विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) भारत की प्रमुख मंदिर है जो कि 52 शक्तिपीठों में से एक है | यह मंदिर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित है ,जो गंगा नदी से 8 किलोमीटर की दुरी पर बसा हुआ है | यह मंदिर विंध्याचल धाम व विंध्यवासिनी मंदिर से भी प्रचलित है | विंध्यवासिनी देवी को वृद्धवस्था की तात्कालिक सर्वश्रेष्ठ शक्ति कहा जाता है |
विंध्याचल वाराणसी से 70 किमी तथा प्रयागराज से 85 किमी की दूरी पर पर स्थित है | मंदिर में रोजाना लोग माता के दर्शन के लिए आते है जिस से मंदिर में भीड़ रहती है | चैत्र तथा आश्विन नवरात्रि के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन ले लिए आते है | जून के महीने में यहाँ कई प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है |
विषय सूची
माँ विंध्यवासिनी की कहानी (Maa Vindhyavasini story)
माँ विंध्यवासिनी माँ दुर्गा का रूप है ,विंध्याचल वह स्थान है जहां पर माँ विंध्यवासिनी ने महिसासुर नामक राक्षस का वध करके पुरी सृस्टि को उसके अत्याचार के पाप मुक्त किया था इसलिए माता को महिसासुर मर्दानी भी कहा जाता है | माता का यह मंदिर बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक है |
विंध्याचल धाम का इतिहास (History of Vindhyachal Dham)
विंध्याचल धाम अथवा विंध्यवासिनी माँ के बारे में जानकारी हमें कई ग्रन्थ अथवा पुराणों में मिलती है , कुछ प्रमुख पुराण जिसमे महाभारत ,मत्स्य पुराण ,वामन पुराण ,देवी भगवत आदि में मिलता है मार्कण्डेय पुराण में देवी दुर्गा और महिसासुर के बीच हुए युद्ध के बारे में वर्णन किया गया है |
विंध्याचल मंदिर दर्शन का समय ( Vindhayachal Mandir Darshan Timing)
वैसे तो यह मंदिर हर दिन खुला रहता है लेकिन माता के दर्शन के लिए आपको मंदिर के खुलने व बंद होने के समय ज्ञात होना चाहिए। ताकि माता के दर्शन करने में आसानी होगी इस समय में जाकर आप माता के दर्शन कर सकते है |
सुबह – 5 बजे से 12 बजे तक
दोपहर – 1:30 से शाम 7:15 तक
शाम – 8:15 से रात 10:30 तक
विंध्याचल मंदिर वीडियो ( Vindhyachal Mandir Video)
विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) के बारे में कुछ अनसुनी बातें
1 .पुरे भारत के समय को तय करने वाली भारतीय मानक समय रेखा विंध्यवासिनी माता के मूर्ति से होकर गुजरती है |
2 . वनवास के दौरान माता सीता प्रभु श्रीराम व उनके भाई लक्ष्मण इस स्थान पर आये थे |
3 . प्राचीन काल में विंद्याचल पर्वत में शेर हाथी और अन्य पशु विचरण करते थे |
4 . विंध्याचल पुरे विश्व में एक ऐसा पवित्र स्थान है जहा देवी दुर्गा ,माँ काली और सरस्वती तीनो एक साथ विराजमान है |
विंध्याचल के अन्य मंदिर
विंध्याचल में सबसे प्रमुख मंदिर माँ विन्धेश्वरी देवी का मंदिर है इसके अलावा यहाँ और बहुत सारी मंदिर और आसपास में घूमने लायक पर्यटन स्थल है ,जिसका लुफ्त यहाँ आने वाले लोग उठा सकते है ,कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल नीचे दिया गया है-
काली खेह मंदिर
