महामाया मंदिर(Mahamaya Mandir)

महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) छत्तीसगढ़ के न्यायधानी बिलासपुर से 25 किमी दूर रतनपुर में माँ दुर्गा स्वरुप देवी महामाया की पवित्र मंदिर है। यह मंदिर देवी दुर्गा व माता लक्ष्मी को सम्पर्पित है। रतनपुर को आदिशक्ति देवी महामाया की पौराणिक और पवित्र नगरी के रूप में मन जाता है। यह भारत में फैले 52 शक्तिपीठों में से एक है कहा जाता है यहाँ माता सती का कन्धा गिरा था।

रतनपुर शहर पर त्रिपुरी कलचुरियों के एक शाखा के द्वारा इसे अपनी राजधानी बनाकर बहुत लम्बे समय तक शासन किया था। रतनपुर एक छोटा सा शहर है जहां बहुत सारे मंदिर ,तालब है। भक्त दूर- दूर से अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए महामाया मंदिर दर्शन के लिए आते है महामाया माता को कोसलेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम पुराने दक्षिण कोसल की अधिष्टात्री के रूप में पूजी जाती थी।

विषय सूची

महामाया मंदिर का इतिहास (Mahamaya Mandir)

यह महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) आदिशक्ति माता महामाया को सम्पर्पित मंदिर है। महामाया मंदिर का निर्माण 12-13वी शताब्दी के दौरान रतनपुर के कलचुरी शासक द्वारा निर्माण कराया गया था। राजा रत्नदेव प्रथम के द्वारा मणिपुर नामक गांव को रतनपुर में बदलकर अपनी राजधानी के रूप में बनाया था। महामाया मंदिर का निर्माण रत्नदेव प्रथम के द्वारा कराया गया था।

1045 ई में राजा रत्नदेव मणिपुर नामक गांव रात्रि में विश्राम करने के लिए वट वृक्ष को चुना। आधी रात में जब राजा रत्नदेव की आँख खुली तो उन्हें दिव्य प्रकाश दिखाई दिया जिसे देखकर राजा अकचकित हो गए उन्हे आदि शक्ति महामाया का दर्शन प्राप्त हुआ। इसके पश्चात वे शीघ्र ही रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकरआदिशक्ति महामाया का भव्य मन्दिर का निर्माण करवाया।

महामाया मंदिर मुख्य रूप से महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती के लिए था। महाकाली ने इस मंदिर को छोड़ दिया। इसके पश्चात राजा बहार साई के द्वारा महालक्ष्मी महासरस्वती के लिए नया मंदिर का निर्माण करवाया जो वर्तमान समय में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण विक्रम संवत १५५२ के दौरान कराया गया था। मंदिर परिसर में एक तालाब स्थित है साथ में ही शिव जी तथा हनुमान जी के भी मंदिर है।

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महामाया मंदिर का वीडियो (Mahamaya Mandir Video)

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माता सती का गिरा था कन्धा

पुरे भारत में फैले 52 शक्तिपीठों में से एक इस स्थान पर माता सती का कन्धा गिरा था। माता सती के मृत्यु के पश्चात जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को उठाकर पुरे ब्रम्हांड में तांडव करने लगे और भटकते रहे। भगवान विष्णु ने यह देखकर भगवान शिव को सती के वियोग से मुक्त करने के लिए सटी के शरीर के टुकड़े -टुकड़े कर दिए।

यह टुकड़े धरती पर जहां पर भी गिरे उसे शक्तिपीठ कहा गया माता सती केशरीर के 52 टुकड़े पुरे भारत में फैले हुए है वर्तमन में जहा अभी महामाया देवी का मंदिर है यहाँ पर माता सती का दाहिना कन्धा गिरा था। भगवान शिव स्वयं ही प्रगट होकर इसे कौमारी शक्तिपीठ का नाम दिया। और इस प्रकार इसे 52 शक्तिपीठ में शामिल किया गया।

