णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra)

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) जैन धर्म का एक प्रमुख मंत्र है और इसे ‘नवकार मंत्र’, ‘नमस्कार मंत्र’, या ‘पंच परमेष्ठी नमस्कार’ जैसे विभिन्न मंत्रो के नामों से भी जाना जाता है।

णमोकार महामंत्र के बारे में (About Namokar Maha Mantra)

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) एक लोकोत्तर मंत्र है जो सामान्य सीमाओं से परे है। यह जैन धर्म में सबसे पूजनीय और मौलिक मंत्र है। यह शुद्ध आत्म के चिंतन, मनन और अनुभूति का प्रतीक है, किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूर्ण विकसित और विकसित हो रहे शुद्ध आत्म का मंत्र है। इस प्रकार यह एक शाश्वत एवं अक्षय मंत्र है।

नमोकार महा मंत्र आरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु-संत को समर्पित है। यह मंत्र जैन धर्म के महान तत्त्वों को याद करता है और उनको सम्मान देता है।

यहाँ णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) की मुख्यता कुछ अंश हैं:

  1. मंत्र का अर्थ:
    यह मंत्र आरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु-संत को नमस्कार करता है।
  2. आध्यात्मिक महत्त्व:
    इस मंत्र का जप जैन धर्म के अनुयायियों के द्वारा आत्मा के शुद्धता, साम्य, और आत्म-रिस्तों में समानता की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
  3. जप और उद्देश्य:
    इस मंत्र का जप करने से ध्यान में स्थिरता और आत्मिक शक्ति मिलती है। यह मंत्र साधना, मेधावीता, और सहयोग में सहायता प्रदान करता है।
  4. ध्यान और समर्पण:
    जैन धर्म में इस मंत्र को जप करने का महत्त्व बताया जाता है, और ध्यान के साथ समर्पण से इसका जप किया जाता है।

व्यक्ति अपने आत्मा को शुद्ध करने और मुक्ति पाने के लिए नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का नियमित जाप करने से सभी कार्य पूर्ण हो जाते है और संज्ञान में आया है की इस मंत्र से दरद्रिता, बीमारी भी ठीक हो जाती है।

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra)

णमो अरिहंताणं,
णमो सिद्धाणं,
णमो आयरियाणं,
णमो उवज्झायाणं,
णमो लोए सव्व साहूणं ।
एसोपंचणमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो ।
मंगला णं च सव्वेसिं, पडमम हवई मंगलं ।

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) के शुरुवात के पाँच पदों में 35 अक्षर और शेष दो पदों में 33 अक्षर हैं। इस प्रकार से कुल 68 अक्षरों का यह महामंत्र समस्त कार्यों को सिद्ध करने वाला एक सिद्ध मंत्र है।

णमोकार महामंत्र का अर्थ (Definition of Namokar Maha Mantra)

अरिहंतों को नमस्कार।
सिद्धों को नमस्कार।
आचार्यों को नमस्कार।
उपाध्यायों को नमस्कार।
इस लोक के सभी साधुओं को नमस्कार।
यह पाँच परमेष्ठियों को किया हुआ नमस्कार
सभी पापो का नाश करने वाला है
और सभी मंगलो में
प्रथम मंगल है

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) जैन धर्म की श्रद्धा और आध्यात्मिकता का प्रतीक है और इसका जप करके व्यक्ति आत्मा के शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य में उन्नति कर सकता है, सांसारिक मंत्र आम तौर पर सांसारिक लाभ प्रदान करते हैं, अलौकिक मंत्र सांसारिक और पारलौकिक दोनों उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। इसलिए, णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) को सभी उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम दिव्य मंत्र के रूप में जाना जाता है।

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) Pdf

णमोकार महामंत्र के लाभ (Benefit of Namokar Maha Mantra)


णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) के जप के कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ होते हैं। यह मंत्र जैन धर्म के महान तत्त्वों को याद करने और समर्थन करने का कार्य करता है और इसका नियमित जप करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:

  1. आत्मिक शांति:
    यह मंत्र जप करने से मानसिक चैतन्यता बढ़ती है और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
  2. ध्यान और संयम:
    इस मंत्र का जप करने से ध्यान में स्थिरता और संयम बढ़ता है।
  3. समृद्धि और सफलता:
    णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है और सफलता के मार्ग को साफ करता है।
  4. आत्मानुभव और आत्मा की समझ:
    इस मंत्र के जप से आत्मानुभव में वृद्धि होती है और आत्मा की समझ बढ़ती है।
  5. समाज में सहयोग और समरसता:
    नमोकार महा मंत्र के जप से समाज में सहयोग और समरसता की भावना बढ़ती है।
  6. आत्मविश्वास और स्वाध्याय का उन्नति:
    यह मंत्र जप करने से आत्मविश्वास और स्वाध्याय में उन्नति होती है।

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) के जप से व्यक्ति आध्यात्मिक विकास में सहायता प्राप्त करता है और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलता है।


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णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) FAQ

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) क्या है?

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) जैन धर्म का महत्वपूर्ण मंत्र है और इसे ‘नवकार मंत्र’, ‘नमस्कार मंत्र’, या ‘पंच परमेष्ठी नमस्कार’ जैसे विभिन्न मंत्रो के नामों से भी जाना जाता है। जो आरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु-संत को समर्पित है। यह मंत्र जैन धर्म के महान तत्त्वों को याद करता है और उनको सम्मान देता है।

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) का उद्देश्य क्या है?

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) का उद्देश्य आरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु-संत को नमस्कार करना और उनकी महिमा को याद रखना होता है।

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) का जप कैसे किया जाता है?

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra)को ध्यानपूर्वक और समाधान से जपा जाता है। इस मंत्र को जपते समय ध्यान दें कि आप मंत्र को सही उच्चारण के साथ और सही भावना के साथ पढ़ रहे हैं।

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra)के जप के क्या लाभ होते हैं?

इस मंत्र के जप से आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता, ध्यान की ऊर्जा, और सामाजिक सहयोग की भावना में वृद्धि होती है

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) कब जपा जाता है?

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) को सुबह-संध्या में, योग या ध्यान के समय, या किसी भी शुभ कार्य के पहले जपा जा सकता है।

क्या यह मंत्र सभी को उचित है?

हाँ, णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) जैन धर्म का मंत्र है, लेकिन यह सभी व्यक्तियों को शांति, समृद्धि, और आत्मानुभूति की दिशा में गाइड करता है।

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) कहा मिला?

णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) महाराष्ट्र के पाले में  हाथीगुम्फा अभिलेख में मिला, यहाँ सबसे प्राचीन जैन गुफा है और इसकी लिपि ब्राम्ही लिपि थी।

नमोकार महा मंत्र जैन धर्म के मार्गदर्शन में महत्वपूर्ण और समर्थन करने वाला मंत्र है, जो आत्मा के विकास और आत्मानुभव की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

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