यह मंदिर भी मिर्जापुर के पास विंध्याचल में स्थित है यह मंदिर माता विन्ध्येश्वरी के मंदिर से 2 -3 किमी के दुरी पर विंध्याचल पर्वत के भीतर गुफा में विराजित माँ दुर्गा का रूप है माता विन्ध्येश्वरी के दर्शन के बाद माता काली के दर्शन के लिए यह मंदिर अवश्य आए , प्रकृति के गोद में यह मंदिर बहुत सुंदर दिखाई देती है।
मंदिर जाने के रास्ते में जाने पर हमें बच्चो के खिलौने ,प्रसाद ,पूजन सामग्री आदि के दुकान लगे हुए दिखाई देते है ,मंदिर का प्रांगण क्षेत्र लाल रंग में दिखयी देता है इसी बीच हमें भद्रकाली ,हनुमान जी शिव भगवान की भी छोटे छोटे मन्दिर देखने को मिलते है इस मंदिर के पास में ही सिद्धिदात्री का मंदिर है ,आप इसका भी दर्शन कर सकते है |
अष्टभुजी मंदिर
विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) से पश्चिम दिशा कीओर ३ किमी की दुरी पर विंध्याचल पर्वत है इस पर्वत के सबसे ऊपरी हिस्से में माता अष्टभुजी की मूर्ति गुफा के भीतर स्थित है ,इस गुफा तक पहुंचने तथा माता के दर्शन को प्राप्त करने के लिए सीढ़ी बनाई गयी है जिस पर चढ़ाई करके गुफा तक पहुंच कर माता का दर्शन किया जा सजता है दूसरा सड़क मार्ग भी है इससे भी आसानी से पहुंचा जा सकता है माता के दर्शन के लिए भक्त दूर -दूर से आते है |
पौराणिक कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण की बहन को उनके ही मामा कंस ने घेर रखा था तब वह खुद को बचाने के लिये इसी मंदिर में आकर छिप गयी जहां पर अभी वर्त्तमान में मंदिर स्थित है चैत्र व शारदीय नवरात्रि के अवसर पर यहाँ मेले ला आयोजन होता है जिसे देखने के लिए काफी मात्रा में भीड़ इकठ्ठा होती है |
सीता कुंड
विंध्याचल पर्वत पर सीता कुंड नामक एक छोटा सा स्थान है यह रामायण काल स्थित है इसका उल्लेख रामायण माहाकव्य में किया गया है जिसके अनुसार इस कुंड का निर्माण लक्ष्मण ने किया था ,जब सीता माँ को प्यास लगती है तब लक्ष्मण को आसपास पानी प्राप्त नहीं हुआ जिसके कारण वे धरती पर अपने धनुष बाण की सहायता से एक तीर छोड़ते है।
जिस स्थान पर तीर लगा रहता है वह से पानी निकलने लगता है और एक कुंड का निर्माण होता हैजिसमे से पानी पीकर सीता माँ अपनी प्यास बुझाती है इस कुंड के आसपास में माँ दुर्गा ,सीता माता ,हनुमान जी की मंदिर है जिसके दर्शन के लिए लोग आते है
कंकाली देवी मंदिर
यह मंदिर उत्तरप्रदेश के ही रायसेन जिले के गुदावल नामक गांव में विराजित है , इस मंदिर की स्थापना लगभग 1731 ई. के आसपास किया गया था जो की खुदाई करते समय प्राप्त हुआ था। इस मंदिर में माँ काली की प्रतिमा है जो 45 डिग्री नीचे की ओर झुकी है , ऐसा माना जाता है की एक बार माता दुर्गा बहुत ज्यादा क्रोधित हो गयी थी।
क्रोध के कारण उनका शरीर कंकाल के रूप में बदलने लगा था तब भगवान शिव उनके गुस्से को शांत करने के लिए तथा उनको रोकने के लिए उनके मार्ग में लेट गए जिससे माता शांत हो गयी। नवरात्रि के समय माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते है।
संकट मोचन हनुमान मंदिर
यह मंदिर मिर्जापुर में स्थित है जो की एक प्रसिद्ध मंदिर के रूप में जाना जाता है ,इस मंदिर के स्थापना महाकवि तुलसीदास के द्वारा किया गया था ये वही तुलसीदास है जिनके द्वारा रामायण व रामचरितमानस का रचना किया गया था यदि आप माता विन्ध्येश्वरी के दर्शन के लिए आते है तो हनुमान मंदिर जरूर आए।
