शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra)

शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra) भगवान शिव की पूजा के समय प्रयोग किया जाने वाला मंत्र है। कोई व्यक्ति जो अपनी कुंडली में काल सर्फ दोष के कारण से परेशान रहता है, जिस कारण से उसे किसी भी कार्य में सफलता की प्राप्ति नहीं होती है, उसे इस मंत्र का जाप प्रतिदिन करना चाहिए, जिससे उसे उस कार्य में निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है।

शिव पंचाक्षर मंत्र विधि (Shiv Panchakshar Mantra Vidhi)

शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra) का जाप अनुष्ठान अत्यंत ही प्रभावशाली होता है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भगवान शिव के शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करने की कुछ सामान्य विधियां बता रहे हैं, जो की निम्न है :

1. पूजा स्थल की साफ़-सफाई: पूजा स्थल को साफ़-सफाई में रखें। आसन या चौकी पर बैठें जो स्थिर और शांत हो।

2. मंत्र का जाप:

  • शुद्ध दिल से, शांति और ध्यान में होकर शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra) का जाप करें।
  • अगर संभव हो तो जाप का समय निश्चित करें (उदाहरण के लिए, दैनिक जाप का समय चुनें जैसे सुबह, दोपहर, शाम या रात का कोई विशेष समय)।
  • शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra) का जाप करते समय माला का प्रयोग करें। ज्यादा से ज्यादा संख्या में जाप करने के लिए माला का प्रयोग करें (उदाहरण के लिए, 108 या 1008 बार जाप करें)।

3. ध्यान:

  • जाप करने से पहले और जाप करने के बाद, शिवजी का ध्यान करें।
  • उनकी मूर्ति, त्रिशूल, गंगा जल, धारा, चंद्रमा, और तपोभूमि का ध्यान करें।

4. ध्यानात्मक अनुष्ठान:

  • शांति और ध्यान के लिए जाप करने के बाद ध्यानात्मक अनुष्ठान करें।
  • शिवजी के चरणों में आशीर्वाद और भक्ति का भाव रखें।

5. समापन:

  • जाप करने के बाद, शिवजी को प्रणाम करें और उन्हें समर्पित करें।
  • अपने मन में शांति और ध्यान का अनुभव करें।

कृपया ध्यान दे की यह आर्टिकल केवल आपकी सहायता के लिए है।

शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra)

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नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय
शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय

वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै वकाराय नमः शिवाय
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते

शिव पंचाक्षर मंत्र अंग्रेजी में (Shiv Panchakshar Mantra in English)

Nagendraharaya Trilochanaya
Bhasmangaragaya Mahesvaraya
Nityaya Suddhaya Digambaraya
Tasmai Na Karaya Namah Shivaya
Mandakini Salila Chandana Charchitaya
Nandisvara Pramathanatha Mahesvaraya
Mandara Pushpa Bahupushpa Supujitaya
Tasmai Ma Karaya Namah Shivaya

Shivaya Gauri Vadanabja Brnda
Suryaya Dakshadhvara Nashakaya
Sri Nilakanthaya Vrshadhvajaya
Tasmai Shi Karaya Namah Shivaya

Vashistha Kumbhodbhava Gautamarya
Munindra Devarchita Shekharaya
Chandrarka Vaishvanara Lochanaya
Tasmai Va Karaya Namah Shivaya

Yagna Svarupaya Jatadharaya
Pinaka Hastaya Sanatanaya
Divyaya Devaya Digambaraya
Tasmai Ya Karaya Namah Shivaya

Panchaksharamidam Punyam Yah Pathechchiva
Sannidhau Shivalokamavapnoti Sivena Saha Modate

शिव पंचाक्षर मंत्र का अर्थ (Meaning of Shiv Panchakshar Mantra)

वे नाग राजा को माला के रूप में सुशोभित करते हैं, तीन नेत्र धारण करते हैं,
पवित्र राख से अपने स्वरूप को सुशोभित करते हुए, भव्य भगवान,
शाश्वत, शुद्ध और सभी दिशाओं में सर्वव्यापी,
पवित्र पोशाक पहने,
उन शिव को प्रणाम, जिन्हे “न” अक्षर से दर्शाया गया है।

मंदाकिनी के जल से स्नान कराया, चंदन से अभिषेक किया।
नंदी, आत्माओं और विशाल ब्रह्मांड के स्वामी,
मंदार और असंख्य पुष्पों से सुसज्जित,
उन शिव को प्रणाम, जिन्हे “म” अक्षर से दर्शाया गया है।

