माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda)

माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) हिंदू पौराणिक कथाओं में देवी दुर्गा का चौथा रूप है, इनकी पूजा भारत में मनाए जाने वाले नौ रातों के त्योहार, नवरात्रि के दौरान की जाती है। नवरात्रि देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है, और प्रत्येक दिन देवी के एक अलग रूप या अवतार से जुड़ा हुआ है और माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। “कुष्मांडा” नाम दो शब्दों से बना है: “कू,” जिसका अर्थ है “थोड़ा,” “उष्मा,” जिसका अर्थ है “गर्मी” या “ऊर्जा,” और “अंडा,” जिसका अर्थ है “ब्रह्मांडीय अंडा”। ।” इसलिए, कुष्मांडा का अनुवाद अक्सर “वह देवी जिसने अपनी दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांड का निर्माण किया” के रूप में किया जाता है।

विषय सूची

माँ कुष्मांडा आरती लिरिक्स (Maa Kushmanda Aarti Lyrics)

माँ आरती तेरी गाते ,
मैया आरती तेरी गाते ।
कुष्मांडा महामाया ,
हम तुमको ध्याते ।।

माँ आरती तेरी गाते ।।

हे जगदम्बे दयामयी ,
आदि स्वरूपा माँ ।
देव ऋषि मुनि ज्ञानी,
गुण तेरे गाते ।।

माँ आरती तेरी गाते ।।

कर ब्रहानन्द की रचना ,
कुष्मांडा कहलायी ।
वेद पुराण भवानी,
सब यही बतलाते ।।

माँ आरती तेरी गाते ।।

सूर्य लोक निवाशिनी ,
तुमको कोठी प्रणाम ।
सम्मुख तेरे पाप और ,
दोष ना टिक पाते ।।

माँ आरती तेरी गाते ।।

माँ कुष्मांडा मंत्र (Maa Kushmanda Mantra)

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

माँ कुष्मांडा पूजा-विधि (Maa Kushmanda Pooja-Vidhi)

माँ कुष्मांडा नवदुर्गा की चौथी शक्ति हैं। इनका स्वरूप अत्यंत ही सुंदर और मनमोहक है। इनके चार हाथ हैं, जिनमें कमल, शंख, चक्र और गदा है। माँ कुश्मांडा का वाहन सिंह है।

पूजा का समय

माँ कुष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। इस दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।

पूजा की सामग्री

  • माँ कुष्मांडा का चित्र या मूर्ति
  • लाल पुष्प
  • अक्षत
  • गंध
  • रोली
  • मौली
  • धूप
  • दीप
  • नैवेद्य
  • सुपारी
  • पान
  • दक्षिणा

पूजा विधि

  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • माँ कुष्मांडा के चित्र या मूर्ति को स्थापित करें।
  • माँ को अक्षत, गंध, रोली, मौली, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • माँ के मंत्रों का जाप करें।
  • माँ से मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
  • पूजा के अंत में आरती करें।

माँ कुश्मांडा के मंत्र

  • ओम ह्रीं श्रीं क्लीं कुश्मांडायै नमः
  • ओम नमस्ते अम्बिके जगदम्बिके
  • जय जगदम्बे देवि, नारायणी नमोस्तुते
  • या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
    सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
    दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

पूजा के बाद

पूजा के बाद माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें। इस दिन व्रत रखने से माँ कुश्मांडा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

माँ कुश्मांडा की महिमा

माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं। इनकी पूजा करने से धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से सभी रोग और कष्ट दूर होते हैं। माँ कुष्मांडा अपने भक्तों की सदैव रक्षा करती हैं।

माँ कुष्मांडा की पूजा करने के लाभ (Benefit of Maa Kushmanda Pooja)

  • धन व समृद्धि के साथ-साथ ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • सभी रोग और कष्ट दूर होते हैं।
  • माँ कुष्मांडा अपने भक्तों की सदैव रक्षा करती हैं।
  • माँ कुष्मांडा की पूजा करने से मन को शांति और सुकून प्राप्त होता है।
  • माँ कुष्मांडा की पूजा करने से आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • माँ कुष्मांडा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

विशेष रूप से, माँ कुष्मांडा की पूजा निम्नलिखित लाभों के लिए की जाती है:

  • स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त करने के लिए
  • रोगों और संकटों से मुक्ति पाने के लिए
  • ज्ञान और बुद्धि प्राप्त करने के लिए
  • शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए
  • सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए

माँ कुष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। इस दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें। माँ कुश्मांडा को लाल रंग के फूल, अक्षत, गंध, रोली, मौली, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। माँ के मंत्रों का जाप करें और माँ से मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें। पूजा के अंत में आरती करें।

माँ कुष्मांडा अपने सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं।

माँ कुष्मांडा आरती वीडियो (Maa Kushmanda Aarti Video)

माँ कुष्मांडा की कुछ जानकारियां (Some information of Maa Kushmanda)

