मिलती है। कुछ लोगो का यह भी मानना है की मनाजी राव गायकवाड़ ने Bahucharaji mandir को १८३९ में बनवाया था। मुर्गा एक समय पर गुजरात पर शाषन करने वाले सोलंकी राजवंश का प्रतीक माना जाता है और मुर्गा माताजी का वाहन , इसीलिए कुछ लोग बहुचराजी माता और सोलंकियो को जोड़ते है।

Bahucharaji mandir के प्रांगण में तीन प्रमुख मंदिर है , पहला मंदिर है आद्य स्थान दूसरा मध्य स्थान और मुख्य मंदिर तीसरा मंदिर है जहा पर देवी की प्रतिष्ठित प्रतिमा है। यह कहा जाता है की माता सबसे पहले वरखडी वृक्ष में प्रकट हुई थी। यहाँ पर महादेव, गणेश और हनुमान भगवान के मंदिर भी है, यहाँ पर श्रद्धालुओ के भोजन की व्यवस्था करने के लिए एक रसोईघर भी है , एवं एक अतिथि गृह भी है। कुछ लोग यह भी मानते है की मूल देवी का मंदिर यहाँ से महज ३ km की दूरी पर शंखलपुर में है।

शक्तीपीठ क्या होता है?

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवी सती के शरीर के 52 टुकड़े धरती के जिन जिन स्थानों पर गिरे उन्हें शक्तिपीठ कहा जाता है। ये हिस्से पुरे भारतीय उपमहाद्वीप पे गिरे थे , कुछ हिस्से श्रीलंका और पाकिस्तान में भी गिरे थे। पुराणों के अनुसार कुल 52 टुकड़ो से 52 शक्तिपीठ बने। हर शक्तिपीठ में एक देवी का वास होता है। Bahucharaji mandir उन्ही शक्तिपीठो में से एक है, यहाँ सती माता का दायाँ हाथ गिरा था ।

शक्तिपीठ की कहानी

पुराणों के अनुसार राजा दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार में ‘बृहस्पति सर्व’ नमक यज्ञ कराया था , जिसमे उन्होंने ब्रम्हा, विष्णु समेत अन्य कई देवी देवताओ को आमंत्रित किया था पर उन्होंने शिवजी को निमंत्रित नहीं किया। इस पर सती ने शंकर भगवन के मना करने पर भी यज्ञ में गयी और अपने पिता राजा दक्ष से शिवजी को निमंत्रण न देने का कारन पूछा, इस पर राजा दक्ष ने शिवजी के लिए बहुत अपशब्द कहे। इस पर गुस्सा होकर माता सती ने यज्ञ में कूदकर अपनी जान दे दी।

जब शिवजी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने अपने सेवक वीरभद्र को भेजा जिसने राजा दक्ष का वध कर दिया। शिवजी जब वह गए तो गुस्से से उनका तीसरा नेत्र खुला और सती के शरीर को कंधे पे लेकर वे शोक में तांडव करने लगे । सरे देवी देवता उनके उग्र रूप से बचने के लिए वहां से निकल गए। और शिवजी माता सती के पार्थिव रूप को लेकर दुःख में इधर उधर घूमने लगे। धरती को विनाश से बचने के लिए श्री विष्णु ने माता सती के शरीर को चक्र से काट दिया और उन शरीर के 52 हिस्से धरती में जहाँ जहाँ गिरे वहां शक्तिपीठ का निर्माण हुआ।

बहुचराजी माता(Bahucharaji mandir) की कहानियाँ

Bahucharaji mata mandir सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं है; यह मनोरम कहानियों का भंडार है जो पीढ़ियों से चली आ रही है। ये कहानियाँ केवल कहानियाँ नहीं हैं बल्कि बहुचराजी माता की दिव्य कृपा और शक्ति को भी प्रदार्शित करती हैं। आइए कुछ उल्लेखनीय कहानियों पर गौर करें जिनके कारण लोगो में देवी की श्रद्धा इतनी ज्यादा बढ़ पायी।