महामाया मंदिर का वास्तुकला (Structure of Mahamaya Mandir)

महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) एक विशाल पानी टंकी के बगल में उत्तर दिशा की ओर स्थित है। महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) का मंडप नगर शैली वास्तुकला में बना हुआ है। यह मंदिर 16 खम्बों की सहायता से टिका हुआ है। गर्भगृह में आदिशक्ति माँ महायमा की साढ़े ३ फिट ऊँची प्रतिमा विराजमान है। मंदिर के अंदर कांतिदेवल का मंदिर है जिसे यहाँ उपस्थित सभी मंदिरों में पुराना माना जाता है। इस कांतिदेवाल के मंदिर को एक तपस्वी सांतोस गिरी के द्वारा बनाया गया था।

महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) के समीप ही काल भैरव का मंदिर है जो मंदिर के कुछ ही दुरी पर स्थित है यदि बिलासपुर से आप माँ महामाया के दर्शन के लिए जाते हो तो कालभैरव का मंदिर पहले देखने को मिलेगा महमाया देवी के भक्त यदि काल भैरव के दर्शन नहीं किये तो उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है।

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महामाया मंदिर दर्शन समय (Mahamaya Mandir Darshan Time)

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आदिशक्ति महामाया देवी का यह मंदिर वैसे तो भक्तों के लिए प्रतिदिन ही खुला रहता है फिर भी लम्बी दुरी यात्रा करके आय तथा समय व्यर्थ न हो इसके लिए मंदिर दर्शन का सही समय ज्ञात होना आवश्यक है। भक्तों को लिए माता का दर्शन बिल्कुल ही मुक्त है न ही यहाँ दर्शन के लिए पहले से बुकिंग करनी पड़ती है और न ही यहाँ मंदिर में प्रवेश के लिए कोई विशेष ड्रेस कोड है।

मंदिर सुबह 6 बजे से रात के 8 बजे तक खुला रहता है। दोपहर 12 से 12:30 के मध्य माता को भोग लगाया जाता है। नवरात्रि के समय भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर को 12 बजे रात्रि तक खोला जाता है और माता के दर्शन के लिए लम्बी भीड़ लगानी पड़ती है इसमें30 से 40 मिनट का समय लग जाता है।

महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) में देवी के तीन रूप

महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) में माँ आदिशक्ति महामाया अपने भक्तों को महाकाली ,महासरस्वती और महालक्ष्मी के रूप में दर्शन देती है। जिस प्रकार दुर्गा पुराण तथा दुर्गा सप्तशती में बताया गया है ठीक उसी प्रकार तीनो देवियां महामाया के रूप में विराजित है। माता के भक्त दूर दूर से अपनी मनोकामना लेकर माता के पास आते है। इस मन्दिर में कुवारी लड़कियां भी अपनी मनोकामना लेकर आती है।

महामाया देवी के दर्शन के लिए कब जाये

आदिशक्ति महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) में रोज ही भक्तों का आना जाना लगा रहता है लेकिन चैत्र नवरात्रत्रि और कुँवार नवरात्रि के समय भक्तों का जमावड़ा अधिक देखने को मिलता है नवरात्रि के अवसर पर बहुत अधिक संख्या में माता के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते है। नवरात्रि में अष्टमी तिथि के दिन आसपास के लोग पैदल यात्रा करके माता के दरबार में आते है। नवरात्रि में यहाँ मेला भी लगता है जिसका आनद भी आप ले सकते है। मंदिर जाने के मार्ग पर छोटे-छोटे स्टॉल है झा आपको पूजन सामग्री बच्चो के खिलौने आदि मिल जायेंगे।

महामाया मंदिर कैसे पहुंचे (How to reach Mahamaya Mandir)

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बिलासपुर से महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) आने के लिए आपको हर घंटे में आपको बस टैक्सी उपलब्ध हो जाती है। लम्बी दुरी से आने वाले मातारानी के भक्त हवाई मार्ग ,रेलमार्ग से भी आ सकते है।