इस मंदिर में विराजित भगवान हनुमान की मूर्ति हर साल कुछ इंच बढ़ती हुई देखी गयी है जिसके कारण यहाँ आने वाले श्रद्धालु में भक्तिभाव अधिक होता है
विंध्याचल मंदिर कैसे पहुंचे (How to reach Vindhyachal Mandir)
हवाई मार्ग
आप हवाई मार्ग की सहायता से भी विंध्याचल पहुंच सकते है विंध्याचल से सबसे निकट हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री है जो 75 किमी दूर स्थित है हवाई मार्ग से वाराणासी पहुंचकर आप बस टैक्सी बुक करके विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) पहुंच सकते है |
रेल मार्ग
रेल मार्ग से भी विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) पहुंचा जा सकता है विंध्याचल में रेलवे स्टेशन है जिस से मंदिर की दुरी बहुत ही कम है लगभग 1 किमी के दुरी माँ मंदिर है जहा आसानी से पहुंचा जा सकता है यह स्टेशन दिल्ली हावड़ा मार्ग और मुंबई हावड़ा मार्ग पर उपस्थित है लेकिन यह छोटा स्टेशन होने के कारण बहुत कम संख्या में ट्रेन रूकती है।
इसके लिए आप मिर्जापुर स्टेशन तक ट्रेन से आकर निजी टैक्सी बुक करके मंदिर दर्शन करने आ सकते है।
सड़क मार्ग
सड़क मार्ग से विंध्याचल पहुंचने का सबसे आसान रास्ता NH2 है जिसे दिल्ली कोलकाता रोड भी कहा जाता है जिसके लम्बी दुरी वाले भक्तों को आने में सहायता मिलती है आप निजी कार ,बस से दर्शन करने आ सकते है
विंध्याचल में रुकने की जगह
यदि आप लम्बी दुरी तय करके माता के दर्शन के लिए आए है तो विंध्याचल तथा मिर्जापुर में ठहरने के लिए उत्तम व्यवस्था है ,आपको यहाँ पर सुविधाजनक रूम होटल उपलब्ध हो जायेंगे जहा रूककर आप पुरे मंदिरो के दर्शन का पाएंगे
विंध्याचल में खाये जाने वाले प्रमुख भोजन
दाल बाटी यहाँ की बहुत ही फेमस है यदि आप विंध्याचल आय माता के दर्शन के लिए तो दाल बाटी खाना न भूले यहाँ के लोगो को दाल बाटी बहुत ही पसंद है इसके साथ साथ लिट्टी चोखा , पुरी आलू की सब्जी चाट ठंडे पेय पदार्थ में लस्सी आदि प्रमुख भोजन है।
यह भी देखे
विन्ध्येश्वरी चालीसा हिंदी में (Vindhyeswari Chalisa In Hindi)
श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदंब।
संत जनों के काज में, करती नहीं बिलंब॥
जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदि शक्ति जगबिदित भवानी॥
सिंह वाहिनी जय जगमाता। जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥
कष्ट निवारिनि जय जग देवी। जय जय संत असुर सुरसेवी॥
महिमा अमित अपार तुम्हारी। सेष सहस मुख बरनत हारी॥
दीनन के दु:ख हरत भवानी। नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी॥
सब कर मनसा पुरवत माता। महिमा अमित जगत विख्याता॥
जो जन ध्यान तुम्हारो लावे। सो तुरतहिं वांछित फल पावे॥
तू ही वैस्नवी तू ही रुद्रानी। तू ही शारदा अरु ब्रह्मानी॥
रमा राधिका स्यामा काली। तू ही मात संतन प्रतिपाली॥
उमा माधवी चंडी ज्वाला। बेगि मोहि पर होहु दयाला॥
तुम ही हिंगलाज महरानी। तुम ही शीतला अरु बिज्ञानी॥
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता। दुर्गा दुर्ग बिनासिनि माता॥
तुम ही जाह्नवी अरु उन्नानी। हेमावती अंबे निरबानी॥