दूध का चमत्कार
सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक “दूध चमत्कार” के इर्द-गिर्द घूमती है। सदियों पहले, भक्तों का एक समूह देवी के प्रसाद के रूप में दूध के बर्तन लेकर तीर्थयात्रा से लौट रहा था। थके हुए और प्यासे होकर, वे पानी पीने के लिए एक कुएँ पर रुके। उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि जैसे ही वे कुएं से बाहर निकले, उसका पानी दूध में बदल गया। इसे एक दैवीय संकेत के रूप में पहचानते हुए, उन्होंने बहुचराजी माता के लिए प्रसाद तैयार करने के लिए दूध का उपयोग किया। ऐसा माना जाता है कि यह चमत्कार सांसारिक पदार्थों को दिव्य प्रसाद में बदलने की देवी की क्षमता का प्रतीक है।

बहुचराजी माता का विवाह
बहुचराजी माता के विवाह की कथा बहुत ही रोचक है। ऐसा कहा जाता है कि बहुचराजी माता शुरू में एक राजकुमारी थीं जिन्होंने शादी करने से इनकार कर दिया था। उसकी भक्ति और संकल्प का परीक्षण करने के लिए, उसके माता-पिता ने दूल्हे के बजाय तलवार के साथ एक नकली शादी की व्यवस्था की और बहुचराजी माता ने इस चुनौती को स्वीकार किया। यह कहानी उसकी स्वतंत्रता, शक्ति और उसके दिव्य उद्देश्य के प्रति समर्पण पर प्रकाश डालती है।

अन्याय के विरुद्ध लड़ाई
एक और उल्लेखनीय कहानी बहुचराजी माता को अन्याय के खिलाफ एक योद्धा रूप को बताती है। ऐसा कहा जाता है कि एक दुष्ट राक्षस ग्रामीणों को परेशान कर रहा था, जिससे भय और निराशा फैल रही थी। बहुचराजी माता ने भयंकर युद्ध करते हुए राक्षस का सामना किया। अपने दृढ़ निश्चय और दैवीय शक्ति से उन्होंने राक्षस को परास्त किया और ग्रामीणों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई। यह कहानी अपने भक्तों को परेशान करने वाली नकारात्मक शक्तियों को पराजित करने की देवी की संरक्षक रूप को प्रदर्शित करती है।

मवेशी संरक्षण
ग्रामीण इलाकों की एक कहानी बताती है कि कैसे बहुचराजी माता ने एक गरीब चरवाहे के मवेशियों की रक्षा की। जैसे ही चरवाहे का झुंड मंदिर के पास चर रहा था, एक शेर ने मवेशियों पर हमला कर दिया। चरवाहे ने मदद के लिए बहुचराजी माता से बहुत प्रार्थना की। चमत्कारिक ढंग से, शेर विनम्र हो गया और मवेशियों के साथ रहने लगा, उनका रक्षक बन गया। यह कहानी सभी प्राणियों को सुरक्षा और संरक्षकता प्रदान करने की देवी की क्षमता का प्रतीक है।

उपचार की शक्तियाँ
बहुचराजी माता अपनी उपचार शक्तियों के लिए भी जानी जाती हैं। यह कहानी एक महिला की है जो दीर्घकालिक बीमारी से पीड़ित है। उसने अटूट आस्था के साथ मंदिर का दौरा किया और राहत के लिए प्रार्थना की।मान्यता है कि बहुचराजी माता ने उन्हें सपने में अपने शरीर पर पवित्र राख लगाते हुए दर्शन दिए थे। जागने पर महिला ने खुद को चमत्कारिक रूप से ठीक पाया। यह कथा देवी की परोपकारिता और अपने भक्तों को आराम और उपचार देने की उनकी क्षमता पर जोर देती है।

दंडासुर
पौराणिक कथाओ के अनुसार दंडासुर नाम का एक भयानक राक्षस था, जिसे शिव जी और अन्य देवताओ से बहुत सरे वरदान प्राप्त थे। जिसने धरती, पाताल और आकाश तीनो लोको में विजय प्राप्त कर ली थी। सारे देवी देवता उसके प्रकोप से परेशान थे और वे मिलकर देवी परम्बा के पास पहुंचे , तब देवी परम्बा ने बच्ची का रूप लेकर उस राक्षस से युद्ध किया , और अपने दिव्या शक्तियों की मदद से उस मायावी राक्षस को परास्त किया।

Bahucharaji mandir क्यों प्रसिद्ध है (What is Bahucharaji famous for)?