हवाई मार्ग

महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) से नजदीक एयरपोर्ट बिलासा देवी केवट एयरपोर्ट बिलासपुर है यह 38 किमी दूर है इसके अलावा 141 किमी दूर स्वामी विवेकानद एयरपोर्ट रायपुर जो की भारत के सभी मुख्य शहरो से जुड़ा हुआ है यहाँ से आप महामाया देवी दर्शन के लिए आ सकते है।

रेलमार्ग

महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) से सबसे निकटम रेलवे स्टेशन बिलासपुर जक्शन है यह SECR का मुख्यालय भी है यह रेलमार्ग हावड़ा मुंबई मार्ग पर उपस्थित है। स्टेशन से बस या टैक्सी से आप माता के दर्शन के लिए आ सकते है।

सड़क मार्ग

सड़क मार्ग की सहायता से आस पास के लोग आ सकते है यह बिलासपुर से 25 किमी दूर है। बिलासपुर से आपको हर एक घण्टे में आपको टेक्सी या बस उपलब्ध हो जाएगी।

महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) जाने पर कहा रुके

यदि आप महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) गये हो और रुकने के लिए सोच रहे हो तो मंदिर के आसपास ही आपको होटल धर्मशालाएँ उपलब्ध हो जाएगी इसके अलावा आप बिलासपुर में भी सर्वसुविधा वाले होटल ले सकते है।

महामाया मंन्दिर (Mahamaya Mandir) के आसपास उपलब्ध भोजन

महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir)के आसपास आपको खाने के लिए भी भोजन मिल जांयेंगे। मंदिर के पास में ही होटल रेस्तरां मिल जायेंगे यहाँ आप स्वादिष्ट भोजन का लुफ्त उठा सकते है।

महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) के आसपास घूमने की जगह

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भैरव बाबा मंदिर

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के भैरव अवतार को समर्पित है। मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर लाल बलुआ पत्थर से बना है। भैरव बाबा मंदिर एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु भगवान भैरव के दर्शन करने आते हैं। मंदिर परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर भी हैं, जो अन्य देवताओं को समर्पित हैं।

सिद्धि बिनायक गणेश मंदिर

यहाँ सिद्धि विनायक गणेश मंदिर भैरव बाबा मंदिर से कुछ दुरी पर स्थित है। आप यदि महामाया देवी के दर्शन के लिए आते हो तोह एक बार यहाँ अवश्य आय। मंदिर के अंदर गणेश जी की मूर्ति है।

लखनी देवी मंदिर

लखनी देवी मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर का निर्माण रतनपुर के शासक राजा रत्नदेव के मंत्री लखना ने करवाया था। मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। मंदिर की वास्तुकला काफी भव्य और आकर्षक है। यह मंदिर रतनपुर से 4 किमी की दुरी पर स्थित है। मंदिर जाने पर सबसे पहले लखेश्वर महादेव का मंदिर दिखाई देगा। इसके पश्चात 259 सीढ़ी चढ़ने के पश्चात आपको लखनी देवी के दर्शन जो जायेंगे।

खो-खो बावली 

खो-खो बावली एक विशाल बावली कुआँ है। बावली का व्यास लगभग 20 मीटर है। बावली की गहराई लगभग 30 मीटर है। बावली के चारों ओर एक सीढ़ी बनी हुई है। सीढ़ी से बावली के अंदर उतर सकते हैं। बावली के अंदर कई प्रवेश द्वार हैं। इन प्रवेश द्वारों के माध्यम से बावली के अंदर के विभिन्न हिस्सों में जा सकते हैं। बावली के अंदर एक गुप्त मार्ग भी है, जो रतनपुर के दुर्ग तक जाता है।