अष्टभुजी बाराहिनि देवा। करत विष्णु शिव जाकर सेवा॥
चौसट्टी देवी कल्याणी। गौरि मंगला सब गुन खानी॥
पाटन मुंबा दंत कुमारी। भद्रकाली सुन विनय हमारी॥
बज्रधारिनी सोक नासिनी। आयु रच्छिनी विन्ध्यवासिनी॥
जया और विजया बैताली। मातु संकटी अरु बिकराली॥
नाम अनंत तुम्हार भवानी। बरनै किमि मानुष अज्ञानी॥
जापर कृपा मातु तव होई। तो वह करै चहै मन जोई॥
कृपा करहु मोपर महारानी। सिध करिये अब यह मम बानी॥
जो नर धरै मातु कर ध्याना। ताकर सदा होय कल्याणा॥
बिपत्ति ताहि सपनेहु नहि आवै। जो देवी का जाप करावै॥
जो नर कहे रिन होय अपारा। सो नर पाठ करे सतबारा॥
निश्चय रिनमोचन होई जाई। जो नर पाठ करे मन लाई॥
अस्तुति जो नर पढै पढावै। या जग में सो बहु सुख पावै॥
जाको ब्याधि सतावै भाई। जाप करत सब दूर पराई॥
जो नर अति बंदी महँ होई। बार हजार पाठ कर सोई॥
निश्चय बंदी ते छुटि जाई। सत्य वचन मम मानहु भाई॥
जापर जो कुछ संकट होई। निश्चय देबिहि सुमिरै सोई॥
जा कहँ पुत्र होय नहि भाई। सो नर या विधि करै उपाई॥
पाँच बरस सो पाठ करावै। नौरातर महँ बिप्र जिमावै॥
निश्चय होहि प्रसन्न भवानी। पुत्र देहि ताकहँ गुन खानी॥
ध्वजा नारियल आन चढावै। विधि समेत पूजन करवावै॥
नित प्रति पाठ करै मन लाई। प्रेम सहित नहि आन उपाई॥
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा। रंक पढत होवै अवनीसा॥
यह जनि अचरज मानहु भाई। कृपा दृष्टि जापर ह्वै जाई॥
जय जय जय जग मातु भवानी। कृपा करहु मोहि पर जन जानी॥
विन्ध्येश्वरी चालीसा अंग्रेजी में (Vindhyeswari Chalisa In English)
Namo namo vindhyeshvarii, namo namo jagadamba.
Sant janon ke kaaj men, karatii nahiin bilamba॥
Jay jay jay vindhyaachal raanii. Aadi shakti jagabidit bhavaanii॥
Sinh vaahinii jay jagamaataa. Jay jay jay tribhuvan sukhadaataa॥
Kashṭ nivaarini jay jag devii. Jay jay sant asur surasevii॥
Mahimaa amit apaar tumhaarii. Sesh sahas mukh baranat haarii॥
Diinan ke du:kh harat bhavaanii. Nahin dekhyo tum sam kou daanii॥
Sab kar manasaa puravat maataa. Mahimaa amit jagat vikhyaataa॥
Jo jan dhyaan tumhaaro laave. So turatahin vaanchhit phal paave॥
Tuu hii vaisnavii tuu hii rudraanii. Tuu hii shaaradaa aru brahmaanii॥
Ramaa raadhikaa syaamaa kaalii. Tuu hii maat santan pratipaalii॥
Umaa maadhavii chanḍii jvaalaa. Begi mohi par hohu dayaalaa॥
Tum hii hingalaaj maharaanii. Tum hii shiitalaa aru bijñaanii॥
Tumhiin lakshmii jag sukh daataa. Durgaa durg binaasini maataa॥
Tum hii jaahnavii aru unnaanii. Hemaavatii ambe nirabaanii॥
Ashṭabhujii baaraahini devaa. Karat vishṇu shiv jaakar sevaa॥
Chowsaṭṭii devii kalyaaṇii. Gowri mangalaa sab gun khaanii॥
Paaṭan munbaa dant kumaarii. Bhadrakaalii sun vinay hamaarii॥
Bajradhaarinii sok naasinii. Aayu rachchhinii vindhyavaasinii॥
Jayaa owr vijayaa baitaalii. Maatu sankaṭii aru bikaraalii॥
Naam anant tumhaar bhavaanii. Baranai kimi maanush ajñaanii॥
Jaapar kṛpaa maatu tav hoii. To vah karai chahai man joii॥
Kṛpaa karahu mopar mahaaraanii. Sidh kariye ab yah mam baanii॥