कुछ लोगो का मानना है की अगर किसी के बच्चे को बोलने में कोई समस्या आती है और वह भक्त अगर माँ को एक मुर्गा प्रदान करता है तो माँ की आशीर्वाद से वह बच्चा धाराप्रवाह बोलने लगता है। बहुचराजी माता किन्नर समुदाय में भी काफी प्रचलित है और उन्हें किन्नर समुदाय की कुलदेवी कहा जाता है। मंदिर के प्रांगण में आपको बहुत सारे किन्नर आपको दिखाई देते है और आप उनसे मिलकर ढेर सारा आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है।

यह मंदिर निःशतान दंपत्ति के लिए आशा की एक किरण है। यहाँ माता निःशतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भी देती है। यहाँ कुछ लोग माता को भेट के मुर्गा चढ़ाते है और कुछ साड़ी भी चढ़ाते है। यहाँ मुर्गो के रहने की भी उत्तम सुविधा प्रदान की गयी है। चैत्र में यहाँ ५ दिन का उत्सव होता है जिसमे देश विदेश से लगभग २५ लाख श्रद्धालु माता के दरबार में आते है।

Bahucharaji mandir कैसे पहुंचे(temple how to reach) ?

निकतलम रेलवे मार्ग : यहाँ का सबसे निकटतम रेलवे मात्र ३ km की दूरी पर शंखलपुर में है। यहाँ के बड़े रेलवे स्टेशनो में अहमदाबाद और गांधीनगर है जो तक़रीबन ९० km के पास है।

नितकतम हवाई मार्ग : यहाँ से निकटतम हवाई अड्डा अहमदाबाद का सरदार वल्लभभाई पटेल एयरपोर्ट है।

सड़क मार्ग : अहमदाबाद या गांधीनगर पहुंचने के बाद आपको यहाँ पहुंचने की बहुत सारे विकल्प मिल जाएंगे।

Bahucharaji mandir जाने पर कहा रुके ?

मंदिर के आस पास खूब सारे होटल और धर्मशाला है, यहाँ के नवीन धर्मशाला में भी रहने की बहुत उत्तम व्यवस्था है।

Bahucharaji mandir का वीडियो

Bahucharaji माता की आरती

जय बहुचर माता, मात पिता की सेवा
तेरे नाम का ध्यान धरे, भक्तों का उद्धार

जय बहुचर माता, प्रभु के दर्शन को
आये हैं हम सबके, मनोकामना पूरी करो

दुर्गे दुर्घट भारी, तू है सबकी रक्षा
माँ बहुचर के चरणों में, रक्षा करो हमें

तेरे भक्त जानो पार, कृपा हमारी धरो
दया करो माँ बहुचर, हमें तुमसे प्यार

जय बहुचर माता, तेरी महिमा अमर
तेरे दर पे आये, सारा सुख हम पाये

तेरे आरती में हम, भक्ति भाव से डूबे
माँ बहुचर के चरणों में, नित्य आरती गावे

जय बहुचर माता, तेरे भक्त अनंत
तेरा ध्यान रहे हम पर, हमेशा के लिए

Bahucharaji Mata aarti in english

Jai Bahuchar Mata, Divine and Supreme,
With unwavering devotion, our hearts gleam.

Your presence shines like the radiant sun,
Guiding us through life’s journey, one by one.

Jai Bahuchar Mata, Empress of Grace,
In your abode, we find a sacred space.

Your blessings shower upon us like rain,
Washing away sorrow, healing every pain.

Jai Bahuchar Mata, Nurturer of All,
With compassionate eyes, you heed every call.

Your strength and love embrace far and wide,
In your divine embrace, we find solace and pride.

Jai Bahuchar Mata, Mother Divine,
Your grace and compassion eternally shine.

With each prayer, our hearts sing your name,
In your embrace, we find eternal flame.

Jai Bahuchar Mata, Source of Light,
Guiding us through darkness, day and night.

Your love is a beacon that never wanes,
In your devotion, our spirit gains.

Jai Bahuchar Mata, Goddess Supreme,
In your presence, we dream and scheme.

With gratitude, we offer our hearts’ delight,
Basking in your love, so pure and bright.

Jai Bahuchar Mata, Fountain of Bliss,
In your sacred presence, all troubles dismiss.

With devotion and love, we sing your praise,
In your divine light, our spirits raise.

Jai Bahuchar Mata, Devotion’s Queen,
In your grace, all sorrows are seen.

With each aarti, our souls take flight,
In your divine embrace, all is made right.

Jai Bahuchar Mata, Forever Divine,
In your presence, we eternally shine.

