भोजन मंत्र (Bhojan Mantra)


भोजन मंत्र (Bhojan Mantra) एक हिंदू धर्म में प्रचलित मंत्र है, जिसे मनुष्यों द्वारा भोजन करने से पहले उच्चारित किया जाता है। इसका महत्व यह है कि भोजन करने से पहले ध्यान और आदर्श भाव से भोजन किया जाए ताकि व्यक्ति आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से संतुलित रहे।

इस मंत्र का मुख्य उद्देश्य आहार को शुद्ध, स्वास्थ्यप्रद और आनंदमय बनाना होता है। यह मंत्र हमारे पवित्र ग्रन्थ यजुर्वेद से लिया गया है।

भोजन मंत्र की विधि (Bhojan Mantra Ki Vidhi)

भोजन मंत्र की विधि निम्नलिखित तरीके से होती है:

  1. तैयारी: भोजन करने से पहले, व्यक्ति को स्नान करना चाहिए और साफ-सुथरा कपड़े पहनने चाहिए। इससे आध्यात्मिकता बढ़ती है और भोजन करने की प्रक्रिया में शुद्धि बनी रहती है।
  2. ध्यान: भोजन से पहले ध्यान और मनन करना चाहिए। व्यक्ति को अपने मन में भोजन की महत्ता, आध्यात्मिक द्रष्टि से, और भोजन को आदर्श भाव से करने की भावना रखनी चाहिए।
  3. मंत्र उच्चारण: भोजन के प्रारंभ में, व्यक्ति को चाहिए कि वह भोजन मंत्र को अपनी भावनाओं के साथ उच्चारण करें। यह मंत्र भोजन को आध्यात्मिकता के साथ ग्रहण करने का संकेत देता है।
  4. शांति: भोजन के बाद भी व्यक्ति को शांति और आनंद के साथ मंत्र का ध्यान करना चाहिए। इससे व्यक्ति का मन शांत और संतुष्ट रहता है।
  5. समर्पण: भोजन को उच्चारण करने के बाद, व्यक्ति को अपने भोजन को ईश्वर को समर्पित करना चाहिए और उसे आदर्श भाव से ग्रहण करना चाहिए।

यह सभी कार्य भोजन मंत्र की विधि को समर्थित करते हैं और भोजन को एक आध्यात्मिक, सात्विक और शुद्ध अनुभव में बदलने में मदद करते हैं।

भोजन मंत्र (Bhojan Mantra)

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।

ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्‌विषावहै॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

भोजन मंत्र (Bhojan Mantra) भोजन और व्यक्ति के मध्य एक आध्यात्मिक संबंध देते हैं, जिससे व्यक्ति को धन्यता और संतोष का अनुभव होता हैं। इन मंत्रों को उच्चरित करते समय, व्यक्ति को अपने भोजन को ईश्वर के अर्पण के रूप में स्वीकार करने की भावना रखनी चाहिए।

भोजन मंत्र का अर्थ (Definition of Bhojan Mantra)

भोजन करने से पहले,
अपने भीतर चिंतन करो,
यह शरीर किस उद्देश्य से अस्तित्व में है?
और इस शरीर का पालन-पोषण कैसे करना है।
हे ईश्वर आपसे एक विनती है की,
सदैव आपके दिव्य चरणों में।
अपना शरीर, मन और धन समर्पित रहे,
हमारी मातृभूमि की सेवा में.


जिन पहलुओं को हम स्वयं के रूप में पहचानते हैं वे ईश्वर की अभिव्यक्तियाँ हैं।
भोजन ईश्वर का प्रतीक है। शरीर के भीतर जो भूख की ज्वाला ब्रम्ह महसूस कराती है।
भोजन को ग्रहण करने और आत्मसात करने की क्रिया को ब्रह्म क्रिया कहा जाता है।
भोजन से प्राप्त परिणाम भी ईश्वर की अभिव्यक्ति हैं।


हे सर्वशक्तिमान!
आइए हम सब मिलकर शिष्य और गुरु दोनों की रक्षा करें।
आइए हम शिष्य और गुरु दोनों को सद्भाव से बढ़ावा दें।
आइए हमारे संयुक्त प्रयास ज्ञान और शक्ति प्राप्त करने में शक्तिशाली बनें।
हमारी बुद्धि उज्ज्वल रूप से चमके। दुश्मनी हमसे दूर रहे.
ॐ! ॐ शांति शांति शांति.

