कालभैरवाष्टकम् मंत्र (Kaalbhairav Ashtakam Mantra)

कालभैरवाष्टकम् मंत्र (Kaalbhairav Ashtakam Mantra) भगवान शंकर के पांचवें अवतार कालभैरव को समर्पित मंत्र है। महादेव के रूद्र रूप को काल भैरव कहते है, काल भैरव की पूजा भक्तों द्वारा मुख्यतः तंत्र – मंत्र, साधना को संपन्न करने के लिए किया जाता है, इसलिए इन्हे तंत्र – मंत्र का देवता भी माना जाता है। इस मंत्र का पाठ करने से प्रेत, तांत्रिक बाधा से मुक्ति मिलती है और दीर्घायु जीवन के साथ-साथ मन भी स्वस्थ रहता है।

कालभैरवाष्टकम् मंत्र (Kaalbhairav Ashtakam Mantra)

देवराज-सेव्यमान-पावनांघ्रि-पंकजं
व्यालयज्ञ-सूत्रमिंदु-शेखरं कृपाकरम् ।
नारदादि-योगिबृंद-वंदितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 1 ॥

भानुकोटि-भास्वरं भवब्धितारकं परं
नीलकंठ-मीप्सितार्ध-दायकं त्रिलोचनम् ।
कालकाल-मंबुजाक्ष-मक्षशूल-मक्षरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 2 ॥

शूलटंक-पाशदंड-पाणिमादि-कारणं
श्यामकाय-मादिदेव-मक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्र तांडव प्रियं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 3 ॥

भुक्ति-मुक्ति-दायकं प्रशस्तचारु-विग्रहं
भक्तवत्सलं स्थिरं समस्तलोक-विग्रहम् ।
निक्वणन्-मनोज्ञ-हेम-किंकिणी-लसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 4 ॥

धर्मसेतु-पालकं त्वधर्ममार्ग नाशकं
कर्मपाश-मोचकं सुशर्म-दायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्ण-केशपाश-शोभितांग-मंडलं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 5 ॥

रत्न-पादुका-प्रभाभिराम-पादयुग्मकं
नित्य-मद्वितीय-मिष्ट-दैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्प-नाशनं करालदंष्ट्र-मोक्षणं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 6 ॥

अट्टहास-भिन्न-पद्मजांडकोश-संततिं
दृष्टिपात-नष्टपाप-जालमुग्र-शासनम् ।
अष्टसिद्धि-दायकं कपालमालिका-धरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 7 ॥

भूतसंघ-नायकं विशालकीर्ति-दायकं
काशिवासि-लोक-पुण्यपाप-शोधकं विभुम् ।
नीतिमार्ग-कोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 8 ॥

कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्ति-साधकं विचित्र-पुण्य-वर्धनम् ।
शोकमोह-लोभदैन्य-कोपताप-नाशनं
ते प्रयांति कालभैरवांघ्रि-सन्निधिं ध्रुवम् ॥

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