शुभ, उदीयमान सूर्य के समान, गौरी के मुख को बढ़ाने वाला,
दक्ष के यज्ञ को विघ्न डालने वाले, गले पर नीला रंग, बैल का प्रतीक,
उन शिव को प्रणाम, जिन्हे “शि” अक्षर से दर्शाया गया है।

श्रद्धेय ऋषियों-वशिष्ठ, अगस्त्य, गौतम-और दिव्य प्राणियों द्वारा पूजित,
चंद्रमा, सूर्य और अग्नि के समान तीन आंखें रखने वाले,
उन शिव को प्रणाम, जिन्हे “वा” अक्षर से दर्शाया गया है।

बलिदान की प्रतिमूर्ति, उलझी हुई जटाओं के साथ,
त्रिशूल लहराते हुए, शाश्वत और दिव्य,
दीप्तिमान चमक, सभी प्रमुख बिंदुओं तक फैली पोशाक,
उन शिव को प्रणाम, जिन्हे “य” अक्षर से दर्शाया गया है।

जो लोग शिव के समीप रहकर इस पंचाक्षर का जाप करते हैं।
वे भगवन शिव के निवास को प्राप्त करेंगे और उसका आनंद मनाएंगे।

शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra) Pdf

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शिव पंचाक्षर मंत्र के लाभ (Benefit of Shiv Panchakshar Mantra)

शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra) के कई लाभ होते हैं जो भक्तों को मिलते हैं। इस मंत्र के जाप से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:

शांति और एकाग्रता:
शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra) का जाप करने से व्यक्ति जो अपनी कुंडली में काल सर्फ दोष के कारण से परेशान रहता है, जिस कारण से उसे किसी भी कार्य में सफलता की प्राप्ति नहीं होती है, उसे इस मंत्र का जाप प्रतिदिन करना चाहिए, जिससे उसे उस कार्य में निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है।

आध्यात्मिक ज्ञान:
शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra) का जाप करने से हमें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।

नकारात्मक ऊर्जा:
शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा को दूर चला जाता है।

सुख शांति:
शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करने से हमरे जीवन में सुख शांति बनी रहती है

मनोकामना की पूर्ति:
शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करने से हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

ये लाभ सिर्फ आम सूचना के रूप में हैं। अन्य विशिष्ट प्राथमिकताओं, संदर्भों और अनुभवों के आधार पर इन लाभों में विभिन्नता हो सकती है।

शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra) FAQ

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शिव पंचाक्षर मंत्र क्या है?

शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra) भगवान शिव की पूजा के समय प्रयोग किया जाने वाला मंत्र है। कोई व्यक्ति जो अपनी कुंडली में काल सर्फ दोष के कारण से परेशान रहता है, जिस कारण से उसे किसी भी कार्य में सफलता की प्राप्ति नहीं होती है, उसे इस मंत्र का जाप प्रतिदिन करना चाहिए, जिससे उसे उस कार्य में निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है।

शिव पंचाक्षर मंत्र का महत्व क्या है?

यह मंत्र शिव भगवान की प्रशंसा में उनकी आराधना के लिए प्रयोग होता है। इसका जाप करने से मानसिक और आध्यात्मिक शांति, शक्ति और सुख की प्राप्ति होती है।

शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप कैसे किया जाता है?

मंत्र का जाप प्रतिदिन एक निश्चित समय पर किया जाना चाहिए।

शिव पंचाक्षर मंत्र के क्या लाभ हैं?

इस मंत्र के जाप से शांति, सुख, आंतरिक शक्ति, कष्ट निवारण और मानसिक स्थिरता मिलती है। इसके अलावा शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ भी हो सकते हैं।

शिव पंचाक्षर मंत्र कब जाप किया जाना चाहिए?

इस मंत्र का जाप प्रतिदिन एक निश्चित समय पर किया जा सकता है, लेकिन बेहतर है कि इसे दैनिक ध्यान और पूजा के अंतर्गत जाप किया जाए।

शिव पंचाक्षर मंत्र का महत्त्व क्या है धार्मिक दृष्टि से?

यह मंत्र भगवान शिव की प्रशंसा में प्रयोग होता है और भक्तों को आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति की प्राप्ति में मदद करता है।

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Updated on May 10, 2024

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