Jo nar dharai maatu kar dhyaanaa. Taakar sadaa hoy kalyaaṇaa॥
Bipatti taahi sapanehu nahi aavai. Jo devii kaa jaap karaavai॥
Jo nar kahe rin hoy apaaraa. So nar paaṭh kare satabaaraa॥
Nishchay rinamochan hoii jaaii. Jo nar paaṭh kare man laaii॥
Astuti jo nar paḍhai paḍhaavai. Yaa jag men so bahu sukh paavai॥
Jaako byaadhi sataavai bhaaii. Jaap karat sab duur paraaii॥
Jo nar ati bandii mahan hoii. Baar hajaar paaṭh kar soii॥
Nishchay bandii te chhuṭi jaaii. Saty vachan mam maanahu bhaaii॥
Jaapar jo kuchh sankaṭ hoii. Nishchay debihi sumirai soii॥
Jaa kahan putr hoy nahi bhaaii. So nar yaa vidhi karai upaaii॥
Paanch baras so paaṭh karaavai. Nowraatar mahan bipr jimaavai॥
Nishchay hohi prasann bhavaanii. Putr dehi taakahan gun khaanii॥
Dhvajaa naariyal aan chaḍhaavai. Vidhi samet puujan karavaavai॥
Nit prati paaṭh karai man laaii. Prem sahit nahi aan upaaii॥
Yah shrii vindhyaachal chaaliisaa. Rank paḍhat hovai avaniisaa॥
Yah jani acharaj maanahu bhaaii. Kṛpaa dṛshṭi jaapar hvai jaaii॥
Jay jay jay jag maatu bhavaanii. Kṛpaa karahu mohi par jan jaanii॥
विन्ध्येश्वरी चालीसा वीडियो ( Vindhyeswari Chalisa video)
विन्ध्येश्वरी मंदिर से जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर
विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) इतना प्रसिद्ध क्यों है ?
उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर में गंगा नदी के किनारे विंन्ध्येश्वरी माता का मंदिर साथ ही इसके आसपास स्थित काली खेह मंदिर ,काकली देवी मंदिर , सीता कुंड ,अष्टभुजी मंदिर आदि के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते है जिसके कारण विंध्याचल मंदिर प्रसिद्ध है |
क्या विन्ध्येश्वरी माता 52 शक्तिपीठो में से एक है ?
हा विन्ध्येश्वरी माता 52 शक्तिपीठो में से एक है
आप विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) तक कैसे पहुंच सकते है
विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) जाने के लिए हम सड़क मार्ग ,रेक मार्ग , हवाई मार्ग तीनो के मार्गो का उपयोग करके आसानी से पहुंच सकते है।
विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) कब जाना चाहिए ?
वैसे तो विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) में साल भर भक्तो माँ आना जाना लगा रहता है विंध्याचल धाम देवियों के नगरी होने के कारण नवरात्रि के अवसर पर यहाँ आकर माता का दर्शन कर सकते है नवरात्रि के समय यहाँ मेला का भी आयोजन होता है।
क्या विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) के आसपास रुकने की व्यवस्था है ?
विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Mandir) के आसपास तथा 8 किमी दूर मिर्जापुर में रुकने के लिए बहुत ही सुविधाजनक होटल उपलब्ध है
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रेखा डनसेना इकोनॉमिक्स में स्नातकोत्तर है और poojaaarti.com के मंदिर , त्यौहार और चालीसा के पोस्ट के अध्ययन और लेख में हमारा सहयोग करती है।