भोजन मंत्र (Bhojan Mantra) Pdf

भोजन मंत्र के फायदे (Benefit of Bhojan Mantra)

भोजन मंत्र (Bhojan Mantra) भोजन करने से पहले उच्चारित किया जाता है ताकि व्यक्ति अपने आहार को एक आध्यात्मिक और शुद्ध भाव से ग्रहण कर सके। भोजन मंत्र (Bhojan Mantra) से होने वाले लाभ निम्न हैं:

  1. आध्यात्मिक लाभ: भोजन मंत्र (Bhojan Mantra) का उच्चारण करने से पहले, व्यक्ति अपने भोजन को ईश्वर को समर्पित करता है और इसे एक पवित्र प्रक्रिया के रूप में स्वीकार करता है। इससे उसका मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है।
  2. शारीरिक स्वास्थ्य: भोजन मंत्र का उच्चारण करने से पहले ध्यान और संकेत में भोजन करने से शरीर में पोषण की प्रक्रिया अच्छी होती है। यह व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
  3. भोजन का साथी बनाना: भोजन मंत्र का उच्चारण करके, व्यक्ति अपने भोजन को एक संस्कारशील और ध्यानपूर्वक रूप से खाता है। यह संस्कार उसे अपने जीवन में सावधानी से खाने की आदत डालने में मदद करता है।
  4. परिवार के साथ एकता: भोजन मंत्र को सामूहिक रूप से उच्चारित करने से परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के साथ एकता और सामंजस्य बढ़ाते हैं। इससे परिवार का संबंध मजबूत होता है।

इस प्रकार से भोजन मंत्र (Bhojan Mantra) कुछ मुख्य लाभ है, जो भोजन मंत्र के उच्चारण करने से मिलते हैं। इसके अलावा यह व्यक्ति को आदर्श भावनाओं से भर देता है और उसे अपने जीवन में संतुलन और संतोष की भावना देता है।


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भोजन मंत्र (Bhojan Mantra) FAQ

भोजन मंत्र क्या होता है?

भोजन मंत्र एक विशेष मंत्र है, जो भोजन करने से पहले उच्चारित किया जाता है, इसका उद्देश्य भोजन को आध्यात्मिक द्रष्टि से ग्रहण करना है।

भोजन मंत्र का क्या महत्त्व है?

भोजन मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति अपने भोजन को आध्यात्मिक रूप से स्वीकार करता है और उसे शुद्ध और सात्विक बनाने में मदद मिलती है।

भोजन मंत्र कब और कैसे उच्चारित करना चाहिए?

भोजन से पहले, अपने मन में ध्यान और मनन करें। फिर भोजन मंत्र को शुद्ध और ध्यान से उच्चारित करें। भोजन को ग्रहण करने के बाद भी, शांति और आनंद के साथ मंत्र का ध्यान करें।

भोजन मंत्र के क्या लाभ होते हैं?

भोजन मंत्र के उच्चारण से मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। यह शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है और व्यक्ति को आदर्श भावनाओं से भर देता है।

क्या सभी लोग भोजन मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं?

हां, कोई भी व्यक्ति भोजन मंत्र का उच्चारण कर सकता है। यह किसी विशेष धर्म या सम्प्रदाय से संबंधित नहीं होता।

भोजन मंत्र के अलावा और कौन-कौन से मंत्र हैं?

भोजन मंत्र के अलावा अन्नपूर्णा माँ के मंत्र, ग्रहण मंत्र, यज्ञोपवीत मंत्र, शांति मंत्र आदि कई अन्य मंत्र होते हैं।

भोजन मंत्र का उच्चारण किसके साथ करना चाहिए ?

भोजन मंत्र का उच्चारण अकेले अथवा अपने परिवार या मित्रों के साथ करना चाहिए, इस मंत्र का उच्चारण व्यक्ति अपने मन भी कर सकता है।

भोजन मंत्र कहाँ से लिया गया है ?

यह मंत्र हमारे पवित्र ग्रन्थ यजुर्वेद से लिया गया है।

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