With hearts full of love, we offer our prayer,
In your sanctuary, we find solace rare.

Jai Bahuchar Mata, Forever Divine,
In your love and light, our spirits align.

With each aarti, our devotion we show,
In your blessings, our spirits forever grow.

यह भी जाने



Bahucharaji mandir की तस्वीरें

mandir ka photo
बहुचराजी माता का मंदिर
Bahucharji mata
माता की मूर्ति
murge khumte hue
मुर्गे विचरण करते हुए
kinnar samuday
किन्नर भजन करते हुए
Shiv Ling
शिव लिंग
baccho ki photo
आशीर्वाद स्वरूप बच्चो की तस्वीर

Bahucharaji mandir के पास घूमने की जगह (places to visit)

यु तो Bahucharaji mandir अपने आप में एक प्रमुख आकर्षण है, आसपास बहुत सरे स्थल है जो देखने लायक हैं। चाहे आप प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत, या ऐतिहासिक स्थलों की तलाश कर रहे हों, यहां Bahucharaji mandir के पास कुछ पर्यटन स्थल हैं जहां आप निश्चित तौर पर जा सकते हैं।

महुवा बीच: महुवा बीच एक शांत तटीय गंतव्य है जो अरब सागर का शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। शांत वातावरण और रेतीले तट इसे विश्राम और अवकाश के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं।

पालीताना मंदिर: पालीताना मंदिर शत्रुंजय पहाड़ी के ऊपर 800 से अधिक सुंदर नक्काशीदार जैन मंदिरों का एक परिसर है। जटिल वास्तुकला और पहाड़ी की चोटी से मनोरम दृश्य इसे इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए अवश्य देखने लायक बनाते हैं।

गोपनाथ बीच: गोपनाथ बीच सुनहरी रेत और साफ पानी के साथ एक सुरम्य वातावरण प्रदान करता है। ऐतिहासिक गोपनाथ महादेव मंदिर और प्रकाशस्तंभ इस तटीय गंतव्य के आकर्षण को बढ़ाते हैं।

ब्लैकबक नेशनल पार्क: Bahucharaji mandir से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। यह काले हिरण, भेड़िये, लकड़बग्घे और विभिन्न पक्षी प्रजातियों का घर है। खुले घास के मैदान और विविध वनस्पतियाँ इसे एक अनोखा प्राकृतिक अनुभव बनाती हैं।

तलाजा गुफाएं: तलाजा गुफाएं जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ चट्टानों को काटकर बनाई गई प्राचीन बौद्ध गुफाएं हैं। शांत वातावरण और ऐतिहासिक महत्व इसे एक दिलचस्प पुरातात्विक स्थल बनाते हैं।

श्री स्वामीनारायण मंदिर, भावनगर: यदि आप आध्यात्मिक स्थलों को देखने के मूड में हैं, तो Bahucharaji mandir से लगभग 76 किलोमीटर दूर भावनगर में स्वामीनारायण मंदिर अपनी शानदार वास्तुकला और आध्यात्मिक माहौल के लिए जाना जाता है।

गोपनाथ महादेव मंदिर: गोपनाथ समुद्र तट के करीब, यह मंदिर एक चट्टान पर स्थित है और समुद्र तट का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। मंदिर की वास्तुकला और इसका आध्यात्मिक महत्व भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करता है।

पीराम बेट द्वीप: खंभात की खाड़ी में स्थित, यह द्वीप ऐतिहासिक पीराम बेट द्वारकाधीश का घर है, जो जटिल नक्काशी और एक अद्वितीय समुद्री सेटिंग का दावा करता है।

सरतानजी चोरो: यह ऐतिहासिक बावड़ी, जटिल नक्काशी और एक आकर्षक इतिहास के साथ एक वास्तुशिल्प चमत्कार है।

गंगा डेरी: गंगा डेरी एक जैन तीर्थ स्थल है जो अपने जटिल डिजाइन वाले संगमरमर के मंदिर और पास में शांतिपूर्ण गोमती झील के लिए जाना जाता है।

Bahucharaji mandir के पास के ये पर्यटन स्थल प्राकृतिक सुंदरता से लेकर ऐतिहासिक आश्चर्यों तक विविध प्रकार के अनुभव प्रदान करते हैं। इन स्थलों की खोज आपकी यात्रा मे और विविधता ला सकती है और साथ ही आपको क्षेत्र के सांस्कृतिक और प्राकृतिक खजानों का आनंद दे सकती है।

Bahucharaji mandir से सम्बंधित सामान्य प्रश्न

क्या बहुचराजी मंदिर सभी धर्मों के श्रद्धालुओं के लिए खुला है?