माँ कुष्मांडा की प्रतिमा :

माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) को आठ भुजाओं वाली, विभिन्न हथियार और शक्ति के प्रतीक धारण करने वाली एक उज्ज्वल देवी के रूप में दर्शाया गया है। उन्हें अक्सर शेर की सवारी करते हुए दिखाया जाता है। उनका चेहरा उज्ज्वल, दीप्तिमान है और ऐसा माना जाता है कि उनसे दिव्य प्रकाश निकलता है।

प्रतीकवाद:

माँ कुष्मांडा देवी के रचनात्मक और पोषण पहलू का प्रतिनिधित्व करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि उनकी मुस्कान ने ब्रह्मांड का निर्माण किया है, और माना जाता है कि वह सभी जीवित प्राणियों को गर्मी और ऊर्जा प्रदान करती हैं। उनका संबंध सूर्य से भी है और माना जाता है कि उनकी पूजा से उनके भक्तों के जीवन में रोशनी, ऊर्जा और खुशियां आती हैं।

आध्यात्मिक महत्व:

माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा करके, भक्त जन स्वास्थ्य, शक्ति और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि वह अज्ञानता के अंधकार को दूर कर सकती है और आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर सकती है।

प्रसाद:

माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा के दौरान भक्त प्रसाद के रूप में फल और फूल सहित विभिन्न वस्तुएं चढ़ाते हैं। नवरात्रि के इस दिन से जुड़ा रंग लाल है।


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माँ कुष्मांडा (Maa Kushmanda) FAQ

मां कुष्मांडा कौन हैं ?

मां कुष्मांडा हिंदू देवी दुर्गा के रूपों में से एक हैं। वह दुर्गा का चौथा रूप हैं और नवरात्रि के त्योहार के दौरान इनकी पूजा की जाती है।

“कुष्मांडा” नाम का क्या अर्थ है?

“कुष्मांडा” नाम “कू” (थोड़ा सा), “उष्मा” (गर्मी या ऊर्जा), और “अंडा” (ब्रह्मांडीय अंडा) से लिया गया है। इसका अनुवाद अक्सर “वह देवी जिसने अपनी दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांड का निर्माण किया” के रूप में किया जाता है।

माँ कुष्मांडा का क्या महत्व है?

माँ कुष्मांडा देवी के रचनात्मक पहलू का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिस कारण से भक्त मानते है की माता के मुस्कान ने ब्रह्मांड का निर्माण किया है, और वह गर्मी, ऊर्जा और सूर्य से जुड़ी है। जिससे इनकी पूजा करने से प्रकाश, शक्ति और समृद्धि मिलती है।

माँ कुष्मांडा की पूजा कब की जाती है?

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को समर्पित नौ रातों का त्योहार है। नवरात्रि आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर के महीने में आती है।

माँ कुष्मांडा की प्रतिमा क्या है?

माँ कूष्माण्डा को आठ भुजाओं वाली तेजस्वी देवी के रूप में दर्शाया गया है। वह अक्सर शेर की सवारी करती है और विभिन्न हथियार और शक्ति के प्रतीक रखती है। वह अपने चमकते चेहरे और दिव्य रोशनी के लिए जानी जाती हैं।

पूजा के दौरान मां कूष्मांडा को क्या प्रसाद चढ़ाया जाता है?

पूजा के दौरान भक्त मां कुष्मांडा को प्रसाद के रूप में फल और फूल जैसी विभिन्न वस्तुएं चढ़ाते हैं। नवरात्रि के इस दिन से जुड़ा रंग लाल है।

माँ कुष्मांडा की पूजा से क्या लाभ होता है?

भक्तों का मानना है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से स्वास्थ्य, शक्ति, समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान मिल सकता है। यह भी माना जाता है कि वह किसी के जीवन से अज्ञानता के अंधेरे को दूर करती है।

नवरात्रि में कैसे की जाती है मां कूष्मांडा की पूजा?

भक्त अक्सर व्रत रखते हैं, विशेष पूजा करते हैं और नवरात्रि के दौरान माँ कुष्मांडा को समर्पित मंदिरों में जाते हैं। त्यौहार के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य और संगीत प्रदर्शन भी जुड़े हुए हैं।

क्या माँ कुष्मांडा की पूजा के कोई विशेष विधान हैं?

मां कुष्मांडा की पूजा की विधियां क्षेत्र और व्यक्तिगत मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग होती हैं। आम तौर पर, भक्त उनका आशीर्वाद मांगते हुए प्रार्थना करते हैं, दीपक जलाते हैं और उनके मंत्र का जाप करते हैं।

माँ कुष्मांडा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी हैं, और नवरात्रि के दौरान उनकी पूजा भारत में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम है। भक्त शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण सहित अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए उनका आशीर्वाद चाहते हैं।

माँ कुष्मांडा आरती लिरिक्स पीडीएफ (Maa Kushmanda Aarti Lyrics Pdf)

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