बादल महल

बादल महल एक ऐतिहासिक स्थल है। यह महल रतनपुर के प्राचीन शहर के इतिहास की याद दिलाता है। महल की भव्य और आकर्षक बनावट इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाती है। बादल महल एक सात मंजिला महल है। महल का प्रत्येक मंजिल एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। महल की प्रत्येक मंजिल पर एक विशाल गुंबद बना हुआ है। महल की छत पर कई छज्जे बने हुए हैं।महल के अंदर कई बड़े-बड़े कमरे हैं। इन कमरों में राजा और रानी का निवास स्थान, दरबार और अन्य सार्वजनिक स्थान थे। महल के अंदर कई मूर्तियां भी स्थापित हैं

बीस दरवाजे वाला मंदिर

इस मंदिर का नाम “बीस दरवाजे वाला” इसलिए पड़ा क्योंकि इस मंदिर में कुल 20 दरवाजे हैं। इन दरवाजों के कारण यह मंदिर एक भूलभुलैया जैसा लगता है। मंदिर के बाहर 20 दरवाजे हैं। इन दरवाजों के माध्यम से मंदिर के अंदर के विभिन्न हिस्सों में जा सकते हैं। यह मंदिर महामाया मंदिर से किमी पीछे स्थित है।

पंचमुखी शिव मंदिर

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के पंचमुखी रूप को समर्पित है। मंदिर बिलासपुर शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर रतनपुर में स्थित है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव के पंचमुखी रूप की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के पांच मुख हैं-

  • पूर्वमुख: इस मुख में भगवान शिव को एक योगी के रूप में दर्शाया गया है।
  • पश्चिममुख: इस मुख में भगवान शिव को एक नंदी के रूप में दर्शाया गया है।
  • उत्तरमुख: इस मुख में भगवान शिव को एक गणेश के रूप में दर्शाया गया है।
  • दक्षिणमुख: इस मुख में भगवान शिव को एक विष्णु के रूप में दर्शाया गया है।
  • ऊर्ध्वमुख: इस मुख में भगवान शिव को एक रुद्र के रूप में दर्शाया गया है।

ज्योति प्रज्वलित कक्ष 

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है। यह कक्ष रतनपुर के प्राचीन शहर के अंदर स्थित है। यहाँ नवरात्रि के समय हजारों की संख्या में ज्योत प्रज्वलित किये जाते है।

रामटेकरी मंदिर 

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है। मंदिर बिलासपुर शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर रतनपुर में स्थित है। रामटेकरी मंदिर छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान राम की आराधना के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु भगवान राम के दर्शन करने आते हैं।

गिरजाबंद हनुमान मंदिर

रामटेकरी मंदिर दर्शन करने के बाद नीचे उतरते समय दक्षिणमुखी हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है।


यह मंदिर भी देखे


महामाया मंदिर से सम्बंधित कुछ प्रश्न FAQ

महामाया मंदिर कहा स्थित है ?

महामाया मंदिर बिलासपुर से 25 किमी दूर रतनपुर में स्थित है।

महामाया मंदिर में किन देवियों की प्रतिमा है ?

महामाया मंदिर में महाकाली ,महालक्ष्मी और महासरस्वती की प्रतिमा विराजित है।

क्या महमाया देवी मंदिर में पार्किंग सुविधा उपलब्ध है ?

हाँ महामाया मंदिर में निः शुल्क पार्किंग सुविधा उपलब्ध है।

क्या महामाया देवी के आसपास भोजन की व्यवस्था उपलब्ध है ?

हाँ महामाया देवी के आसपास भोजन के लिए होटल उपस्थित है।

महामाया देवी दर्शन के लिए कब जाना चाहिए ?

महामाया देवी दर्शन के लिए नवरात्रि के समय अनुकूल होता है।

महामाया मंदिर का निर्माण किस शासक के द्वारा किया गया है ?

महामाया मंदिर का निर्माण कलचुरी शासक रत्नदेव प्रथम द्वारा किया गया है।

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Updated on May 10, 2024

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