हाँ, Bahucharaji mandir अपने आध्यात्मिक माहौल और सांस्कृतिक महत्व का अनुभव करने के लिए सभी धर्मों के आगंतुकों का स्वागत करता है।

बहुचराजी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?

Bahucharaji mandir में नवरात्रि और अन्य शुभ अवसरों जैसे त्योहारों के दौरान भक्तो की भीड़ देखी जाती है। हालाँकि, अधिक शांतिपूर्ण अनुभव के लिए, गैर-त्योहार अवधि या सोमवार से शुक्रवार के दौरान यात्रा करने पर विचार करें।

क्या मंदिर में जाने के लिए कोई विशिष्ट ड्रेस कोड हैं?

हालांकि कोई सख्त ड्रेस कोड नहीं है, लेकिन Bahucharaji mandir परिसर में जाते समय सम्मान के संकेत के रूप में शालीन कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है।

क्या मंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की अनुमति है?

आमतौर पर Bahucharaji mandir परिसर के बाहरी क्षेत्रों में फोटोग्राफी की अनुमति है। हालाँकि, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के संबंध में विशिष्ट दिशानिर्देशों के लिए मंदिर अधिकारियों से संपर्क करे।

मंदिर के खुलने का समय क्या है(What is the time of Darshan at Bahucharaji temple)?

मंदिर आमतौर पर सुबह जल्दी खुलता है और शाम को बंद हो जाता है। Bahucharaji mandir सामान्यतः सुबह ५:३० मंदिर खुल जाता है एवं रात्रि १० बजे मंदिर के बंद होने का समय है।

क्या बहुचराजी मंदिर के दर्शन के लिए कोई प्रवेश शुल्क है?

नहीं, Bahucharaji mandir में जाने के लिए आमतौर पर कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। हालाँकि, मंदिर के रखरखाव के लिए अक्सर दान स्वीकार किया जाता है।

क्या तीर्थयात्रियों के लिए Bahucharaji mandir के पास आवास उपलब्ध हैं?

हां, Bahucharaji mandir के आसपास कई गेस्टहाउस, लॉज और होटल उपलब्ध हैं जहाँ तीर्थयात्री कुछ दिनों के लिए रुक सकते है या कुछ घंटो के लिए आराम कर सकते है।

क्या कोई विशिष्ट अनुष्ठान या समारोह है जिसमें भक्तजन भाग ले सकते हैं?

हां, आगंतुकों को दैनिक आरती समारोहों में भाग लेने का अवसर मिलता है, जिसमें देवता की प्रार्थना और भक्ति गीत शामिल होते हैं।

क्या मंदिर में पूजा करने की कोई विशेष प्रक्रिया है(How to worship Bahuchara Mata?)?

हालांकि कोई सख्त प्रक्रिया नहीं है, आप मुख्य स्थल के पास जाकर प्रार्थना कर सकते हैं, प्रसाद चढ़ा सकते हैं और देवता का आशीर्वाद ले सकते हैं। अन्य भक्तों के संकेतों का पालन करना और Bahucharaji mandir में मनाए जाने वाले रीति-रिवाजों का पालन करना सम्मानजनक है।

क्या मंदिर परिसर के पास पार्किंग उपलब्ध है?

हाँ, Bahucharaji mandir में श्रद्धालुओँ की सुविधा के लिए समर्पित पार्किंग क्षेत्र हैं।

क्या मैं मंदिर रखरखाव और अन्य धर्मार्थ गतिविधियों के लिए दान दे सकता हूँ?

हाँ, Bahucharaji mandir अक्सर स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और सामाजिक कल्याण पहल जैसी विभिन्न धर्मार्थ परियोजनाओं के लिए दान स्वीकार करता है। अधिक जानकारी के लिए मंदिर परिसर में पूछताछ करें।

क्या मैं मंदिर के पास मुर्तिया या धार्मिक वस्तुएँ खरीद सकता हूँ?

हां, Bahucharaji mandir के परिसर के पास छोटी दुकानें या स्टॉल हैं जहां आप धार्मिक वस्तुएं, मुर्तिया और प्रसाद खरीद सकते हैं।

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