संकट मोचन हनुमानाष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak)

संकट मोचन हनुमानाष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak) भगवान हनुमान जी को समर्पित है। हनुमान जी के भक्तों को मंगलवार के दिन सुबह-सुबह हनुमानाष्टक का पाठ अवश्य करना चाहिए क्योंकि मंगलवार हनुमान जी का दिन होता है और इस दिन पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है।

संकट मोचन हनुमानाष्टक के फायदे (Sankatmochan Hanuman Ashtak Ke Fayde)

  • भक्त द्वारा सुबह-सुबह यदि 21 दिनों तक हनुमानाष्टक का पाठ किया जाता है तो भक्त के जीवन में आ रहे बड़े से बड़े संकट को हनुमान जी दूर कर देते है।
  • जीवन में कोई भी परेशानी या किसी प्रकार की कोई भी समस्या हो तो हनुमानाष्टक का पाठ अवश्य किया जाना चाहिए।
  • गृहस्थ जीवन के खुशहाली के लिए हनुमानाष्टक का पाठ अवश्य करना चाहिए, इसके पाठ से घर में फैली अशांति स्वतः ही दूर हो जाती है।
  • हनुमानाष्टक के पाठ से भूत-प्रेत की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  • हनुमानाष्टक के नियमित पाठ से पाठक रोग मुक्त हो जाता है।
  • हनुमानाष्टक के पाठ से हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न हो जाते है और भक्त को अपना आशर्वाद प्रदान करते है।

संकट मोचन हनुमानाष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak)

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥

अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥

रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥

बान लग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥

रावन युद्ध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥

बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥

काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥

॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर ॥

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